Added by jagdishtapish on March 13, 2011 at 8:13pm — 1 Comment
Added by अमि तेष on March 13, 2011 at 7:30pm — 3 Comments
गजल
ईमानदार मैदाॅं में, बाजी मार जाते हैं।
बेईमानों के घोडे, आखिरी हार जाते हैं।।
परस्तिश करती है, उनकी सल्तनत दोस्तों।
वतन की राह में,जो जांॅ निसार जाते हैं।।
हथियारों पे कायम है, कायनात जिनकी।…
Added by nemichandpuniyachandan on March 13, 2011 at 7:26pm — 1 Comment
रंग अपना अपना ..
हर आदमी में होता है, रंग अपना अपना ।
उड़ान भर रहे हैं, लेकर के अपनी कल्पना।।
पूरी हुई न अबतक, इस जिंदगी में राहें।
यदि थक गया है कोई, तो भर रहा है आहें।
कुछ और आगे चलने का, रह गया है सपना।।
हर आदमी में…
Added by R N Tiwari on March 13, 2011 at 6:00pm — 1 Comment
ग़ज़ल :- ऐ खुदा क्योंकर तेरे सागर में सुनामी हुई
आपदा की हद हज़ारों ज़िंदगी पानी हुई ,
ऐ खुदा क्योंकर तेरे सागर में सुनामी हुई |
है नहीं कूवत लखन सी दौर के इंसान में…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 3:30pm — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on March 13, 2011 at 3:09pm — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on March 13, 2011 at 3:05pm — No Comments
ग़ज़ल :- खार में भी कली खिला देगा
खार में भी कली खिला देगा ,
आदमी जब भी मुस्कुरा देगा |
यह तो दस्तूर है ज़माने का ,
नाम लिख कर कोई मिटा देगा…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 3:00pm — 17 Comments
ग़ज़ल:- अपने शहर में झूठ के चर्चे आम बहुत हैं
अपने शहर में झूठ के चर्चे आम बहुत हैं ,
सच कहने वालों के सर इलज़ाम बहुत हैं…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 2:55pm — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 13, 2011 at 2:34pm — 2 Comments
Added by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 1:30pm — 6 Comments
ग़ज़ल : - अपना घर आप जलाने का हौसला कर लूं
वक्त वीरान है निशानियां फ़ना कर लूं ,
अपना घर आप जलाने का हौसला कर लूं |
आपकी बज़्म में अशआर कई लाया हूँ…
ContinueAdded by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 1:00pm — 6 Comments
Added by rajkumar sahu on March 13, 2011 at 1:20am — 1 Comment
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on March 13, 2011 at 12:30am — No Comments
Added by rajkumar sahu on March 13, 2011 at 12:00am — No Comments
Added by Lata R.Ojha on March 12, 2011 at 10:30pm — 3 Comments
(1)
मै तेरे खयालो मै खोया हु अकसर
तू रातो को मुझको सताने लगी है
तू छोड़ ना देना साथ मेरा
तू खुद से ज्यादा याद आने लगी है
(2)
उसको देखू तो लगे चाँद को देखा
मेने आज फिर मेरे भगवान को…
Added by Tapan Dubey on March 12, 2011 at 1:30pm — 2 Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 12, 2011 at 2:30am — 7 Comments
Added by rajkumar sahu on March 12, 2011 at 1:00am — No Comments
मै खुद की बेबसी से मजबूर हैरान हूँ
खबर क्या तुम्हें कैसे चल रही है जिंदगी
हर सुबह हर शाम अधूरी एक आश में,
दिल के विरह की आग में जल रही है जिंदगी
किससे करे शिकवा,और क्युओं करूँ
अटूट प्रेम में छली गयी मेरी जिंदगी
क्या खबर कब थमेगा जिंदगी का कारवाँ
बेमतलब की ईन राहो पर खल रही है जिंदगी
तेरी दगाबाजी से दिल यूँ चूर-चूर हो गया क्यूँ ये
बेवफा तेरे दर्द का सितम सह रही है जिंदगी तू
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 11, 2011 at 10:08pm — 3 Comments
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