122 122 122 122
मेरी चाहतें सब दहकने से पहले ।।
चले आइये सर पटकने पहले ।।
नहीं भूलती वो सुलगती सी रातें ।
मुहब्बत का सूरज चमकने से पहले ।।
सुना हूँ यहाँ हुस्न वालों की बस्ती।
मगर वो मिले कब भटकने से पहले ।।
है ख्वाहिश यही तुझको जी भर के देखूँ ।
क़ज़ा पर पलक के झपकने से पहले ।।
बहुत कोशिशें गुफ्तगू की हैं उनकी ।
अभी सर से चिलमन सरकने से पहले…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 30, 2018 at 3:30am — 7 Comments
2122 1212 22
आज हद से गुजर गए कुछ लोग ।
फिर नजर से उतर गए कुछ लोग ।।
करके वादा यहां हुकूमत से ।
बेसबब ही मुकर गए कुछ लोग ।।
आशिकी उनके बस की बात कहाँ ।
चोट खाकर सुधर गए कुछ लोग ।।
अब कसौटी पे उनको क्या रखना ।
आजमाते ही डर गए कुछ लोग ।।
हर तरफ जल रही यहां बस्ती ।
कौन जाने किधर गए कुछ लोग ।।
छोड़िये बात अब मुहब्बत की
टूट कर फिर…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 29, 2018 at 7:33am — 5 Comments
1222 1222 1222 1222
छुपी हो लाख पर्दों में मुहब्बत देख लेते हैं ।
किसी चहरे पे हम ठहरी नज़ाकत देख लेते हैं ।। 1
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तेरी आवारगी की हर तरफ चर्चा ही चर्चा है ।
यहां तो लोग तेरी हर हिमाक़त देख लेते हैं ।। 2
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चले आना कभी दर पे अभी तो मौत बाकी है ।
तेरे जुल्मो सितम से हम कयामत देख लेते हैं ।।3
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बड़ी मदहोश नजरों से इशारा हो गया उनका ।
दिखा वो तिश्नगी अपनी लियाकत देख लेते हैं ।। 4
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खबर तुझको नहीं शायद तेरी उल्फत…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 28, 2018 at 2:30pm — 8 Comments
221 2121 1221 212
जब से गये हैं आप किसी अजनबी के साथ ।
यूँ ही तमाम उम्र कटी बेखुदी के साथ ।।
कुछ वक्त आप भी तो गुजारो मेरे करीब ।
मत जाइए जनाब अभी बेरुखी के साथ ।।
कहने लगे है लोग उसे माहताब अब ।
मिलता नहीं जो मुझको यहाँ रोशनी के साथ ।।
है मुतमइन ही कौन यहां ख्वाहिशों के बीच ।
लाचारियाँ दिखीं है बहुत आदमी के साथ ।
तन्हाइयों का वक्त तो मिलना मुहाल है ।
चलती है रोज फ़िक्र…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2018 at 12:00am — 7 Comments
221 1222 22 221 1222 22
हालात बदलते जाते हैं यह वक्त उसे उलझाता है ।
इंसान हक़ीक़त से अक्सर अब रब्त कहाँ रख पाता है ।।
जो ज़ख्म छुपा कर रखते हैं ईमान बचाकर चलते हैं ।
हिस्से में उन्हीं के ही अक्सर कुदरत का वजीफ़ा आता है ।।
कुछ राज बताने लगतीं हैं माथे की शिकन आंखों की चमक ।
चेहरे से पता चल जाता है जब खाब कोई मुरझाता है ।।
जब लूट गया कोई सपना तब होश में आकर क्या होगा ।
जालिम है अभी कितनी दुनिया यह वक्त हमें समझाता है…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 24, 2018 at 6:57pm — 3 Comments
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पहले जैसी चेहरों पर मुस्कान कहाँ ।
बदला जब परिवेश वही इंसान कहाँ ।।
लोकतन्त्र में जात पात का विष पीकर।
जीना भारत मे है अब आसान कहाँ ।।
लूट गया है फिर कोई उसकी इज्जत ।
नेताओं का जनता पर है ध्यान कहाँ ।।
भूंख मौत तक ले आती जब इंसा को ।
बच पाता है उसमें तब ईमान कहाँ ।।
भा जाता है जिसको पिजरे का जीवन ।
उस तोते के हिस्से में सम्मान कहाँ ।।
दिल की खबरें अक्सर उसको…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 20, 2018 at 9:16pm — 7 Comments
212 212 212 212
क्या बताऊँ कि वह हम से क्या ले गई ।
इक नज़र प्यार की बेवफ़ा ले गई ।।
इस तरह से अदाएं मचलने लगीं ।
तिश्नगी रूह तक वह जगा ले गई ।।
जब भी निकले हैं अल्फाज दिल से कभी ।
वह मुहब्बत ग़ज़ल में निभा ले गई ।।
एक दीवानगी सी हुई उनको तब ।
जब भी खुशबू तुम्हारी सबा ले गई ।।
बेकरारी में गुजरेंगी रातें वहां ।
तू मेरे इश्क़ का तजरिबा ले गयी ।।
एक दीवानगी सी हुई उनको तब ।
जब भी खुशबू तुम्हारी सबा ले…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 20, 2018 at 7:52pm — 5 Comments
212 212 212 212
शाख़ से टूट कर उड़ते पत्ते रहे ।
कुछ शजर जुल्म तूफाँ का सहते रहे ।।
घर हमारा रकीबों ने लूटा बहुत ।
और वह आईने में सँवरते रहे ।।
था तबस्सुम का अंदाज ही इस तरह ।
लोग कूंचे से उनके निकलते रहे ।।
देखकर जुल्फ को होश क्यों खो दिया ।
आपके तो इरादे बहकते रहे ।।
दिल लगाने से पहले तेरे हुस्न को ।
जागकर रात भर हम भी पढ़ते रहे ।।
यह मुहब्बत नहीं और क्या थी सनम ।
लफ्ज़ खामोश थे बात करते रहे ।।
कैसे कह दूं कि मुझसे…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 20, 2018 at 3:30pm — 2 Comments
2212 2212 2212 2212
ऐ चाँद अपनी बज़्म में तू रातभर छुपता रहा ।।
आखिर ख़ता क्या थी मेरी जो हुस्न पर पर्दा रहा ।।
कुछ आरजूएं थीं मेरी कुछ थी नफ़ासत हुस्न में ।
वो आशिकी का दौर था चेहरा कोई जँचता रहा ।।
मासूमियत पर दिल लुटा बैठा जो अपना फ़ख्र से ।
उस आदमी को देखिए अक्सर यहाँ तन्हा रहा ।।
रुकता नहीं है ये ज़माना लोग आगे बढ़ गए ।
मैं कुछ खयालातों को लेकर अब तलक ठहरा रहा ।।
था मुन्तजिर मैं आपके वादे को…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 20, 2018 at 3:00pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
इस बेखुदी में आप भी जाते कहाँ कहाँ ।
दिल के हजार ज़ख्म दिखाते कहाँ कहाँ ।।
खानाबदोश जैसे हैं हम जहान में ।
रातें तमाम आप बिताते कहां कहां ।।
मुश्किल सफर में अलविदा कह कर चले गए ।।
यूँ जिंदगी का साथ निभाते कहाँ कहाँ ।।
चहरा हो बेनकाब न जाहिर शिकन भी हो।
क़ातिल का हम गुनाह छुपाते कहाँ कहाँ…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 14, 2018 at 5:00am — 3 Comments
2122 2122 212
आंधियों के बाद भी अक्सर मिले ।।
फिर किसी दरिया में हम बहकर मिले ।।
हौसले ने आसमाँ तब छू लिया ।
आप मुझ से जब कभी हंस कर मिले ।।
हक़ जो मांगा इस ज़माने से यहां ।
दोस्तों के हाथ में ख़ंजर मिले ।।
लूट की थीं दौलतें जिसमें लगीं ।
वो मकां अक्सर हमें जर्जर मिले ।।
क्या गले मिलते भी हम तुमसे सनम ।
प्यार के बदले बहुत पत्थर मिले…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 14, 2018 at 12:30am — 8 Comments
221 2121 1221 212
इस बेखुदी में आप भी जाते कहाँ कहाँ ।
दिल के हजार ज़ख्म दिखाते कहाँ कहाँ ।।
खानाबदोश सा लगा आलम जहान का ।
रातें तमाम आप बिताते कहां कहां ।।
मुश्किल सफर में अलविदा कह कर चले गए ।
यूँ जिंदगी का साथ निभाते कहाँ कहाँ ।।
चहरा हो बेनकाब न जाहिर शिकन भी हो।
क़ातिल का हम गुनाह छुपाते कहाँ कहाँ ।।
कुछ तो हमें भी फैसला लेना था…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 13, 2018 at 11:01am — 7 Comments
2122 1212 22
जिसको कहते थे बेवफा निकला ।
आदमी फिर वही भला निकला ।।
कोशिशें थीं जिसे मिटाने की ।
शख्स वह दूध का जला निकला ।।
दिल जलाने की साजिशें लेकर ।
घर से वो भी था बारहा निकला ।।
रात भर जो हँसा रहा था मुझे ।
सब से ज्यादा वो ग़मज़दा निकला ।।
दफ़्न कैसे हैं ख्वाहिशें सारी…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 10, 2018 at 1:34pm — 10 Comments
2122 2122 2122 212
इस नए हालात पर तुहमत लगाते जाइये ।
आप मेरी बेबसी पर मुस्कुराते जाइये ।।
आंख पर पर्दा अना का खो गयी शर्मो हया ।।
रंग गिरगिट की तरह यूँ ही दिखाते जाइये ।।
तिश्नालब हैं रिन्द सारे मैकदा है आपका ।
जाम रब ने है दिया पीते पिलाते जाइये ।।
इस चिलम में आग है गम को जलाने के लिए ।
फिक्र अपनी भी धुएँ में कुछ…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 6, 2018 at 8:00pm — 3 Comments
2122 1212 22
मुझ से मेरा ही फ़लसफ़ा पूछा ।
क्या बता दूँ कि उसने क्या पूछा ।।
डूब जाने की आरजू लेकर ।
उसने दरिया का रास्ता पूछा ।
देर होनी थी हो गयी है अब ।
वक्त ने मुझसे वास्ता पूछा ।।
था भरोसा नहीं मगर मुझसे ।
मुद्दतों बाद वह गिला पूछा ।।
हिज्र के बाद जी रहे कैसे ।
चाँद ने मेरा हौसला…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2018 at 7:00pm — 2 Comments
1212 1122 1212 22
गुजर गया वो गली से सदा नहीं देता ।
हमें तो प्यार का सौदा नफा नहीं देता ।।
मैं भूल जाऊं तुझे अलविदा भी कह दूं पर ।
मेरा जमीर मुझे मश्विरा नहीं देता ।।
गवाही देतीं ।हैं अक्सर ये हिचकियाँ मेरी ।
तू ।मेरी याद को बेशक मिटा नहीं देता ।।
यकीन कर लें भला कैसे उसकी चाहत पर ।
वो शख्स…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 5, 2018 at 1:30am — 6 Comments
होली पर चन्द कुंडलियां
मधुशाला में भीड़ है , होली का उल्लास ।
बुझा रहे प्यासे सभी अपनी अपनी प्यास ।।
अपनी अपनी प्यास पड़े नाली नालों में ।
लगा रहे अब रंग वही सबके गालों में ।।
नशे बाज पर आप , लगा कर रखना ताला ।
कभी कभी विषपान कराती है मधुशाला ।।
सूखा सूखा चित्त है , उलझा उलझा केश ।
होली बैरन सी लगे कंत बसे परदेश ।।
कंत बसे परदेश बिरह की आग जलाये ।
यौवन पर ऋतुराज ,किन्तु यह रास न आये ।।
कोयलिया का गान लगे अब बान…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 2, 2018 at 11:43pm — 9 Comments
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