Added by satish mapatpuri on February 15, 2012 at 1:08am — 5 Comments
Added by rajesh kumari on February 14, 2012 at 10:00am — 3 Comments
आये थे हमसे लड़ने को पर शरमा कर चले गये,
जरा हाथ ही पकड़ा और वो हाथ छुड़ा कर चले गये।
छिप-छिप कर चिलमन से तुमने बहुत इशारे किये प्रिये,
ज़ख्म दिये हर बार जो तुमने सहा किये और सिया किये,
कस कर जरा कलाई थामी दैया कह कर चले गये।
बहुत किया बदनाम ’सरन’ को, सबसे मेरी बातें कीं,
एक एक का हाल बताया हमने जो मुलाकातें कीं,
हमने जब कुछ कहना चाहा, हया दिखा कर चले गये।
खूब पिटाया तुमने हमको यारों-रिश्तेदारों से,
खूब…
ContinueAdded by Prof. Saran Ghai on February 14, 2012 at 5:57am — No Comments
माँ
आज फिर घर पर बहुत झगड़ा हुआ। “अब मैं घर वापिस नहीं आउंगा, नदी में डूब कर मर जाउंगा।” गुस्से से अपनी माँ को बोलकर वो घर से निकल पड़ा।
“माँ, मुझे माफ कर दे, उठ माँ! आंखे खोल। तू आंखे क्यों नहीं खोलती” दोपहर को जब वो गुस्सा शांत होने के बाद घर वापिस आया तो आंगन में पड़ी अपनी माँ से लिपट कर जोर जोर से बोल रहा था।
Added by Ravi Prabhakar on February 13, 2012 at 6:32pm — 2 Comments
Added by Pradeep Bahuguna Darpan on February 13, 2012 at 5:08pm — 8 Comments
ज़ाहिर है पाक साफ़ तख़य्युल ख़राब है,
चेहरा तो चाँद सा है मगर दिल ख़राब है।
कहते हैं मुझसे चीख़ के रंजो मलाले दिल,
राहें तेरी हसीन थी मन्ज़िल ख़राब है।
अपनी अना के ख़ोल में जो खुद छुपा रहा,
उसने भी अलम दे दिया महफिल खराब है।
करते हैं शेख़ जी भी यहाँ ऐबदारियाँ,
इस दौर में तन्हाँ नहीं बातिल ख़राब है।
इक राह आख़िरी थी बची वो भी खो गई,
लगता है ये नसीब मुकम्मिल ख़राब है।
इक दौर में बुलन्दी मेरी…
ContinueAdded by इमरान खान on February 12, 2012 at 1:10pm — 7 Comments
दशहरा मनाते हर साल हम,
पुतला जलाते सदियों बीतीं
कहाँ मरा है रावण अब भी ?
कहा है सुरक्षित अब भी सीता ?.
.
रंग गुलाल उड़ते थे कभी
आती थी जब जब भी होली
भर रहा है बच्चा वच्चा
बम बारूद से अपनी झोली
.
खुशियों के दीप जलते थे
जगमग करती थी दिवाली
लपटें उठती हैं शोलों से
बस्ती जलती है अब खली
.
एकता का पाठ भूले हम
भूल गए मानवता के नारे
काम, क्रोध, लोभ की आग में
सुख शांति सब जल…
Added by praveen singh "sagar" on February 12, 2012 at 10:00am — 1 Comment
दिल लगाया.
वादे बहुत किये.
मोल चुकाया!
*
बाज,बाज है.
गिद्ध, ' दृष्टि' रखता.
चालबाज है.
*
अजगर भी.
बैठ-बैठ के खाते.
अफसर भी!
*
रंग-बिरंगी.
गलियाँ जीवन की.
बड़ी बेढंगी!
*
खून खौलता.
मुट्ठियाँ भींच जाती.
मुख बोलता.
*
अविनाश बागडे.
Added by AVINASH S BAGDE on February 11, 2012 at 10:30am — 8 Comments
तुम .
मेरी चेतना के पंख
रूह के मंदिर में
बजता भोर का शंख
मन की उड़ान
देह की जान
बनती बिखरती कहानी
निर्मल निर्झर का
बहता हुआ सा पानी
फूलों की खुशबू
या वो पवन
जो लाती है वो जादू
जो बना देता है
मतवाला अक्सर .
तुम ही तो हो
ये सब .
फिर क्यों
कभी कभी
मैं हो जाता हूँ
तन्हा.
बताओ तो जरा…
ContinueAdded by Dr Ajay Kumar Sharma on February 9, 2012 at 9:28pm — 1 Comment
हमनशीं राह पे बस और ना छल दो मुझको,
मुझे सीने से लगाओ या मसल दो मुझको।
मसनुई प्यार से अच्छा है के नफरत ही करो,
शर्त बस ये है के नफरत भी असल दो मुझको।
दिले बीमार ने बस कोने मकाँ माँगा है,
मेरी चाहत ये कहाँ ताजो महल दो मुझको।
मेरे बिगड़े हुए हालात में तुम आ जाओ,
वक़्त ए आखिर है के दो पल तो सहल दो मुझको।
डबडबाई हुई आँखों से न रुखसत करना,
बड़ा लम्बा है सफर खिलते कँवल दो मुझको।
Added by इमरान खान on February 8, 2012 at 2:46pm — 10 Comments
जब उठाया घूंघट तुमने,
दिखाया मुखड़ा अपना
चाँद भी भरमाया
जब बिखरी तुम्हारे रूप की छटा
चाँदनी भी शरमायी
तुम्हारी चितवन पर
आवारा बादल ने सीटी बजाई ।
तुमने ली अगंड़ाई, अम्बर की बन आई
तुमसे मिलन की चाह में फैला दी बाहें,
क्षितिज तक उसने
भर लिया अंक में तुम्हें, प्रकृति, उसने
तुम्हारे…
Added by mohinichordia on February 7, 2012 at 6:30am — 10 Comments
डूबती इक नाव होती आदमी की जिंदगी,
ग़र न होतीं जिंदगी में मुस्कुराती पत्नियाँ।
बेसुरा संगीत होती आदमी की जिंदगी,
ग़र न होतीं जिंदगी में गुनगुनाती पत्नियाँ।
गूंजता अट्टहास होती आदमी की जिंदगी,
ग़र न होतीं जिंदगी में खिलखिलाती पत्नियाँ।
मौन सा आकाश होती आदमी की जिंदगी,…
ContinueAdded by Prof. Saran Ghai on February 7, 2012 at 4:42am — 11 Comments
हाँ , आज हुआ है मेरा
Added by राज लाली बटाला on February 6, 2012 at 10:30pm — 21 Comments
मॆरी बात तॊ समझॊ,,,,,,,,,
-----------------------------
उछलॊ मत यार ज़रा,हालात तॊ समझॊ ॥
मैं कह रहा हूं कि, मॆरी बात तॊ समझॊ ॥१॥…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on February 6, 2012 at 10:00pm — 3 Comments
देखें हैं हमने नज़ारे कई , शरारे कही तो बहारें कई ,
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 6, 2012 at 9:00pm — 2 Comments
मांगी जो उनसे जिगर में पनाह हमने ||
देखें ऐसे जो किया हो गुनाह हमने ||
आज तक न मिला मुहब्बत सा बहर गहरा,
देखे लाखों बहर गहरे अथाह हमने ||
हमको उसने भी दिया ना जवाब कोई ,…
Added by Nazeel on February 6, 2012 at 8:10pm — No Comments
छन्न पकैया-छन्न पकैया, जीवन तेरा- मेरा.
रोज डूबता सूरज इसमे, होता रोज सबेरा.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सांसें आती-जाती.
चलने का मतलब है जीवन,रुकना मौत कहाती.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, सुख ही दुःख का कारण.
इस धरती पर कोई घटना , होती नही अकारण.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, कह गए ज्ञानी-ध्यानी.
अपना ही गुण-धर्म निभाते, हवा,आग और पानी.
**
छन्न पकैया-छन्न पकैया, धर्म वही है सच्चा.
जिसे जानता वसुंधरा का, साधो, बच्चा-बच्चा.…
Added by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 8:00pm — 5 Comments
बहुत सोचा कि लिख ही डालूँ
Added by Yogyata Mishra on February 5, 2012 at 4:00pm — 3 Comments
(१)
शक्तिशाली खूब बनो,साहस हो भरपूर.
विनम्रता के भाव ही,मन में रहे प्रचूर.
मन में रहे प्रचूर ,सादगी का गहना हो.
अपनी जरुरत की सरहद में ही रहना हो.
कहता है अविनाश,बढ़ेगी तब खुशहाली.
जीवन अपना और बनेगा शक्तिशाली.
(२)
भाई से भाई टकरा के होते है बरबाद.
दुश्मन के सारे मंसूबे हो जाते आबाद.
हो जाते आबाद,सभी तुम पर हंसते है.
टूटा घर दिखलाकर सब फिकरे कसते हैं.
कहता है अविनाश रोकिये जगत हंसाई
घर का झगडा घर में…
Added by AVINASH S BAGDE on February 5, 2012 at 1:00pm — 6 Comments
वक्त,,,,
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किसी किसी कॊ भला खासा, बना दॆता है वक्त ॥
किसी की ज़िंदगी का तमाशा,बना दॆता है वक्त ॥१॥
कभी चुल्लू भर पानी सॆ, भर दॆता है समंदर कई,…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on February 5, 2012 at 11:30am — 4 Comments
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