Added by AVINASH S BAGDE on June 13, 2012 at 8:30pm — 11 Comments
सुग्गे!!!
Added by AVINASH S BAGDE on June 11, 2012 at 7:30pm — 8 Comments
डॉलर के कॉलर खड़े,रूपया है कमजोर.
Added by AVINASH S BAGDE on June 4, 2012 at 7:30pm — 10 Comments
कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........! भाई साहब, क्रिकेट इक दर्शन है.... आय. पी . एल.' उसका विराट प्रदर्शन है.आज देश की पहचान पूरे विश्व में इसी कारण है.वो कितने अफसोसनाक दिन थे जब हमारे देश को घोर गरीबी क़े कारण जाना जाता था.आई पि एल ने हमारे प्रति दुनिया का नजरिया ही बदल दिया. आज क्रिकेट में क्या नही है!! शोहरत है..पैसा है...ऐय्याशी क़े छलकते जाम है ..मरमरी बांहें हैं ..शोख निगाहे है...चमकते सितारे है...संसद में दारू बनाने,पीने-पिलाने वालो का नेतृत्व करने वाले हस्ताक्षर…
ContinueAdded by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 2:44pm — 10 Comments
दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!
Added by AVINASH S BAGDE on May 20, 2012 at 3:30pm — 14 Comments
हाइकु...
१..
बचपन में
सहारा लगता है
पचपन में
. ----
२.
अदालत है
देखो फंस ना जाना
पुलिस-थाना..
-----
३.
साँझ ने घेरा
गहरा है अँधेरा
कहाँ सबेरा...
४.
अदावत में
बच नहीं पावोगे
अदालत में .
५.
यह तस्वीर
हैं रंग कैसे- कैसे
ये तकदीर ..
६..
धर्म अपना
ईमान भी अपना
कर्म अपना.
७..
कर्ज में डूबे
बढ़े बचाने हाँथ
फ़र्ज़ में डूबे.
८.
देश…
Added by AVINASH S BAGDE on May 11, 2012 at 4:30pm — 8 Comments
छन्न पकैया .......
Added by AVINASH S BAGDE on May 4, 2012 at 10:00am — 17 Comments
पेश है हाइकु....
Added by AVINASH S BAGDE on April 25, 2012 at 1:12pm — 13 Comments
पतंगों को यूँ ढील मत देना.
Added by AVINASH S BAGDE on April 23, 2012 at 10:10am — 10 Comments
लम्हा-लम्हा सरक रहा है,
Added by AVINASH S BAGDE on April 11, 2012 at 2:30pm — 5 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on April 3, 2012 at 9:59am — 10 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on March 27, 2012 at 11:22am — 12 Comments
तोड़ो इन्हें की अब तो मुरझा रहे है फूल.
डाली पे रहते-रहते उकता रहे है फूल.
.
जाते समय तो घर से जुड़े में हंस रहे थे
लौटते कदम है,कुम्हला रहे है फूल.
.
ख़ुशबुओ का लेकर पैगाम साथ-साथ
दोनों दिलो क़े रिश्ते सुलझा रहे है फूल.
.
देने को सब खड़े है बस आखरी सलाम.
मिटटी बनी है देह सुस्ता रहे है फूल.
.
महका रहे थे महफ़िल रातो को देर तक.
घूरे की शान अब तो बढा रहे है फूल.
.
अविनाश…
ContinueAdded by AVINASH S BAGDE on March 22, 2012 at 10:30am — 12 Comments
कभी
Added by AVINASH S BAGDE on March 16, 2012 at 10:25am — 16 Comments
दुआ जिनको सच्चे दिलों से मिले.
Added by AVINASH S BAGDE on March 13, 2012 at 11:04am — 6 Comments
हर दिल अज़ीज़....
Added by AVINASH S BAGDE on March 10, 2012 at 10:51am — 14 Comments
सरकार ने सख्ती दिखाई.फिर से हेलमेट की दुकानें सज गई.गोविन्द ने भी कुछ पैसे जमाये और एक हेलमेट की दुकान सड़क के किनारे खोलकर बैठ गया. धंधा चल निकला.लोगों के सरों की हिफाज़त के सरकारी फरमान के चलते गोविन्द और उस जैसे कई बेरोजगारों को काम मिल गया. तभी एक दिन दोपहर के वक़्त एक अनियंत्रित ट्रक गोविन्द की दुकान पर चढ़ गया. तमाम हेलमेट सड़क पर इधर-उधर बिखर गए. पुलिस वाले उन्ही हेलमेटों के बीच गोविन्द के धड से अलग हुये सिर की तलाश कर रहे थे..
....... अविनाश बागडे.
Added by AVINASH S BAGDE on February 23, 2012 at 10:00am — 5 Comments
राह में खड़े हो यूँ घर-बार बेच के,
Added by AVINASH S BAGDE on February 15, 2012 at 11:00am — 4 Comments
दिल लगाया.
वादे बहुत किये.
मोल चुकाया!
*
बाज,बाज है.
गिद्ध, ' दृष्टि' रखता.
चालबाज है.
*
अजगर भी.
बैठ-बैठ के खाते.
अफसर भी!
*
रंग-बिरंगी.
गलियाँ जीवन की.
बड़ी बेढंगी!
*
खून खौलता.
मुट्ठियाँ भींच जाती.
मुख बोलता.
*
अविनाश बागडे.
Added by AVINASH S BAGDE on February 11, 2012 at 10:30am — 8 Comments
छन्न पकैया-छन्न पकैया, जीवन तेरा- मेरा.
रोज डूबता सूरज इसमे, होता रोज सबेरा.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सांसें आती-जाती.
चलने का मतलब है जीवन,रुकना मौत कहाती.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सुख ही दुःख का कारण.
इस धरती पर कोई घटना , होती नही अकारण.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, कह गए ज्ञानी-ध्यानी.
अपना ही गुण-धर्म निभाते, हवा,आग और पानी.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, धर्म वही है सच्चा.
जिसे जानता वसुंधरा का, साधो, बच्चा-बच्चा.…
Added by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 8:00pm — 5 Comments
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