1. ये यादों का अकूत कारवां है,
नित बेहिसाब चला पर वही खड़ाI
2. तेरी हाथों की लकीरों का दोष,
या मेरी दुआओ का,
अकाट्य प्रवाह पहेली सा I
3. कभी शब्द भी मौन हुए,
कभी मौन मुस्काए है I
कभी अभिव्यक्तियों को पंख लगे,
कभी सन्नाटों के साये है I
4. बातो का सिलसिला टूटा नहीं तेरे जाने से,
बस फर्क इतना है तेरा किरदार भी निभाती हूँ मै I
5. यूँ तो जी भर जिया हमने जिन्दगी को साथ…
ContinueAdded by Dr. Geeta Chaudhary on October 20, 2019 at 8:14pm — 9 Comments
212 212 212 212
याद उसको कभी,मेरी आती नहीं ।
और ख्वाबों से मेरे,वो जाती नहीं ।।
सो रही अब भी वो, चैन से रात भर…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 19, 2019 at 10:30pm — 3 Comments
जैसी हो
अच्छी हो
ऐसी ही रहना तुम
कांटो की बगिया में
तितली सी उड़ जाना
रस्ते में पत्थर हो
नदिया सी मुड़ जाना
भँवरों की…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 19, 2019 at 10:42am — 2 Comments
1222 1222 1222 1222
मुहब्बत के नगर में आँसुओं के कारखाने है,
यहां रहकर पुराने जन्म के कर्ज़े चुकाने हैं.
सड़क पर आके देखों तो झुलस जाओगे शिद्दत से,
समाचारों में तो इस दौर के मौसम सुहाने हैं.
उतर आया अब आँखों में आंगन में भरा पानी,
मेरी चाहत के अफसाने में पटना के फसाने हैं.
फलक पर चाँद चाहे चौथ का हो या हो पूनम का,
हमें त्यौहार सब परदेस में तन्हा मनाने हैं.
कहाँ पे आके बिगड़ी ये कहानी…
ContinueAdded by मनोज अहसास on October 17, 2019 at 8:51pm — 3 Comments
1222 1222 1222
चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम,
अभी उन्वान रिश्ते को नया दो तुम ।
फ़ना ही हो गये जो इश्क़ कर बैठे,
ज़हर है ये,ज़हर ही तो पिला दो तुम ।
हया कायम रहे,कब तक मुहब्बत में,
ज़रा पर्दा शराफत का उठा दो तुम…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 17, 2019 at 8:44pm — 6 Comments
Added by Balram Dhakar on October 16, 2019 at 10:00pm — 9 Comments
Added by विमल शर्मा 'विमल' on October 16, 2019 at 12:59pm — 7 Comments
स्वप्न-सृष्टि
बुझते दिन का सहारा बनी
गहन गंभीर अभागी शाम
मन में अब अपने ही पुराने घाव की
मौन वेदना की गुथियाँ समेटती
बूँद-बूँद गलती
पहले स्वयं सरकती-सी रात की ओर
अंधेरा होते ही फिर घसीट लेती है रात
बेरहमी से अपनी काली कोठरी में …
ContinueAdded by vijay nikore on October 15, 2019 at 4:30am — 2 Comments
2×16
इश्क रुई के जैसा है पर,ग़म से रिश्ता मत कर लेना.
लेकर चलने में आफत हो इतना गिला मत कर लेना.
एक समय ऐसा आता है, सूरज भी मुरझा जाता है,
चार दिनों की गर्दिश में तुम दामन मैला मत कर लेना.
लाख बहाने पास है उसके, अब तो खफा होने के मुझसे,
किंतु मना लेने में उसको अना को रुसवा मत कर लेना.
सबसे अच्छे शब्दों में तुम अपनी बात बता सकते हो,
लेकिन कोई समझ भी लेगा इसका भरोसा मत कर लेना.
व्याकुल माता बचपन से ही बच्चों को…
ContinueAdded by मनोज अहसास on October 15, 2019 at 2:01am — 4 Comments
अनपेक्षित तज्रिबों को लीलती हुई
मन में सहसा उठते घिरते
उलझी रस्सी-से खयालों को ठेलती
गलियाँ पार करती चली आती थी तुम
तब साथ तुम्हारा था
साहस हमारा
तुम्हारी मनोहर महक
थी दमकती हवाओं का उत्साह
और तुम्हारे चेहरे की चमक
थी हमारी शाम की अजब रोशनी
और मैं ...
तुम्हारी बातें सुनते नहीं थकता था
हँसी के पट्टे पर कूदते-खेलते
बीच हमारे कोई सरहदें
सीमाएँ न थीं
समय के पल्लू में…
ContinueAdded by vijay nikore on October 14, 2019 at 9:23am — 8 Comments
डटे रहो तुम अपने पथ पर,
इक दिन दुनिया ये डोलेगी ।
जल,थल और आकाश में जनता,
तेरी ही बोली बोलेगी ।।
कभी डरो ना असफलता से,
स्वाद तुम्हें जो जीत का चखना ।
व्यंग्य करें कितने ही…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 13, 2019 at 6:19pm — 1 Comment
1222 1222 122
जमाने भर की बातें सोचता हूँ
मगर मैं खुद में अब कितना बचा हूँ
सुहानी भोर किस्मत में नहीं है
भला मैं रात भर क्यों जागता हूँ
मुहब्बत एक हरजाई का घर है
मैं उस घर से निकाला जा चुका हूँ
तरफदारी से तेरी क्या है हासिल
मैं अपनों में अकेला पड़ गया हूँ
गुजारी जिंदगी सारी जहाँ पर
मैं अब उस शहर में बिल्कुल नया हूँ
तुझे आवाज देने का सबब है
मैं अब तन्हाई से डरने लगा…
Added by मनोज अहसास on October 13, 2019 at 4:28pm — 4 Comments
किस्से हैं , कहानी है
दुनिया अनजानी है
कोई कब आएगा ?
कोई कब जाएगा ?
कौन जानता भला ?
केवल रवानी है
किस्से हैं - -
अभी तो यहीं था
कैसे चला गया ?
बार-बार दोहराती
बात पुरानी है
किस्से हैं - -
ख़ाली ही आया धा
ख़ाली विदा हुआ
बार -बार पाने की
ज़िद , दीवानी है
किस्से हैं - -
निर्मोही देह में
मोह पोसा गया
पाया न मनभाया
नित- नित कोसा गया
फिर…
ContinueAdded by Usha Awasthi on October 12, 2019 at 9:00pm — 2 Comments
2212 122 2212 122
थम ही नहीं रही है,रफ़्तार ज़िन्दगी में ।
हर दर्द की दवा है,बस प्यार ज़िन्दगी में ।।
बैठो न चुप दबाके, तुम राज़ सारे दिल के ।
जज़्बात का ज़रूरी,इज़हार ज़िन्दगी में ।।
माशूक़ से कलह का,यूं ग़म न कीजियेगा…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 12, 2019 at 9:00pm — 2 Comments
माँ .....
सुनाता हूँ
स्वयं को
मैं तेरी ही लोरी माँ
पर
नींद नहीं आती
गुनगुनाता हूँ
तुझको
मैं आठों पहर
पर
तू नहीं आती
पहले तो तू
बिन कहे समझ जाती थी
अपने लाल की बात
अब तुझे क्यूँ
मेरी तड़प
नज़र नहीं आती
मेरे एक-एक आँसू पर
कभी
तेरी जान निकल जाती थी माँ
अब क्यूँ अपने पल्लू से
पोँछने मेरे आँसू
तू
तस्वीर से
निकल नहीं…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 12, 2019 at 8:27pm — 4 Comments
(१२२२ १२२२ १२२ )
.
नकेलें ग़म के मैं नथुनों में डालूँ
ख़ुदाया मैं भी कुछ खुशियाँ मना लूँ
**
मुझे भी तो अता कर चन्द मौक़े
ख़ुदा मैं भी तो जीवन का मज़ा लूँ
**
मुहब्बत में तिरी है जीत पक्की
भला फिर किसलिए सिक्का उछालूँ
**
हवा जब खुशबुएँ बिखरा रही है
ख़लल क्यों काम में बेकार डालूँ
**
पुराने दोस्त क्या कम हैं किसी से…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on October 12, 2019 at 10:30am — 5 Comments
वो ईश तो मौन है ...
नैनों के यथार्थ को
शब्दों के भावार्थ को
श्वास श्वास स्वार्थ को
अलंकृत करता कौन है
वो ईश तो मौन है
रिश्तों संग परिवार को
छोरहीन संसार को
नील गगन शृंगार को
अलंकृत करता कौन है
वो ईश तो मौन है
अदृश्य जीवन डोर को
सांझ रैन और भोर को
जीवन के हर छोर को
अलंकृत करता कौन है
वो ईश तो मौन है
कौन चलाता पल पल को
कौन बरसाता बादल को
नील व्योम के आँचल को…
Added by Sushil Sarna on October 11, 2019 at 6:23pm — 2 Comments
फूलो की
वादियों से गुजरते हुए
तमाम खिली रौनकों के बीच
हठात वह
मन को खींच लेता है
एक अदना सा फूल
जिसके आगे
हो जाते है
आसमान के सितारे फीके
नीरस लगते है
प्रकृति के सारे उपादान
बेचैन मन को
तब निखिल ब्रह्मांड में
यदि कुछ भाता है
तो सिर्फ वही
अदना सा फूल
बन जाता है जब
अपनी सहजता और सादगी में
साधारण सा वह
अपने ही…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 11, 2019 at 2:05pm — 3 Comments
राहों की इन मुश्किलों से,इंसा तू न डर ।
पानी है तुझे मंजिल,हिम्मत तो ज़रा कर ।।
कि जाना है तुझे अभी,फ़लक से भी आगे ।
दुनिया ये सारी फिर,पीछे तेरे भागे ।।
छोटी-छोटी हारों से,ना खुद को दुखी कर ।
पानी है…
ContinueAdded by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 10, 2019 at 10:30pm — 2 Comments
जाते हो बाजार पिया तो
दलिया ले आना
आलू, प्याज, टमाटर
थोड़ी धनिया ले आना
आग लगी है सब्जी में
फिर भी किसान भूखा
बेच दलालों को सब
खुद…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 10, 2019 at 10:05pm — 11 Comments
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