गीत
*****
उजाला कर दिया उसने
चलें उस ओर हम-तुम भी।।
*
तमस के गाँव में रह कर
सदी बीती हमारी भी।
अभी तक ढो रहे हैं बस
वही थोपी उधारी भी।।
*
नहीं प्रयास कर पाये
कभी इससे निकलने का।
बढ़ाया हाथ उस ने जब
लगायें जोर हम तुम भी।।
**
न जाने कौन सी ग्लानी
मिटा उत्साह देती नित।
नहीं साहस जुटा पाता
सँभलने का हमारा चित।।
*
सफलता है नहीं आयी
भला क्यों पथ हमारे ही।
तनिक मष्तिष्क से…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 19, 2022 at 3:30am — 15 Comments
हुस्न-ए-ग़ज़ल
2 1 2 2 / 1 2 1 2 / 2 2
है ग़ज़लगोई यार की बातें
शे'र सुनना ख़ुमार की बातें
शे'र पढ़ना हसीं तरन्नुम में
जैसे हों लालाज़ार की बातें…
ContinueAdded by रवि भसीन 'शाहिद' on October 19, 2022 at 12:11am — 11 Comments
लाल रुमाल
‘रेल लाइन पर भिनुसार वाली गाड़ी से एक औरत कटी मिली। हाथ में लाल रुमाल था .... उसपर हरे रंग में लिखा था ... जगदीश।’ सुबह होते यह खबर सारे गाँव में फैल गई। ‘कौन ? कहाँ की?’ जैसे सवाल हवा में तैरने लगे। रेल लाइन के पास ही गाँव के बड़े ब्रह्म के चबूतरे पर कुछ औरतें इकट्ठा हैं; कुछ बाबा को पूजने आई हैं, कुछ घसियारिनें हैं। चिड़ई भौजी उनसे मुखातिब हैं। एक…
Added by Manan Kumar singh on October 18, 2022 at 1:30pm — 8 Comments
गीतिका
आधार छंद - चौपई (जयकरी छंद )-15 मात्रिक -पदात-गाल
साँसें जीवन का शृंगार ।
बिना साँस सजती दीवार ।
कब जीवित का होता मान ,
चित्रों को पूजे संसार ।
मिलता अपनों से आघात ,
इनका प्यार लगे बेकार ।
पल-पल रिश्ते बदलें रूप ,
मतभेदों से पड़ी दरार ।
बड़ा अजब जग का दस्तूर ,
भरे प्यार में ये अंगार ।
सुशील सरना / 17-10-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on October 17, 2022 at 5:40pm — 10 Comments
भूख लगती है कभी जो, याद इसकी आती है
ना मिले तो पेट में फिर, आग सी लग जाती है
राजा हो या रंक देखो, इसके सब ग़ुलाम है
तीनो वक़्त खाने से पहले, करते इसे सलाम है
रुखी-सुखी जैसी भी हो, पेट यह भर जाती है
चाह में अपनी हर किसी, को राह से भटकाती है
जिसने इसको पा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 17, 2022 at 11:21am — 3 Comments
1212 / 1122 / 1212 / 22(112)
हूँ किसके ग़म का सताया न पूछिये साहिब
जफ़ा-ए-इश्क़ का क़िस्सा न पूछिये साहिब [1]
तमाम उम्र उसे दूर से ही देख के बस
सुकून कितना है पाया न पूछिये साहिब [2]
लहू भी थम सा गया दर्द को भी राहत…
ContinueAdded by रवि भसीन 'शाहिद' on October 16, 2022 at 1:06pm — 13 Comments
भाई
‘बुल्लु की शादी का कर्ज़ अभी सिर पर है..... और वह मर गई।’ इतना कह चेंथरु लगा फफक पड़ेगा, पर उसने अंदर के तूफान को थाम लिया।शायद पड़ोस के भाई से झिझक हो कि शिकायत हो जाएगी।पर, उसकी आँखें भींग गई थीं। अँधेरे में भी उसकी आवाज सब कुछ जाहिर कर रही थी।
‘दुख हुआ सब सुनकर, चेंथरु।’ ढाढस बांधते हुए मास्टर जी बोले।
‘भइया, कोई पूछेवाला नहीं था कि कुछ मदद चाहिए…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 16, 2022 at 11:49am — 3 Comments
जिज्ञासा
पार्क से आते ही मोनू ने सवाल किया, ‘पापा, अपनी कार रात को झुग्गीवाले मुहल्ले में क्यों जाती है?’
‘बिजनेस के सिलसिले में?’
‘तो उसमें चढ़कर लड़कियाँ कहाँ जाती हैं?’
‘काम पर, बेटे।’ सेठ ने बेटे को संतुष्ट करना चाहा।
‘रात को कौन-सा काम होता है,पापा?’
‘ढेर-सारे काम हैं,बेटे।जैसे कॉल सेंटर वगैरह,जो रात…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 15, 2022 at 5:53pm — 7 Comments
एडमिशन
‘मम्मी, मेरा एडमिशन………।' कॉलेज से आती बबली अपनी बात पूरी करती कि फोन की घंटी घनघनाई, ‘....ट्रीन..ट्रीन..।' मालती ने फोन उठाया। बबली अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
‘हेलो मालती, मैं सुविधा बोल रही हूँ। सुविधा ठक्कर।'
‘हाँ बोलो।' मालती ने बेरुखी से कहा।
‘तुम मिली समीर से?’
‘सोचती हूँ,मिल ही लूँ।'
‘अभी सोच ही रही है तू?’ सुविधा ने जरा डपट कर…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 12, 2022 at 4:51pm — 14 Comments
बह्र : 1222 1222 122
यही इक बात मैं समझा नहीं था
जहाँ में कोई भी अपना नहीं था
किसी को जब तलक चाहा नहीं था
ज़लालत क्या है ये जाना नहीं था
उसे खोने से मैं क्यूँ डर रहा हूँ
जिसे मैंने कभी पाया नहीं था
न बदलेगा कभी सोचा था मैंने
बदल जाएगा वो सोचा नहीं था
उसे हरदम रही मुझसे शिकायत
मुझे जिससे कोई शिकवा नहीं था
उसी इक शख़्स का मैं हो गया हूँ
वही इक शख़्स जो मेरा नहीं…
Added by Mahendra Kumar on October 10, 2022 at 6:27pm — 15 Comments
कुत्तों के दो गुट थे,झबड़ा गुट और कबड़ा गुट।दोनों गुट एक –दूसरे के धुर विरोधी थे।पहले गुट का प्रभाव क्षेत्र विस्तृत था, दूसरे का सीमित। दूसरा गुट अपने क्षेत्र में छीनाझपटी, काटाकुटी के लिए ज्यादा मशहूर था।तीसरी जमात कबड़ी नाम की एक काली कुतिया की थी। वह धूर्तता के लिए विख्यात थी। गोस्त वगैरह की हवा लगते ही वह दुम हिलाती वहाँ पहुँच जाती। कबड़ी की गाढ़ी दोस्ती एक सफेद, भूरी आँखों वाली लबड़ी नाम की बिल्ली से थी। वह दूध -मलाई, गोस्त वगैरह की खबर कबड़ी कुतिया को देती रहती।
कबड़ी कभी…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 10, 2022 at 10:49am — 2 Comments
हाँ-हाँ मैं अपराधी हुँ बस, अधर्म करने का आदि हूँ
पर मुझको खुद पर लाज नहीं, जो किया मैं उसपर गर्वित हुँ
जो देखा सब यहीं देखा, जो सीखा सब यहीं सीखा
मैं माँ के पेट का दोष नहीं, ना हीं मैं सुभद्रा का बेटा
दूध की प्याली के खातिर, मैंने माँ को बिकते देखा है
अपने पेट की भूख मिटाने, बाप से पिटते देखा है
फटें कपड़ो से तन को ढकते, बहनों के संघर्ष…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 10, 2022 at 10:34am — No Comments
धरती के पुत्रों, उठो
उषा अवस्थी
शरद चन्द्र तुम न दिखे
घटा घिरी घनघोर
गरज - चमक कर बरसता
मेघा,ओर न छोर
जो अमृत था बरसता
हमें मिला न आज
पर्व न उस विधि मन सका
जैसा साजा साज़
वृक्ष, पहाड़ों का किया
अपने हाथ विनाश
अब रोने से है भला
क्या आएगा हाथ?
धरती के पुत्रों उठो
समय नहीं है शेष
चुन उपयोगी पौध को
रोपो , मिटे कलेश
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on October 9, 2022 at 11:05pm — No Comments
आज इन्दुमति की शादी है। दलन पाठक पुरोहित हैं। इन्दु के घरवालों के सम्मुख उसे पातिव्रत्य-धर्म की शिक्षा दे रहे है, ‘औरत का सब कुछ पति के लिए होता है। अपना संचित पुण्य, सुरक्षित शील वह मिलन की पहली रात में अपने पति को समर्पित कर धन्य होती है ........।’ बाबा बोलते जाते हैं। घरवाले मुंड हिला-हिलाकर उनकी बातों का समर्थन करते हैं। बीच-बीच में इन्दु से भी पाठक जी पूछ लेते हैं, ‘समझ रही हो न कन्या?’ बेटी नहीं कहते हैं। उन्हें कुछ-कुछ…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 8, 2022 at 5:34pm — 2 Comments
2122 / 1212 / 22
हर तरफ़ रौशनी के डेरे हैं
मेरी क़िस्मत में क्यूँ अँधेरे हैं [1]
एक अर्सा हुआ उन्हें खोये
अब भी कहता है दिल वो मेरे हैं [2]
और कुछ देर हौसला रखिये
शब के…
ContinueAdded by रवि भसीन 'शाहिद' on October 7, 2022 at 11:30am — 12 Comments
‘बदलू नेता का चौदह वर्ष का एकमात्र बेटा ड्रग के ओवरडोज से मर गया। धंधेबाज गंगुआ की गिरफ्तारी हुई है।’ यह खबर शहर के गली-मुहल्ले में आग की तरह फैल गई।लोग कहने लगे, ‘यह बदलू तो पहले चवन्नी छाप पिछलग्गू नेता हुआ। इधर-उधर करके एक बार पार्षद भी बन गया था।इतना घपला-घोटाला किया-कराया कि इसका एक पैर हमेशा जेल में रहता।एक मामले में बाहर आता,दूसरे में गिरफ्तार हो जाता।बाद में इसने चरस-गाँजे का धंधा शुरू किया। जेल भी गया। जहाँ-तहाँ कुछ दे-लेकर…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 7, 2022 at 10:42am — 2 Comments
121 22 121 22 121 22
हरिक धड़क पे तड़प उठें बद-हवास आँखें
बिछड़ के मुझसे कहाँ गईं ग़म-शनास आँखें
कहाँ गगन में छुपे हुये हो ओ चाँद जाकर
तमाम शब अब किसे निहारें उदास आँखें
बिछड़ के तुझसे सिवाय इसके रहा नहीं कुछ
कि एक बिगड़ा हुआ मुक़द्दर क़यास आँखें
यक़ीन होता नहीं कि कैसे चला गया वो
दिखा रही थीं डगर उसी की उजास…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 5, 2022 at 7:00pm — 10 Comments
2122 1212 22
खुद ब खुद हो गया जुदा है ये
दिल हमारा तो मनचला है ये
गुम है दिल ये किसी पहेली में
और कई दिन से सिलसिला है ये
ज़िन्दगी का कोई सबूत नहीं
बस धड़कता सा हादसा है ये
बात करता नहीं कुछिक दिन से
" दिल से अपने हमें गिला है ये "
है समन्दर भी ये हरा अब तो
चांद पूनम तो ज़लज़ला है ये
बदहवासी रही है हावी दिल
भागता बेहिसी मरा है ये
आखिरी दांव…
ContinueAdded by Chetan Prakash on October 5, 2022 at 5:30pm — 1 Comment
सुषमा ने तकिया समीर के सिरहाने कर दी थी।अपना सिर किनारे पर रखा था जो कभी ढुलक कर तकिये से उतर गया था।दोनों गहरी निद्रा में निमग्न थे।अचानक समीर ने करवट बदली।दोनों के नथुने टकराये।उसे आभास हुआ कि सुषमा का सिर तकिया पर नहीं, नीचे है।उसने आँखें खोली। उसे महसूस हुआ ,सुषमा दायीं करवट लेटी थी।उसकी उष्ण साँसें समीर को अच्छी लगीं।वह उसे तकिये पर लाने की कोशिश करने लगा।हालांकि वह चाहता था कि काम भी हो जाये और सुषमा की निद्रा भंग भी न हो।पर जैसे उसने उसे बाँहों में लेकर उसका…
Added by Manan Kumar singh on October 5, 2022 at 5:15pm — 2 Comments
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे. . . .
सदियों से लंकेश का, जलता दम्भ प्रतीक ।
मिटी नहीं पर आज तक, बैर भाव की लीक।।
सीता ढूँढे राम को, गली-गली में आज ।
लूट रहे हर मोड़ पर, देखो रावण लाज ।।
मन के रावण के लिए, बन जाओ तुम राम।
अंतस को पावन करो,हृदय बने श्री धाम।।
कहते हैं रावण बड़ा, जग में था विद्वान ।
पर नारी के मोह ने, छीनी उसकी जान ।।
माँ सीता का कर हरण, इठलाया लंकेश ।
मिटा दिया फिर राम ने, लंकापति…
Added by Sushil Sarna on October 5, 2022 at 1:00pm — 6 Comments
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