पूरी रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था वो ,फिर भी काइनेटिक में सवार पिज़्ज़ा वाले लड़के से आगे नहीं निकल पा रहा था Iपिज़्ज़ा वाला पीछे मुड़ मुड़ कर उसे देखता हुआ हंस रहा था Iतभी उसने देखा कि पिज़्ज़ा वाले के पीछे निशा भी बैठी है I" रुक जा , आज मै तुझसे पहले टाइम पर पहुँच जाऊँगा, और निशा तुम कहाँ जा रही हो ?सुनो तो ,निशा ..निशा " वो जोर से चीखा I
"क्या चिल्ला रहे हो नींद में अरुण ?"पत्नी निशा उसे झंकझोर रही थी Iपसीने से लथ पथ वो उठ बैठा I
"निशा " पत्नी का हाथ पकड़ लिया उसनेI "सॉरी ,कल रात भी…
ContinueAdded by pratibha pande on January 4, 2016 at 4:00pm — 10 Comments
उड़ाया किसी ने किसी ने कमाया मुझे क्या
कहाँ अब्र बरसा कहाँ धूप छाया मुझे क्या
जहाँ पे खड़ा था वहीँ पे खड़ा हूँ कसम से
पुराना गया है नया साल आया मुझे क्या
सदा ये सलामत रहें पाँव मेरे सफ़र में
ये पेट्रोल डीजल बढ़े या किराया मुझे क्या
नया साल आया मची हाय तौबा, बला से
कहाँ कुछ करिश्मा खुदा ने दिखाया मुझे क्या?
न मेरा मुकद्दर हुआ टस से मस तो फिर क्यूँ
वही गीत गाऊँ उन्होंने जो गाया मुझे…
ContinueAdded by rajesh kumari on January 4, 2016 at 12:30pm — 18 Comments
भव्य आॅफिस। उसका पहला साक्षात्कार ...... , घबराहट लाजमी था । इसके बाद दो साक्षात्कार और । पिता नहीं रहे। घर की तंगहाली ,बडी़ होने का फ़र्ज़ ,नौकरी पाना उसकी जरूरत , आगे की पढाई को तिरोहित कर आज निकल आई थी ।
" पहले कभी कोई काम किया है ? "
"जी नहीं , यह मेरी पहली नौकरी होगी । " गरीबी ढीठ बना देती है उसने स्वंय में महसूस किया ।
" हम्म्म ! इस नौकरी को आप क्यों पाना चाहती है ?"
" कुछ करके दिखाना चाहती हूँ , यहाँ मेरे लिए पर्याप्त अवसर है…
ContinueAdded by kanta roy on January 4, 2016 at 10:02am — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
कभी इनकार लिख देना कभी इकरार लिख देना|
अगर मुझसे मुहब्बत है तो बस तुम प्यार लिख देना|
कि दिल की बात को दिल में दबाना छोड़कर दिल से,
वफ़ा-उल्फत-मुहब्बत पर भी कुछ अशआर लिख देना।
हमारे राजनेता पर भी थोड़ी बात हो जाए,
डुबाते हैं ये कश्ती को इन्हें बेकार लिख देना|
मेरा महबूब गर तुमसे मेरा जो हाल पूछे तो,
बड़ी संजीदगी से तुम दिले बीमार लिख देना|
तिरंगे में…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on January 3, 2016 at 8:30pm — 11 Comments
122 122 122 12
हमें मत भुलाना नये साल में
मुहब्बत निभाना नये साल में
ख़ुदा से दुआ आप मांगें यही
बढ़े दोस्ताना नये साल में
सुख़नवर फ़क़त तू हि बेहतरनहीं
न यह भूल जाना नये साल में
तुम्हारी ख़ुशी में ख़ुशी है मेरी
न आंसू बहाना नए साल में
खफ़ा हैं कई साल से यार जो
उन्हें है मनाना नए साल में
गये साल पूरी न हसरत हुई
गले से लगाना नये साल…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on January 3, 2016 at 6:00pm — 7 Comments
"निर्मला, कुछ सुना तूने,दौनों देशों में समझौता हुआ है! छब्बीस जनवरी को सारे कैदियों की अदला बदली होगी!तेरा भाई छुट्टन भी वापस आ जायेगा"!
"ताई सुना तो है,पर जब तक छोटू को सामने नहीं देख लेती, मुझे किसी पर भरोसा नहीं "!
"निम्मो,मुझे सब पता है! तुझे क्या क्या पापड बेलने पडे ! छुट्टू तो बेचारा सात साल की उम्र में इनके चुंगुल में फ़ंस गयाथा ! दोस्तों के उकसावे में अपनी गैंद लाने सरहद पार चला गया था "!
"ताई, छुट्टू के साथ साथ फ़ंसा तो हमारा पूरा परिवार ही था, इन ज़ालिमों की…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on January 3, 2016 at 4:00pm — 13 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 3, 2016 at 11:55am — 3 Comments
दिन में क्षण क्षण परेशान करते मीडिया तथा समाज के कटाक्ष और रात में एकाकी जीवन की भयावह राते। विलासिता की आदी हो चुकी कामना के लिए जब ये सब असहनीय हो गया तो विवश हो उसे एक ही रास्ता नज़र आया और वो उसकी ओर चल पड़ी। नशे की अत्यधिक मात्रा से अर्धचेतना में जाती कामना अतीत में खोती चली गयी।...........
"वर्षो पहले मिस मनाली का ताज पहनाते युवा विवाहित नेता मणिधर की पहचान से शुरू हुआ अनन्त इच्छाओ का आकाश कब 'लिव इन रिलेशनशिप' में बदला और कब उसने मातृत्व के सुख को पा लिया पता ही नहीं चला, लेकिन…
Added by VIRENDER VEER MEHTA on January 3, 2016 at 9:30am — 2 Comments
मैं हूँ शिखा
उस टिमटिमाते दीप की
कि जिसको है
हवा का शाश्वत भय
चुप क्यों खडा है तब
आ मार निर्दय !
मार खाने को बनी हैं
नारियां सुकुमारियाँ
मैं कांपती हूँ निरंतर
शिखा जो हूँ
प्रज्वलित उस दीप की
(मौलिक अप्रकाशित )
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 2, 2016 at 6:09pm — No Comments
बह्र : २१२२ २१२२ २१२२ २१२
जो मुझे अच्छा लगे करने दे बस वो काम तू
ज़िन्दगी सुन, ज़िन्दगी भर रख मुझे गुमनाम तू
जीन मेरे खोजते थे सिर्फ़ तेरे जीन को
सुन हज़ारों वर्ष की भटकन का है विश्राम तू
तुझसे पहले कुछ नहीं था कुछ न होगा तेरे बाद
सृष्टि का आगाज़ तू है और है अंजाम तू
डूबता मैं रोज़ तुझमें रोज़ पाता कुछ नया
मैं ख़यालों का शराबी और मेरा जाम तू
क्या करूँ, कैसे उतारूँ, जान तेरा कर्ज़ मैं
नाम…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 2, 2016 at 12:00pm — 10 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2016 at 8:40am — 7 Comments
"आज की रात वह बहुत ख़ुश था,कारण कि सुबह उसे नोकरी मिलने वाली थी,दो साल तक ठोकरें खाने के बाद एक दिन उसने समाचार पत्र में 'माइकल इंटरप्राइसेस' का विज्ञापन देखा,अर्ज़ी दी,इंटरव्यू कॉल आया और उसे इंटरव्यू में सिलेक्ट कर लिया गया,फ़र्म के मालिक मिस्टर माइकल उसकी क़ाबिलियत से बहुत मुतास्सिर हुए,उन्होंने कहा कल अपॉइंटमेंट लैटर मिल जाएगा ।
वह एक छोटे से शह्र का रहने वाला था और उसे बड़े शह्र में नोकरी की तलाश थी,गुज़र बसर के लिये बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था,किराए का एक कमरा उसे रहने के लिये मिल…
Added by Samar kabeer on January 1, 2016 at 11:00pm — 10 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 1, 2016 at 7:56pm — 5 Comments
प्याज सब्जियाँ आलू दाल, किया हमें सब ने बेहाल।
खट्टी मीठी कड़वी यादें, देकर बीता पिछला साल॥
चारों तरफ से कर्जा उस पर, सभी फसल बर्बाद हुए।
आत्महत्या किसानों ने की, बात दुखद गंभीर सवाल॥
दस राज्य केंद्र में शासन है, पर बढ़ा मांस निर्यात।
चौंकाने वाली ये खबर है, गौ माता भी हुई हलाल॥
करोड़ों खर्च हुए संसद पर, काम के नाम पे ठेंगा है।
बस नारेबाजी बहिर्गमन, पुतलों का दहन, हड़ताल॥
आरोप और प्रत्यारोप हुए, मंत्री विधायक…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2016 at 7:37pm — 4 Comments
क्यों लेटी हो गुमसुम सी,
सिर्फ एक अंगडाई दो मुझे ,
ऐसे न दो तुम विदाई मुझे,
रास आती नहीं जुदाई मुझे !
क्यों चुप हो सन्नाटे सी,
कभी तो सुनाई दो मुझे
लें आती थी खुशबू तुम्हारी,
फिर वही पुरवाई दो मुझे !
सर्द रातों में रजाई ओढ़ातीं,
फिर वही रजाई दो मुझे
जिससे चिराग रोशन करतीं,
फिर वही दियासलाई दो मुझे !
जिससे मन में सुर घोलतीं
फिर वही शहनाई दो मुझे
जिससे गीत लिखे थे…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on January 1, 2016 at 7:15pm — 2 Comments
Added by Mamta on January 1, 2016 at 4:01pm — 8 Comments
कोयला खदान की
काली अँधेरी सुरंगों में
निचुड़े तन-मन वाले खनिकर्मी के
कैप लैम्प की पीली रौशनी के घेरे से
कभी नहीं झांकेगा कोई सूरज
नहीं दीखेगा नीला आकाश
एक अँधेरे कोने से निकलकर
दूसरे अँधेरे कोने में दुबका रहेगा ता-उम्र वह
पता नहीं किसने, कब बताया ये इलाज
कि फेफड़ों में जमते जाते कोयला धूल की परत को
काट सकती है सिर्फ दारु
और ये दारू ही है जो एक-दिन नागा…
Added by anwar suhail on January 1, 2016 at 3:30pm — 3 Comments
१२२२ १२२ १२२२ १२२
मैं अपना घर सम्भालूँ वो अपना घर संभालें
ये बंदूकें हटा लें अमन से हल निकालें
झुलसती अब है धरती नहीं जमता हिमानी
अगन पीकर मही की चलो नदियाँ बचा लें
गले रोजाना मिलते , मिलाते हाथ भी हैं
कभी तो ऐ पड़ोसी दिलों को भी मिला लें
कली मुरझा रही है सिसकते हैं ये भंवरे
जहाँ में है अँधेरा चरागों को जला लें
बहुत रूठे हुए हैं हमारे अपने हमसे
चलो खुद आगे बढ़कर के रूठों…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2016 at 10:34am — 8 Comments
200
वही रवि, वही किरण,
वही धरा, वही गगन,
शीत के पुनीत कर्म में जुड़ा वही पवन।
वही रजनी, वही दिवा,
वही संध्या , वही उषा,
मयंक भी भटक रहा लिये सतत जिजीविषा।
पुरा वही, वही नया ,
कहें सभी नया, नया,
बदल रहे हैं मात्र अंक, बदल रही सतत प्रभा।
इसी गणन में अटका मन
निहारता रूपान्तरण,
किसे कहें विदा और करें किसका स्वागत जतन।
मौलिक एवं अप्रकाशित
०१ जनवरी…
ContinueAdded by Dr T R Sukul on January 1, 2016 at 9:00am — 6 Comments
2122 2122 2122 212
कामना आ ओ करें ऐसी जहाँ में रीत हो!
भूल जायें भेद सब नव वर्ष में बस प्रीत हो!!
पुष्प मुकुलित हों प्रिये आये मधुप लेकर नवल
रसभरी मधु-मालती को सिक्त करता गीत हो।
ज्योत्सना ऐसी खिलेअब रे खिले जन-मन मृदुल
हों सभी उन्मुक्त मन फिरअब नहीं कुछ भीत हो।
पी अमर रस पीक जब टेरे खड़ा फिर रे पिकी
छेड़ती हो धुन अमर गुंजित जहाँ हो जीत हो।
हों नियति के सब सभासद रुख लिए अनुकूल ही
हो निशा का अंत फूटे रोशनी नव नीत हो।
चंप-लतिका फेरती हो शीश…
Added by Manan Kumar singh on January 1, 2016 at 8:30am — 6 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |