For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SANDEEP KUMAR PATEL's Blog (238)

कुछ मुक्तक {मुक्तक काव्य "कमला "}

मुक्तक काव्य "कमला "



मन वीणा को झंकृत करती, मीठा स्पंदन हो कमला

छंदों में रस वर्षा करती, रस अभिवंदन हो कमला

निर्झर की पावन झर झर तुम, हंसती हो सरगम जैसा

साधक है खुद स्वर तेरे तो, तुम स्वर गुंजन हो कमला



तन मलयागिर का चन्दन सा, मुखड़ा कुंदन है कमला…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 24, 2012 at 10:40am — 7 Comments

जय जय भारत जय जय भारत

जय जय भारत जय जय भारत

नारद शारद करते आरत

जय जय भारत जय जय भारत



वीरों की जननी है भारत

संतों की धरनी है भारत

अब तो बस ठगनी है भारत

जय जय भारत जय जय भारत



नव नव गुंडे फिरते हैं अब

घोटाले ही करते हैं अब

चोरों की सत्ता है भारत

जय जय भारत जय जय भारत



आतंकी अब मौज मनाते

नक्शल वादी फ़ौज बनाते

दहशत की संज्ञा है भारत

जय जय भारत जय जय भारत



गंगा की धारा है निर्मल

यमुना भी बहती है कल कल

पुस्तक में ऐसा था भारत

जय जय…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 23, 2012 at 10:30am — 12 Comments

बारिश का मौसम

बारिश का मौसम

काले काले मेघ

काली काली जुल्फों के सायों की मानिंद

टिप -टिप टिप- टिप

बूँदें गिरती है

भीगी भीगी जुल्फों से टूटे मोती से

भिगोती है तन

मेरी सानों को छूती…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 21, 2012 at 6:27pm — 9 Comments

दरख्त की पीर कौन समझेगा

इश्क के मजबूत दरख्त में

शक की दीमक लग गयी है

यकीन के सब्ज पत्ते

पीले पड़ पड़ के

रिश्तों की ड़ाल से बेसाख्ता गिर रहे हैं

झूठ के तेज़ झोंके

दरख्त को जड़ से उखाड़ने की फिराक में हैं

सच की माटी जड़ों का…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 21, 2012 at 11:09am — 9 Comments

मेरे शहर की बारिश

मेरे शहर की बारिश

लेकर आती है

ठंडी हवा के झोंकों में लिपटी 

माटी की सोंधी खुशबू 

बेसाख्ता बरसती बूँदें

समेटे प्यार दुलार भरी ठंडक

और तन बदन भिगोती

मन तक भिगो जाती है

लेकिन किसी को ये सब झूठ लगता है

क्यूंकि ये लेकर आती है

घरों की टपकती

छत की टप-टप

तेज़ हवा के झोंको से सरसराहट

दरवाजों पे आहट

बिरह की आग

सखी की याद

धुत्कार भरी तपिश

भिगोती है तन बदन…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 20, 2012 at 10:40am — 9 Comments

शब्-ए-फुरकत है उजालों की जरुरत क्या है

शब्-ए-फुरकत है उजालों की जरुरत क्या है

पास तुम हो तो इशारों की जरुरत क्या है



तुम बसे हो जो बने नूर-ए-खुदा आँखों में

इन निगाहों को नजारों की जरुरत क्या है



दिल लुटे सबके नज़र उसपे पड़ी जैसे ही

बेचने दिल ये बाजारों की जरुरत क्या है…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 15, 2012 at 9:33am — 4 Comments

अब दीप मुल्के इश्क में उन्माद चाहिए

रो मत अरे नादां नहीं ये आब चाहिए

दुनिया बदलने को दिलों में आग चाहिए



दहशत मिटे वहशत मिटे इस मुल्क से मेरे

बिस्मिल,भगत,अशफाक औ आज़ाद चाहिए



लड़ने बुराई से मिटाने गर्दिश-ए-वतन

चट्टान सा तन औ जिगर फौलाद चाहिए…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 11, 2012 at 5:13pm — 9 Comments

पता ही पूछ लेते आप भी मयखाने का

दिखा है आइने में अक्स जो अंजाने का

कोई किरदार था भूले हुए अफ़साने का



मुझे जिसने भुलाया चार दिन की चाहत कर

वही अब ढूंढता है इक बहाना आने का



शराबी मिल गया गुजरात की गलियों में गर

पता ही पूछ लेते आप भी मयखाने का



जरा सी बात पर…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 11, 2012 at 10:19am — 4 Comments

कोई शायर ग़ज़ल से मिल रहा जैसे

सदा मैंने सुनी उसने कहा जैसे

नहीं आती नज़र वो है खुदा जैसे



ग़मों में भी हसीं मुस्कान रखते हैं

कभी पानी न आँखों से बहा जैसे



उसे मैं देख कर खो ही गया मौला


कोई शायर ग़ज़ल से मिल रहा जैसे…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 10, 2012 at 4:46pm — 3 Comments

धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे

लुटेरे वतन के वतन बेच देंगे

धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे



सजावट बनावट जिसे भा रही हो

कली फूल क्या है चमन बेच देंगे



अगर आँख खोली न अपनी अभी तो

फरेबी कलामो- रमन बेच देंगे



बनाया नहीं गर नया कुंड कोई…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 8, 2012 at 9:06am — 8 Comments

हैं हर-सू धमाके अमन हो रहा है

यूँ बदनाम अपना वतन हो रहा है

था धरती कभी अब गगन हो रहा है



जो चढ़ फूल देवों 'प' इतरा रहे हैं

बे-ईमान सारा चमन हो रहा है



जो पग में चुभा था कभी खार बनके

वो झूठा फरेबी सुमन हो रहा है



दी आहूति सपनों भरी अब युवा ने…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 6, 2012 at 6:00pm — 10 Comments

२ मुक्तक

''''''''''''''''''''''''''''''''२ मुक्तक '''''''''''''''''''''''''''''''''''



१.

नित बातों से रस बहता है, जैसे तुम मधु हो मधुवन की

मैं देखूं मुख इक टक तेरा ,खिलती सी कली हो उपवन की

ते तन तेरा ये मन तेरा, दूरी मत देना इक पल की

तुम से ही चलती हैं साँसें, इक तुम ही जरुरत…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2012 at 1:44pm — 5 Comments

खुश्बू से तेरी जब कभी मैं रू-ब-रू हुआ

"""गिरधर ओ मेरे श्याम तुमसे कायनात है

ये सब है तेरा ही करम तुमसे हयात है""""



खुश्बू से तेरी जब कभी मैं रू-ब-रू हुआ

दामन-ए-हिरस-ओ-हबस बे आबरू हुआ



किस्से मैं तेरे सुन रहा हूँ एहतिराम से

पाना है तुझे अब मेरी तू जुस्तजू हुआ



रहमत की नज़र हर्फों में कैसे बयाँ करूँ

आँखों को भिगो कर हमेशा बावजू हुआ



जादू सा तेरा ये करम मैं किस तरह कहूँ

ख्वाबों में दिखा जो वही तो हू-ब-हू…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 4, 2012 at 10:30pm — 6 Comments

माथा सूरज सा दमके, आँखें लगती मधुशाला ||

इन नैनों की खिड़की से, देखा इक योवन आला |

पग पग चल कर आई है , जैसे कोई सुरबाला ||

पुष्पलता सम तन तेरा, मुख चंदा सा उजियाला |

माथा सूरज सा दमके, आँखें लगती मधुशाला ||



निर्झर चाहत का जल हो, तुम हो अमृत सी हाला |

पीकर मन नहिं भरता है, फिर भर लेता हूँ प्याला ||

झूमूं गलियों गलियों में, जपता हूँ तेरी माला |

कोई पागल कहता है , कोई कहता मतवाला ||



सपनों की तुम रानी हो, मन है तेरा सुविशाला…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 4, 2012 at 12:30pm — 6 Comments

मैं काँटों का रस्ता हूँ

तुझको साया कहता हूँ ,  खुद भी तेरे जैसा हूँ



सागर हूँ गहरा लेकिन,  लहरें कहती तन्हा हूँ



मुझसे क्यूँ शरमाते हो,  मैं तो बस आईना हूँ



कहलो गंदा जितना तुम, मैं बस अच्छा सुनता हूँ…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 8:30pm — 6 Comments

रूप घनाक्षरी

प्रति चरण ३२ अक्षर, १६-१६ पर दो विश्राम, इक्त्तीस्वां (३१ वाँ) दीर्घ, बत्तीसवां (३२ वाँ ) लघु

शारदा कृपा कर दो मुझको नादान जान

भरो खाली झोली माता ज्ञान का दो वरदान



मैं तेरा ध्यान कर के छंद की रचना करूँ

देश देश गायें सब भारत की बढे शान



छंद मेरे पढ़ें जो भी…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 7:00pm — 11 Comments

जला के "दीप" वो शोले बुझाने में मजा आए

ग़ज़ल या गीत गा के सुर मिलाने में मजा आए

बने जब धुन जुदा सी तो सुनाने में मजा आए



न सोना हो सका मुमकिन न जगने में सुकूँ पाया

जगे खुद यार को भी यूँ जगाने में मजा आए



गजब है इश्क ये मौला समझना है बहुत मुश्किल

बिछड़ के यार से खुद को रुलाने में मजा आए…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 12:30pm — 6 Comments

साहिबे ईजाद होते जा रहे हैं

बे-अदब आबाद होते जा रहे हैं

इल्म है बरबाद होते जा रहे हैं



देख कर गम इस जमाने का कहें क्या

सब दिले-नाशाद होते जा रहे हैं



गम हमारे देख अपनों को न गम हो

इसलिए हम शाद होते जा रहे हैं



चोर ही जाबित यहाँ पग पग लुटेरे…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 9:30am — 8 Comments

इश्क में बरबाद होते जा रहे हैं

इश्क में बरबाद होते जा रहे हैं

अन सुनी फ़रियाद होते जा रहे हैं



प्यार का हमको सलीका क्यूँ न आया

क्यूँ दिले-नाशाद होते जा रहे हैं



जख्म अब गहरे छुपा के मुस्कुराते

दिन-ब-दिन हम शाद होते जा रहे हैं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 12:00pm — 10 Comments

गहरा है ये सागर बहुत साहिल ही नही है

ये दिल मेरा अब इश्क के काबिल ही नहीं है

बिखरा है जो अब टूट के वो दिल ही नहीं है



हम जीते थे जिस शान से यारों के साथ में

वो छूटे हैं पीछे सभी महफ़िल ही नहीं है



गम हैं मेरा जो जान से मारेगा  एक दिन

जो गम को डाले मार वो कातिल ही नहीं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 1, 2012 at 5:00pm — 16 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service