For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

September 2012 Blog Posts (200)

गुरु (शिक्षक)

गुरु ऐसा दीजिये प्रभु,चेला बने महान II

गुरु की भी अटकी रहे,चेले में ही जान II

चेले में ही जान,काम ऐसे कर जाए I

खुद का जो हो नाम,मशहूर गुरु हो जाए II

चेला ले गुरु नाम,सदा इश्वर के जैसा I

होवे बेड़ा पार, मिले जीवन गुरु ऐसा II





शिक्षा सदा वशिष्ठ से, पाते हैं श्रीराम I


और है श्रीकृष्ण से,सांदिपनी का नाम II

सांदिपनी का नाम, इश्वर भाग्य विधाता I

चतुर चाणक्य नाम,याद बरबस आ जाता II…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on September 3, 2012 at 8:30am — 10 Comments

हाइगा (एक प्रयास)

प्रस्तुत चित्र मेरे द्वारा बनाया गया है.........

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 8:07am — 10 Comments

"ज़मीं"

ये कहाँ खो गई इशरतों की ज़मीं;

मेरी मासूम सी ख़ाहिशों की ज़मीं; (१)



फिर कहानी सुनाओ वही मुझको माँ,

चाँद की रौशनी, बादलों की ज़मीं; (२)



वक़्त की मार ने सब भुला ही दिया,

आसमां ख़ाब का, हसरतों की ज़मीं; (३)



जुगनुओं-तितलियों को मैं ढूंढूं कहाँ,

शह्र ही खा गए जंगलों की ज़मीं; (४)



दौड़ती-भागती ज़िंदगी में कभी,

है मुयस्सर कहाँ, फ़ुर्सतों की ज़मीं; (५)



गेंहू-चावल उगाती थी पहले कभी,

बन गई आज ये असलहों…

Continue

Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on September 3, 2012 at 3:00am — 32 Comments

मिठास रिश्तों की

अरे ! कहाँ गई !

अभी तो यहीं थी !

लगता है कहीं गिर ही गई

इस आपाधापी में,

हो सकता है कुचल दी गई होगी

किन्हीं कदमों के तले,

या फिर उड़ा ले गया उसे

झोंका कोई हवा का ;

चाहे चुरा ले गया होगा चोर कोई,

लेकिन चुराएगा कौन !

चीज तो काफी पुरानी थी

फटी-चिटी, धूल-धूसरित,

बहुत संभव है फेंक दिया होगा

किसी ने बेकार समझ के

और ले गया होगा कोई

आउटडेटेड आदमी अपने

स्वभाव के झोपड़े में लगाने के लिए ;

कहीं कहानी लिखनेवाले

तो उठा नहीं ले गये…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:23pm — 16 Comments

छ मुक्तक

किस्मत ने हमको रोका, कहा ! मुसुकुराए क्यूँ हो 
हारे हो तुम तो मुझसे लेकिन हराए क्यूँ हो
इतना तो तुमसे सीखा , कभी यूँ न डगमगाना 
कैसी भी  हो डगर पर , सदा तुम सा मुस्कुराना 
_________________________________________
आगोश में हमारे , आना मगर संभलना 
जुल्फों से खेलें हम भी , बूंदों सा तुम बरसना 
देखो तो देखो ऐसे ,  जैसे धरती निहारे बादल 
बस…
Continue

Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 7:05pm — 4 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
साँचा विद्वान (दोहावली )

प्रेम कसूरी उर बसै, वन उपवन मत भाग ,

मृग दृग अन्तः ओर कर, महक उठेंगे भाग ll1ll

**************************************************

आत्मान्वेषण है सहज, यही मुक्ति का द्वार,

बाहर खोजे जग मुआ, भीतर सच संसार ll2ll

**************************************************

पूरक रेचक साध कर, जो कुम्भक ठहराय ,

द्विजता तज अद्वैत की, सीढ़ी वो चढ़ जाय ll3ll

*************************************************

वर्तमान ही सत्य है, शाश्वत इसके पाँव ,

नित्यवान के शीश पर, वक्त…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on September 2, 2012 at 7:00pm — 14 Comments

चार मुक्तक

तुम छोड़ क्या गए हो रूठा है जमाना 

कहते है लोग मुझसे झूठा है ये फ़साना 

मैं पूछता हु उनसे पूजते हो क्यों तुम 

राधिका का था प्रेमी कृष्ण था दीवाना !!



तुम पर हमने कितना ऐतवार किया 

खुद को भूला, इतना बेज़ार किया

शक तुम्हारा कब छोड़ेगा तुम्हारा साथ

हद की हद हो गई इतना इंतज़ार किया



आइना बदलने से , सूरत नहीं बदलती 

जो पत्थर के बने, मूरत नहीं बदलती 

ईमान, खूलूश से जो जीने का हुनर रखते है

हालात…
Continue

Added by yogesh shivhare on September 2, 2012 at 3:30pm — 2 Comments

एक ख्वाहिश जलने की

कभी चिराग बनकर जला

कभी आग बनकर जला

जली हो चाहे किसी की भी खुशियाँ 

लेकिन मैं ही दाग बनकर जला...01

.

सुलग-२ जल रहा जिस्म ये मेरा..

तपते आशियाने ही रहा अब मेरा डेरा..

कभी किसी ने तरस खाकर छोड़ा,

तो कभी किसी के लिए हिसाब बनकर जला....02

.

धोका देकर मुझे…

Continue

Added by Pradeep Kumar Kesarwani on September 2, 2012 at 3:30pm — 2 Comments

मुक्तक

हवा के रुख को जो मोड़े वही बादल घनेरा था 

जगह बारिश की जो बदले वही झोंका हवा का था 

बदल मैं क्यूँ नहीं पाया मोहब्ब्बत इश्क की राहें 

तुम्हे मुझसे रही उल्फत, मगर मुझे इश्क तुमसे था 

-----------------------------------------------------------

अगर मुझको मोहब्बत थी, तुम्हे फिर इश्क हमसे था

अधर में रह गया क्यूँ फिर मोहब्बत का मेरा किस्सा 

लिखावट उस विधाता की , बदल…

Continue

Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 1:00pm — No Comments

सिर्फ उनकी यादें...

मेरे इस दिल का हर साज उनका है,
इस दिल में दबा हर राज उनका है,
चाहे दिन हो या रात उनका है,
सबसे जुदा, अलग अंदाज उनका है,
मैं आज जो भी और जैसा भी हूँ,
मेरी सफलता के पीछे हाथ उनका है,
भले ही आज नाखुश हूँ अपनेआप से पर,
याद कर खुश होता हूँ वो हर याद उनका है,
वो जहाँ भी रहे सदा खुश रहे दुआ है मेरी
मेरा दिल आज भी सिर्फ तलबगार उनका है,
मेरे इस दिल का हर साज उनका है ऐ 'अनिश',
इस दिल में दबा आज भी हर राज उनका है....!

Added by Neelkamal Vaishnaw on September 2, 2012 at 10:30am — 3 Comments

आसमाँ

जैसे
ठहरा हुआ समंदर कोई
गहरे नीले रंग से रंगा...ऐसा आसमाँ
दूर दूर तक फैला  हुआ...
जिसके किसी छोर पर
तुम हो...
किसी छोर पर मैं हूँ
और
हम दोनों के बीच
ये तैरता हुआ सफ़ेद मोती....
सब कुछ वैसा ही है/ कुछ नहीं बदला
बस बदल गयीं हैं,
इस समंदर से अपनी शिकायतें |
पहले ये बहुत छोटा लगता था हमें,
और अब ये समन्दर ख़त्म ही नहीं होता
....मीलों तक......

-पुष्यमित्र उपाध्याय

Added by Pushyamitra Upadhyay on September 1, 2012 at 10:05pm — 4 Comments

वर्षा जल भूजल करो

 

रेल सड़क सब जाम है, उफान में नदियाँ,
वर्षा जल न भूजल कर, बिता रहे सदियाँ // 
 
नदिया सब जोड़ी नहीं, बाढ़ खा रही खेत, 
बाढ़ खा रही खेत सब, किसान हुए अचेत //
 
नदी नाले अवरुद्ध हुए, बस गए वहां अमीर,
कच्ची बस्ती बेघर हुए, विस्थापिक फकीर //
 
बाढ़ नियंत्रण कक्ष बना, नेताओ का दौरा,
नेताओ का दौरा हुआ, राहत…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 5:35pm — 6 Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ३५

मुद्दत हो गई है कुछ भी लिखे, इक अधूरापन समा गया हो जैसे मेरे अन्दर, और गोया ये अधूरापन अपने अधूरेपन के अधूरेपन में ही मुतमईन हो. भोपाल से सफर पे आमादा हुए तीन हफ्ते गुज़र गए हैं और इन तीन हफ़्तों में कई मंज़िलात से गुज़रा- इंदौर-बैंगलोर-चेन्नई-बैंगलोर-मैसूर-बैंगलोर-चेन्नई- और फिर वापस बैंगलोर. आगे आने वाले दिनों में और भी कई जगहों का कयाम करना है- अहमदाबाद, पुणे, नॉएडा, जयपुर.... कभी हवा में थम से गए हवाई जहाज़, कभी लोहे की पटरियों पे दौड़ती रेल, कभी फर्राटे से भागती कार, तो कभी वोल्वो बस की…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 1, 2012 at 5:30pm — 6 Comments

बीत गए वो दिन ,

आज पुरानी वो यादें  ,
मन को लुभा रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,
कितना अच्छा था बचपन ,
कितने अच्छे थे वो दिन ,
रातों की तो बातें छोड़ो  ,
दिन भी होते थे रंगीन ,
उन्ही बातों से मुझे ,
जिन्दगी बहला रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,
.
पाव मेरे छोटे छोटे…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 1, 2012 at 3:00pm — 5 Comments

"निवाले"

"निवाले"



रामू के

विदीर्ण वस्त्रों में छुपी 

कसमसाहट भरी मुस्कान

एहसास कराती है

खुश रहना कितना जरुरी है



दिन-रात

कचरा बीन बीन के 

उससे दो चार निवाले निकाल लेना

कुछ फटी चिथी पन्नियों से 

खुद के लिए और छोटी बहन के लिए भी

एहसास कराता है

कर्मयोगी होने का



रात उसके बगल में सोती है

कभी दायें करवट

कभी बाएं करवट

खुले आसमान के नीचे

उसका जबरन आँखों को मूंदे

भूख को मात देना

परिभाषित करता है आज़ादी…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 2:11pm — 9 Comments

दो मुक्तक

(1) आजमाईश

न ख्वावों पे कर भरोसा कमबख्त टूट भी सकते है
और न यकीं दोस्तों पे कमबख्त लूट भी सकते हैं
हम यूँ ही नहीं कहते आजमाईश की है यारो
रिश्ते आज जो अपने से लगे ,कल छूट भी सकते हैं


(2) बेवजह

ताउम्र हम तेरी यादों में तड़पे
नज़रों से अपने तो आंसू भी बरसे
मगर तुमको हरगिज़ न आया तरस
पागल थे हम बेवजह ही जो तरसे


दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 1:00pm — 3 Comments

इन्सान की जिंदगी

 

इन्सान की जिंदगी भी

क्या जिंदगी है

पल में गम,

और क्षण में ख़ुशी है

कभी संघर्ष का दौर तो

कभी मस्ती भरी है

 

कभी अपने पराये तो

पराये अपने है

जिसको ख़ुशी दी

उसी ने दिल दुखायें है

फिर भी लोगो ने देखो

बंधन हर निभाए है

कभी सपने सजोंये और

कभी ख़ुशी के दीप जलाये है

 

विरह वेदना से छुड़ा

अनुभूति वक़्त दे जाती है

हर्ष उल्लास के गीत सुना

दुःख से मुक्त कराती…

Continue

Added by PHOOL SINGH on September 1, 2012 at 12:18pm — 13 Comments

गीत (टूटा सा ख्वाव हूँ)

टूटा सा ख्वाव हूँ (गीत)



पूछो न कोई मुझसे क्यों पीता शराब हूँ-2

अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-2

--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------



(1) 'दीपक' था नाम जलना था,जलते रहे ऐ-दिल-2

बुझने से पहले बेवफा इक बार आके मिल-2

देती है ताहने दुनियाँ क्या सचमुच ख़राब हूँ

अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२

--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------



(2) दो घूँट पी लिए अगर यहाँ किसका क्या गया -2

अपनें,बेगाने सबके ही दिल…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 11:00am — 8 Comments

भारतीय सेना को समर्पित एक घनाक्षरी.........

भारती के झंडे तले, आए दिवा रात ढले,
देश के जवान चले, माँ की रखवाली में |

बाजुओं में शस्त्र धरें, मौत से कभी न डरें,
साथ-साथ ले के चलें, शीश मानो थाली में |

नाहरों की टोली बने, खून से ही होली मने,
शादियों में तोप चले, गोलियाँ दिवाली में |

भाग जाना दूर बैरी, वर्ना नहीं खैर तेरी,
काट-काट फेंक देंगे, एक-आध ताली में ||

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 1, 2012 at 9:17am — 10 Comments

हाँ वही मेरी प्रिया है

जिसमे राष्ट्रिय मान  भी  हो!

दूजों के प्रति सम्मान  भी हो!

अभिमान नही किंचित मन में,

पर दृढ़मय स्वाभिमान भी हो!

 

वाणी  से  केवल सत्य कहे!

जो सत्य हेतु  हर कष्ट सहे!

निर्बल का जो बल बन जाए!

परदुख से जिसके  नैन  बहें!

उस अदृश्य को ही मैंने, मन समर्पित कर दिया है!

हाँ  वही  मेरी  प्रिया  है, हाँ  वही  मेरी प्रिया है!

 

जो  अत्याचार  विरोधी  हो!

अन्याय-राह   अवरोधी  हो!

पथभ्रष्ट जनों की खातिर…

Continue

Added by पीयूष द्विवेदी भारत on September 1, 2012 at 7:00am — 10 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
12 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
30 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
43 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service