Added by Sushil Sarna on March 11, 2021 at 8:00pm — 10 Comments
221 - 1222 - 221 - 1222
हम जिनकी मुहब्बत में दिन रात तड़पते हैं
होते ही ख़फ़ा हमसे दुश्मन से जा मिलते हैं
गुलशन में तेरे हर दिन नए ग़ुंचे चटकते हैं
गिर जाते हैं कुछ पत्ते कुछ फूल महकते हैं
माली है तू हम सबका हम भी हैं तेरी बुलबुल
हमको ये शरफ़ हासिल हम यूँ ही चहकते हैं
आँखों में मुहब्बत भर देखा जो हमें तुम ने
छाया है सुरूर ऐसा हम ख़ुद ही बहकते हैं
कुछ ऐसी तपिश तेरे पैकर की हुई…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 11, 2021 at 3:53pm — 8 Comments
2122 1212 22
बे सबब हाव-हू सी रहती है
दाँव पर आबरू सी रहती है
इश्क़ जब भी किसी से होता है
इक अजब जुस्तजू सी रहती है
लम्हा दर लम्हा दिल मचलता है
हर पहर आरज़ू सी रहती है
यूँ लगे की हर एक चहरे पर
सूरत इक हू-ब-हू सी रहती है
मन भटकता है वन हिरन बनकर
खुशबु इक रू-ब-रू सी रहती है
ख़ुद से ही अब वो बात करता है
दिल में इक गुफ़्तगू सी रहती है
जलके सब ख़ाक हो…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 11, 2021 at 1:00pm — 7 Comments
तात के हिस्से में कोना आ गया
चाँद को भी सुन के रोना आ गया।१।
*
नींद सुनते हैं उसी की उड़ गयी
भाग्य में जिसके भी सोना आ गया।२।
*
खेत लेकर इक इमारत कर खड़ी
कह रहा वो बीज बोना आ गया।३।
*
डालकर थोड़ा रसायन ही सही
उसको आँखें तो भिगोना आ गया।४।
*
पा गये जगभर की खुशियाँ लोग वो
एक दिल जिनको भी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2021 at 5:00pm — 12 Comments
221 2122 221 2122
1
दरिया है आँसुओं का कूचे में बेवफ़ा के
जाना वहाँ से यारा दामन ज़रा बचा के
2
इक बात ये बता दे मेरे हसीन क़ातिल
लेता है जान कैसे तू यार मुस्कुरा के
3
पूछेगी इक न इक दिन तुमसे भी ज़िन्दगानी
हासिल हुआ तुम्हें क्या ईमान को गँवा के
4
उल्फ़त की वादियों से रूठे रहेंगे कब तक
देखें तो आप इक दिन दिल इनसे भी लगा के
5
पूछा है आसमाँ से कल रात छत पे आ कर
जीता है किस तरह वो…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on March 10, 2021 at 1:30pm — 12 Comments
२२१/ २१२१/१२२१/२१२
पत्थर ने दी हैं रोज नजाकत को गालियाँ
जैसे नशेड़ी देता है औरत को गालियाँ।१।
*
भाती हैं सब को आज ये चतुराइयाँ बहुत
यूँ ही न मिल रही हैं शराफ़त को गालियाँ।२।
*
ये दौर नफरतों को फला इसलिए जनाब
देते हैं सारे लोग मुहब्बत को गालियाँ।३।
*
दूल्हे को बेच सोचते खुशियाँ खरीद लीं
देता न कोई ऐसी तिजारत…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2021 at 5:30am — 8 Comments
मुखरता से हो रहा बदलाव..... और बदल रही तस्वीर...!
विश्व की अन्य महिलाओं की तरह भारत की महिलाओं को आजादी से जीने और अधिकारों का उपयोग कर सर्वांगीण विकास करने के लिए संघर्ष नही करना पड़ा।समय के साथ सकारात्मक बदलाव भी हुये।पुरूषवर्चस्व क्षेत्रों में अपना उपस्थिति दर्ज कराके अपनी आजादी की नई ईबारत लिखती हौसले बुलंद महिलाओं ने देश-विदेश में अपनी सफलता, उपलब्धियों का परचम फहराया। अपने संघर्ष, मेहनत,जज्बा,जुनून से हर सीमाओं को लांघकर कामयाबी हासिल कर नई ऊंचाईयां छूकर प्रेरणा…
Added by babitagupta on March 8, 2021 at 12:30pm — 3 Comments
किसे सुनाऊँ अपनी पीड़ा, किसको मैं समझाऊँ
सब पत्थर के देव यहाँ हैं, किस से सर टकराऊँ
युग कोई भी यहाँ रहा हो, सबने हमें ठगा है
माँ ममता की मूरत कहकर, देता रहा दगा है
कल जैसी ही आज हमारी, वैसी भाग्य निशानी
जुड़ी उसी से सुन लो यारा, अपनी एक कहानी
शादी के दस साल हुए थे, पर ना गोद भरी थी
बाँझ न रह जाऊँ जीवन भर, इससे बहुत डरी थी
देख किसी बच्चे को सोचूँ, झट से गले लगा लूँ
छाती का मैं दूध पिलाकर, अपनी …
Added by नाथ सोनांचली on March 7, 2021 at 8:14pm — 6 Comments
अरकान- 2122 1212 22
सिर्फ़ इतना हुनर जो पा जाते
काश हम भी किसी के हो पाते
क्यों तुम्हें इतनी जल्दी रहती है
मेरी सुनते कुछ अपनी फ़रमाते
हर किसी से अदब से मिलते हो
अच्छा होता जो थोड़ा इतराते
चारा गर ही हमारा रूठा है
हम किसे ज़ख़्म अपने दिखलाते
फ़िर कहाँ कोई दिल में यूँ चुभता
गर जो रिश्ता सभी से तोड़ आते
चाहतों में भी यूँ तो दीवाने
जी ही पाते हैं की न मर…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 7, 2021 at 1:30pm — 4 Comments
बच्चे सरायों में नहीं
घरों में पलते हैं
व्यक्तित्व आया से नहीं
माँओं से बनते हैं
कितनी जल्दी लोग
पाला बदल लेते हैं
आज गँठजोड़ किसी से
कल,किसी और से कर लेते हैं
क्या कहें वक्त के सफ़र को हम
जहाँ निजता की चाह होती है
एक ही घर के बन्द कमरों में
अब,मोबाइल से बात होती है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on March 6, 2021 at 1:25am — 8 Comments
2211 2122 1221 1222 12
चाहत में सिवा ही चाहत के क्या क्या न सनम हमको मिला
हर जख्म मिला है दिल को यूँ मरहम न सनम हमको मिला
किस को है पता यहाँ कौन कब हो जाये यूँ ही बे-वफ़ा
हम जान लुटा आये अपनी फिर भी न सनम हमको मिला
ता उम्र लगा रहा इश्क में भी यूँ तो मिलना बिछड़ना
मिलके न जुदा हो पर कोई ऐसा न सनम हमको मिला
थोड़ा तो क़रार आये या रब इस दिल ए बेजार को
थोड़ा भी सुकूँ गो चाहत में आखिर न सनम हमको…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on March 5, 2021 at 10:00pm — 2 Comments
दीप की लौ से निकलती रौशनी भी देख ली
और उस की छाँव बैठी तीरगी भी देख ली।१।
*
वोट देकर मालिकाना हक गँवाया हमने यूँ
चार दिन में सेवकाई आपकी भी देख ली।२।
*
दुश्मनी का रंग हम ने जन्म से देखा ही था
आज संकट के समय में दोस्ती भी देख ली।३।
*
आ न पाये होश में क्यों आमजन से दोस्तो
दे के उस ने तो हमें संजीवनी भी देख ली।४।
*
खूब…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2021 at 2:09pm — 20 Comments
2122 1212 22/112
शम्स हरदम छुपा नहीं रहता
बादलों से ढका नही रहता (1)
लोग मुझको न ढूँढ पाएँगे
मैं कहाँ हूँ पता नहीं रहता (2)
इश्क़ में काम इतने होते हैं
फिर कोई काम का नहीं रहता (3)
लोग आपस में बाँट लेते हैं
मेरा हिस्सा बचा नहीं रहता (4)
हम सभी मिल के एक होते तो
मुल्क इतना बँटा नहीं रहता (5)
लौट आया है सुख मिरे घर में
देख रहता है या नहीं रहता (6)
इक न इक…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on March 5, 2021 at 4:42am — 5 Comments
उतरा है मधु मास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !
जन गण के तन मन सुरा घुली
गुनगुनी धूप की चोट लगी
कली खुल, वन प्रसफुटित हुई,
मुस्काय बेला चमेली है !
उतरा है मधुमास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !!
कमल खिले हैं सरोवरों मेंं
मौज करे हम नावों में
मगन चिड़िया झील के तन हैं
वर बसन्त, प्रकृति मुस्काई है !
उतरा है मधुमास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !!
बाण चलाया कामदेव ने
घायल चम्पा गुलमोहर…
Added by Chetan Prakash on March 5, 2021 at 1:30am — 3 Comments
22/22/22/22/22/22
जब मैं सोलह का था, और तुम तेरह की थी
मैं भी भोला सा था, तुम भी मीरा सी थी।
दिल तब बच्चा सा था, आलम अच्छा सा था..
बातें सच्ची सी थीं, आँख वो वीणा सी थी।
शामें खुशबू सी थीं, रातें जादू सी थीं..
दुनिया दिलकश सी थी, मोहब्बत पहली थी।
बारिश प्यारी सी थी, पतझड़ क्यारी सा था..
गर्मी शीतल सी थी, सर्दी आँचल सी थी ।
दुपहर साया सा था, तुमको पाया सा था..
दिल के द्वारे पे धक-धक दस्तक तेरी…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 11:00pm — 6 Comments
122-122-122-122
निगाहों-निगाहों में क्या माजरा है
न उनको ख़बर है न हमको पता है
न तुमने कहा कुछ न मैंने सुना है
निगाहों से ही सब बयाँ हो रहा है
ख़ुमारी फ़ज़ा में ये छाई है कैसी
ख़िरामा ख़िरामा नशा छा रहा है
मुहब्बत की ऐसी हवा चल पड़ी ये
मुअत्तर महब्बत में सब हो गया है
मिलाकर निगाहें तेरा मुस्कुराना
मेरे दिल पे जानाँ ग़ज़ब ढा गया है
निगाहें …
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 4, 2021 at 10:28pm — 2 Comments
Added by amita tiwari on March 4, 2021 at 8:30pm — 1 Comment
22 22 22 22
इश्क मुहब्बत चाहत उल्फत
रश्क मुसीबत रंज कयामत।
**
किसको क्या होना है हासिल
कोई न जाने अपनी किस्मत।
**
क्यूँ मैं छोडूं यार तेरा दर
हक है मेरा करना इबादत।
**
देख ली हमने सारी दुनिया
तुझसी न भायी कोई सूरत।
**
जोर आजमा ले तू भी पूरा..
देखूँ इश्क़ मुझे या वहशत?
**
'जान' ये दिन भी कट जायेंगे
देखी है जब उनकी नफरत।
**
तेरे ही दम से सारे भरम हैं
वर्ना क्या दोज़ख़ क्या…
Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 5:00pm — 11 Comments
ये जो है लड़की
हैं उसकी जो आँखे
हैं उनमें जो सपने
जागे से सपने
भागे से सपने
सपनों में
पंख
पंखों में
परवाज
बंद खामोशी में पुरज़ोर आवाज
आवाज़ में
वादा
बहुत सच्चा, बहुत सीधा -बहुत सादा
कि
मुझे आसमान दे दो
छोटा सही इक जहान दे दो
बदले में देती हूँ वादा
कि अकेली आसमान नहीं ओढ़ूँगी
ओढ़ ही नहीं पाऊँगी
ऐसी ही बनी हूँ मैं
स्वंय को छोड़ ही नहीं…
ContinueAdded by amita tiwari on March 3, 2021 at 10:00pm — 2 Comments
22 22 22 22 22 22 22 22
जब तन्हाई में यादों की बरसात ठहर सी जाती है
इक हूक सी उठती है दिल में ह'यात ठहर सी जाती है
चुपके चुपके आँखों ही आँखों में इश्क़ जवाँ होता है
गर जुम्बिश ना हो आँखों में शुरुआत ठहर सी जाती है
हर पल मिलने की चाहत में पल पल बेताबी रहती है
दिन ढलते ढलते ढल जाता है रात ठहर सी जाती है
होठों पर बात न आ जाये दिल बेचैनी में रहता है
होठों पर आते ही दिल की हर बात ठहर सी जाती है
रह रह कर आहें…
Added by Aazi Tamaam on March 2, 2021 at 9:30pm — No Comments
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