2122 2122 212
आँख मुद्दत से चुराती जिंदगी ।
लग रही थोड़ी ख़फ़ा सी जिंदगी ।।
तोड़ती अक्सर हमारी ख्वाहिशें ।
हो गयी कितनी सियासी जिंदगी ।।
सिर्फ मतलब पर किया सज़दा उसे ।
जी रहे हम बेनमाज़ी जिंदगी ।।
रोटियों के फेर में कुछ इस तरह ।
मुद्दतों तक तिलमिलाई जिंदगी ।।
हम जमीं पर पैर पड़ते रो पड़े ।
दे…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 20, 2018 at 8:28pm — 1 Comment
2122 2122 212
छेड़ कर उसकी कहानी देखना ।
फिर तबाही आंसुओं की देखना ।।
यूँ ग़ज़ल लिक्खी बहुत उनके लिए ।
लिख रहा हूँ अब रुबाई देखना ।।
अब नुमाइश बन्द कर दो हुस्न की ।
हैं कई शातिर शिकारी देखना ।।
हिज्र ने हंसकर कहा मुझसे यही ।
वस्ल की तुम बेकरारी देखना ।।
वह बहक जाएगा इतना मान लो ।
एक दिन फिर जग हँसाई देखना ।।
तिश्नगी झुक कर बुझा देती है वो ।
बा…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 19, 2018 at 10:30pm — 3 Comments
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आया सँवर के चाँद चमन में उजास है ।
बारिश ख़ुशी की हो गयी भीगा लिबास है ।।
कसिए न आप तंज यहां सच के नाम पर ।
लहजा बता रहा है कि दिल में खटास है ।।
मिलता नशे में चूर वो कंगाल आदमी ।
शायद खुदा ही जाम से भरता गिलास है ।।
उल्फत में हो गए हैं फ़ना मत कहें हुजूर ।
जिन्दा अभी तो आपका होशो हवास है ।
पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी शराब में कुछ बात…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 17, 2018 at 11:24pm — 2 Comments
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सब कुछ है मेरे पास मगर बेजुबान हूँ ।
क़ानून तेरे जुल्म का मैं इक निशान हूँ ।।
क्यूँ माँगते समानता का हक़ यहां जनाब ।
भारत की राजनीति का मैं संविधान हूँ ।।
उनसे थी कुछ उमीद मुख़ालिफ़ वही मिले ।
जिनके लिए मैं वोट का ताजा रुझान हूँ ।।
कुनबे में आ चुका है यहाँ भुखमरी का दौर ।
क़ानून की निगाह में ऊंचा मकान हूँ ।।
गुंजाइशें बढ़ीं हैं जमीं पर गिरेंगे आप ।
जबसे कहा…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 16, 2018 at 5:49pm — 2 Comments
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आया सँवर के चाँद चमन में उजास है ।
बारिश ख़ुशी की हो गयी भीगा लिबास है ।।1
खुशबू सी आ रही है मेरे इस दयार से।
महबूब मेरा आज कहीं आस पास है ।।2
पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी शराब में कुछ बात ख़ास है ।।3
उल्फत में हो गए हैं फ़ना मत कहें हुजूर ।
जिन्दा अभी तो आपका होशो हवास है ।14
हुस्नो अदा के ताज पे चर्चा बहुत रही ।
अक्सर तेरे रसूक पे लगता कयास है…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 12, 2018 at 11:13am — 1 Comment
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न वक्त का कुछ पता ठिकाना
न रात मेरी गुज़र रही है ।
अजीब मंजर है बेखुदी का ,
अजीब मेरी सहर रही है ।।
ग़ज़ल के मिसरों में गुनगुना के ,
जो दर्द लब से बयां हुआ था ।
हवा चली जो खिलाफ मेरे ,
जुबाँ वो खुद से मुकर रही है ।।
है जख़्म अबतक हरा हरा ये ,
तेरी नज़र का सलाम क्या लूँ ।
तेरी अदा हो तुझे मुबारक ,
नज़र से मेरे उतर रही है…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 11, 2018 at 1:08pm — 4 Comments
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जुल्म नहीं मैं उन पर ढाने आया हूँ ।
कहते हैं क्यों लोग सताने आया हूँ ।।1
तिश्ना लब को हक़ मिलता है पीने का ।
मै बस अपनी प्यास बुझाने आया हूँ ।।2
हंगामा क्यों बरपा है मैखाने में ।
मैं तो सारा दाम चुकाने आया. हूँ ।।3
उनसे कह दो वक्त वस्ल का आया है ।
आज हरम में रात बिताने आया हूँ ।।4
है मुझ पर इल्जाम जमाने का यारों ।
मैं तो उसकी नींद चुराने आया हूँ ।।5
फितरत तेरी थी तूने…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on May 11, 2018 at 1:42am — 7 Comments
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कफ़स में ख्वाब जब भी आसमाँ का देखता होगा ।
परिंदा रात भर बेशक बहुत रोता रहा होगा ।।1
कई आहों को लेकर तब हजारों दिल जले होंगे ।
तुम्हारा ये दुपट्टा जब हवाओं से उड़ा होगा ।।2
यकीं गर हो न तुमको तो मेरे घर देखना आके ।
तुम्हरी इल्तिजा में घर का दरवाजा खुला होगा ।।3
रकीबों से मिलन की बात मैंने पूछ ली उससे।
कहा उसने तुम्हारी आँख का धोका रहा होगा ।।4
बड़े खामोश लहजे में किया इनकार था जिसने…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on May 10, 2018 at 6:12am — 4 Comments
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हो गईं इश्क में कैसी दुश्वारियां ।
हाथ आती गयीं सिर्फ बेचैनियां ।।1
क्यों हुई ही नहीं तुमसे नजदीकियां ।
हम समझने लगे थोड़ी बारीकियाँ ।।2
इस तरह मुझपे इल्जाम मत दीजिये ।
कब छुपीं आप से मेरी लाचारियां ।।3
उनकी तारीफ़ करती रहीं चाहतें ।
वो गिनाते रहे बस मेरी खामियां ।।4
दिल चुरा ले गई आपकी इक नजर ।
कर गए आप कैसे ये गुस्ताखियां ।5
दिल जलाने की साजिश से क्या फायदा ।
दे गया कोई…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 9, 2018 at 1:57am — 5 Comments
उजाले का वहाँ पहरा नहीं था ।
कभी सूरज जहाँ ढलता नहीं था ।।1
बहा ले जाए तुमको साथ अपने ।
वो सावन का कोई दरिया नहींथा।।2
मेरे महबूब की महफ़िल सजी थी ।
मगर मेरा कोई चर्चा नहीं था ।।3
मैं देता दिल भला कैसे बताएं ।
सही कुछ आपका लहज़ा नहीं था ।।4
जरा सा ही बरस जाते ऐ बादल ।
हमारा घर कोई सहरा नहीं था ।।5
जले हैं ख्वाब कैसे आपके सब ।
धुंआ घर से कभी उठता नहीं था ।।6
तुम्हारी हरकतें कहने…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on May 6, 2018 at 4:12pm — 5 Comments
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मैं जब भी चला छोड़ने मैकशी को ।
अदाएं जगाने लगीं तिश्नगी को ।।1
लिए साथ मैं जी रहा बेखुदी को ।
सजाता रहा होंठ पर बाँसुरी को ।।2
अमीरों की महफ़िल में सज धज के जाना ।
वो देते नहीं अहमियत सादगी को ।।3
है मिलता उसे ही जो रो करके माँगे ।
बिना रोये कब हक़ मिला आदमी को ।।4
पकड़ कर उँगलियों को चलना था सीखा।
दिखाते हैं जो रास्ता अब हमी को ।।5
मुहब्बत हुई इस तरह आप से क्यूँ ।
अभी…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 4, 2018 at 9:58pm — 3 Comments
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बड़ी मुद्दत से टाला जा रहा है ।
किसी का जुल्म पाला जा रहा है ।। 1
मुझे मालूम है वह बेख़ता थी ।
किया बेशक हलाला जा रहा है ।।2
लगीं हैं बोलियां फिर जिस्म पर क्यूँ ।
यहाँ सिक्का उछाला जा रहा है ।।3
कहीं मैं खो न जाऊं तीरगी में ।
मेरे घर से उजाला जा रहा है ।।4…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 29, 2018 at 4:30pm — 7 Comments
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बेबस पे और जुल्म न ढाने की बात कर।
गर हो सके तो होश में आने की बात कर ।।
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क्या ढूढ़ता है अब तलक उजड़े दयार में ।
बेघर हुए हैं लोग बसाने की बात कर ।।
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खुदगर्ज हो गया है यहां आदमी बहुत ।
दिल से कभी तो हाथ मिलाने की बात कर ।।
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मुश्किल से दिल मिले हैं बड़ी मिन्नतों के बाद ।
जब हो गया है प्यार निभाने की बात कर…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 28, 2018 at 9:00am — 5 Comments
2122-1122-1122-22
टूटकर ख्वाब ज़माने में बिखर जाते हैं ।
आज़माने में बहुत लोग मुकर जाते है ।।
वो जलाता ही रहा हमको बड़ी शिद्दत से ।
हम तो सोने की तरह और निखर जाते हैं ।।
हुस्न वालों के गुनाहों पे न पर्दा डालो ।
क्यूँ भले लोग यहां इश्क से डर जाते हैं ।।
मुन्तजिर दिल है यहां एक शिकायत लेकर ।
आप चुप चाप गली से जो गुज़र जाते हैं ।।
कुछ उड़ानों की तमन्ना को लिए था जिन्दा ।
क्या हुआ…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2018 at 1:33pm — 18 Comments
11212 11212 11212 11212
तेरी रहमतों पे सवाल था तुझे याद हो के न याद हो ।
मुझे हो गया था मुगालता तुझे याद के न याद हो ।।1
तेरे इश्क़ में जो करार था तुझे याद हो के न याद हो ।
जो मिला था मुझको वो फ़लसफ़ा तुझे याद हो के न याद हो ।।2
वो गुरुर था तेरे हुस्न का जो नज़र से तेरी छलक गया ।
मेरे रास्ते का वो फ़ासला तुझे याद हो के न याद हो ।।3
वहां दफ़्न है तेरी याद सुन ,वो शजर भी कब से गवाह है ।
है मेरी वफ़ा का वो मकबरा तुझे याद हो…
Added by Naveen Mani Tripathi on April 14, 2018 at 2:50pm — 9 Comments
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जाम छलका है पास आ जाओ ।
ले के खाली गिलास आ जाओ ।।
जिंदगी फिर बुला रही है तुझे ।
लब पे आई है प्यास आ जाओ ।।
हिज्र के बाद चैन मिलता कब ।
मन अगर है उदास आ जाओ ।।
तीरगी बेहिसाब कायम है ।
चाहिए अब उजास आ जाओ ।।
कोई बैठा है मुन्तजिर होकर ।
मत लगाओ कयास आ जाओ ।।
आ रहे हैं तमाम भौरे अब ।
गंध में है मिठास आ जाओ…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on April 11, 2018 at 10:03pm — 7 Comments
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जिस दिन वो मुझसे प्यार का इजहार कर दिया ।
इस जिंदगी को और भी दुस्वार कर दिया ।।
चिंगारियों से खेलने पे कुछ सबक मिला ।
घर को जला के मैंने भी अंगार कर दिया ।।
उठने लगीं हैं उंगलियां उस पर हजार बार ।
मुझको वो जब से हुस्न का हकदार कर दिया ।।
शायद पड़ी दरार है रिश्तों की नींव में ।
किसने दिलों के बीच मे दीवार कर दिया ।।
मांगा था मैंने एक तबस्सुम भरी नज़र…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on April 11, 2018 at 12:05am — 13 Comments
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अन्याय के विरोध में जाने से डर लगा ।।
भारत का संविधान बताने से डर लगा ।।
यूँ ही बिखर न जाये कहीं मुल्क आपका ।
कोटे पे आज बात चलाने से डर लगा ।।
घोला है ज़ह्र अपने गुलशन में इस तरह ।
अब जिंदगी को और बचाने से डर लगा ।।
फर्जी रपट लिखा के वो अंदर करा गया ।
मैं बे गुनाह था ये बताने से डर लगा ।।
शोषित हुआ सवर्ण करे भी तो क्या करे ।
उसको तो अपना ज़ख्म दिखाने से डर लगा…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on April 7, 2018 at 1:04am — 8 Comments
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रूह से मेरे अब तक जुदा तू नहीं ।
बात सच है सनम बेवफा तू नहीं ।।1
कर रहा एक मुद्दत से सज़दा तेरा ।
कह दिया किसने तुझको खुदा तू नहीं ।।2
जिंदगी से मेरे जा रहा है कहाँ ।
इस तरह अब नजर से गिरा तू नहीं ।।3
मेरे कूचे से निकला न कर बेसबब ।
दिल हमारा अभी से जला तू नहीं ।।4
वार कर मत निगाहों से मुझ पर अभी ।
सब्र मेरा यहाँ आजमा तू नहीं ।।5
लोग अनजान हैं कत्ल के…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on April 2, 2018 at 6:57pm — 9 Comments
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मेरी चाहतें सब दहकने से पहले ।।
चले आइये सर पटकने पहले ।।
नहीं भूलती वो सुलगती सी रातें ।
मुहब्बत का सूरज चमकने से पहले ।।
सुना हूँ यहाँ हुस्न वालों की बस्ती।
मगर वो मिले कब भटकने से पहले ।।
है ख्वाहिश यही तुझको जी भर के देखूँ ।
क़ज़ा पर पलक के झपकने से पहले ।।
बहुत कोशिशें गुफ्तगू की हैं उनकी ।
अभी सर से चिलमन सरकने से पहले…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 30, 2018 at 3:30am — 7 Comments
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