Added by rajni chhabra on August 15, 2012 at 12:30pm — 3 Comments
Added by Mukesh Kumar Saxena on August 15, 2012 at 11:30am — 3 Comments
भारत प्यारा वतन हमारा सबसे सुन्दर न्यारा देश
Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 15, 2012 at 11:30am — 9 Comments
आज लगते ही तू लगता है चीखने
"आ ज़ाऽऽऽ दीऽऽऽऽऽऽऽऽ...."
घोंचू कहीं का.
मुट्ठियाँ भींच
भावावेष के अतिरेक में
चीखना कोई तुझसे सीखे .. मतिमूढ़ !
…
ContinueAdded by Saurabh Pandey on August 15, 2012 at 11:30am — 43 Comments
रंग बिरंगा देश है मेरा
रंग बिरंगी शान है
सारी दुनिया कहती है , सुनलो …
भारत देश महान है !
Added by Ranveer Pratap Singh on August 15, 2012 at 11:30am — 5 Comments
" बधाई – कुण्डलिया "
ओ.बी.ओ. के फलक पर , देखा है संदेश
मना रहे हैं जन्म-दिन , गुप्ता चंद्र दिनेश
गुप्ता चंद्र दिनेश , कहे जाते हैं रविकर…
Added by अरुण कुमार निगम on August 15, 2012 at 10:19am — 4 Comments
आता है हर साल मेरे राह में गुजर
शहिदों की यादें लिए त्यौहार को नमन
वो तो चले गये जो सदा रहेंगें अमर
उनके खूँ के गर्मी के उपकार को नमन
सम्हालना था जिन्हें इस देश की डगर
जाने कहाँ खो गये उनका भी हो नमन
लूटने…
ContinueAdded by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 1:20am — 6 Comments
है मुझे अपने वतन पर बड़ा ही नाज़
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on August 14, 2012 at 11:57pm — 1 Comment
''
ओ बी ओ के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
दिशा जागो तुमने आज कालेज जाना है न ''जागृति ने अपनी प्यारी बेटी को सुबह सुबह जगाते हुए कहा |दिशा ने नींद में ही आँखे मलते हुए कहा ,''हाँ माँ आज स्वतंत्रता दिवस है , हमे अपने कालेज के ध्वजारोहण समारोह में जाना है और इस राष्टीय पर्व को मनाने के लिए हमने बहुत बढ़िया कार्यक्रम भी तैयार किया हुआ है ,''जल्दी से दिशा ने अपना बिस्तर छोड़ा और कालेज जाने की तैयारी में जुट गई| दिशा को कालेज भेज कर जागृति…
ContinueAdded by Rekha Joshi on August 14, 2012 at 11:00pm — 2 Comments
कवि तेरे भी
कवि तेरे भी मन में
कोई तो विरहिणी
रहती है
श्वेत शीत पड़ी
किरण देह सी…
Added by राजेश 'मृदु' on August 14, 2012 at 10:30pm — 6 Comments
सिमटते दायरे
मजहब और कौम के दायरे में
हम सिमट गए;
इन्सान की इंसानियत से
हम भटक गए.
जो गलियां-ओ-कूँचे रौशन थे
गुल्जरों से;
वो इन्सान की दरिंदगी से
वीरान हो गए.
जो कहते थे;
बहिश्त जमीं पे लायेंगे,
वो गैरों के टुकड़ों…
Added by Veena Sethi on August 14, 2012 at 5:30pm — 3 Comments
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 14, 2012 at 3:25pm — 4 Comments
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 14, 2012 at 2:52pm — 1 Comment
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 14, 2012 at 2:39pm — 3 Comments
हे भारत के लोगों जागों
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 14, 2012 at 2:30pm — 3 Comments
बचपन !
आज मन मेरा फिर मुस्कुराया है
बचपन का दिन आज याद मुझे आया है
यादों ने फिर एक गीत सुनाया है
बचपन का दिन आज याद मुझे आया है…
स्कूल से घर आकर बसते का पटकना
तपती हुई धुप में बस यूँ ही भटकना
आइने के सामने मस्ती में मटकाना
पापा के कंधे पर जबरन…
ContinueAdded by Ranveer Pratap Singh on August 14, 2012 at 1:12pm — No Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on August 14, 2012 at 12:41pm — 2 Comments
ऑनर किलिंग पर एक रचना
बेटियां मरती नहीं
मेरे बालों में
वही फूलोंवाली क्लिप
अभी भी लगी है
और फैली है
मेरे चेहरे पर
तुम्हारी…
Added by राजेश 'मृदु' on August 13, 2012 at 9:50pm — 7 Comments
रामानुज के छोटे भाई शिवशंकर अन्तरिक्ष संचार विभाग में कार्यरत थे |विभाग के उपमहा प्रबंधक धोकलराम पंवार ने शिवशंकर को आकाशपुर की स्टेशनरी फर्मो से निविदाए एवं साथ में बंद लिफाफे एकत्रित कर प्रस्तुत करने का कार्य करने का निर्देश दिया | डी.जी.एम् धोकलराम पंवार को उसने बताया कि उसकी सेवा निवृति होने में अब 15 माह का समय ही शेष बचा है, अतः यह कार्य किसी अन्यसे सम्पादित करावे | डी.जी.एम्. पंवार ने कहा कि सेवा निवृति से पूर्व,मै चाहता हूँ कि आप भी लाभ ले लो,फिर आपकी इमानदार छवि के चलते किसी को कोई…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 13, 2012 at 4:00pm — 9 Comments
"शहरीकरण"
संस्कृति
चीखती कराहती
बिलखती
अपने चिरंजीवी
होने के अभिशाप को लिए
नग्न पड़ी है
आधुनिकता के गुदगुदे बिस्तर पे
उसकी इज्ज़त तार तार करने वाले…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on August 13, 2012 at 2:03pm — 8 Comments
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