नारी तू नहीं है अबला
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नारी तू नहीं है अबला
है शक्ति स्वयं पहचान
खुद को शोषित मान ले
फिर कौन करे सम्मान
दूषित जग से लड़ना होगा
खुद ही आगे बढ़ना…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 13, 2013 at 6:00pm — 25 Comments
कुण्डलियां
सुधार के बाद पुनः प्रस्तुत
हॅसी हुदहुद खंजन से, पिकहु कूक रहि जाय।
बुलबुल मैना खग गुने, सुगा भी टेटियाय।।
सुगा भी टेटियाय, काग कांव कांव करता।
चातक बया तिलेर, टिटेहरी टेर कसता।।
बगुला रखता मौन, हंस गौरैया सरसीं।
मयूर बुलाय कौन, खिलखिल सब चिडि़यां हॅसीं।।
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 13, 2013 at 2:30pm — 15 Comments
जागे रहते वीर जवान | |
जान हथेली पर ले चलते , भारत माँ के वीर जवान | |
देश दुनिया शांती चाहते , मेरा देश कितना महान | |
छुप छुप कर बैरी वार करें , मुश्किल में दे देते जान | |
सात समुंदर… |
Added by Shyam Narain Verma on April 13, 2013 at 11:43am — 9 Comments
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 6:50pm — 29 Comments
याद तुम्हारी , कितनी प्यारी ,
धीरे-धीरे मन के आँगन में ,
चुपके से आ जाती हे |
याद तुम्हारी , बड़ी दुलारी ,
आँखों से , अंतर मन को ,…
Added by अशोक कत्याल "अश्क" on April 12, 2013 at 6:00pm — 15 Comments
जाल में पडी मछली रोये -कविता | |
सागर में भी तडपे मछली , जब लहरों में फँस जाये | |
जाल डाले आते शिकारी , फिर उनसे कौन बचाये | |
साथ नहीं देता जब कोई , फिर आशा कौन दिलाये | |
जब फँस गयी… |
Added by Shyam Narain Verma on April 12, 2013 at 3:14pm — 8 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2013 at 1:04pm — 18 Comments
सीस झुके है सबके ,करते हुए वन्दना
लोग न अघाते माता, माता बोले जाते है!
जिस ओर देखो उस, ओर दिखती है भीड़,
मन में कामना लिए, ध्यान किये जाते है!!
पल भर अपने को ,सब भूल जाते यहाँ ,
पूजन में लीन सब, कष्ट भूल जाते है !
जान…
Added by ram shiromani pathak on April 12, 2013 at 1:00pm — 13 Comments
हिंदी भाषा के शिंगार रस छंद अलंकार
नव शब्द माल लेके गीत तो बनाइए
संधि प्रत्यय समास, हों मुहावरे भी ख़ास
भाव रंगों में डुबो के कविता रचाइए
गीत या निबन्ध हो नवल भाव सुगंध हो
साहित्य सरोवर में डुबकी लगाइए
विद्या वरदान मिले लेखनी को मान मिले
अपनी राष्ट्र भाषा का मान तो बढाइए
भाव गहन बढे जो ध्यान नदिया चढ़े जो
लेखनी की नाव लेके पार कर जाइये
ह्रदय में प्रकाश हो मुट्ठी भरा आकाश…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 12, 2013 at 12:22pm — 16 Comments
कुण्डलियां
ःः.1.ःः
मन्दिर-मन्दिर नेम से, पाथर पूजा जाय।
दीन दलित असहाय को, चोर समझ डपटाय।।
चोर समझ डपटाय, तनिक न रहम करत हैं।
लातन से लतियाय, पुलिस का काम करत हैं।।
बालक रो बतलाय, साब! कस बांधत जन्जिर।
रोटी हित दर आय, समझ दाता का मन्दिर।।
ःः.2.ःः
पोलिस थाना जान ले, आफत का घर होय।
रपट लिखाये जात हैं, मिले दुःख बहु रोय।।
मिले दुःख बहु रोय, समझ ना पावत कुछ हैं।
दारोगा जी सोय, दीवान मांगत कुछ हैं।।
उठ दरोगा डपटे, सबसे…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 12, 2013 at 11:06am — 8 Comments
जीवनशैली
उन्हीं रास्तों पर चलते चलते
ना जाने क्यूँ मन उदास हो गया
सोचने लगी दिखावों के चक्कर में
जीवन कितना एकाकी हो गया
संपन जीवनशैली के बावज़ूद
इसमें सूनापन भर गया है
मैंने ड्राईवर से कहा –
क्या आज कुछ नया दिखा सकते हो
जो मॉल या क्लबों जैसी मशीनी ना हो
जहाँ जिंदगी साँस ले सकती हो
जो अपने जहाँ जैसी लगती हो
ड्राईवर बोला –
मैडम है एक जगह ऐसी
पर वो नहीं है आपके…
ContinueAdded by vijayashree on April 12, 2013 at 9:00am — 20 Comments
चक्र घंटा शूल मूसल, धर धनुष अरु बान,
शंख साजे हाथ गौरी, शीत चन्द्र समान |
शुंभ दलना मात शारद, सृष्टि जननी जान,
है नमन माता चरण में, मात दें वरदान ||
कर कमल अरु अक्षमाला, विश्व ध्यावे मात, …
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on April 12, 2013 at 7:00am — 13 Comments
जीतने के सौ तरीके खोजने वाले,
ग्लूकान-डी के सहारे
सूरज से लड़ने वाले हम इंसान
उजले सच को भी बर्दाशत नहीं कर पाते
प्रकृति पर विजय की लालसा लिए,
हम इंसान
पर्वत विजय का जश्न मनाते हैं,
इंगलिश चैनल को तैर कर पार करते हैं,
भू-गर्भ की गहराइयों को 'मीटर' में नापते हैं,
'मीटर' के ऊपर के सारे पैमाने जाने कहाँ चले जाते हैं उस समय !!!
चाहते हैं,
चाँद पर खेती करें,
मंगल पर पानी मिल जाए,
नए तारों की खोज में ,
हमने…
Added by वीनस केसरी on April 12, 2013 at 12:52am — 10 Comments
मिसरों का वज़्न : २१२२ १२१२ २२ (११२२ १२१२ २२ की छूट ली जा सकती है)
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अच्छे अच्छों की जान लेता है
इश्क जब इम्तेहान लेता है
बात सबकी जो मान लेता है
छोड़ सबकुछ मसान लेता है
वही जीता है इस नगर में जो
बेचकर घर दुकान लेता है
फन वो देता है जिसको भी सच्चा
पहले उसका गुमान लेता है
ये निशानी है खोखलेपन की
खुद को खुद ही बखान लेता है
जब भी…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2013 at 9:30pm — 14 Comments
वफ़ा ए इश्क़ इस तरह इज़हार करते हैं ,
हम ही से सीख , हम पे वार करते हैं ,
अहमक समझता हे ज़माना , मुस्तकिल तौर पे,
हम उनसे प्यार और वो इनकार करते हैं ,
कब ज़नाज़ा मेरे अर्मा का दर से उनके निकले,
फक्र हे हर वक़्त यही इंतज़ार करते हैं…
ContinueAdded by अशोक कत्याल "अश्क" on April 11, 2013 at 8:00pm — 8 Comments
ना मैं बेटी ना ही मां हूं
केवल रैन गुजारू हूं
रम्य राजपथ, नुक्कड़ गलियां
सबकी थकन उतारू हूं
बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं
अंधेरे का ओढ़ दुशाला
छक पीती हूं तम की हाला
कट-कट करते हैं दिन मेरे
रिस-रिस रात गुजारूं हूं
बाबू मैं बाजारू हूं ........बाबू मैं बाजारू हूं
जात-पात का भेद ना मानूं
ना अस्ति ना अस्तु जानूं
घुंघरू भर अरमान लिए मैं
सबका पंथ बुहारू…
ContinueAdded by राजेश 'मृदु' on April 11, 2013 at 6:05pm — 33 Comments
एक खवाब जो देखा था
सपने जो आँखों में संजोये थे
अरमान जो दिल में बरसे थे
तरसे थे सारी रातें
बरसे थे आँखों से ये दरिया
तड़पी थी ये रूहें
बुलंद थे ये होंसले
तेज थी आँखों में
छूना था आस्मां को
पाना था सारा जहाँ
जीना था उन सपनों को
करना था कुछ ऐसा
बन कर दिखाना था सरे जहाँ को
करनी थी दुनिया मुट्ठी में
कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी
कुछ बदलने की आंस थी
कुछ ऐसी ख्वाइश थी
बस देखा एक स्वप्न था
आँखों जो…
Added by Rohit Singh Rajput on April 11, 2013 at 4:30pm — 8 Comments
ग़ज़ल कहने का प्रयास किया है
तू क्या तेरी हस्ती है क्या ये ध्यान में ला
अब उठ खड़ा हो खुद को फिर मैदान मे ला
मज़हब की बातें औ नहीं ईमान की कर
पहले ज़रा इंसानियत इंसान में ला
जब तक जिया उसको बुरा सबने कहा है
क्यूँ रोते हो अब तुम उसे शमशान में ला
नेता है उसको क्या पता क्या है ग़रीबी
उसको कभी इस कोयले की ख़ान मे ला
क्यूँ दीप जलता खुद पे ही इतरा रहा है
दम आजमा तू खुद को इस तूफान में…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 3:45pm — 20 Comments
अभिलाषा
Added by vijay nikore on April 11, 2013 at 11:30am — 34 Comments
वो नन्ही नन्ही सी गोल मटोल,
आंखे इधर उधर निहारती ,
कुछ तलाशती सी लगती ,
न पा सकने की स्थिति,
समझ न पाती .............
…
ContinueAdded by annapurna bajpai on April 11, 2013 at 9:00am — 10 Comments
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