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बात सुनकर ही कुछ कहा जाए,
हो न ये, बात का मजा जाए।
बोल चल देते वे ठिकाने तज,
मूल जिनका हवा-हवा जाए।
सत्य कहने का भी सलीका है,
जिसको छोड़ो, न सच सहा जाए।
जिंदगी है, खुशी-ओ-रंज भी हैं,
साथ इनके मियां जिया जाए।
काम ईमान से करे अपना,
तो वो इंसाँ भला कहा जाए।
'बाल' सच को नकारा ही जाता,
ऐसा भी क्यों समझ लिया जाए?
मौलिक अप्रकाशित
Posted on July 4, 2024 at 10:18pm — 2 Comments
तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में
मैनें देखा खुमार आँखों में
इश्क का बेशुमार आँखों में
इश्क है होशियार आँखों में
इश्क फिर भी गवार आँखों में
तेरी गलियों को छान कर जाना
होता क्या-क्या है यार आँखों में?
होठ बेशक हँसी से फैले हैं
दर्द पर बरकरार आँखों में।
'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।
मौलिक अप्रकाशित
Posted on November 3, 2023 at 9:30am — 7 Comments
*रोला छंद*
बहुत दिखाते ज्ञान, तनिक उस पर क्या चलते
बोल कर्म के साथ, मिलें तो क्यों घर जलते
कोरी है बक़वास, शास्त्र की बातें करना
अपना ही व्यवहार, परे उससे यदि धरना।
रहें हजारों साथ, अकेले या वे रह लें
सच को कितना झूठ, झूठ को या सच कह लें
दुष्टों के क्या कृत्य, सही फल दे पातें हैं
कुटिल सदा ही मात, सुजन से खा जातें हैं।
धरती का दिल आज, देख कर जाए घटता
चहुँदिक दे आवाज़, शीश मानव का कटता
कुढ़ता शुद्ध विचार, शील पर चलती…
Posted on August 14, 2023 at 7:41pm — 5 Comments
हे जग अभियंता, सृजनहार,
हे कृपासिंधु, हे गुणागार
हे परब्रह्म, हे पुण्य प्रकाश
हो पूरित तुम से, सही आस
हर छोटे-से छोटा जो कण,
या विश्व सकल विस्तार अनंत
तुम्हीं में समाहित सब कुछ…
ContinuePosted on February 16, 2023 at 7:00pm — 2 Comments
"आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर "
नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
आदरणीय
सतविंदर कुमार जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
भाई सतविंदरजी,
आपका हार्दिक धन्यवाद कि आपको मेरी विवेचना तोषकारी लगी है.
आप किसी आयोजन या इवेण्ट पर अपनी भावनाएँ उसी थ्रेड में पोस्ट किया करें. यदि आपने अपना धन्यवाद ज्ञापन संकलित लघुकथाओं के पोस्ट में ही किया होता या अब भी कर दें तो यह अधिक उचित होगा.
पुनः धन्यवाद, भाईजी
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