कवि
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आत्मावलोकन
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सभागार
खचा खच था भरा
कुछ सहमा सा
कुछ डरा डरा
खड़ा मैं किनारे धरे मौन
उसने
पूछा परिचय
मैं हूँ कौन ?
सकपकाया थर्राया
फिर तोडा मौन
तुम कौन ?
कभी अपने को जाना
नही समझोगे
व्यर्थ समझाना
मैं कवि हूँ अदना सा
नही हूँ डॉन
हकीकत
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भीतर घुसा
ढाढ़स कुछ पाया
अंधियारे में कुछ
समझ न आवा…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 13, 2015 at 5:07pm — 4 Comments
बस इतनी सी मेहर रखना
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(लक्ष्य “अंदाज़”)
हम फकीरों से घर की उम्मीद न इधर करना !
ढल जाये शाम तो दरख्त तले भी बसर करना !!
राहे-उल्फत में तुम हवा के परों पर सवार हो ,
अहले-ज़मीं हैं हम ,बस सड़क पे सफ़र करना !!
फूल मुहब्बत के तारीखे-शुआओं से जल गए ,
कोंपलों की आस में अब भी क्यूँ शज़र रखना !!
तुम्हारी हर दुआ कुबूल है उस इलाही के दर ,
दुआओं में याद रखना बस इतनी…
ContinueAdded by डॉ.लक्ष्मी कान्त शर्मा on July 13, 2015 at 2:30pm — 4 Comments
Added by kanta roy on July 13, 2015 at 1:30pm — 18 Comments
पेड़ के बगल ही खड़ी हो पेड़ से प्रगट हुई स्त्री ने पूछा , “अब बताओ इस रूप में ज्यादा काम की चीज और खूबसूरत हूँ या पेड़ रूप में |
पेड़ बोला , “खूबसूरत तो मैं तुम्हारे रूप में ही हूँ , पर मेरी खूबसूरती भी कम नहीं | काम का तो मैं तुमसे ज्यादा ही हूँ |”
” न ‘मैं’ हूँ |”
पेड़ ने कहा, ” न न ‘मैं’ ”
पेड़ ने धोंस देते हुए कहा , “मुझे देखते ही लोग सुस्ताने आ जाते हैं |जब कभी गर्मी से बेकल होते हैं |”
“मुझे भी तो |” रहस्यमयी हंसी हंसकर बोली स्त्री
“मुझसे तो छाया और सुख मिलता हैं…
Added by savitamishra on July 13, 2015 at 12:00pm — 13 Comments
२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २
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दूजे में हमको जो अक्सर दोष दिखाई देता है
अपने में तो वो खूबी का कोष दिखाई देता है
उथला पथली हो लहरों की, चाहे समझो अँगडाई
हम को तो सागर का लेकिन रोष दिखाई देता है
कितना टूटा होगा बादल खुद की हस्ती को खोकर
लेकिन नभ के मुख दर्पण में तोष दिखाई देता है
जिसके मन में खोट नहीं है उसको लगता सब अच्छा
पतझड़ में भी जीवन का उद्धोष दिखाई देता है
खुशियाँ हो तो…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 13, 2015 at 11:30am — 17 Comments
“सुन बेटा!! बारिश तो ठीक हुई और खेतों में नमी पर्याप्त है, बस बीज को सही नमी और शुष्कता के बीच में ही बोना, अंकुरण का प्रतिशत अच्छा रहेगा. ज्यादा गहरी नमी में मत उतार देना, वरना सड जायगा..” रमेश ने अपने बेटे को खेत में बोनी करने से पहले समझाते हुए कहा
“ जी पिताजी.. मैं आपकी बात समझ गया, सब संभाल लूँगा. आप घर जा रहे हो, अगर हो सके तो छोटू के खाते में कुछ पैसे जमा कर आना. कल उसका फोन आया था. वहां शहर में गर्मी बहुत है पंखे से काम नहीं चलता, तो कूलर का कह रहा था..” बेटे ने काम…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on July 13, 2015 at 11:02am — 5 Comments
इधर गॉव से ताई जी अपने परिवार के साथ, पूरे बीस दिन के लिये आ गयीं थी! उधर पिछले तीन दिन से काम वाली बाई नहीं आरही थी!
आखिरकार पांच दिन बाद बाई जी आईं!जैसे ही बाई रसोई की तरफ़ बढी, ताई जी ने कडकती आवाज़ में उसे रोक दिया"ए रुको, पहले बताओ तुम कौन जाति की हो"!
"किसलिये, कोई रिश्ता करना है क्या"!
"अरे यह तो बडी मुंहफ़ट है"!
“क्यों बुरा लगा ना"!
"तुमको जाति बताने में क्या परेशानी है"!
"हमने तो कभी आपसे आप की जाति नहीं पूछी"!
"अरे वाह,तुम किसलिये…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on July 13, 2015 at 11:00am — 7 Comments
1222 1222 122
बहारों पर् चलो चरचा करेंगे
ख़िजाँ का ग़म ज़रा हलका करेंगे
कभी सोचा नहीं, हम क्या बतायें
न होंगे ख़्वाब तो हम क्या करेंगे
सजा दे , हक़ तेरा है हर खता की
उमीदें रख न हम तौबा करेंगे
अगर जुगनू सभी मिल जायें, इक दिन
यही सर चाँद का नीचा करेंगे
सँभल जा ! हम इरादों के हैं पक्के
कि, मर के भी तेरा पीछा करेंगे
जिया अन्दर का बाहर आ तो जाये
सर इब्ने सुब्ह को नीचा…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on July 13, 2015 at 8:30am — 18 Comments
2122 2122 2122 212
या तो चाहत इश्क़ में थी या खुदा पाने में थी
एक समंदर की सी तमन्ना आँख के दाने में थी
बेगुनाही एक जिद इक़बाल जब तेरी ख़ुशी
और मेरी हर सजा तेरे बिछड़ जाने में थी
होश के इस फैसले से क्या मुझे हासिल हुआ
ज़िन्दगी की हर ख़ुशी छोटे से पैमाने में थी
सांस लेता है ये जाने कौन किसका जिस्म है
ज़िन्दगी तो अपनी तेरे गम के वीराने में थी
ये नहीं हासिल हुआ या वो नहीं मुमकिन हुआ
कशमकश ये हर घडी इस दिल को थर्राने में…
Added by मनोज अहसास on July 13, 2015 at 8:30am — 14 Comments
हाइकू
१
मित्र हैं वही
जो न तोड़े विश्वास
शेष तो साथी
२
दूसरों पर
न करो दोषारोपण
यही बहुत
३
परोपकार
खुशबू चन्दन
करुना बसी
४
निराश न हों
असफलता देती
प्रेरणा नई
५
धन प्राप्ति से
दरिद्रता न मिटे
वित्तेष्णा छोडो
६
खरीददारी में
खुश होने का भ्रम
पाले रईस
७
जुंबा पर आये
पुरानी कई यादें
प्यार बढाए
८
कह के बात
खुले मन…
Added by Manisha Saxena on July 13, 2015 at 12:12am — 4 Comments
चाँद मेरा आया है....
क्यों अपने रूप पे
ऐ चाँद तूं इतराया है
आसमां के चाँद सुन
मेरे चाँद का तू साया है
अक्स पानी में तेरा तो
इक हसीँ छलावा है
अक्स नहीं हकीकत है वो
जो इन बाहों में समाया है
वो ख़्वाब है मेरी नींदों का
हकीकत में हमसाया है
अपने हाथों से ख़ुदा ने
महबूब को बनाया है
एक शबनम की तरह
वो हसीं अहसास है
देख उसके रूप ने
तेरे रूप को हराया है
किसकी ख़ातिर बेवज़ह
देख तू शरमाया है
मुझसे मिलने चांदनी…
Added by Sushil Sarna on July 12, 2015 at 10:43pm — 4 Comments
भक्त ने भगवान से कहा, "भगवन! आपके पास जितना ज्ञान है वो सारा का सारा मुझे भी प्रदान कर दीजिए।"
भगवान बोले, "तथास्तु।"
भक्त को दुनिया की सारी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और धर्मग्रन्थ इत्यादि याद हो गए। उसे हर तरह की कला एवं संगीत का पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो गया। उसे दर्शन एवं विज्ञान के सभी सिद्धान्त याद हो गए। इस तरह वह परमज्ञानी हो गया।
उसने अपनी कलम उठाई और एक कविता लिखने का प्रयास करने लगा। कुछ पंक्तियाँ लिखने के बाद उसे लगा कि इस तरह की कविता तो अमुक भाषा में…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 12, 2015 at 10:30pm — 13 Comments
एक व्यक्ति का नौकर उसके रुपये चोरी करके चला गया|
दूसरे व्यक्ति ने कहा "जो बेईमानी और चोरी के रूपए से अपना घर बनाता है वो कभी सुखी नहीं रह सकता"
पहले ने चौंक कर दूसरे की तरफ देखा और व्याकुल होकर कहा, "नहीं, आजकल ऐसा तो नहीं होता"
(मौलिक और अप्रकाशित)
Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on July 12, 2015 at 10:00pm — 6 Comments
"मैंने अपना लंच बॉक्स खुद पैक कर लिया है, निकल रहा हूँ मै।"
"आज इतनी जल्दी क्या है निखिल को' रचना सोचने लगी I
उसने बाहर कमरे में आकर समय देखा, दस बज गए थेI आज उसे हर हाल में दो बजे से पहले पोस्ट ऑफिस जाकर अपनी कविता पोस्ट कर देनी है I लगभग एक महीने पहले अपने बेटे को हिंदी कविता पढ़ाते समय उसके दिमाग़ में एक बहुत पुराना दबा हुआ कीड़ा फिर रेंगने लगा थाI कॉलेज के दिनों में वो कविता लिखती थी और तारीफ भी पाती थीI फिर सब छूट गयाI कुछ दिन पहले एक अखबार में उसने कविता भेजने का आमंत्रण पढ़ कर…
Added by pratibha pande on July 12, 2015 at 4:00pm — 7 Comments
Added by kanta roy on July 12, 2015 at 1:33pm — 10 Comments
कवि सम्मेलन
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ट्रिन-ट्रिन
''हेलो '' लेखक मंडी
''दो दर्जन कवि , दोपहर ११ बजे , राम नाथ हाल, बेहाल मंडी भेज दीजिए''
''दहाड़ी कितनी ?
फिर दिमाग खराब हो गया तुम्हारा , दूसरे जिले से मंगवा लूँ ?मारे -मारे घूम रहे हैं। न इन्हें कोई सुनता , न छापता और न ही पढता।
'' फिर भी , कुछ तों देना ही होगा ''
'' २ टाइम चाय, बिस्कुट., ''
''बस, और कुछ नही भूखे मर जायेंगे बेचारे ''
''अभी कौन जिन्दा है ''
''कुछ तों बढाइये , बाल बच्चे दार…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 12, 2015 at 12:30pm — No Comments
‘अरे बहू ! चाय नहीं लाई अभी तक, और अखबार कहाँ है, मेरा शेव का सामान भी नज़र नहीं आ रहा।’
‘बाबू जी, पहले बच्चों को तैयार करके स्कूल भेज दूँ फिर आपके लिए चाय बनाती हूँ। अखबार तो अभी मुन्नी के पापा पढ़ रहें है आप बाद में आराम से पढ़ लेना। और अब आपको हर रोज़ दाढ़ी बनाने की क्या ज़रूरत ही ? आपको अब कौन सा दफ्तर जाना है।’…
ContinueAdded by Ravi Prabhakar on July 12, 2015 at 11:00am — 11 Comments
२१२२-२१२२-२१२२-२१२
आपका आना हमारी ज़िन्दगी में यूँ हुआ
दिन बड़े ख़ुशहाल रातें भी सुहानी हो गई
जो सुनी थी या पढ़ी हमने किताबों में फ़क़त
आज बातें वो सभी मेरी कहानी हो गई
चाहतें कोई नहीं , बन्धन न था कोई यहाँ
आपकी मेरी ये' यारी बस रुहानी हो गई
आज दुनिया कर रही अपनी वफ़ाओं काे बयाँ
देखकर मेरी वफ़ा देखो सयानी हो गई
इस क़दर था पुर असर उनका वो* अन्दाज़े बयाँ
सुन कहानी कान्त ये दुनिया दिवानी हो गई ।।
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मौलिक…
Added by K K Dwivedi on July 12, 2015 at 10:00am — 6 Comments
२२१२ २२१२ २२
फ़रियाद ये मेरी सुनो कोई
दो इश्क में मुझको डबो कोई
..
सात आसमां पार उनका गर है शह्र
कू-ए-सनम ही ले चलो कोई
..
है दोजखो जन्नत मुहब्बत में
आशिक हो पर शायर न हो कोई
..
जाने गज़ल तुम मुझको दो थपकी
बरसों न पाया मुझमें सो कोई
..
‘जान’ आखिरी वख्त अपना जाने कौन?
लो प्रीत के मनके पिरो कोई
.
जीने की ख्वाहिश फिर न जाग उट्ठे
मरता हूँ नाम उस का न लो…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 12, 2015 at 9:30am — 11 Comments
मुरली तो मन मोहनी, हरे जगत की पीर.
उसे चुरा कर राधिका, स्वयं हुई गम्भीर.
मुरली हर मन मोहती, लिये फकीरी रूप.
सरस कण्ठ निष्काम रख,…
ContinueAdded by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2015 at 8:30pm — 4 Comments
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