Added by Naveen Mani Tripathi on November 5, 2016 at 4:36pm — 2 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on October 28, 2016 at 1:00am — 2 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on October 24, 2016 at 1:00am — 6 Comments
2212 2212 2212
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दीवानगी में हम वफ़ा लिखते गए ।
तुम बेखुदी में बस जफ़ा पढ़ते गए ।।
पूछा किया वो आईने से रात भर ।
आवारगी में हुस्न क्यूँ ढलते गए ।।
आयी तबस्सुम जब मेरी दहलीज पर ।
देखा चिराग़े अश्क भी जलते गए ।।
नादानियों में फासलो से बेखबर ।
बस जिंदगी भर हाथ को मलते गए ।।
तालीम ले बैठा था जब इन्साफ की ।
क्यूँ मुज़रिमो के फैसले बदले गए ।।
जिसकी बेबाकी के चर्चे थे बहुत ।
तहज़ीब को अक्सर वही छलते गए…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 22, 2016 at 7:00pm — 3 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on October 19, 2016 at 2:00pm — 4 Comments
221 2121 1221 212
हर मयकशी के बीच कई सिलसिले मिले ।
देखा तो मयकदा में कई मयकदे मिले ।।
साकी शराब डाल के हँस कर के यूं कहा।
आ जाइए हुजूर मुकद्दर भले मिले ।।
कैसे कहूँ खुदा की इबादत नहीं वहां ।
रिन्दों के साथ में भी नए फ़लसफ़े मिले ।।
यह बात और है की उसे होश आ गया ।
वरना तमाम रात उसे मनचले मिले ।।
जिसको फ़कीर जान के लिल्लाह कर दिया ।
चर्चा उसी के घर में ख़ज़ाने दबे मिले ।।
मुझ से न पूछिए कि…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 17, 2016 at 3:00pm — 8 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on October 7, 2016 at 9:25am — 2 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 12:34am — 4 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on September 25, 2016 at 6:00pm — 16 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on September 24, 2016 at 11:54am — 12 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on September 10, 2016 at 3:44pm — 2 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on September 10, 2016 at 12:28am — 6 Comments
2221 21122 2222
गालों पर है रंग गुलाबी तौबा तौबा ।
मतवाली की चाल शराबी तौबा तौबा ।।
कातिल शम्मा रात जला कर लूटे हस्ती।
नयी अदा में बात नबाबी तौबा तौबा ।।
अंदाजों से हुस्न बयां वो आधा है अब ।
हुई हया से आँख हिजाबी तौबा तौबा ।।
खंजर दिल पे मार गई है हक से यारों ।
पढ़ती है वो रोज तराबी तौबा तौबा ।।
खैरातों में इश्क बटा कब उस के दर पे ।
निकली वह भी खूब हिसाबी तौबा तौबा ।।
अंगड़ाई न ले तू खुले दरीचों से अब…
Added by Naveen Mani Tripathi on September 5, 2016 at 9:30pm — 8 Comments
212 22 12 22 12
टूटती सारी हदें सड़कों पे अब ।
लुट रहीं हैं इज्जतें सड़को पे अब ।।
ऐ मुसाफिर देख जंगल राज ये ।
फिर खड़ी है जहमतें सड़कों पे अब ।।
हैं बहुत दागी यहां की खाकियां ।
बिक रही है हरकतें सड़को पे अब ।।
हो चुके हैं राज में गुंडे बहुत ।
लग रहीं हैं महफ़िलें सड़कों पे अब ।।
दिख रही इंसानियत की बेबसी ।
हर तरह की सोहबतें सड़कों पे अब ।।
बाप जिन्दा लाश बनकर रह गया ।
मिट गयीं सब अस्मतें सड़को पे अब ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on September 3, 2016 at 5:30am — 4 Comments
212 22 12 22122
शूलियों पर चढ़ चुकी सम्वेदनायें ।
बाप के कन्धों पे बेटे छटपटाएं ।।
लाश अपनों की उठाये फिर रहा है ।
दे रही सरकार कैसी यातनाएं ।।
है यही किस्मत में बस विषपान कर लें ।
दर्द की गहराइयां कैसे छुपाएँ ।।
सिर्फ खामोशी का हक अदने को हासिल ।
डूबती हैं रोज मानव चेतनाएं ।।
हम गरीबों का खुदा कोई कहाँ है ।
मुफलिसी पर हुक्मरां भी मुस्कुराएं।।
वो करेंगे जुर्म का अब फैसला क्या ।
जो नचाते सैफई में…
Added by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2016 at 9:30pm — 6 Comments
2212 121 1221 212
खोने लगा यकीन है अनजान आदमी ।
जब से बना है मौत का सामान आदमी ।।
बाज़ार सज रहे हैं नए जिस्म को लिए ।
बनकर बिका है मुल्क में दूकान आदमी ।।
ठहरो मियां हराम न खैरात हो कहीं ।
माना कहाँ है वक्त पे एहसान आदमी ।।
दरिया में डालता है वो नेकी का हौसला ।
देखा खुदा के नाम परेशान आदमी ।।
मजहब तो शर्मशार तेरी हरकतों पे है ।
कुछ मजहबी इमाम भी शैतान आदमी ।।
मतलब परस्तियों का जरा देखिये सितम ।
बेचा…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on August 30, 2016 at 2:30am — 5 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on August 27, 2016 at 1:33am — 9 Comments
122 122 122 122
मेरे दर्दो गम की कहानी न पूछो ।
मुहब्बत की कोई निशानी न पूछो ।।
बहुत आरजूएं दफन मकबरे में ।
कयामत से गुजरी जवानी न पूछो ।।
मुझे याद है वो तरन्नुम तुम्हारा ।
ग़ज़ल महफ़िलों की पुरानी न पूछो ।।
हुई रफ्ता रफ्ता जवां सब अदाएं ।
सितम ढा गयी कब सयानी न पूछो ।।
बयां हो गई इश्क की हर हकीकत ।
समन्दर की लहरों का पानी न पूछो ।।
सलामी नजर से नज़र कर गयी थी ।
वो चिलमन से नज़रें झुकानी न पूछो…
Added by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2016 at 10:00pm — 7 Comments
122 122 122 122
तेरी बज्म में कुछ सुनाने से पहले ।
मैं रोया बहुत गुनगुनाने से पहले ।।
न बरबाद कर दें ये नजरें इनायत ।
वो दिल मांगते दिल बसाने से पहले ।।
है इन मैकदों में चलन रफ्ता रफ्ता ।
करो होश गुम कुछ पिलाने से पहले ।।
तेरे हर सितम से सवालात इतना ।
मैं लूटा गया क्यूँ जमाने से पहले ।।
बदल जाने वाले बदल ही गया तू ।
मुहब्बत की कसमें निभाने से पहले ।।
ख़रीदार निकला है वो आंसुओं का ।
जो आकर गया…
Added by Naveen Mani Tripathi on August 22, 2016 at 9:00pm — 10 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on August 19, 2016 at 10:51pm — 1 Comment
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