गर हो सके तो मुल्क पे अहसान कीजिये ।।
अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये ।।
भगवान को भी बांट रहे आप जात में ।
कितना गिरे हैं सोच के अनुमान कीजिये ।।
मत सेंकिए ये रोटियां नफरत की आग पर ।
अम्नो सुकूँ के वास्ते फ़रमान कीजिये ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on November 29, 2018 at 11:30pm — 5 Comments
1222 1222 122
खतों का चल रहा जो सिलसिला है ।
मेरी उल्फ़त की शायद इब्तिदा है ।।
यहाँ खामोशियों में शोर जिंदा ।
गमे इज़हार पर पहरा लगा है ।।
छुपा बैठे वो दिल की आग कैसे।
धुंआ घर से जहाँ शब भर उठा है ।।
नही समझा तुझे ऐ जिंदगी मैं ।
तू कोई जश्न है या हादसा है ।।
मिला है बावफा वह शख़्स मुझको ।
कहा जिसको गया था बेवफा है…
Added by Naveen Mani Tripathi on November 27, 2018 at 10:00pm — 4 Comments
ग़ज़ल
इक ठिकाना तलाशता हूँ मैं ।
टूटा पत्ता दरख़्त का हूँ मैं ।।
कुछ तो मुझको पढा करो यारो ।
वक्त का एक फ़लसफ़ा हूँ मैं ।।
हैसियत पूछते हैं क्यूं साहब ।
बेख़ुदी में बहुत लुटा हूँ मैं ।।
इश्क़ की बात आप मत करिए ।
रफ़्ता रफ़्ता सँभल चुका हूँ मैं ।।
चाँद इक दिन उतर के आएगा ।
एक मुद्दत से जागता हूँ मैं ।।
खेलिए मुझसे पर सँभल के जरा।
इक खिलौना सा…
Added by Naveen Mani Tripathi on November 26, 2018 at 11:33pm — 10 Comments
1222 1222 1222 1222
हुआ अब तक नहीं है हुस्न का दीदार जाने क्यों ।
बना रक्खी है उसने बीच मे दीवार जाने क्यों ।।
मुहब्बत थी या फिर मजबूरियों में कुछ जरूरत थी ।
बुलाता ही रहा कोई मुझे सौ बार जाने क्यों ।।
यहाँ तो इश्क बिकता है यहां दौलत से है मतलब ।
समझ पाए नहीं हम भी नया बाज़ार जाने क्यों ।।
तिजारत रोज होती है किसी के जिस्म की देखो ।
कोई करने लगा है आजकल व्यापार जाने क्यों ।।
कोई दहशत है या फिर वो कलम…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on November 23, 2018 at 1:30am — 12 Comments
11212 11212. 11212. 11212
हुई तीरगी की सियासतें उसे बारहा यूँ निहार कर ।
कोई ले गया मेरा चाँद है मेरे आसमाँ से उतार कर ।।
अभी क्या करेगा तू जान के मेरी ख्वाहिशों का ये फ़लसफा ।
जरा तिश्नगी की खबर भी कर कोई शाम एक गुज़ार कर ।।
मेरी हर वफ़ा के जवाब में है सिला मिला मुझे हिज्र का ।
ये हयात गुज़री तड़प तड़प गये दर्द तुम जो उभार कर ।।
ये शबाब है तेरे हुस्न का या नज़र का मेरे फितूर है ।
खुले मैकदे तो बुला रहे तेरे तिश्ना लब को पुकार कर…
Added by Naveen Mani Tripathi on November 15, 2018 at 12:17pm — 6 Comments
11212 11212. 11212. 11212
हुई तीरगी की सियासतें उसे बारहा यूँ निहार कर ।
कोई ले गया मेरा चाँद है मेरे आसमाँ से उतार कर ।।
अभी क्या करेगा तू जान के मेरी ख्वाहिशों का ये फ़लसफा । जरा तिश्नगी की खबर भी कर कोई शाम एक गुज़ार कर ।।
मेरी हर वफ़ा के जवाब में है सिला मिला मुझे हिज्र का । ये हयात गुज़री तड़प तड़प गये दर्द तुम जो उभार कर ।।
ये शबाब है तेरे हुस्न का या नज़र का मेरे फितूर है ।
खुले मैकदे तो बुला रहे तेरे तिश्ना लब…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on October 30, 2018 at 12:30pm — 1 Comment
आसां कहाँ यह इश्क था मत पूछिए क्या क्या हुआ ।
हम देखते ही रह गए दिल का मकाँ जलता हुआ ।।
हैरान है पूरा नगर कुछ तो है तेरी भी ख़ता ।
आखिर मुहब्बत पर तेरी क्यों आजकल पहरा हुआ ।।
पूरी कसक तो रह गयी इस तिश्नगी के दौर में ।
लौटा तेरी महफ़िल से वो फिर हाथ को मलता हुआ ।।
दरिया से…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on October 27, 2018 at 6:00pm — 18 Comments
1222 1222 1222 1222
महल टूटा जो ख्वाबों का तो फिर बिखरा नज़र आया ।
गुलिस्ताँ जिसको समझा था वही सहरा नजर आया ।।1
बहुत सहमा है तब से मुल्क फिर खामोश है मंजर।
उतरते ही मुखौटा जब तेरा चेहरा नजर आया ।।2
अजब क़ानून है इनका मिली है छूट रहजन को ।
मगर ईमानदारों पर बड़ा पहरा नज़र आया ।।3
सियासत छीन लेती होनहारों के निवालों को ।
हमारा दर्द कब उनको यहाँ गहरा नजर आया ।।4
वो भूँखा चीखता हक माँगता मरता रहा लेकिन…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on October 25, 2018 at 10:01pm — 13 Comments
2122 1122 1122 22
शायरी फख्र से महफ़िल में जुबानी आई ।
आप आये तो ग़ज़ल में भी रवानी आई ।।
लौट आयीं हैं तुझे छू के हमारी नजरें ।
जब दरीचे पे तेरे धूप सुहानी आई ।।
पूँछ लेता है वो हर दर्द पुराना मुझसे ।
अब तलक मुझको कहाँ बात छुपानी आई ।।
तीर नजरों से चला कर के यहां छुप जाना ।
नींद मेरी भी तुझे खूब चुरानी आई ।।
मुद्दतों बाद जो गुजरा था गली से इकदिन ।
याद मुझको तेरी हर एक निशानी आई…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 22, 2018 at 8:00pm — 6 Comments
1212 1122 1212 212
खिजा के दौर में जीना मुहाल कर तो सही ।
मेरी वफ़ा पे तू कोई सवाल कर तो सही ।।
है इंतकाम की हसरत अगर जिग़र में तेरे ।
हटा नकाब फ़िज़ा में जमाल कर तो सही ।।
निकल गया है तेरा चाँद देख छत पे ज़रा ।
तू जश्ने ईद में मुझको हलाल कर तो सही ।।
बिखरता जाएगा वो टूट कर शजर से यहां ।
निगाह से तू ख़लिस की मज़ाल कर तो सही ।।
मिलेंगे और भी आशिक तेरे जहां में अभी ।
तू अपने हुस्न की कुछ देखभाल कर तो सही…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 17, 2018 at 3:49pm — 7 Comments
122 122 122 122
मेरी हर निशानी मिटाने से पहले ।
वो रोया बहुत भूल जाने से पहले ।।1
गयी डूब कश्ती यहाँ चाहतों की ।
समंदर में साहिल को पाने से पहले ।। 2
जफ़ाओं के मंजर से गुज़रा है कोई ।
मेरा ख़त गली में जलाने से पहले ।।3
वो दिल खेलने के लिए मांगते हैं ।
मुहब्बत की रस्मे निभाने से पहले ।। 4
ये तन्हाइयां हो न जाएँ सितमगर ।
चले आइये याद आने से पहले ।।6
मेरे हाल पर छोड़ दे मुझको जालिम ।
मुझे और…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 12, 2018 at 11:15pm — 20 Comments
221-1221-1221-122.
तपती जमीं है आज तू छाने के लिए आ ।
ऐ अब्र जरा आग बुझाने के लिए आ ।।
यूँ ही न गुजर जाए कहीं तिश्नगी का दौर ।
तू मैकदे में पीने पिलाने के लिए आ ।।
ये जिंदगी तो हम ने गुज़ारी है खालिस में ।
कुछ दर्द मेरा अब तो बटाने के लिए आ ।।
जब नाज़ से आया है कोई बज़्म में तेरी ।
क़ातिल तू हुनर अपना दिखाने के लिए आ।।
शर्मो हया है तुझ में तो वादा निभा के देख ।
मेरी वफ़ा का कर्ज चुकाने के…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2018 at 7:30pm — 8 Comments
212 212 212 212
जिंदगी रफ़्ता रफ़्ता पिघलती रही ।
आशिकी उम्र भर सिर्फ छलती रही ।।
देखते देखते हो गयी फिर सहर ।
बात ही बात में रात ढलती रही ।।
सुर्ख लब पर तबस्सुम तो आया मगर ।
कोई ख्वाहिश जुबाँ पर मचलती रही ।।
इक तरफ खाइयाँ इक तरफ थे कुएं ।
वो जवानी अदा से सँभलती रही ।।
जाम जब आँख से उसने छलका दिया ।
मैकशी बे अदब रात चलती रही ।।
देखकर अपनी महफ़िल में महबूब को।
पैरहन बेसबब वह बदलती रही…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 9, 2018 at 10:00am — 16 Comments
अभी तो यहाँ कुछ हुआ ही नहीं है ।
वो नादां उसे तज्रिबा ही नही है ।।1
उसे ही मिलेगी सजा हिज्र की अब ।
मुहब्बत में जिसकी ख़ता ही नहीं है ।।2
मिलेगा कहाँ से हमें कोई धोका ।
हमें आप का आसरा ही नहीं है ।।3
अगर आ गए हैं तो कुछ देर रुकिए ।
अभी तो मेरा दिल भरा ही नहीं है ।।4
है बेचैन कितना वो आशिक तुम्हारा ।
कहा किसने जादू चला ही नहीं है ।।5
जिधर जा रही वो उधर जा रहे हम ।
हमें जिंदगी से गिला ही नहीं…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 6, 2018 at 6:31pm — 8 Comments
2122 2122 2122 212
भूख से मरता रहा सारा ज़माना इक तरफ़ ।
और वह गिनता रहा अपना ख़ज़ाना इक तरफ़ ।।
बस्तियों को आग से जब भी बचाने मैं चला ।
जल गया मेरा मुकम्मल आशियाना इक तरफ ।।
कुछ नज़ाक़त कुछ मुहब्बत और कुछ रुस्वाइयाँ ।
वह बनाता ही रहा दिल में ठिकाना इक तरफ ।।
ग्रन्थ फीके पड़ गए फीका लगा सारा सुखन ।
हो गया मशहूर जब तेरा फ़साना इक तरफ ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on September 28, 2018 at 12:00pm — 8 Comments
सोचिये मत यहाँ ख़ता क्या है ।
है इशारा तो पूछना क्या है ।।
अब मुक़द्दर पे छोड़ दे सब कुछ ।
सामने और रास्ता क्या है ।।
वो किसी और का हो जाएगा ।
बारहा उसको देखता क्या है ।।
गर है जाने की ज़िद तो जा तू भी ।
अब तेरा हमसे वास्ता क्या है ।।
इतना …
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on September 25, 2018 at 3:16am — 12 Comments
इक ज़माने से गुलिस्ताँ में है बहार कहाँ ।
जान करता है गुलों पर कोई निसार कहाँ ।।
बारहा पूछ न मुझसे मेरी कहानी तू ।
अब तुझे मेरी सदाक़त पे ऐतबार कहाँ ।।
एक मुद्दत से कज़ा का हूँ मुन्तजिर साहब ।
मौत पर मेरा अभी तक है इख़्तियार कहाँ ।।
आपकी थी ये बड़ी भूल मान जाते हम ।
दिख रहे आप…
Added by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2018 at 12:20am — 7 Comments
कुछ दिन से देखता हूँ बहुत बेकरार हो।।
कह दूँ मैं दिल की बात अगर ऐतबार हो ।।
परवाने की ख़ता थी मुहब्बत चिराग से ।
करिए न ऐसा इश्क़ जहां जां निसार हो ।।
रिश्तों की वो इमारतें ढहती जरूर हैं ।
बुनियाद में ही गर कहीं आई दरार हो ।।
कीमत खुली हवा की जरा उनसे पूँछिये ।
जिनको अभी तलक न मयस्सर…
Added by Naveen Mani Tripathi on August 28, 2018 at 6:40pm — 13 Comments
कुछ रंजो गम के दौर से फुर्सत अगर मिले ।
आना मेरे दयार में कुर्बत अगर मिले ।।1
यूँ हैं तमाम अर्जियां मेरी खुदा के पास ।
गुज़रे सुकूँ से वक्त भी रहमत अगर मिले ।।2
आई जुबाँ तलक जो ठहरती चली गयी ।
कह दूँ वो दिल की बात इजाज़त अगर मिले ।।3…
Added by Naveen Mani Tripathi on August 22, 2018 at 1:25pm — 16 Comments
1222 1222 122
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तेरे आने से आये दिन सुहाने ।
हैं लौटे फिर वही गुजरे ज़माने ।।
भरा अब तक नही है दिल हमारा ।
चले आया करो करके बहाने ।।
हमारे फख्र की ये इन्तिहाँ है ।
वो आये आज हमको आजमाने ।।
बड़ी शिद्दत से तुझको पढ़ रहा था ।
हवाएं फिर लगीं पन्ने उड़ाने ।।
शिकायत दर्ज जब दिल में कराया ।
अदाएँ तब लगीं पर्दा हटाने ।।
नज़र से लूट लेना चाहते हैं ।
हैं मिलते लोग अब कितने…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on August 19, 2018 at 8:30pm — 4 Comments
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