क्या भूलूँ क्या याद करूँ ?
सब परछाईं सा लगता है
कब पूछा किसने हाल मेरा
किसने मुझ को दुलराया था
हर काम यहाँ मेरा नसीब
सब कुछ हमको ही करना था
क्या बोलूँ क्या न बोलूँ ?
बस मौन साध के रहना है
घर छोड़ के आई बाबुल का
सोचा ये आँगन मेरा है
पर कोई नहीं जिसे अपना कहूँ
है देश यहाँ बेगानों का
क्या सोचूँ क्या ना सोचूँ ?
बस चंद दिनों का मेला है
सब जन करते निंदा मेरी
करना था वो करती आई
गर फिर भी…
Added by kalpna mishra bajpai on May 19, 2014 at 10:30pm — 22 Comments
ज़रूरी क्या कि ये राहे-सफ़र हमवार हो जाये
न हों दुश्वारियाँ तो ज़िन्दगी बेकार हो जाये
आना का सर कुचलने में कभी तू देर मत करना
कहीं ऐसा न हो, दुश्मन ये भी होशियार हो जाये
फरेबो-मक्र, ख़ुदग़रज़ी न ज़ाहिर हो किसी रुख़ से
वगरना आदमी भी शहर का अख़बार हो जाये
कभी भी एक पल मैं ख़्वाब को सोने नहीं देता
न जाने किस घड़ी महबूब का दीदार हो जाये
मैं दावा-ए-महब्बत को भी अपने तर्क कर दूँगा
जो ख़्वाबों में नहीं आने को वो…
ContinueAdded by Sushil Thakur on May 19, 2014 at 7:00pm — 9 Comments
किसी की अधखिली अल्हड़ जवानी याद आती है
मुझे उस दौर की इक-इक कहानी याद आती है
जिसे मैं टुकड़ा-टुकड़ा करके दरिया में बहा आया
लहू से लिक्खी वो चिठ्ठी पुरानी याद आती है
मैं जिससे हार जाता था लगाकर रोज़ ही बाज़ी
वही कमअक्ल, पगली, इक दीवानी याद आती है
जो गुल बूटे बने रूमाल पे उस दस्ते नाज़ुक से
कशीदाकारी की वो इक निशानी याद आती है
जो गेसू से फ़िसलकर मेरे पहलू में चली आई
वो ख़ुशबू से मोअत्तर रातरानी याद…
ContinueAdded by Sushil Thakur on May 19, 2014 at 7:00pm — 10 Comments
मजदूरी कर पालता अपना वो परिवार
रोज दिहाड़ी वो करे देखे ना दिन वार |
देखे ना दिन वार नहीं देखे बीमारी
कैसे पाले पेट वार है इक इक भारी
मंहगाई अपार ,यही उसकी मज़बूरी
गेंहू चावल दाल मिले जो हो मजदूरी ||
उसका जीवन है बना दर्द भूख औ प्यास
मजदूरी किस्मत बनी जब तक तन में श्वास |
जब तक तन में श्वास पड़ेगा उसको सहना
तसला धूल कुदाल पसीना उसका गहना
सरिता पूछे आज कहो कसूर है किसका
भूखा है मजदूर पेट भरे कौन उसका…
Added by Sarita Bhatia on May 19, 2014 at 6:38pm — 17 Comments
प्यासी धरती आस लगाये देख रही अम्बर को |
दहक रही हूँ सूर्य ताप से शीतल कर दो मुझको ||
पात-पात सब सूख गये हैं, सूख गया है सब जलकल
मेरी गोदी जो खेल रहे थे नदियाँ जलाशय, पेड़ पल्लव
पशु पक्षी सब भूखे प्यासे हो गये हैं जर्जर
भटक रहे दर-दर वो, दूँ मै दोष बताओ किसको
प्यासी धरती आस लगाए देख रही अम्बर को |
इक की गलती भुगत रहे हैं, बाकी सब बे-कल बे-हाल
इक-इक कर सब वृक्ष काट कर बना लिया महल अपना
छेद-छेद कर मेरा सीना बहा रहे हैं निर्मल जल…
Added by Meena Pathak on May 18, 2014 at 10:10pm — 20 Comments
किसी मासूम की बेचारगी आवाज़ देती है
मुझे मजबूर होटों की हँसी आवाज़ देती है
कोई हंगामा कर डाले न मेरी लफ्ज़े-ख़ामोशी
मेरी बहनों की मुझको बेबसी आवाज़ देती है
तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन
कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है
मेरे हमराह चलकर ग़म के सहरा में तू क्यों तड़पे
तुझे ऐ ज़िन्दगी, तेरी ख़ुशी आवाज़ देती है
मैंने क़िस्मत बना डाली है अपनी बदनसीबी को
मगर, तुमको तुम्हारी ज़िन्दगी आवाज़ देती…
ContinueAdded by Sushil Thakur on May 18, 2014 at 11:00am — 16 Comments
2122 1221 2212
चोट खाते रहे मुस्कुराते रहे
प्यार के फूल हम तो खिलाते रहे
अब भरोसा नहीं जिन्दगी का हमे
दर्द सह कर उसे हम मनाते रहे
जिन्दगी प्यार उनको सिखाती रही
और वो जिन्दगी को भुलाते रहे
साथ वो चल दिये है किसी गैर के
प्रीत की रीत हम तो निभाते रहे
आज की रात हम मर न जाये कही
पास अपने उसे हम बुलाते रहे
बात जब है चली बेवफाई की तो
बेवफा कह हमे वह बुलाते रहे
बात उनकी करे ना करे हम मगर
याद मे उन की आँसू बहाते…
Added by Akhand Gahmari on May 18, 2014 at 9:22am — 20 Comments
तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया।
मैंने भी तेरे वास्ते सर को झुका दिया।।
सबके भले में अपना भला होगा दोस्तो,
जीवन में आगे आएगा, सबके, लिया दिया।।
हम प्रेम प्रेम प्रेम करें, प्रेम प्रेम प्रेम,
कटु सत्य, प्रेम ने हमें मानव बना दिया।।
हम क्रोध में उलझते रहे दोस्तो परन्तु,
परमात्मा ने प्रेम, हमें सर्वथा दिया।।
वो व्यस्त हैं गुलाब दिवस को मनाने में,
देखो गुलाब प्रेम में मुझको भुला…
ContinueAdded by सूबे सिंह सुजान on May 17, 2014 at 10:00pm — 25 Comments
२१२२ २१२२ २११२२
कितने ही लोगों से हमने हाथ मिलाये
गम में डूबे जब भी कोई काम न आये
दिल तन्हा ये रो के अपनी बात बताये
कैसे उल्फत हाय तन में आग लगाये
तोहफे में दे सका जो गुल भी न हमको
आज वही फूलों से मेरी लाश सजाये
जिनके दिल में गैरों की तस्वीर लगी है
करके गलबहिया वो सर सीने में छुपाये
दिल की बातें दिल ही जब समझे न यहाँ पर
क्यूँ तन्हा फिर भीड़ में दिल खुद को न…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 2:30pm — 21 Comments
जीवन के अनजाने पथ पर , मोड़ अनेको आते हैं | |
पथिक अकेला चलता रहता , मिल लोग बिछड़ जाते हैं | |
कुछ तो मिलकर मन बहलाते , कुछ मौन चले जाते हैं | |
कोई दे सर्द हवा झोंका , कोई ग़म दे जाते हैं | … |
Added by Shyam Narain Verma on May 17, 2014 at 12:00pm — 11 Comments
बह्र : 1222/1222/1222/1222
तुम्हारे प्यार का सिर पर अगर आंचल नहीं होगा
मेरे जीवन में खुशियों का तो फिर बादल नहीं होगा
यकीनन कुछ न कुछ तो बात है तेरी अदाओं में
ये दिल यूं ही तुम्हारे प्यार में पागल नहीं होगा
तुम्हें कुछ दे न पाऊंगा मगर धोखा नहीं…
Added by शकील समर on May 16, 2014 at 6:16pm — 20 Comments
मौत बेटियों को बस, दाइयाँ समझती हैं
पीर के सबब को सब माइयाँ समझती हैं
**
सोच आज तक भी जब, है गुलाम जैसी ही
मुल्क की अजादी क्या, बेडि़याँ समझती हैं
**
दो बयाँ भले ही तुम देश की तरक्की के
हर खबर है सच कितनी सुर्खियाँ समझती हैं
**
आप के बयानों में खूब है सफाई पर
बेवफा कहाँ तक हो, पत्नियाँ समझती हैं
**
दोष तुम निगाहों को बेरूखी की देते हो
कान …
ContinueAdded by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 16, 2014 at 12:30pm — 11 Comments
फौलाद भी
चोट से आकार बदल लेते हैं
या टूट जाते हैं
फिर इंसान की क्या बिसात
कब तक सहेगा चोट
आखिर टूटना पड़ेगा
इंसान ही तो है
मगर
टूटकर भी कायम रहेगा
या बिखर जायेगा
ये इंसान की प्रकृति तय करेगी
हालात बदलने को तैयार है
पुरानी सड़क पर
डामर की नई परत बिछेंगी
खण्डरों का जीर्णोद्धार होगा
पुरानी इमारत के मलबे पड़े हैं
कुछ मलबे काम आयेंगे
कुछ मलबे मिटाये जायेंगे
ये…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on May 15, 2014 at 6:08pm — 36 Comments
2122 2122 2122 2
अब हवा है , कोयला दहके तो अच्छा है
देख ले ये बात भी कहके तो अच्छा है
खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना
इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है
सीलती सी, उस अँधेरी झोपड़ी में भी ,
देखते हैं आप जो रहके , तो अच्छा है
कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का
दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है
ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में
अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on May 15, 2014 at 5:30pm — 40 Comments
बह्र : 1222/1222/1222/1222
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तेरे धोखे को दुनिया भर की नजरों से छिपाया था
समझ लेना ये तेरे दिल में रहने का किराया था
सुनो वो गांव अपना इसलिए मैं छोड़ आया हूं…
Added by शकील समर on May 15, 2014 at 4:14pm — 13 Comments
२२ २२ २२ २२
क्या तुमने ये सोचा पगली
गर मैं तेरा होता पगली
तेरी यादें फूलों जैसी
कांटे होते रोता पगली
इन आँखों के वादे पढ़कर
बन बैठा मैं झूठा पगली
मैं तो तेरा साया हूँ ,अब
तू है मेरी काया पगली
तेरी बातें तू ही जाने
मैं तो हूँ बस तेरा पगली
राहों पर यूँ नज़र बिछाना
गुमनाम करे दीवाना पगली
मौलिक व अप्रकाशित
Added by gumnaam pithoragarhi on May 15, 2014 at 4:00pm — 13 Comments
प्यार भी करते हो …
प्यार भी करते हो तो शर्तों पे करते हो
लगता है तुम शायद मुहब्बत के अंजाम से डरते हो
क्यों मुड़ मुड़ के अपने निशां तका करते हो
क्यों ज़माने के खौफ को दिल में रखा करते हो
कभी इकरार से तो कभी इंकार से डरते हो
न, न
ऐसे तो प्यार न हो पायेगा
पानी के बुलबुले सा ये प्यार
वक्त की लहरों में खो जाएगा
अहसास कभी शर्तों में समेटे नहीँ जाते
शर्त और सौदे तो बाज़ारों में हुआ करते हैं
समर्पण बाज़ारों में कहां हुआ करते हैँ
इससे…
Added by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:00pm — 8 Comments
गजल अश्क
212 212 212 212
गीत उसके लिखे गुनगुनाता रहा
हाल दिल का सभी को बताता रहा
ये उदासी भरी जिन्दगी क्योंं मिली
सोच कर अश्क मैं तो बहाता रहा
हम को उसके शहर में मिली मौत थी
लाश अपने शहर में जलाता रहा
चाँद में दाग है चाँदनी में नही
बात दिल को यही मैं बताता रहा
प्यार से चल सके ना कदम दो कदम
जाम पी पी तुझे तब भुलाता रहा
मौलिक एवं अप्रकाशित…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on May 15, 2014 at 10:30am — 26 Comments
जब सूरज डूब जायेगा
सब कुछ समा जाएगा
महासागर की अतल गहराइयों में.
पर्वत का तुंग शिखर भी
नहीं बचेगा तृण मात्र
हड्डियों तक का नहीं रहेगा अस्तित्व.
जीवित रहेंगे फिर भी
खारे पानी के जीव ..
...............
नीरज कुमार नीर
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Neeraj Neer on May 15, 2014 at 9:09am — 24 Comments
सोलह की महिमा में सोलह पंक्तियाँ ...............
सोलह -सोलह लिये गोटियाँ,खेल चुके शतरंजी चाल
सोलह - मई बताने वाली ,किसने कैसा किया कमाल
सोलह कला सुसज्जित कान्हा ने छेड़ी बंसी की तान
सबका जीवन सफल बनाने,सिखलाया गीता का ज्ञान
मानव जीवन में पावनता , मर्यादा के हैं आधार
ऋषियों मुनियों के बतलाये, जीवन में सोलह संस्कार
सोलह - सोमवार व्रत करके , पाओ मनचाहा भरतार
सोलह आने जब मिल जाते, तब लेता रुपिया आकार
उम्र…
Added by अरुण कुमार निगम on May 15, 2014 at 12:00am — 14 Comments
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