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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Page

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और निखर जायेगी।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई अमित जी, अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"साथ साथ चलने में देर कितनी लगती है दुश्मनी को टलने में देर कितनी लगती है।१। * हाथ कोई गिरते का बढ़ के थाम ले यारो फिर उसे सँभलने में देर कितनी लगती है।२। * हौसले से  हम  ने  देखा  है  मौत  को टलटे भय से दम निकलने में…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आ. भाई सुशील जी, अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )
"आ. भाई दिनेश जी, सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बनो सब मीत होली में -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

निभाकर  रीत होली मेंदिलों को जीत होली में।१।*भरें  जीवन  उमंगों सेचलो गा गीत होली में।२।*सभी सुख दुश्मनी छीनेबनो सब  मीत  होली में।३।*बहुत विरही तड़पता हैसफल हो प्रीत होली में।४।*किसी को याद मत आयेगयी  जो  बीत  होली  में।५।*लगे अब रोग कहते हैंदुखों को पीत होली में।६।*गिरा दो  रंग  बरसाकरखड़ी हर भीत होली में।७।*यही अरदास है पिघलेंदिलों की शीत होली में।८।***मौलिक/अप्रकाशितलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'See More
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
Mar 18
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Mar 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए है। हार्दिक बधाई।"
Mar 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"दोहे*मचता फागुन मास में, होली का हुड़दंगजीवन हुआ गुलाल सा, मुखमंडल बहुरंग।१।*पुष्पित टेसू डाल का, बाँटे सब को रंगकोई मन सिंचित करे, कोई केवल अंग।२।*मानव जीवन श्रेष्ठ है, करना इस पर गर्वहर जीवन में रंग भर, कहे सनातन पर्व।३।*अमराई की छाँव में, कर होली…"
Mar 16
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। आपका सुझाव अच्छा है। किन्तु उससे मेरा मन्तव्य बदल रहा है। मैंने यहाँ पत्तों से ताली बजवाने के संदर्भ में लिया है। सादर.."
Mar 15
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Mar 15
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी वाह बेहतरीन प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Mar 12
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"छोटी बह्र पर अच्छी ग़ज़ल  ! दूसरे शे'र का सानी यूँ बेहतर होता , ' बजा पात देती है ताली हवा ' , बधाई,' मुसाफिर' साहब  ! "
Mar 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Mar 8
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनारायण जी अभिवादन। गजल पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Mar 7
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Mar 7
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post धूम कोहरा
"आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 6

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Dharchaula,uttarakhand
Profession
teaching

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog

बनो सब मीत होली में -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

निभाकर  रीत होली में

दिलों को जीत होली में।१।

*

भरें  जीवन  उमंगों से

चलो गा गीत होली में।२।

*

सभी सुख दुश्मनी छीने

बनो सब  मीत  होली में।३।

*

बहुत विरही तड़पता है

सफल हो प्रीत होली में।४।

*

किसी को याद मत आये

गयी  जो  बीत  होली  में।५।

*

लगे अब रोग कहते हैं

दुखों को पीत होली में।६।

*

गिरा दो  रंग  बरसाकर

खड़ी हर भीत होली में।७।

*

यही अरदास है पिघलें

दिलों की शीत होली…

Continue

Posted on March 21, 2024 at 6:55am

है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२

नगर भर  चले  दौड़  काली हवा

है खुश खूब झकझोर डाली हवा।१।

*

गिरे फूल कलियाँ विवश भूमि पर

बजा  पात  कहती  है  ताली हवा।२।

*

कभी दान जीवन सभी को दिया

हुई  आज  लेकिन  सवाली  हवा।३।

*

कहाँ  से  प्रदूषण  धरा  का  मिटे

नहीं  सीख  पायी  जुगाली  हवा।४।

*

कँपा शीत में नित बढ़ी जब तपन

गयी   लौट   कुल्लू मनाली   हवा।५।

*

तनिक तो कहीं बात होती है कुछ

किसी की चली कब है…

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Posted on March 6, 2024 at 11:04am — 6 Comments

चलो अब तो साँसों इसे छोड़कर- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२

*

हमें  एक  नदिया  मिली  नाम की

न थी वो किसी प्यास के काम की।१।

*

जिसे देश कहते  हैं  सब राम का

वहीं  पर  फजीहत  हुई  राम की।२।

*

दुखाती है मन जो  महज याद से

करो अब न  बातें  उसी शाम की।३।

*

बिना उस के ये भी परायी गली

शरण में चलें  कौन  से धाम की।४।

*

मिटायेगी  वाणी  सभी  दूरियाँ

मिठासें रखो बस पके आम की।५।

*

चलो अब तो साँसों इसे छोड़कर

घड़ी आ गयी तन…

Continue

Posted on February 29, 2024 at 10:42pm

यहाँ बाँध घन्टी गले दीप के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'



१२२ १२२/ १२२/१२

जिन्हें भाव जग में खले दीप के

वही  कहते  आरे  चले  दीप के।१।

*

यहाँ बाँध  घन्टी  गले दीप के

तमस जी रहा है तले दीप के।२।

*

बहुत लोग भटके यहाँ साँझ को

नहीं एक  हम  ही  छले  दीप के।३।

*

चले है तमस  यूँ  दिखा आँख जो

लगे सब को अब दिन ढले दीप के।४।

*

कहाँ कब जले घर नहीं है पता

इरादे  कहाँ  अब  भले  दीप के।५।

*

परायों से बढ़ आज अपनो से भय

न बाती ही  कालिख …

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Posted on February 28, 2024 at 2:42pm

Comment Wall (17 comments)

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At 10:59am on January 25, 2023, Anita Bhatnagar said…

सादर आभार आदरणीय 

At 3:37pm on December 21, 2021, KullarSaddik said…

अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)

At 8:45am on January 16, 2021, Aazi Tamaam said…

मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं

At 8:39pm on December 3, 2020,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी 

At 11:39pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं

At 8:37am on May 14, 2020, Om Prakash Agrawal said…
आदरणीय
सराहना हेतु सहृदय आभार एवं धन्यवाद
At 4:12pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
हौसला अफजाई के लिए आपका ममनून हूँ आदरणीय
At 4:04pm on August 8, 2018, babita garg said…

शुक्रिया लक्ष्मण जी

At 11:44am on March 3, 2018, Sanjay Kumar said…
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार। कोशिश करूंगा कि कुछ योगदान कर सकूं। बस हौसला अफजाई करते रहिएगा और जहां जरूरी हो तो कुछ सिखा दीजियेगा। सादर
At 7:27pm on March 10, 2016, TEJ VEER SINGH said…

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!आपने मुझे इस क़ाबिल समझा!

 
 
 

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