For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

December 2012 Blog Posts (226)

चीर हरण अब मत होने दो

दामिनी बोली मै तो जाती हूँ -
पर तुम सब मेरी बात सुनो,  
खुद ही लाज बचालो अपनी, 
चीर हरण अब मत होने दो ।
द्वापर नहीं यह कलियुग हैं,
इसमें कृष्ण नहीं आपायेंगे…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2012 at 7:30pm — 13 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
नव वर्ष मंगलमय हो.. .

चिड़िया थी उत्साह में, सम्मुख था आकाश

किन्तु स्वप्न धूसर हुए, तार-तार विश्वास !

तार-तार विश्वास,  मगर जीवन  चलता है.. .…

Continue

Added by Saurabh Pandey on December 31, 2012 at 7:30pm — 28 Comments

आओ फिर से दिए जलाएं //

माननीय अटलबिहारी जी की एक रचना की प्रसिद्ध पंक्ति "आओ फिर से दिए जलाएं "से प्रेरित 

टूटे मन के खँडहर तन में 

सूने अंतर के आँगन में …

Continue

Added by seema agrawal on December 31, 2012 at 12:30pm — 15 Comments

चाँद सितारों से लड़ना आसान नहीं

चाँद सितारों से लड़ना आसान नहीं

क्या होगा अब हश्र कोई अनुमान नहीं

वक़्त निभाएगा अपना दायित्व "अजय "

मेरे हांथों में अब कोई सामान नहीं................

.

जो बांटा करता है सबको जीवन रस ,

पीने को बस गरल मिला केवल उसको

जो पथ पर तेरे फूलों का बना बिछौना ,

काँटों का इक सेज मिला केवल उसको

कैसी हैं हम सन्तति , हम पूत कहा के ,

बचा सके इक जननी का सममान नहीं

वक़्त निभाएगा अपना दायित्व "अजय "

मेरे हांथों में अब कोई सामान नहीं…

Continue

Added by ajay sharma on December 31, 2012 at 12:30am — 4 Comments

शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को .-2013

 

अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,

अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .

 

अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर  आये …

Continue

Added by shalini kaushik on December 30, 2012 at 8:33pm — 3 Comments

खुशी कैसी

पुराना जब भी जाता है नया इक साल आता है,

नया जब साल आता है उम्मीदे साथ लाता है/

 

कोई इक बार आकर के व्यथा उनसे भी तो पूछो,

जिन्हें आते हुए नव साल का इक पल न भाता है/

 

कभी तुम झाँक लो देखो जरा उस मन की तो बूझो,…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on December 30, 2012 at 7:36pm — 13 Comments

जिंदगी से मौत ही भली

जिन्दा हूँ इसलिए की कुछ और पाप कटे ,
वर्ना ये जिंदगी से मौत ही भली। 

मिल जाते हैं हर मोड़ पर दुआ सलाम वाले ,
खैर ख्वाहों की गिनती में रहती उंगलियाँ खाली।

हर कदम पे मेरे रोड़े बहुत मिले ,
काश उनको मैं पहचानता नहीं।

मैं भी जानता बहुत को इसी जिंदगी में ,
काश रोज रोजलोग बदलते नहीं। 

जिन्दा हूँ इसलिए की सभी पाप कटे
फिर ये जिंदगी मुझे गवारा नहीं।

Added by ashutosh atharv on December 30, 2012 at 6:30pm — 4 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
ध्वजा को झुका दो कि क्रंदित है जन गण//डॉ प्राची

ध्वजा को झुका दो कि क्रंदित है जन गण,

सन्नाटा पसरा यूँ गुमसुम है प्रांगण.

 

गुलशन उजड़ने से

सहमीं हैं कलियाँ,

पंखों को सिमटाये

दुबकी तितलियाँ,

कर्कश सा चिल्लाये भंवरा क्यों हर क्षण,…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on December 30, 2012 at 2:30pm — 24 Comments

व्यंग्य रचना: हो गया इंसां कमीना... संजीव 'सलिल'

व्यंग्य रचना:

हो गया इंसां कमीना...

संजीव 'सलिल'

*

गली थी सुनसान, कुतिया एक थी जाती अकेली.

दिखे कुछ कुत्ते, सहम संकुचा गठी थी वह नवेली..

कहा कुत्तों ने: 'न डरिए, श्वान हैं इंसां नहीं हम.

आंच इज्जत पर न आयेगी, भरोसा रखें मैडम..

जाइए चाहे जहाँ सर उठा, है खतरा न कोई.

आदमी से दूर रहिए, शराफत उसने है खोई..'



कहा कुतिया ने:'करें हडताल लेकर एक नारा.

आदमी खुद को कहे कुत्ता नहीं हमको गवारा..'

'ठीक कहती हो बहिन तुम, जानवर कुछ तुरत बोले.

मांग हो…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 30, 2012 at 9:08am — 11 Comments

गीत: झाँक रही है... संजीव 'सलिल'

गीत:

झाँक रही है...

संजीव 'सलिल'

*

झाँक रही है

खोल झरोखा

नए वर्ष में धूप सुबह की...  

*

चुन-चुन करती चिड़ियों के संग

कमरे में आ.

बिन बोले बोले मुझसे

उठ! गीत गुनगुना.

सपने देखे बहुत, करे

साकार न क्यों तू?

मुश्किल से मत डर, ले

उनको बना झुनझुना.



आँक रही

अल्पना कल्पना

नए वर्ष में धूप सुबह की...  

*

कॉफ़ी का प्याला थामे

अखबार आज का.

अधिक मूल से मोह पीला

क्यों कहो ब्याज का?

लिए बांह में बांह…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 30, 2012 at 8:56am — 8 Comments

प्रण

भोर भई अरु सांझ ढली दिन बीत गया अरु रात गई रे.

बात चली कुछ दूर गयी अरु जीवन हारत मौत भई रे,

मानत हैं नर नार प्रजा सब दामिनी नेह सहोद तई रे,

जीवन देकर ज्ञान दियो परखो नज़रें यह सीख दई रे/

 

सीख दई कछु ज्ञान दियो,पर जीव बचा नहि जान गई रे,…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on December 30, 2012 at 12:56am — 7 Comments

चरित्रहीनता: विकराल सामाजिक समस्या

एक जोरदार झटका,

और शुरू हो गया विचारो का मंथन,

कई मंचो पर चिल्लाने लगे बुद्धिजीवी,

सियार की तरह,

कैसे हुआ ये ?

क्यों हुआ ?

अरे पकड़ो,

कौन है जिम्मेदार ?

लटका दो फांसी पर,

बना दो नपुंसक उन पिशाचो को,

जिन्होंने नरेन्द्र, गाँधी, बुद्ध की भूमि को,

कलंकित किया है |

पर कोई नहीं बात करता,

और न करना चाहता,

इस सतत, स्वाभाविक, जन्मजात मानवीय विकृति को,

जिसको हराया था गाँधी ने, नरेन्द्र ने और…

Continue

Added by DRx Ravi Verma on December 30, 2012 at 12:30am — 4 Comments

अब सदबुद्धि का वरदान दे

दामिनी गयी दुनिया से देख,

क्या विधाता का यह लेख है |

बेटी पूछती अपना कसूर,

क्यां इंसानियत कुछ शेष है।

बेटे में ऐसा क्या है अलग,

जो देता दर्जा उसे विशेष है।

क्यों न सख्त सजा अपराध की,

गर तराजू करता इन्साफ है ।

मूक है शासक चादर ताने,

हैवानियत छू रही आकाश है ।

मानवता पर लग रहा कलंक,

सभ्य समाज का पर्दाफाश है ।

कानून बना है, और बन जाएगा,

उससे क्या संस्कार आ जायेगा।

समाज और सरकार अब जानले,

नैतिक शिक्षा जरूरी यह…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 29, 2012 at 6:30pm — 8 Comments

*****(श्रद्धा सुमन)*****

'दामिनी' चली गई दुनियां से 

छोड़ गई कितने सवाल

क्या लड़की होना ही था 

उसका घोर अपराध ?

जब तक फाँसी पर न लटकेंगे 

उसके अपराधी 

शांत न होगी रूह उसकी 

कब होगा इन्साफ 

कितने सपने संजोए होंगे 

कितने देखे होंगे ख़्वाब 

पूरे हुए,न रहे अधूरे 

जिंदगी ने छोड़ा साथ 

कानून की देवी की जो खुली न …

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 29, 2012 at 12:00pm — 5 Comments

नए साल की नई सुबह

पुराने साल को अलविदा, नए साल का स्वागतम

पुराने अनुभवों से नया गीत गायेंगे हम

नई उमंगें, नई तरंगे लेकर आया नया साल

नए वादों, नए इरादों से नई कहानी लिखेंगे हम



बुराइयों को मिटाकर

अच्छाइयों को अपनाकर

काँटों पर राह बनाकर

नई मंजिलें पाएंगे हम



बेटियां दामिनी बन तड़प-तड़प नहीं मरेगी अब

कल्पना ,सुनीता बन चाँद को घर बनाएँगी अब

आतंकवादी ,बलात्कारी को फांसी पर चढ़ायेंगे अब

भ्रष्टाचार मिटाकर विकसित भारत…

Continue

Added by shubhra sharma on December 29, 2012 at 11:00am — 12 Comments

विकास बनाम इंसानियत – दर

रोज़ होती रही चर्चायें

बैठकों पे बैठकें

कार्यालयों से लेकर चौपालों तक

कारखानों से लेकर शेयर बाज़ारों तक

हर जगह

कोशिशें जारी हैं

कैसे बढ़े

कितना बढ़े

कहाँ-कहाँ कितनी गुंजाईशें है

सभी लगे हैं

देश विकसित हो या विकासशील

या हो अविकसित

मगर चिंतायें

सबकी एक है

कैसे बढ़े विकास-दर

कैसे बढ़े व्यापार

बाज़ार भाव

कैसे बढ़े निर्यात

फिर चाहे

मौत का सामान ही क्यों न हो

व्यापार बढ़ना चाहिए

विकास-दर बढ़ती…

Continue

Added by नादिर ख़ान on December 28, 2012 at 11:00pm — 3 Comments

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयंगे

छोडो मेहँदी खडक संभालो

खुद ही अपना चीर बचा लो

द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,

मस्तक सब बिक जायेंगे

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे

कब तक आस लगाओगी तुम,

बिक़े हुए अखबारों से,

कैसी रक्षा मांग रही हो

दुशासन दरबारों से|

स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं

वे क्या लाज बचायेंगे

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे

कल तक केवल अँधा राजा,

अब गूंगा बहरा भी है

होठ सी दिए हैं जनता के,

कानों पर पहरा भी है

तुम ही…

Continue

Added by Pushyamitra Upadhyay on December 28, 2012 at 4:59pm — 12 Comments

नूतन बर्ष

       नूतन बर्ष

आओ करें अमृत मंथन

जीवन के संघर्ष मे

दिल मे कुछ संकल्प ले

इस नूतन वर्ष में

सोचें सदा वतन हित में

देशभक्ति हो मन चित में

 परस्पर सदभाव हो

विकाश से लगाव हो

देश को खुशहाल बनाएँ

भ्रष्टाचार दूर भगाएँ

 खुशियों से भरा हो दामन

फिंजा देश की हो मनभावन

प्रगतिशील बढ़ चले कारवाँ

निकृष्ट से उत्कर्ष में

कल्याणकारी बयार बहे

इस नूतन बर्ष   में

 Dr.Ajay Khare Aahat

 

Added by Dr.Ajay Khare on December 28, 2012 at 12:29pm — 4 Comments

अनूठा कीर्तिमान

अनूठा कीर्तिमान
 
क्या ऐसा नहीं लगता यह साल 
बलात्कार का आया है 
हर चैनल,अखवार में मुद्दा 
सुर्ख़ियों में यह छाया है 
शर्मसार है भारत माँ 
अपने कपूतों की करतूतों से 
दुनियां की नज़र में हिन्दोस्तान ने 
नाक अपना कटवाया है 
दुआ करो सब मिलकर 
ऐसी घटनाएँ न हों 
नए साल में चारो और 
बस सुख शांति ही…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 28, 2012 at 11:31am — 6 Comments

तुम उजला सन्दर्भ हो , जिसका मैं हूँ वही कहानी...

मैं हूँ बंदी बिन्दु परिधि का, तुम रेखा मनमानी |

मैं ठहरा पोखर का जल, तुम हो गंगा का पानी ||

मैं जीवन की कथा-व्यथा का नीरस सा गद्यांश कोई इक |

तुम छंदों में लिखी गयी कविता का हो रूपांश कोई इक |

मैं स्वांसों का निहित स्वार्थ हूँ , तुम हो जीवन की मानी  ||

धूप छाँव में पला बढा मैं विषम्तायों का हूँ सहवासी |

तुम महलों के मध्य पली हो ऐश्वर्यों की हो अभ्यासी | 

मैं आँखों का खारा संचय , तुम हो वर्षा अभिमानी ||

विपदायों, संत्रासों से मेरा अटूट अनुबंध रहा…

Continue

Added by ajay sharma on December 27, 2012 at 10:30pm — 4 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
5 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
दिनेश कुमार posted blog posts
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service