Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 28, 2021 at 3:30pm — 11 Comments
शिकायत कभी भी खत्म ना होती
कोई जीवन चाहे कुर्बान करें
खाली दिमाग का सब फितूर है
ये सोच के अपना काम करें ||
हर तरह के लोग जहां में
बस मेहनती लोगो की बात करें
कष्ट सहकर भी हार ना माने
जज्बे को उनके सलाम करें ||
पद मिले तो अभिमान में भरते
ना बड़े-छोटे का सम्मान करें
संस्कारों की बात कहीं ना
बस अपने कर्मो का गुणगान करें ||
कुछ लोगो की आदत बुरी है
उनकी कभी ना बात करें
हर…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 27, 2021 at 6:30pm — 1 Comment
Added by Sushil Sarna on January 26, 2021 at 3:52pm — 7 Comments
बेबाक दिलबरी का आलम न पूँछिये।
हम से मोहब्बत का बस हुनर सीखिये ।
दिल में लगी हो आग तो सेक लीजिये।
वरना लगा के दाग यूँ सितम न कीजिये।
तारीफ़ कीजिये या के…
ContinueAdded by DR ARUN KUMAR SHASTRI on January 25, 2021 at 10:00pm — 2 Comments
2122 1212 22
1
खा के क़समें वफ़ा नहीं मिलती
ज़ख़्मी दिल की दवा नहीं मिलती
2
बाँध ले बात गाँठ तू यारा
दर्द देकर दुआ नहीं मिलती
3
गाँव की तरह् शह्र में हमको
यार बाद-ए-सबा नहीं मिलती
4
साँस फेरेगी आँख ख़ुद ही सनम
चाहने से कज़ा नहीं मिलती
5
वस्ल की रात ओढ़कर घूँघट
आजकल क्यों हया नहीं मिलती
6
गुनगुना ले जो धड़कनों के सुर
ऐसी नग़्मा-सरा नहीं…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 25, 2021 at 3:54pm — 6 Comments
दो आशीष नया हो भारत
जग में और बड़ा हो भारत।१।
*
आयु बढ़े नित जितनी इसकी
उतना और युवा हो भारत।२।
*
ज्ञाता हो विज्ञान का लेकिन
साथ ही वेद पढ़ा हो भारत।३।
*
दुख के नाले सब सूखे हों
सुख का एक किला हो भारत।४।
*
जिनके घर ढब बन्द पड़े हैं
कहते और खुला हो भारत।५।
*
उनको सबक सिखाना वीरों
जिनकी चाह डरा हो भारत।६।
*
सीमाओं का द्वन्द मिटाकर
दोनों ओर…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 25, 2021 at 8:30am — 9 Comments
22 22 22 22
कैसा अक्कड़ बक्कड़ है दिल..
पा के तुझको अक्खड़ है दिल..
सपने देखे, ऐसे वैसे..
रब्बा जाने कैसे कैसे..
उड़ता फिरे ये बैठे बैठे..
चाहे मिलना जैसे तैसे..
फिरते फ़क़ीर सा फक्कड़ है दिल।
उठते ही जालिम ये सबेरे..
हाथ पैर ये जोड़े मेरे..
चल कर आयें, घर के फेरे..
चिपका गली से, जैसे तेरे..
मोहल्ले का, नुक्कड़ है दिल।
चाहे, तुझसे बातें ये…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 24, 2021 at 6:00pm — 4 Comments
2122 2122 22
दिल ने की है तेरी बहुत खिदमत
तू जो समझा है की जिसको आफत
सुर्ख रू होगा सुकूँ ना होगा पर
इस तरह आयेगी तेरी शामत
मैं तो नादानी में हूँ लेकिन तू
तुझ को होने की खुदा है आदत
यूँ की खुद को ही भुला देता हूँ
अब ना पीना आंसुओं का शरवत
तू ने छेड़ा ही कोई क्यों है फिर
गर तू होता ही न खुद से सहमत
इस तरह भी और कोई है क्या
खुद से पूँछे जो की खुद की…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 21, 2021 at 11:00pm — No Comments
22 22 22 22 22
इंसान ही शैतान इंसान ही शाइस्ता
इंसान के होने से है ख़ुदा बाबस्ता
कोई खुदा इंसान से बड़कर नहीं
समझ आयेगा आहिस्ता आहिस्ता
जिस रस्ते सब जाने से ही डरते हैं
लो मैं ही जाता हूँ की उस रस्ता
हो हर इक इंसान बस इंसान ही
क्या कोई भी है नहीं ऐसा रस्ता
जो खुदाओं पे यूँ झगडा़ करते हैं
ऐसे लोगों से अपना क्या रिश्ता
शायद दिन भर ही जलता रहता है
कितना बे-खुशबू है…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 21, 2021 at 11:00pm — No Comments
मौन रहता सच सदा ही, आवाज झूठ ही करता है
कर्म दिखाता सच का चेहरा, झूठ भ्रम को पैदा करता है ||
प्रमाण देता झूठ सदा ही, खूब खोखले दावे करता है
परवाह ना सच को किसी बात की, वो तो हौंसले की उड़ान को भरता है ||
तकलीफ होती झूठ को हरदम, ना खुशी बर्दास्त ही करता है
आग लगाता कहीं ना कहीं, जब भी शोर वो करता है ||
सच सागर सी शक्ति का मालिक, सदा मर्यादा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 20, 2021 at 9:59pm — 1 Comment
२२/२२/२२/२२
तोड़ के घर का ताला उसने
ढूँढा सिर्फ निवाला उसने।१।
*
लत पीने की ऐसी लगायी
बेच दी माँ की माला उसने।२।
*
खुद औरों के कन्धे पर चढ़
कहता बोझ सँभाला उसने।३।
*
दूध पिलाना था बच्चों को
पर नागों को पाला उसने।४।
*
जिसको हमने माना सूरज
रोका नित्य उजाला उसने।५।
*
जिसको सब खोटा कहते हैं
सिक्का वही उछाला उसने।६।
*
अपनों को ही चोट है मारी
फेंका जब जब भाला…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 20, 2021 at 6:35am — 10 Comments
उजड़कर क्या बसेगा गांव मेरा
यहाँ डालो ना कोई जंग-ए-डेरा
की रातें जा चुकी प्राता है शायद
घनी है तीरगी अब हो सबेरा
नज़र आये भी कैसे कोई गलती
कोई दिखता नहीं इतना घनेरा
ज़हन में देखो है नफ़रत सभी के
मिटे भी तो भला कैसे अंधेरा
तू भी रहता है बस उसके भरोसे
कोई तो आसमां भी हो की तेरा
(अप्रकाशित व मौलिक)
Added by Aazi Tamaam on January 19, 2021 at 2:00pm — No Comments
सर्दीली सांझ ऐसे आई मेरे गाँव
Added by amita tiwari on January 19, 2021 at 4:00am — 2 Comments
212 212 212 212
1
एक आवाज़ कानों में आती रही
रूह के पार मुझको ले जाती रही
2
ख़्वाब आँखों को हर पल दिखाती रही
ज़िन्दगी उम्र भर बरगलाती रही…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 16, 2021 at 10:38pm — 17 Comments
122 122 122 122
किसी और मंज़िल पे जाने का दिल है
कहीं और दुनिया बसाने का दिल है
अभी मैं नहीं इश्क में सरफरोश
मगर इस कदर जाँ लुटाने का दिल है
अभी तो नदी के सफ़र पे हूँ पैहम
समंदर के साहिल पे जाने का दिल है
कभी मुट्ठियों भर सितारे जला दूँ
कभी वादियों को जलाने का दिल है
कभी खाक कर दूँ सभी जख्म़ दिल के
युँ ही शय जलाने बुझाने का दिल है
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by Aazi Tamaam on January 16, 2021 at 1:30am — No Comments
221 2121 1221 212
अपनी खता लिखूं या ख़ुदा का किया लिखूं .
इस दौरे नामुराद को किसका लिखा लिखूं .
उठती नहीं है तेरी तरफ मेरी उंगलियां,
फिर कौन सी कलम से तुझे बेवफा लिखूं.
मैं तेरा नाम ला नहीं सकता बयान में,
अपने ख़्याल पर बता किस का पता लिखूं.
मेरी पुकार तो नहीं जाएगी आप तक,
मैं किसके जरिए साल मुबारक नया लिखूं.
है याद मुझको तेरा वो छूना मेरे क़दम,
तब कैसे खुद को तेरी नज़र से गिरा…
Added by मनोज अहसास on January 15, 2021 at 11:33pm — 6 Comments
2122 1212 22/112
एक पत्थर सा बस पड़ा हूँ मैं
हूँ मुसाफ़िर या रास्ता हूँ मैं (1)
अब कोई ढूँढता नहीं मुझको
एक मुद्दत से लापता हूँ मैं (2)
ज़िंदगी आजकल जहन्नम है
ख़्वाब जन्नत के देखता हूँ मैं (3)
छोड़ कर सब चले गए हैं या
भीड़ में फिर से खो गया हूँ मैं (4)
अब नहीं इंतिज़ार तेरा पर
रास्ता रोज़ देखता हूँ मैं (5)
हर तरफ है अजीब वीरानी
खुद में शायद उजड़ रहा हूँ मैं…
Added by सालिक गणवीर on January 15, 2021 at 8:00pm — 8 Comments
२२/२२/२२/२२
दुनिया जिससे डरती होगी
प्यार न उससे करती होगी।१।
*
जैसा इसको नोच रहे हम
कैसी कल ये धरती होगी।२।
*
चाँद नगर क्या जाना यारो
भूमि वहाँ भी परती होगी।३।
*
जितना विष हम पिला रहे हैं
नित्य नदी एक मरती होगी।४।
*
चाँद को जब बदसूरत करने
दुनिया रोज उतरती होगी।५।
*
धरती के मन की हर पीड़ा
पलपल और उभरती होगी।६।
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 15, 2021 at 8:04am — 4 Comments
2122 1122 1122 22
फिर खुला याद के कमरे का ज्यूँ रौज़न कोई
त्यों ही फिर दौड़ पड़ा याद का तौसन कोई
शेर में ज़िक्र है कोचिंग व घने कुहरे का
चाहता हूँ किसी रिक्शे पे चले मन कोई
मैंने कुछ शेर केमिस्ट्री के कहे हैं, जिससे
मेरे महबूब के दिल में हो रिएक्शन कोई
किस तरह मैंने सजाया है मेरे दिलबर को
आके देखे मेरी ग़ज़लों का ये गुलशन कोई
शायरी गीत सभी कुछ जो लिखा है मैंने
जान तेरा है असर मेरा नहीं फ़न…
ContinueAdded by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 14, 2021 at 2:08pm — 6 Comments
आणविक अनुप्रस्थान लघु कथा
वेदना से संवेदना हो तो मानवीय प्रकल्प उपजता है ऐसा मेरा सोचना था , तुम क्या सोचती हो इसी विषय में मैं अनभिज्ञ था , फिर एक दिन तुम बिना बताये कहीं चली गई। आभास था जाओगी और वो आभास प्रकटतः घटित भी हुआ। मुझे लेकिन इस अजन्मे विरह का अभ्यास किंचित न था सो मैं खिन्नता से खिसियानी बिल्ली अर्थात बिल्ले सा भ्रमित मन से एकांत में उतर गया। अब तक अपने…
Added by DR ARUN KUMAR SHASTRI on January 12, 2021 at 3:29am — No Comments
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