221 1221 1221 122
वेदना के पल कुँवारे ले चलो
कुछ तो जीने के सहारे ले चलो
दिल बहुत मायूस है परदेस में
बस हमें अब घर हमारे ले चलो
झील सी आंखों में हैं खामोशियाँ
थोड़े से सपने उधारे ले चलो
मैकदे में बंटती है अब भी शिफा
मैकदे में ज़ख्म सारे ले चलो
दुनिया मे महफूज कोई भी नहीं
साथ कितने भी सहारे ले चलो
मौलिक और अप्रकाशित
Added by मनोज अहसास on December 6, 2018 at 8:38pm — 7 Comments
मापनी २२१ १२२२ २२१ १२२२
नफरत के’ किले सारे, हमको ही’ ढहाना है
जो हाथ मिलाया है, तो दिल भी’ मिलाना है
यूँ रोज हमें खलती, पानी की’ कमी बेशक…
Added by बसंत कुमार शर्मा on December 6, 2018 at 4:49pm — 8 Comments
२२१२ २२१२ २२१२ १२
जब से मैं अपने दिल का सूबेदार हो गया
सहरा भी मेरे डर से लालाज़ार हो गया //१
छोड़ा जो तूने साथ, ख़ुद मुख्तार हो गया
तू क्या, ज़माना मेरा ख़िदमतगार हो गया //२
आईन मेरा ग़ैर क्या बतलायेंगे मुझे
मैं ख़ुद ही अपना आइना बरदार हो गया //३
गर बेमज़ा है आशिक़ी मेरे हवाले से
तू क्यों फ़साने में मेरे किरदार हो गया…
Added by राज़ नवादवी on December 6, 2018 at 3:00pm — 11 Comments
थोडा सा मुस्काने से गम हल्का भी हो सकता है
हर पल की तड़पन से दिल को खतरा भी हो सकता है
अक्सर धोखा हो जाता है देर से प्यासी आंखों को
तुम जिसको दरिया कहते हो सहरा भी हो सकता है
मैं तो अपने दिल से ही हर बार शिकायत करता हूं
वो भी मुझको भूल गया हो ऐसा भी हो सकता है
अब तो मैं यह सोच कर उसकी राहों से हट जाता हूं
इन आंखों से उसका दामन मैला भी हो सकता है
लोग तो अपने मन से बस इल्जाम लगाते रहते हैं
जो दरिया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 11:30pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
माबूद कह दिया कभी मनहूस कह दिया
उसकी निगाहों ने सदा तस्लीम ही कहा
मुझको ये कैसा दिल दिया तूने मेरे खुदा
जिसको खुशी और गम का सलीका नहीं पता
ओझल नजर से हो गई तस्वीर आपकी
बस इतना होने के लिए क्या-क्या नहीं हुआ
जीवन के सारे हादसे आंखो में आ गए
मुरझा के एक फूल जो मिट्टी में जा गिरा
आया है अब की बार इक दूजे ही रंग में
तन्हाइयों से दर्द का रिश्ता नया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 10:53pm — 4 Comments
ख़्याल ...
मैं सो गयी
इस ख़्याल से
कि तेरा ख्याल भी
साथ मेरे सो जाएगा
मगर
तेरा ख़्याल
तमाम शब्
मेरी नींदों से
खिलवाड़ करता रहा
मैं उनींदी सी सोयी रही
उसके लम्स
मेरे ज़ह्न को
झिंझोड़ते रहे
अंततः
सौंप दिया स्वयं को
ख़्याल बनके
उस ख़्याल के हवाले
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on December 5, 2018 at 6:54pm — 3 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२
कभी तो बख्त ये मुझपे भी मेहरबाँ होगा
मेरी ज़मीन के ऊपर भी आस्माँ होगा //१
गवाह भी नहीं उसका न कुछ निशाँ होगा
जो तेरे हुस्न के ख़ंजर से कुश्तगाँ होगा //२
हम एक गुल से परेशाँ हैं उसकी तो सोचो
वो शख्स जिसकी हिफ़ाज़त में गुलसिताँ होगा //३
ये ख़ल्क हुब्बे इशाअत का इक नतीजा है
गुमाँ नहीं था कि होना सुकूंसिताँ होगा…
Added by राज़ नवादवी on December 5, 2018 at 3:27pm — 6 Comments
अच्छी लगी है आपकी तिरछी नज़र मुझे ।।
समझा गयी जो प्यार का ज़ेरो ज़बर मुझे ।।1
आये थे आप क्यूँ भला महफ़िल में बेनक़ाब ।
तब से सुकूँ न मिल सका शामो सहर मुझे ।।2
नज़दीकियों के बीच बहुत दूरियां मिलीं ।
करना पड़ा है उम्र भर लम्बा सफर मुझे ।।3…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2018 at 12:34am — 10 Comments
1222-1222-1222-1222
अगर दिल को अदब औ शायरी से प्यार हो जाए
तुम्हें भी इश्क की खुशबू का कुछ दीदार हो जाए //१
मचलते दिल की धड़कन में चुभे जब इश्क का कांटा ।
ख़ुदा से रूह का रिश्ता तभी बेदार हो जाये//२
खुदा की सारी रहमत इश्क़ के आँचल में रहती है
छुपा लो सर को आँचल में हसीं संसार हो जाए//३
फ़ना हो जाए दीवाना जुनूने इश्क़ की ख़ातिर
खुशी से चूमे सूली को ख़ुदा का यार हो जाए//४
ये दिल बेजान वीना की तरह खामोश रहता…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 5, 2018 at 12:23am — 7 Comments
जायस के ऊसर में खानकाह बने कई माह बीत चुके थे I किछौछा से आये हजरत खवाजा मखदूम जहाँगीर किसी परिचय के मोहताज नही थे I बहुत जल्द ही उनके पास मुरीदों और मन्नतियों की भीड़ आने लगी i मुहम्मद यद्यपि छोटा था पर वह अक्सर वहाँ जाने लगा i वह बुजुर्ग पीर के छोटे-मोटे काम कर देता I पीर तो उसका भविष्य जान ही चुके थे I वह भी उसे अपने पोते की तरह मानने लगे I
एक दिन पीर सफ़ेद भेड़ की उन का लम्बा चोगा पहने अपनी पसंदीदा खानकाह में बैठे थे I उनके चेले और कुछ मजहबपरस्त लोग उन्हें घेरे हुए थे…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 4, 2018 at 8:57pm — 5 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२२
दुश्मनी को भूल जाऊँ दोस्ती की बात तो हो
नफरतों को छोड़ भी दूँ इश्क़ के हालात तो हो।…
ContinueAdded by Ashish Kumar on December 4, 2018 at 1:30pm — 7 Comments
घर में किसी के और अब अनबन कोई न हो
सूना पड़ा हमेशा ही आगन कोई न हो।१।
कुछ तो सहारा दो उसे हँसने जरा लगे
होकर निराश घुट रहा जीवन कोई न हो।२।
झुकना पड़े तनिक तो खुद झुकना सदा ही तुम
यारो मिलन की राह में उलझन कोई न हो।३।
आओ बनायें आज फिर ऐसा समाज हम
ओढ़े बुढ़ापा जी रहा बचपन कोई न हो।४।
जल जाएँ…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2018 at 12:22pm — 14 Comments
राजा ये सोचता है कि प्यादा मज़े में है
प्यादा ये सोचता है कि राजा मज़े में है
लंगड़ा ये सोचता है कि अंधा मज़े में है
अंधा ये सोचता है कि लंगड़ा मज़े में है
हर नाज़ नखरे दिल के उठाता है ज़िस्म ये
पर दिल ये सोचता है कि गुर्दा मज़े में है
गुल के बिना वुजूद तो इसका भी कुछ नहीं
पर सोचता गुलाब कि काँटा मज़े में है
उस वक्त चढ़ गई थी हवाओं…
Added by rajesh kumari on December 4, 2018 at 11:15am — 12 Comments
2122 2122 2122 212
बाग़पैरा क्या करे गुल ही न माने बात जब
शम्स का रुत्बा नहीं कुछ, हो गई हो रात जब //१
बाँध देना गाँठ में तुम गाँव की आबोहवा
शह्र के नक्शे क़दम पर चल पड़ें देहात जब //२
दोस्त मंसूबा बनाऊं मैं भी तुझसे वस्ल का
तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक़दमात जब //३
इक किरन सी फूटने को आ गई बामे उफ़ुक़
रौशनी की जुस्तजू में खो गया…
Added by राज़ नवादवी on December 3, 2018 at 7:30pm — 7 Comments
३ क्षणिकाएँ ...
छोटी सी बात
साँय-साँय करती रात
स्मृति पटल को दे गई
अमर
स्पर्श
सौग़ात
........................
व्योम
शून्यता के पर्याय के अतिरिक्त
आश्रय स्थल भी है
उन स्मृतियों का
जो जीती हैं
मिट कर भी
अंत से अनंत तक
.....................................
भला घर
खंडहर में
तब्दील कब होते हैं
जब तक
Added by Sushil Sarna on December 3, 2018 at 7:00pm — 8 Comments
ट्रेन की बोगी में वह बालक न तो ख़ुश बैठा हुआ था और न ही दुखी। सजे-धजे किन्नरों से भरी बोगी में, पैसे गिनते हुए एक बुज़ुर्ग किन्नर को वह देख ही रहा था कि एक फेरी वाला मूंगफली बेचता हुआ वहां आया और दो-चार सवारियों को मूंगफलियां बेच कर,पैसे गिन कर उन्हें बाक़ी पैसे लौटाने लगा।
"अरे देखो, यह लंगड़ा और दोनों आंखों से अंधा है, फ़िर भी पैसों का सही हिसाब कर रहा है !" वह बालक बगल में बैठे उस किन्नर से बोल पड़ा, जो उसे समझा-बुझाकर उसके घर से अपने दल में शामिल करने के लिए लाया था उसके…
ContinueAdded by Sheikh Shahzad Usmani on December 3, 2018 at 4:00pm — 5 Comments
एक ताज़ा ग़ज़ल
वो खुद ही मजबूर बहुत हैं उनको हाल बताना क्या
जिनके दिल में प्यार नहीं है उन पर प्यार लुटाना क्या
हम तो तेरे नाम के जोगी अपना यार ठिकाना क्या
बिरहा में जलना है हमको महफिल क्या वीराना क्या
टूट गया है उस से नाता जो दुनिया का मालिक है
अब सारी दुनिया को अपने दिल के जख्म दिखाना क्या
सारे जीवन के पछतावे सांसो को झुलसाते हैं
अपनी किस्मत में लिक्खा है तिल तिल कर मिट जाना क्या
जीवन के…
ContinueAdded by मनोज अहसास on December 2, 2018 at 11:30pm — 8 Comments
12221222 122
वो भौरे पास हैं जब से कली के ।
हैं बिखरे रंग तब से पाँखुरी के ।।
सुना है चांद आएगा जमी पर ।
बढ़े हैं हौसले अब चांदनी के ।।
जरा कमसिन अदाएं देखिए तो ।
अजब अंदाज़ उनकी बेख़ुदी के ।।
वो बेशक पास मेरे आ रही है ।
लगे हैं स्वर सही कुछ बाँसुरी के ।।
मुहब्बत हो गयी उनसे जो मेरी ।
हुए मशहूर किस्से आशिकी के ।।
तुम्हारा खत मिला जो…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2018 at 10:30am — 6 Comments
2122 1122 1122 22/112
छोड़ जाएगा यहीं सब ये ख़बर रखता है
फिर भी दौलत पे वो मर मर के नज़र रखता है//१
ज़िन्दगी प्यार के अमरित से ही होती है रवां
फिर भी नादान कलेजे में ज़हर रखता है //२
कितना मज़बूर है वो रोड पे भूखा बच्चा
एक रोटी के लिए कदमों में सर रखता है//३
आदमी कितना अकेला है भरी दुनिया में
कहने को भीड़ भरे शह्र में घर रखता है//४
पहले शैतान से डरने की ख़बर आती थी
आज इंसान ही इंसान से डर रखता…
Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 8:17am — 7 Comments
221--1221--1221--122
जब मुल्क़ में नफऱत का ये बाज़ार नहीं था
हर शख़्स लहू पीने को तैयार नहीं था //१
अब बाढ़ सी आई है शबे ग़म की नदी में
जब तुम न थे दिल में तो ये बेज़ार नहीं था//२
जो देश की सरहद पे सदा ख़ून बहाए
क्या देेेश की मिट्टी से उन्हें प्यार नहीं था//३
मिट जाएं सभी जंग में हिन्दू व मुसलमाँ
ऐसा तो मेरे हिन्द का त्यौहार नहीं था//४
जब मुल्क़ परेशां था फिरंगी के सितम से
मिल जुुल के लड़े मुल्क ये लाचार नहीं…
Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 7:30am — 5 Comments
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