पूरा दिन धूप में गुजर गया रग्घू का, लेकिन आज ठीक ठाक दिहाड़ी मिल गई थी उसको| आजकल मौसम कुछ बदल सा गया है, इस समय तो ठण्ड शुरू हो जाती थी और काम करने में दिक्कत नहीं होती थी, रग्घू सोचते हुए घर की तरफ चला| ठेला चलाना वैसे तो काफी श्रमसाध्य होता है, लेकिन जब घर पर पत्नी और बच्चे इंतज़ार में हों तो कोई और रास्ता भी नहीं बचता| मंडी के पास से गुजरते हुए उसकी नज़र किनारे बैठे एक बुढ़िया पर पड़ी जो केले बेच रही थी| केले पिलपिले और काले हो गए थे लेकिन काफी सस्ते मिले तो उसने एक दर्जन खरीद लिए|…
ContinueAdded by विनय कुमार on October 18, 2016 at 4:24pm — 4 Comments
Added by Seema Singh on October 18, 2016 at 1:48pm — 4 Comments
लम्हा ...
ख़ामोश था
मैं जब तलक
हर तरफ़
इक शोर था
खोली जुबाँ
जो मैंने ज़रा
तो
हर शोर
ख़ामोश हो गया
इक लम्हा
ज़लज़ले में सो गया
इक लम्हा
ज़लज़ला हो गया
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on October 18, 2016 at 1:44pm — 4 Comments
एक ही क्लास में पढ़े हुएI साथ साथ रहते बड़े हुएI मेरे दोस्त ने बेईमानी का रास्ता चुना और नजदीक के शहर में रहते हुए राजनेता बना और में ईमानदारी से गरीबी से लड़ते हुए टीचर बनाI लेकिन दोस्त की अच्छी बात ये रही की वो आज भी मुझसे बातें करता हैI और हर संभव मदद भी करता हैI और अपने शहर में आने का न्योता भी देता हैI आज उन से मिलने का प्लान बना लियाI बजाज का स्कूटर को बीस पच्चीस किक मारकर गर्म किया और अपनी भाग्यवान से धक्का मरवा कर चालू कियाI जैसे ही दोस्त के शहर पंहुचाI एक चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस ने…
ContinueAdded by harikishan ojha on October 18, 2016 at 10:43am — 2 Comments
निशा अपने सात साल के बेटे के साथ दिवाली की खरीदारी करके घर वापिस आ रही थी। रस्ते में कुछ बच्चे पटाखे जला रहे थे। सारे वातावरण में बारूद की गंध और धुँआ फैला हुआ था। अचानक उसके बेटे को तेज खाँसी शुरू हो गई और इतनी बढ़ गई कि वह बेहोश हो गया। लोगों ने मदद करके उनको जल्दी से हस्पताल पहुँचाया। थोड़ी देर बाद वह सामान्य हो गया।
"डॉक्टर साहब, मेरे बेटे को क्या हुआ था? चिंता की बात तो नहीं है ना?"- निशा ने घबराते हुए पूछा।
"हाँ, यह अब ठीक है, लेकिन चिंता की बात तो है। इसे साँस…
ContinueAdded by विनोद खनगवाल on October 18, 2016 at 10:43am — 3 Comments
२१२२ २१२२ २१२
शत्रु ना छू पाय सीमा दोस्तों
सावधानी का ज़माना दोस्तों |
वीर हो बलवान हो तुम पासबाँ
हो बुलंदी पर तिरंगा दोस्तों |
शूरवीरों पर ही आश्रित भारती
शिर न झुकने पाय इसका दोस्तों |
माज़रा सरहद पे उलझा है बहुत
साथ मिलकर ठान लेना दोस्तों |
प्राण से प्यारा हमें कश्मीर है
हाथ से जाने न देना दोस्तों |
मौलिक /अप्रकाशित
Added by Kalipad Prasad Mandal on October 18, 2016 at 10:30am — 8 Comments
Added by नाथ सोनांचली on October 18, 2016 at 4:46am — 2 Comments
अनबोले लम्स ....
आज मेरे
दिल के आईने में
मुझे
तुम नज़र आये थे
तन्हाई थी
मैं थी
और
तुम थे
अपने लम्स के साथ
मेरे ज़िस्म पर
बे-आवाज़
हौले हौले
रेंगते हुए
मेरी
हर
न को
तुम कुचलते रहे
खामोशियाँ
सरगोशियां करती रहीं
लौ भी
कहीं तारीक में
खो गयी
बस
शेष रही
मैं
और
मेरे ज़िस्म के
हर मोड़ पर
तुम्हारे…
Added by Sushil Sarna on October 17, 2016 at 7:51pm — 2 Comments
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 17, 2016 at 7:46pm — 4 Comments
"सर!ये भागवती हत्याकांड के कई पहलू सामने आ रहे है।"
"जैसे कि?"फिर कुछ सोचकर
"ये वही सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी वाली घटना की बात कर रहे हो?जिसकी उसी के कार्यालय में गांव के किसी दबंग ने कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी है।"
हाँ ,हाँ..!वही।दरअसल जितने मुंह उतनी बातें है सर! छोटा सा गांव है जहाँ मृतका पदस्थ थी।कुछ का कहना ये है, कि उच्च जाति का होने के कारण हत्यारे को दलित महिला का अपनी बराबरी से बैठना नहीं सुहाता था ।"
"तो क्या वो भी कर्मचारी था? "
"जी,और मृतका के…
ContinueAdded by Rahila on October 17, 2016 at 4:00pm — 7 Comments
मेरी तालीम का मुझ पर असर है,
जो तेरे सामने झुकती नज़र है ।
बिना गलती के माँगूं मैं मुआफ़ी,
यही रिश्ते निभाने का हुनर है ।
के जब इंसान पत्थर भी जो मारे,
उसे बदले में फल देता शज़र है ।
हर इक चेहरे पे नक़ली मुस्कुराहट,
बड़े फनकार लोगों का शहर है ।
अमीरी में भी कितने ग़म है तुमको,
किसी की बददुआओं का कहर हैं ।…
Added by Ambesh Tiwari on October 17, 2016 at 4:00pm — 11 Comments
221 2121 1221 212
हर मयकशी के बीच कई सिलसिले मिले ।
देखा तो मयकदा में कई मयकदे मिले ।।
साकी शराब डाल के हँस कर के यूं कहा।
आ जाइए हुजूर मुकद्दर भले मिले ।।
कैसे कहूँ खुदा की इबादत नहीं वहां ।
रिन्दों के साथ में भी नए फ़लसफ़े मिले ।।
यह बात और है की उसे होश आ गया ।
वरना तमाम रात उसे मनचले मिले ।।
जिसको फ़कीर जान के लिल्लाह कर दिया ।
चर्चा उसी के घर में ख़ज़ाने दबे मिले ।।
मुझ से न पूछिए कि…
Added by Naveen Mani Tripathi on October 17, 2016 at 3:00pm — 8 Comments
Added by नाथ सोनांचली on October 17, 2016 at 11:47am — 5 Comments
2122 1212 22/112
Added by योगराज प्रभाकर on October 17, 2016 at 11:24am — 25 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2016 at 7:27am — 12 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 17, 2016 at 7:02am — 10 Comments
122 122 122 122
मुहब्बत सभी से जताते नहीं हैं|
मगर दोस्तों से छुपाते नहीं हैं|
हमें तो पता है सबब आशिकी का,
तभी दिल किसी से लगाते नहीं हैं ।
बहुत चोट खाई है अपनों से अब तक
तभी जख्म सबको दिखाते नहीं हैं|।
अमिट कुछ निशां पीठ पर दे गए वो,
नये दोस्त हम अब बनाते नहीं हैं|
कि दौरे मुसीबत में थामा जिन्होंने
तो हर्गिज उन्हें हम भुलाते नहीं हैं।
अगर हो न मुमकिन जो…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 17, 2016 at 12:30am — 8 Comments
युद्ध थम चुका था जश्न भी मना चुके थे पनडुब्बी ,हवाई जहाज ,टैंक बहुत खुश दिखाई दे रहे थे तीनों का सीना गर्व से फूला था| युद्ध की घटनाओं का तीनों ही बढ़ चढ़ कर जिक्र कर रहे थे न जाने कहाँ से वार्तालाप में अचानक मोड़ आया कि एक के बाद एक तीनों ही अपनी अपनी सफलताओं का बखान करने लगे |
टैंक बोला- “सबसे आगे मैं था कुचल डाला सबको मेरा तो डीलडौल और रौब देख कर ही दुश्मन की घिघ्घी बंध गई थी”|
“अरे तुझे क्या पता तेरे ऊपर मैं दुश्मनों को कवर कर रहा था वरना मेरे सामने तेरी क्या…
ContinueAdded by rajesh kumari on October 16, 2016 at 6:00pm — 10 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 16, 2016 at 4:59pm — 4 Comments
Added by नाथ सोनांचली on October 16, 2016 at 4:49pm — 5 Comments
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