2122 1212 22
कोई समझाए माजरा क्या है
तीरगी क्या है यूँ कि रा क्या है
मिटना हर शय का तो मुअय्यन है
ज़िंदगानी में निर्झरा क्या है
इक समंदर के जैसे लगती हैं
नम सी आँखों में दिल भरा क्या है
टूट कर ख़्वाब गिरते रहते हैं
आँख में आईना सरा क्या है
देख कर उनको आरज़ू करना
दिल की हसरत का दिलबरा क्या है
इश्क़ में रूह गर जो महके, तो
मुश्क़ फ़िर क्या है मोगरा क्या…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 22, 2021 at 5:30pm — 4 Comments
दूर तक फैला हुआ है, राज सम्यक शान्ति ।
हूर जीवन - धौंकनी है, गूँजता वन शान्ति ।।
नीर सूखा नालियों का, आँख ज्यौं पानी नही ।
लाज जैसे मर गयी हो, आजमा जीवन कहीं ।।
एक चुप पसरा हुआ है, पर्वतों से घाट तक ।
देखिय़े तट सखिविहीना, कृष्ण-राधा ठाठ तक ।।
ज़िन्दगी यदि मर रही है जग, मारता मन आज मद ।
आदमी रहता यहाँ खुश, मन प्रकृति वन मौज- मद ।।
गाँव की शालीनता मिल जायगी क्या शहर में ।
हैं खुशी छोटी मगर सुख,…
ContinueAdded by Chetan Prakash on March 22, 2021 at 12:00am — No Comments
विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामना।
32 मात्रिक छंद "रस और कविता"
मोहित होता जब कोई लख, पग पग में बिखरी सुंदरता।
दाँतों तले दबाता अंगुल, देख देख जग की अद्भुतता।।
जग-ज्वाला से या विचलित हो, वैरागी सा शांति खोजता।
ध्यान भक्ति में ही खो कर या, पूर्ण निष्ठ भगवन को भजता।।
या विरहानल जब तड़पाती, धू धू कर के देह जलाती।
पूर्ण घृणा वीभत्स भाव की, या फिर मानव हृदय लजाती।।
जग में भरी भयानकता या, रोम रोम भय से कम्पाती।।
ओतप्रोत…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on March 21, 2021 at 11:44am — 4 Comments
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
1
जो सह के ज़ुल्म हज़ारों भी उफ़ किया न करे
दुआ करो कि उसे ग़म कोई मिला न करे
2
मुझे बहार की रंगीनियाँ मिलें न मिलें
मगर ख़िज़ा ही रहे उम्र भर ख़ुदा न करे
3
मुझे वो बज़्म में चाहे मिले नहीं खुल कर
मगर मज़ाक में भी ग़ैर तो कहा न करे
4
मैं ज़र्द पत्ते सा घबरा के काँप जाता हूँ
कहे हवा से कोई तेज़ वो चला न करे
5
नशा किसी प महब्बत…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 21, 2021 at 8:30am — 7 Comments
१२२/१२२/१२२/१२२
कभी रिश्ते मन से निभाकर तो देखो
जो रूठे हुए हैं मनाकर तो देखो।१।
*
खुशी दौड़कर आप आयेगी साथी
कभी दुख में भी मुस्कराकर तो देखो।२।
*
बदल लेगा रंगत जमाना भी अपनी
कभी झूठी हाँ हाँ मिलाकर तो देखो।३।
*
कभी रंज दुश्मन नहीं दे सकेगा
स्वयं से स्वयं को बचाकर तो देखो।४।
*
सदा पुष्प से खिल उठेंगे ये रिश्ते
कि पाषाण मन को गलाकर तो देखो।५।
*
कोई…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 20, 2021 at 6:15pm — 7 Comments
1212 1122 1212 112
करेगा इश्क़ जो सच्चा कभी जफ़ा न करे,
अगर हो हाथ में किस्मत कोई दगा न करे।
जुदा हो कर कोई भी रब्त फिर रखा न करे,
उसे कहो मेरे घर का वो रास्ता न करे।
उसूल कुछ तो अदावत में भी ज़रूरी है,
बना के दोस्त कोई फिर दगा किया न करे।
गिला नही है कि बस ज़िंदगी में दर्द मिले,
भले हैं दर्द ही झूठी ख़ुशी मिला न करे।
हमें तो इश्क़ ही ज़ख्मों से हो गया है सनम,
है इल्तिज़ा कि कोई इनकी अब दवा न…
Added by Pratibha Sharma on March 20, 2021 at 5:02pm — No Comments
212 1222 212 1222
बात मुख्तसर सी थी गर कही नहीं होती
लाठी एक तनकर थी अब खड़ी नहीं होती (1)
छोटे छोटे ख़्वाबों का रोज़ क़त्ल करती है
बेटी क्यों ये आसानी से बड़ी नहीं होती (2)
आपसे मिलूँ गर मैं तो उदास होता हूँ
और जब नहीं मिलते तो ख़ुशी नहीं होती (3)
बढ़ नहीं सकी आगे कार ही उमीदों की
लाल ही रही बत्ती वो हरी नहीं होती (4)
ज़िंदगी में दोनों तो साथ साथ रहते हैं
पर गुलाब काँटों में दोस्ती नहीं होती…
Added by सालिक गणवीर on March 19, 2021 at 11:01pm — 4 Comments
2122 1212 22/112
देख लीजे ज़नाब बाकी है,
हर सफ़े का हिसाब बाकी है।
जब तलक इंतिसाब बाकी है,
तब तलक इंतिहाब बाकी है।
बर्क़-ए-शम से मिच मिचाए क्यों,
आना जब आफ़ताब बाकी है?
चंद अल्फ़ाज पढ़ के रोते हो,
पढ़ना पूरी क़िताब बाकी है।
रौंदने वाले कर लिया पूरा,
अपना लेकिन ख़्वाब बाकी है।
'बाल' अच्छा कहाँ यूँ चल देना,
जब कि काफ़ी शराब बाकी है।
---
इंतिसाब: उठ खड़े होना।
इंतिहाब: लूटना,…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on March 19, 2021 at 10:30pm — 3 Comments
मानो उन्हें किसी की प्रतीक्षा थी . उनका मन कुछ बैचैन हो रहा था ,वे अंदर ही अंदर कुछ असहाय सा महसूस कर रहे थे .हाथ पीछे की ओर बांधे वे द्वार पर आकर खड़े हो गए तभी उनकी नजर सामने की और गई .वो धीमे-धीमे चलकर वह आती हुई कुछ दूरी पर खड़ी हो गई . दोनों ने एक दूसरे को देखा .
"तुम ? मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा .कितना बदल गई हो ,ये सफेद केश , ये कृश काया..." वे बोले
"फिर तुमने मुझे पहचाना कैसे ?" उसका प्रतिप्रश्न
" तुम्हारी हँसी का वो नूर, चहरे की निश्चलता आज भी वैसी ही है…
ContinueAdded by नयना(आरती)कानिटकर on March 19, 2021 at 10:00pm — 2 Comments
16,11 मात्रा अंत मे गुरु लघु
1
ले राधा जैसी चंचलता, कृष्णा जैसा प्यार।
बरसाने में खेली जाए,होरी भी लठमार।
जोगिरा सा रा रारा रा,..
2
कृष्ण गए थे हँसी ठिठोली, करने राधा…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 19, 2021 at 3:00pm — 5 Comments
1222 1222 1222 122
ग़मों की दिन-ब-दिन क़िस्मत सँवरती जा रही है
उदासी इस क़दर मुझमें उतरती जा रही है
अभी तो वक़्त है पतझर के आने में,हवा क्यों
चली ऐसी कि मन वीरान करती जा रही है
बहारों ने चमन लूटा मगर बाद-ए-सबा ये
खिज़ाओं पे हरिक इलज़ाम धरती जा रही है
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 19, 2021 at 10:30am — 14 Comments
2122 1212 22
देख कर मुस्कुराना शर्माना
इश्क़ समझे न कोई दीवाना
है कयामत हर इक अदा इनकी
जुल्फ़ें बिखराना हो या झटकाना
सिर्फ़ आता है इन हसीनों को
दिल चुराना चुरा के ले जाना
क्यों किसी का यूँ दिल जलाते हो
क्यों बनाते हो यूँ ही दीवाना
कितना मुश्किल है चाहतों में सनम
पास रहकर भी दूर हो जाना
बेक़रारी में आहें भरता है
जी न पाता है कोई दीवाना
साल हा साल लम्हा…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 16, 2021 at 9:00pm — 11 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
चाहे कमाया खूब हो धन आपने जनाब
लेेेकिन ज़मीर करके दमन आपने जनाब।१।
*
तारीफ पायी नित्य हो दरवार में भले
मुजरा बना दिया है सुखन आपने जनाब।२।
*
ये सिर्फ सैरगाह रहा हम को है पता
माना नहीं वतन को वतन आपने जनाब।३।
*
उँगली उठायी नित्य ही औरों के काम पर
देखा न किन्त खुद का पतन आपने जनाब।४।
*
देखो लगे हैं लोग ये घर अपना फूँकने
ऐसी लगायी मन में अगन आपने जनाब।५।
*…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 16, 2021 at 8:30am — 9 Comments
2122 1212 22
आँख में भरके आब बैठा है।
खिड़की पे माहताब बैठा है।
**
रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा
नोजपिन पे इताब बैठा है।
**
सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया
पलकों को ऐसे दाब बैठा है।
**
यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े
जैसे कोई गुलाब बैठा है।
**
धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ
खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।
**
सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'
और वो लेके किताब बैठा…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 15, 2021 at 10:32pm — 16 Comments
रहते यारों संग थे, मस्ती में हम डूब
बचपन में होता रहा, गप्प सड़ाका खूब
गप्प सड़ाका खूब, नहीं चिंता थी कल की
आह! मगर वह नाथ' ज़िन्दगी थी दो पल की
आया अब यह दौर, जवानी जिसको कहते
अपने में ही मस्त, जहाँ हम सब हैं रहते
ऑफिस में गप मारना, बहुत बुरी है बात
देख लिया यदि बॉस ने, बिगड़ेंगे हालात
बिगड़ेंगे हालात, मिले टेंशन पर टेंशन
घट जाए सम्मान, कटे वेतन औ' पेंशन
भभके उल्टी आग, बन्द थी जो माचिस में
हर…
Added by नाथ सोनांचली on March 15, 2021 at 5:16am — 4 Comments
1212 1122 1212 22
निहाँ दिलों में यहां कितने राज़ गहरे हैं,
कि चश्म-ए-तर पे तबस्सुम के देखो पहरे हैं।
मिलो किसी से अगर फासला ज़रा रखना,
यहां मुखौटे लगाए हज़ार चहरे हैं।
ये इंतिजार हमें है सुने वो ख़ामोशी,
मगर ये इल्म नहीं था वो दिल से बहरे हैंl
ग़ज़ब का हौसला है देख मेरी आंखों का,
कि इनमें आज भी सपने कई सुनहरे है।
तुम्हारी याद जो महफ़िल में दफ़अतन आई,
इसी सबब से मेरे बहते अश्क ठहरे…
ContinueAdded by Pratibha Sharma on March 13, 2021 at 11:30am — 7 Comments
221--1221--1221--122
1
कैसे न सनम मचलें'गे जज़्बात हमारे
महफ़िल में अगर गाएंगे नग़्मात हमारे
2
दुनिया का वतीरा भी निभा सकते हैं लेकिन
इन सबसे अलहदा हैं ख़यालात हमारे
3
ईमान की बाज़ार में कीमत नहीं कुछ भी
किस तर्ह से फिर सुधरेंगे हालात हमारे
4
जल जल के बुझी जाती है उम्मीदों की शम्मा
दम तोड़ते हैं साथ सवालात हमारे
5
माज़ी को सिरहाने तले रख सोचते हैं हम
क्यों एक से रहते नहीं दिन रात…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 13, 2021 at 9:00am — 8 Comments
2212 - 1221 - 2212 - 12
जो दर्द रूह का है ज़बाँ पर न आयेगा
शिकवा भी कोई सुनने यहाँ पर न आयेगा
उसका पयाम ये है कि आयेगा 'दफ़्न' पर
ली थी क़सम जो उसने यहाँ पर न आयेगा
वो साथ मेरे यूँ तो रहा है तमाम उम्र
सुनता है मेरी आह-ओ-फ़ुग़ाँ, पर न आयेगा
जलकर ये ख़ाक़ हो भी चुका है वजूद अब
तुमको नज़र ज़रा भी धुआँ पर न आयेगा
नज़रों के रास्ते जो उतर दिल में करले घर
अब तीर ऐसा कोई कमाँ पर न…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 13, 2021 at 12:09am — 2 Comments
22 22 22 22 22 22 22
तुझसे मिलकर हम जो रो लेते तो अच्छा होता..
जख्मी दिल को नमक से धो लेते तो अच्छा होता।
हम अपने सर को रखकर कुछ पल तेरे दामन में..
कतरा कतरा आँसू बो लेते तो अच्छा होता।
सहरा सहरा दरिया दरिया पर्वत पर्वत वन वन..
पल भर खुद को खुद से खो लेते तो अच्छा होता।
हर पल है जब आंखों में तेरे सपनों का जगना.
कोई दिन हम तुझमें सो लेते तो अच्छा होता।
जब अपनों के हो न सके,तेरा होना हो न सका …
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2021 at 8:00am — 4 Comments
2122 - 1122 - 22/112
इक जहाँ और बसाओ तो चलें
फिर मुझे अपना बनाओ तो चलें
उम्र भर साथ निबाहो तो चलें
फ़ासिले दिल के मिटाओ तो चलें
चन्द क़दमों की रिफ़ाक़त क्या है
हर क़दम साथ बढ़ाओ तो चलें
ज़िन्दगी हम ने गवाँ दी यूँ ही
हासिल-ए-इश्क़ बताओ तो चलें
जितने पर्दे हैं उठा दो न सनम
राज़ उल्फ़त के सुनाओ तो चलें
ज़िन्दगी ! ऐसी भी क्या उजलत…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 12, 2021 at 12:13am — 4 Comments
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