मुक्तक
आधार छंद - रोला
10-10-21
छूट गए सब संग ,देह से साँसें छूटी ।
झूठी देकर आस, जगत ने खुशियाँ लूटी ।
रिश्तों के सब रंग ,बदलते हर पल जग में -
कैसे कह दें श्वास ,देह से कैसे टूटी ।
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बहके-बहके नैन, करें अक्सर मनमानी ।
जीने के दिन चार, न बीते कहीं जवानी ।
अक्सर होती भूल, प्यार की रुत जब आती -
भर देती है शूल, जवानी मैं नादानी ।
सुशील सरना…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 9, 2021 at 4:38pm — 5 Comments
22, 22, 22, 22,
1)कितनी बातें करते हो तुम
ख़ाली बातें करते हो तुम
2)तुमको कोई मरज़ है क्या बस
अपनी बातें करते हो तुम
3) सीधा बंदा हूँ क्यों मुझसे
उल्टी बातें करते हो तुम
4)छुप कर मिलने क्यों आऊँ मैं
ख़ाली बातें करते हो तुम
5)होने लगता है कुछ दिल में
जब भी बातें करते हो तुम
6) चाँद सितारों से क्या अब भी
मेरी बातें करते हो…
Added by Md. Anis arman on October 7, 2021 at 8:42pm — 6 Comments
मोहन दास जब यमराज के सामने पहुंचे,"मोहन जी, जब आपको गोलियाँ लग गयीं और आप लगभग मरणासन्न हो गये तो उस वक्त राम को पुकारने का क्या तात्पर्य था?”
"महोदय, आप मेरे "हे राम" उच्चारण का अर्थ शायद समझ नहीं सके।”
"क्या इसमें भी कोई गूढ़ रहस्य है? मेरे विचार से तो यह एक मरते हुए व्यक्ति द्वारा अपने इष्ट देव से अपनी रक्षा हेतु मात्र एक याचना…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on October 7, 2021 at 11:30am — 8 Comments
1222 1222 122
मिलेगा और मिल कर रो पड़ेगा
मुझे देखेगा तो घर रो पड़ेगा
न जाने क्यों कहाँ खोया रहा हूँ
मेरी आहट पे ही दर रो पड़ेगा
मुझे वो भूल जाने के लिये ही
करेगा याद अक़्सर रो पड़ेगा
हँसी मुस्कान होंठों पे सजाकर
कोई इंसान अंदर रो पड़ेगा
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 5, 2021 at 3:00pm — 10 Comments
बेमौसम पतझड़ आया हो जैसे
पेड़ से झड़ते पत्तों-सी थर्राती
परिक्लांत पक्षी की पुकार
बींधती कराह-सी
सारी हवा में घुल गई
शोक समाचार को सुनते ही
आज अचानक
हवा जहाँ कहीं भी थी
वहीं की वहीं रूक गई
कि जैसे वह दिवंगत आत्मा
मेरे मित्र
केवल तुम्हारी माँ ही नहीं, वह तो
सारी सृष्टि की माँ रही
पेड़, पत्ते, पक्षी, मुझको, तुमको
एक संग सभी को
आज अनाथ कर गई
पुनर्जन्म सच है यदि तो कैसे कह…
ContinueAdded by vijay nikore on October 3, 2021 at 3:00pm — 4 Comments
जिस दिन से इकतरफ़ा रिश्ता टूट गया
सुनते हैं वो पागल लड़का टूट गया.
.
थामा ही था हाथ तुम्हारा मैंने बस
और अचानक मेरा सपना टूट गया.
.
अब ये आँखें कोई ख्वाब नहीं बुनतीं
पिछली नींद में मेरा करघा टूट गया.
.
अपने लालच को तुम काबू में रक्खो
वो देखो इक और सितारा टूट गया.
.
एक ज़रा सी बात से बातें यूँ बिगडीं
फिर तो जैसे हर समझौता टूट गया.
.
आप अदू से दूर हुए ये नेमत है
बिल्ली की क़िस्मत से छींका टूट गया.
.
कह…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 3, 2021 at 9:30am — 16 Comments
छीन के उनका पूरा बचपन कैसे कैसे लोग यहाँ
काट रहे हैं अपना जीवन कैसे कैसे लोग यहाँ।२।
*
पाने को यूँ नित्य शिखर को साथी देखो दौड़े जो
कर बैठे औरों को साधन कैसे कैसे लोग यहाँ।२।
*
स्वार्थ सधे तो अपनों से भी झूठ छिपाने साथी यूँ
कीचड़ को कह देते चन्दन कैसे कैसे लोग यहाँ।३।
*
साध न पाये यार सियासत उस खुन्नस में देखो तो
बाँट रहे हैं मन का …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 3, 2021 at 6:30am — 12 Comments
अगर राष्ट्रपिता के नाम से महात्मा गांधी को याद किया जाता है वही उजास की लकीर बिखेरने। वाले नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में शास्त्री जी को याद किया जाता है। संपूर्ण भारतीयता का उदाहरण शास्त्री जी के विषय में राम मनोहर लोहिया जी ने कहा था कि भारतीयता को जो तीन कसौटियाँ भाषा भूसा और भवन बांधी थी, शास्त्री जी उसका स्पष्ट प्रतिबिंब हैं। सादगी प्रिय शास्त्री जी करूणामयी अग्रगामी सोच वाले ऐसे दार्शनिक प्रधानमंत्री थे जिनके संस्कार व नैतिकता व्यक्तिवाद और परिवारवाद से परे थी। अपने पद व प्रतिष्ठा…
ContinueAdded by babitagupta on October 2, 2021 at 3:28pm — 3 Comments
2122 / 1212 / 22
1
दिल का रिश्ता यूँ भी निभाना था
फिर से रूठा ख़ुदा मनाना था
2
चार ईंटें टिका के निस्बत की
आदमीयत का घर बसाना था…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on October 2, 2021 at 12:23pm — 6 Comments
हर संगदिल को दिल का पता बता दिया
जितने बेवफा मिले सबको घर दिखला दिया
सभी ने छोड़ दिया जिस ग़म को खुशी के खातिर
हमे जहाँ भी दिखा,उसे हंसके गले लगा लिया
साथ हो दर्द तभी जीने का मज़ा आता है
ग़म जुदाई का हो तो पीने का मज़ा आता है
छुपा के रख सके जो दर्द को जहन मे अपने
ज़ख्मों को सीने का मज़ा बस उसी को आता है
खुशी है बुलबुला एक दिन फूट जाएगा
हंसाया इसने जितना, उतना ही रुलाएगा
हमसफर है सच्चा ग़म ही अपना यारों
जो…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 1, 2021 at 11:30am — 1 Comment
तो रो दिया .......
मौन की गहन कंदराओं में
मैनें मेरी मैं को
पश्चाताप की धूप में
विक्षिप्त तड़पते देखा
तो रो दिया ।
खामोशी के दरिया पर
मैंने मेरी मैं को
तन्हा समय की नाव पर
अपराध बोध से ग्रसित
तिमिर में लीन तीर की कामना में लिप्त
व्यथित देखा
तो रो दिया
क्रोध के अग्नि कुण्ड में
स्वार्थघृत की आहूति से परिणामों को
जब धू- धू कर जलते देखा
तो रो दिया
सच , क्रोध की सुनामी के बाद जब…
ContinueAdded by Sushil Sarna on September 30, 2021 at 10:41pm — 12 Comments
वज़्न-2122 1122 1122 22/112
अज़्म से जो भी समेटेगा हदफ़* के गौहर [ हदफ़ - लक्ष्य
ज़िंदगी में वही पाएगा शरफ़* के गौहर [ शरफ़ - सम्मान
इश्क़ है उनको भी हमसे ये हमें है मालूम
हमने देखे हैं उन आँखों में शग़फ़* के गौहर [शग़फ़ - दिलचस्पी
हाथ में हाथ ले तुमने जो उठाए थे कभी
मेरे दिल में हैं अभी तक वो…
Added by Anjuman Mansury 'Arzoo' on September 30, 2021 at 5:00pm — 12 Comments
रगो मे खून बनकर तेरे, यूँ “जुनून” बहता है
बिना मंज़िल के ना रुकना, ये सुकून कहता है
हुआ क्या राहों मे तेरे, जो बस पत्थर ही पत्थर है
चूमेंगे पाँव वो तेरे ये “जुनून” तुझसे कहता है
है मुश्किल सफर तेरा ये, गलियां तुझसे कहती है
चुनी ये राह जिसने भी, गुमान दुनिया करती है
तू देख कर चट्टानों को कभी हिम्मत नहीं खोना
पल भर की नाकामी पर तू भूल कर भी नहीं रोना
पहाड़ो मे सुराख कर दे, ये हिम्मत बस तुझी मे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 30, 2021 at 10:00am — 7 Comments
2122 2122 2122 2122
इक भी आंसू क्यों गिरे जब आंख शोला-बार हो तो
कैसे कोई ख़ुश रहे जब दिल ही में आज़ार हो तो
आपसे है जंग तो मंज़ूर है ये सरफ़रोशी
क्या करें जब आपके ही हाथ में तलवार हो तो
लग रही है ज़िंदगी भी कुछ दिनों से अजनबी सी
लौट आना तुमको मुझसे थोड़ा सा भी प्यार हो तो
क्या किसी के सामने अब राज़े-ज़ख़्मे-पिन्हां खोलें
आपका ग़म-ख़्वार ही जब दुश्मनों का यार हो तो
तूने गरचे तोड़ डाले सारे नाते एक पल में
एक वहशी…
Added by Zaif on September 29, 2021 at 7:30pm — 2 Comments
Added by Zaif on September 28, 2021 at 6:46pm — 8 Comments
जो समझते हैं
वे जमे पड़े हैं ,
ये ख्याल है उनका ,
सच में तो वे
केवल पड़े हैं। .........1 .
छत पड़ी भी नहीं
और बुनियाद खिसक रही है ,
वो महल बनाने चले थे
कितनों की झोपड़ी भी उजड़ गई ,
लोग फिसल रहे हैं या उनके
पैरों के नीचे जमीन खिसक रही है। ......... 2 .
यूँ ही सफर में ही गुजर जाए , जिंदगी
अच्छा है ,
जिनकी तलाश हो
वो मंजिलों पे मिला नहीं करते ll ......... 3 .
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2021 at 8:30pm — 13 Comments
पहाड़ की ऊंची चोटी पर
अपने चारों तरफ
हरियाले वृक्षों से घिरा
मैं ठूँठ सा तन्हा खड़ा हूँ ।
कुछ वर्ष पूर्व
आसमानी बिजली ने
हर ली थी मेरी हरियाली
यह सोच कर कि
वो मेरे तन-बदन को
जर्जर कर मेरे अस्तित्व को
नेस्तनाबूद कर देगी ।
मगर
वक्त के साथ
अपने नंगे बदन पर
मैं मौसम के प्रहार सहते-सहते
एक मजबूत काठ में
परिवर्तित होता गया ।
आज मैं
आसमान से
अपनी विध्वंसक शक्ति का डंका…
Added by Sushil Sarna on September 27, 2021 at 1:30pm — 8 Comments
वो जहां पर असमा और धरा मिल जाते है
छोर मिलते ही नहीं पर साथ में खो जाते है
है यही वो स्थान जिसका अंत ही नहीं
मिल गया या खो गया है सोचते है सब यही
सबको है चाह इसकी पर राह का पता नहीं
बिम्ब या प्रतिबिम्ब है ये भ्रम सभी को है यही
कामना को पूर्ण करने श्रम छलांगे भरता है
मरीचिका के जाल में जैसे मृग कोई भटकता है
है धरा का अंत वही जिस बिंदु से शुरुआत है
यात्रा अनंत इसकी कई युगों की बात है
ओर ना है छोर इसका शुन्य सा आकाश है
जिसका जग को…
Added by AMAN SINHA on September 27, 2021 at 10:36am — 3 Comments
१२२/१२२/१२२/१२
न दे साथ जग तो अकेला बना
नया अपने दम पर जमाना बना।१।
*
थका हूँ जतन कर यहाँ मैं बहुत
कि घर मेरा तू ही शिवाला बना।२।
*
तुझे अपना कहते बितायी सदी
न ऐसे तो पल में पराया बना।३।
*
यहाँ सच की बातें तो अपराध हैं
यही सोच खुद को न झूठा बना।४।
*
बड़ों के दिलों में भरा दोष अब
स्वयं को तनिक एक बच्चा बना।५।
*
बहुत दम है साथी कहन में मगर
नहीं अपने…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 27, 2021 at 6:45am — 7 Comments
122 2122 2122 2122 2
तेरी तस्वीर होठों से लगा लूँ, जो इजाजत हो।
उसे आगोश में लूँ, चूम डालूँ, जो इजाजत हो।
बहुत नायाब दौलत है तुम्हारे हुस्न की दौलत
तुम्हारा हुस्न तुमसे ही चुरा लूँ जो इजाजत हो ।
नशीले नैन लाली होंठ की यूँ मुझ पे छाई…
ContinueAdded by आशीष यादव on September 24, 2021 at 3:30pm — 8 Comments
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