Added by Sheikh Shahzad Usmani on December 19, 2015 at 9:15am — 7 Comments
Added by Janki wahie on December 19, 2015 at 7:16am — 6 Comments
बैजनाथ शर्मा 'मिंट'
अरकान - 122 122 122 122
गमख्वार समझा था मक्कार निकला|
जो दिखता था सज्जन गुनहगार निकला|
जिसे…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 17, 2015 at 11:41pm — 9 Comments
गंगा जमुनी परंपरा को
मानव मन में झंकृत कर दो
वेद रिचाएँ महक उठे सब
मंत्रों को उच्चारित कर दो
हे! भारत जागो
गुंफित हो वन उपवन सारे
अवनी को शुभ अवसर दे दो
रुके पलायन गाँव गली का
हृदय में समरसता भर दो
हे! भारत जागो
बलिदानों के प्रतिबिम्बन में
रिश्ते फूलें खुले गगन में
छुपी हुई मंथर ज्वाला को
मानवता में मुखरित कर दो
हे! भारत जागो
रूप तरुण तेरा मन…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on December 17, 2015 at 8:44pm — 6 Comments
Added by Janki wahie on December 17, 2015 at 10:50am — 11 Comments
आदम फितरत है
भई
राम ने आसन्न -प्रसूता
को छोड़ दिया वन में
जीने, भटकने या मरने
भला हो वाल्मीकि का --- I
और कुछ ऐसा ही किया
कृष्ण ने राधा के साथ
छोड़ दिया निराश्रित
जीने, भटकने या मरने I
सीता का अंत तो जानते है सभी
इसी माटी में दफ़न हुयी थी कभी
पर राधा ------?
कब तक तकती रही राह ?
भेजती रही पाती और सन्देश
फिर कहाँ गयी वह ?
कैसे हुआ उसका अंत ?
किसी ने भी याद नही रखा
लानत…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 16, 2015 at 7:19pm — 2 Comments
जोश-ए-वस्ल में हुजूर को, उम्र का तकाजा याद नहीं
तड़पता जिस्म, भरी आँखे, कैसे हुआ कलेजा याद नहीं
भूल गया था वहशी, थी फकत शरारत की इक रात
हया और ज़िल्लत-ए-ज़माना, कब उठा जनाजा याद नहीं
होठों पे हंसी थी उनके और आँखों में चमक झलकी थी
दफ़न ही था दर्दे-दिल फिर, कैसे हुआ अंदाजा याद नहीं
राह बजी जब सीटियाँ, कान बंद और नज़र झुकी रहीं
जुनूने इश्क में जालिम ने, कब कसा शिकंजा याद नहीं
ज़माना क्यों नहीं देखता, मन की…
ContinueAdded by Nidhi Agrawal on December 16, 2015 at 2:44pm — 5 Comments
स्वच्छता की शपथ लेकर,घर- घर अलख जगाना है
भारत स्वच्छ बनाना है, आदर्श देश बनाना है-----------
नागरिक की भागीदारी, जन-सेवा की अब तैयारी
स्वच्छता की जिम्मेदारी , जन-जन की हो भागीदारी
जन-आँदोलन स्वच्छता के , नाम पर चलाना है
भारत स्वच्छ बनाना है ,आदर्श देश बनाना है ------------------
स्वच्छता ही सम्पदा है ,बात यह तुम जान लो
सड़कों ,गलियों की सफाई ,अभियान यह ठान लो
सुव्यवस्थित शौचालय ,कचरा ठिकाने लगाना है
भारत स्वच्छ बनाना है ,आदर्श देश…
Added by kanta roy on December 16, 2015 at 1:45pm — 1 Comment
Added by jyotsna Kapil on December 16, 2015 at 12:32pm — 4 Comments
ग़ज़ल
*******
2222 2222 2222 222
********************************
आग लगाई क्या अपनों ने अरमानों के मेले में
बैठ गया जो आँसू लेकर मुस्कानों के मेले में /1
कर के बहाना सब मरहम का दुखती रग को छेड़ेंगे
घाव खोल कर बैठ न जाना पहचानों के मेले में /2
छोड़ गए हैं अपने अकेला एक अपाहिज बोझ समझ
अब्दुल्ला सा मन होता है अनजानों के मेले में /3
जब तक जेब भरी थी अपनी घर आगन सब अपना था
जेबें खाली तो बदला सब …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2015 at 11:43am — 20 Comments
जाने क्यों
क्या ढूँढ़ने उतरते हो
रात के अंधेरे में ओ कोहरे,
चुपचाप, इस धरती की छाती पर
फिर अक्सर थक कर सो जाते हो
पत्तियों के ठिठुरते गात पर
और सहमी, पीली पड़ गयी
तिनके की नोक पर –
गाड़ी के शीशे से
न जाने कहाँ झाँकने की कोशिश में
चिपक जाते हो तुम,
अक्सर.
सुबह की थाप तुम्हें सुनायी नहीं देती
उद्दण्ड बालक की तरह
धरती का बिस्तर पकड़कर,
मुँह फेरकर सोये रहते हो
जब तक कि फुटपाथ पर
रात भर करवटें…
Added by sharadindu mukerji on December 16, 2015 at 2:30am — 6 Comments
" नानी ,आप दोनों की शादी को पचास साल के ऊपर हो गए i वाऊ "I
"और फिर भी हम दोनों खुश दिख रहे हैं ,ये ही पूछना चाह रही हो ना ?"नाना जी पीछे खड़े मुस्करा रहे थे I
"तब ऑप्शंस कम थे न बेटा , मोबाइल इन्टरनेट कुछ भी नहीं था ,जो माँ बाप ने ढूँढ दिया बस उसी को झेल रहे हैं I"नानी की आँखों में शैतानी थीI
"ऑप्शंस होते तो मैडम इतनी अच्छी खिचड़ी खिलाने वाला मिलता तुम्हे "? नानी के हाथ में गरम खिचड़ी की प्लेट थमाते नाना पास आके बैठ गएI
छःमहीने पहले जब से इस शहर में नौकरी लगी है…
ContinueAdded by pratibha pande on December 15, 2015 at 11:00pm — No Comments
2122 2122 2122 22/112
शाम लिख ले सुबह लिख ले ज़िंदगानी लिख ले
नाम अपने हुस्न के मेरी जवानी लिख ले।
कब्ल तोहमत बेवफ़ाई की लगाने से सुन
नाम मेरा है वफा की तर्जुमानी लिख ले ।
जो बनाना चाहता है खुशनुमा संसार को
अपने होंठो पे मसर्रत की कहानी लिख ले।
मंहगाई बढ़ रही है रात औ दिन चौगुनी
वादे अच्छे दिन के निकले लंतरानी लिख ले।
लाल होगी यह जमी गर इन्सानो के खूँ से
रह न जाएगा अंबर भी आसमानी लिख ले…
Added by Neeraj Neer on December 15, 2015 at 10:46pm — 16 Comments
Added by Samar kabeer on December 15, 2015 at 10:24pm — 7 Comments
हर आने जाने वाले पर
भौंक रहे कुत्ते
निर्बल को दौड़ा लेने में
मज़ा मिले, जब तो
क्यों ये भौंक रहे हैं, इससे
क्या मतलब इनको
अब हल्की सी आहट पर भी
चौंक रहे कुत्ते
हर गाड़ी का पीछा करते
सदा बिना मतलब
कई मिसालें बनीं, न जाने
ये सुधरेंगे कब
राजनीति, गौ की चरबी में
छौंक रहे कुत्ते
गर्मी इनसे सहन न होती
फिर भी ये हरदम
करते हरे भरे पेड़ों…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 15, 2015 at 9:49pm — 4 Comments
अइसई नहीं मिलता
सेवादारी का ओहदा
बड़ी कठिन परीक्षा है
निभा ले जाना ड्यूटी सेवादारी की
हाकिम-हुक्काम तो
कोई भी बन सकता है
सेवादार बनना बहुत कठिन है
सेवादार को होना चाहिए
भाव-निरपेक्ष...संवेदनहीन
अपने ड्यूटी-काल में
और उसके अलावा भी
जाने कौन सा राज़
कब किस हालत में फूट जाए
और लेने के देने पड़ जाएँ
हाकिम बना रहे
हाकिम बचा रहे
हुकुम सलामत रहे
तो रोज़ी-रोटी की है गारंटी
इतनी…
Added by anwar suhail on December 15, 2015 at 5:53pm — 2 Comments
क्या कसूर था उसका ? मन बेबस हो ,बार - बार डायरी के पन्ने पर लिखे उसके नाम पर जाकर ठहर जाती थी। एकटक देखती जाती ,मानो नाम में उसके अक्स दिखते हों , इबारत कर रही थी वह ....! अंगुलियों को फिराते हुए सहला रही थी उन जख्मों को भी , जो वह दे गया था ।
"उमाsss ! कहाँ भावमग्न हो रही है तु ?"
"कहीं नहीं रे ? "- उसने चौंक कर डायरी बंद कर ली , शायद फिर से चोरी पकड़ी गई थी । जिगरी थी और बरसों से रूम पार्टनर भी।
"तुमने सीधी माँग काढ़ ली ? फिर से…
ContinueAdded by kanta roy on December 15, 2015 at 1:00pm — 7 Comments
नई पसंद का जमाना ... (110 वीं रचना )
राम राम भाई
आज दुकान खोलने में बड़ी देर लगाई
हमने भी पड़ोसी को राम राम कहा
और अपनी नासाज़ तबियत का हवाला देते हुए
अपनी दुकान का शटर उठाया
धूप अगरबत्ति जलाकर
उसके धुऐं को दुकान और गल्ले में घुमाया
प्रभु को शीश नवाकर
अच्छी बोहनी के लिए प्रार्थना करके
धूपदानी प्रभु के आगे रखी ही थी कि
एक ग्राहक ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई
हमने चौंक कर
अपनी सुराहीदार गर्दन को
भगवान बने ग्राहक की तरफ घुमाया…
Added by Sushil Sarna on December 15, 2015 at 12:45pm — 4 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 15, 2015 at 8:38am — 6 Comments
Added by Janki wahie on December 14, 2015 at 4:01pm — 3 Comments
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