उर-विदारक उलझन
बर्फ़ीला एहसास
गूँजता-काँपता
एक सवाल
तुम्हा्रा स्नेह भरा संवेदित हृदय
सुनता तो हूँ उसमें नित्य नि:सन्देह
संगीत-सी तरंगित अपनी-सी धड़कन
फिर क्यूँ तुम्हारे आने के बाद
मन के तंग घेरों में लगातार
सिर उठाए ठहरा रहता है हवा में
आदतन एक ख़याल
एक अंगारी सवाल --
शीशे के गिलास का
हाथ से छूट जाना
तुम्हारे लिए
सामान्य तो नहीं है न ?
…
ContinueAdded by vijay nikore on July 22, 2019 at 7:08am — 4 Comments
मेरे मन की शांत नदी में अविरल बहती भाव लहर हो
मेरे गीतों से निस्सृत अक्षर-अक्षर का गुंजित स्वर हो
मैं तुलसी तुम मेरा आँगन, मैं श्वासों का अर्पित वंदन,
साथी-सखा-स्वप्न सब तुम ही, सच कह दूँ- मेरे ईश्वर हो !
आतुर आँखें आस लगाए राह निहारें लेकिन प्रियतम
साँझ ढले और तुम ना आओ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?
धुआँ-धुआँ बन कर खो जाओ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?
आँखों ही आँखों में दर्पण चीख़ उठेगा तुमको खोकर
एक हरारत होगी दिल में संग…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on July 21, 2019 at 6:56pm — 2 Comments
स्मृतियाँ आजकल
आए-गए अचानक
कांच के टुकड़ों-सी
बिखरी
चुभती
छोटी-से-छोटी घटना भी
हिलोर देती है हृदय-तल को
हँसी डूब जाती है
नई सृष्टि ...
नए संबंध आते हैं
पर अब दिन का प्रकाश
सहा नहीं जाता
सूर्योदय से पहले ही जैसे
हम बुला लेते हैं शाम
मंडराते रह जाते हैं पतंगों की तरह
प्यार के कुछ शब्द
धुंधले वातावरण में भीतर
नए प्यार के आकार की रेखाएँ
स्पष्ट नहीं…
ContinueAdded by vijay nikore on July 21, 2019 at 3:00pm — 2 Comments
तन्हाई में ...
होती है
बहुत ज़रूरत
तन्हाई में
तन्हा हाथ को
अपने से
एक हाथ की
बोलता रहे
जिसका स्पर्श
सदियों तक
अलसाई सी तन्हाई में
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on July 20, 2019 at 8:05pm — 6 Comments
एक गीत प्रीत का
===========
"मुहब्बत की नहीं मुझसे " , प्रिये ! तुम झूठ मत बोलो |
**
लता के सम लिपट जाना , नखों से पीठ खुजलाना |
अधर से चूम लेना मुख,नयन से कुछ कहा जाना |
कभी पहना दिया हमदम,गले में हार बाहों का
अचानक गोद में लेकर,तुम्हारा केश सहलाना |
हथेली से छुपा लेना, तुम्हारा नैन को मेरे
इशारे प्यार के थे या, शरारत भेद यह खोलो |
"मुहब्बत की नहीं मुझसे " , प्रिये ! तुम झूठ मत बोलो…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 20, 2019 at 4:00pm — 8 Comments
Added by Amit Kumar "Amit" on July 19, 2019 at 6:09pm — 3 Comments
सजन रे झूठ मत बोलो ...
रहने दो
मेरे घावों पर
मरहम लगाने की कोशिश मत करो
मैं जानती हूँ
तुम्हारे मन में
मैं नहीं
सिर्फ मेरा तन है
जानती हूँ
रैन होते ही तुम आओगे
कुछ बहलाओगे कुछ फुसलाओगे
धीरे धीरे मैं बहल जाऊँगी
मोम सी पिघल जाऊँगी
न न करते
मर्यादाओं की दहलीज़ लाँघ जाऊँगी
भोर के साथ नशा उतर जाएगा
हर वादा बहक जाएगा
हर बार की तरह
मेरे मन में
फिर आने की कसक छोड़ जाओगे
हर इंतज़ार
बस…
Added by Sushil Sarna on July 19, 2019 at 4:24pm — 1 Comment
दिल के बदले दिया सपना सलोना
नहीं खाली था शायद दिल में कोना
ये माना मैंने तुम सबसे हसीं हो
मगर सोना तो फ़िर भी होता सोना
ना वादा तुम करो मिलने का कोई…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 19, 2019 at 1:30pm — 3 Comments
आप आये अब गले हमको लगाने के लिए
जब न आँखों में बचे आँसू बहाने के लिए
छाँव जब से कम हुई पीपल अकेला हो गया
अब न जाता पास कोई सिर छुपाने के लिए
तितलियाँ उड़ती रहीं करते रहे गुंजन भ्रमर
पुष्प में मकरंद जब तक था लुभाने…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 19, 2019 at 9:26am — 4 Comments
इलाज़ - लघुकथा -
मिश्रा जी की उन्नीस वर्षीय मंझली बेटी मोहल्ले की पानी की टंकी पर चढ़ गयी और शोले के वीरू स्टाइल में चिल्ला चिल्ला कर सारा मोहल्ला, मीडिया और पुलिस वालों को एकत्र कर लिया।
मसला यह था कि वह किसी गैर जाति के सहपाठी से विवाह करने को उतावली थी।
हालांकि अभी उसकी बड़ी बहिन भी क्वारी थी।घर वाले उसे समझा चुके थे कि पहले बड़ी बहिन का विवाह हो जाने दे फिर तेरे मामले को देखेंगे।लेकिन वह उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं थी।
अपना पक्ष मजबूत करने के लिये इस प्रकार…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on July 19, 2019 at 6:30am — 6 Comments
फूल महकते हैं
वे सिर्फ महकते नहीं
अपितु देते हैं एक संदेश
कि अपने भीतर
आप भी भर लें
इतनी महक
कि आपका अस्तित्व ही
बन जाए परिमल
और वह महकाये पूरे विश्व को
बिना किसी यात्रा या भ्रमण के
और खुद दुनिया भर से लोग
आयें तुम्हारे पास
तुम्हारे सुवास से आकर्षित होकर
तुम्हारे परिमल की
एक गंध पाने को
जैसा टूट पड़ते हैं शलभ
किसी दिए पर
बिना किये अपने प्राणों की परवाह
पर तुम जलाना…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2019 at 8:00pm — 2 Comments
Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on July 17, 2019 at 7:30pm — 3 Comments
सुबह से हो रही मूसलाधार बरसात रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी, अब तो दोपहर होने वाली थी. पिछले कई दिनों से बादल छाते तो थे लेकिन बरसने में कंजूसी कर देते थे, मानो इसरार की कामना रखते हों. मौसम पिछले कुछ दिनों की तुलना में काफी अच्छा हो गया था, उमस ख़त्म हो गयी. उसके इलाके में पानी भरने लगा था और आज वह काम पर भी नहीं जा पाया. दुकान में उसका एक दोस्त भी काम करता था, जिसने उसकी नौकरी लगवाई थी, ने मालिक को उसके न आ पाने का बता दिया था.
कल रात की उमस में जब वह खाना खाकर पड़ोस के रहमान भाई के…
Added by विनय कुमार on July 17, 2019 at 5:36pm — 4 Comments
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
सिर्फ़ एक नारा भर नहीँ है
कुछ करके दिखाना भी है
एक क़दम मैंने बढाया है
एक क़दम तुम भी ढ़ाओ
झिझको मत ठहरो मत
आगे बढो और पढाओ…
Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 17, 2019 at 5:30pm — 1 Comment
कण-कण, क्षण-क्षण
मिटती घुटती शाम से जुड़ती
स्वयँ को सांझ से पहले समेट रही
विलुप्त होती अवशेष रोशनी
प्रस्थान करते इंजिन के धुएँ-सी ...
दिन की साँस है अब जा रही
मृत्यु, अब तू अपना मुखौटा उतार दे
हमारे बीच के वह कितने वर्ष
जैसे बीते ही नहीं
कैसी असाधारणता है यह
कैसी है यह अंतिम विदा
मैं तुम्हें याद नहीं कर रहा
तू कहती थी न
“ याद तो तब करते हैं
जब भूले हों किसी को…
ContinueAdded by vijay nikore on July 17, 2019 at 4:56pm — 4 Comments
गुरु पूर्णिमा पर विशेष
गुरु कृपा हो जाए तो सफ़ल सिद्ध हों काम ।
कृपा हनू पर रखते हैं जैसे सियापति राम॥
राम कहें शंकर गुरु ,भोले कहें श्रीराम।
दोनों ही सर्वज्ञ हैं, मैं जाऊं काकै…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on July 16, 2019 at 4:00pm — 1 Comment
गुरु पूर्णिमा के विशेष अवसर पर:-
बह्र:- 2212*4
देते हमें जो ज्ञान का भंडार वे गुरु हैं सभी,
दुविधाओं का सर से हरें जो भार वे गुरु हैं सभी।
हम आ के भवसागर में हैं असहाय बिन पतवार के,
जो मन की आँखें खोल कर दें पार वे गुरु हैं सभी।
ये सृष्टि क्या है, जन्म क्या है, प्रश्न सारे मौन हैं,
जो इन रहस्यों से करें निस्तार वे गुरु हैं सभी।
छंदों का सौष्ठव, काव्य के रस का न मन में भान…
ContinueAdded by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on July 16, 2019 at 3:30pm — 2 Comments
2122 1212 22
.
पूछिये मत कि हादसा क्या है ।
पूछिये दिल मेरा बचा क्या है।।
दरमियाँ इश्क़ मसअला क्या है।
तेरी उल्फ़त का फ़लसफ़ा क्या है
सारी बस्ती तबाह है तुझसे ।
हुस्न तेरी बता रजा क्या है ।।
आसरा तोड़ शान से लेकिन ।
तू बता दे कि फायदा क्या है ।।
रिन्द के होश उड़ गए कैसे ।
रुख से चिलमन तेरा हटा क्या है।।
बारहा पूछिये न दर्दो गम ।
हाले दिल आपसे छुपा क्या है ।।
फूँक कर…
Added by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2019 at 12:00am — 2 Comments
२२१ २१२१ १२२१ २१२
चंदा मेरी तलाश में निकला है रात को!
शायद वो मेरी चाह में भटका है रात को !!
होती है उम्र उतनी ही जितनी कि है लिखी!
जलता दिया भी देखिये बुझता है रात को!!
आँखों के डोरे कर रहे सब कुछ बयां यहाँ!
लगता है तेरा ख्वाब भी उलझा है रात को!!
दुनिया की भीड़ में मेरा दिन तो गुज़र गया!
हर शख्स ही लगा हमें तनहा है रात को!!
बदनामियों के डर से ही हम तो सिहर गए!
हर ख्वाब जैसे अपना …
ContinueAdded by Abha saxena Doonwi on July 15, 2019 at 10:00pm — 3 Comments
अहसास .. कुछ क्षणिकाएं
छुप गया दर्द
आँखों के मुखौटों में
मुखौटे
सिर्फ चेहरे पर
नहीं हुआ करते
.............................
छील गया
उल्फ़त की चुभन को
एक रेशमी खंजर
चुपके से
...........................
झील की आगोश में
चाँद की
चाँद संग सरगोशियाँ
कर गई बेनकाब
सह्र की
पहली किरण
........................
बन जाती
घास पर
ओस की बूँद
रोता है
जब चाँद
आसमान…
ContinueAdded by Sushil Sarna on July 15, 2019 at 6:53pm — 6 Comments
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