कुछ क्षण हीं शेष है अब तो, मिल जाओ तुम तो अच्छा है
कैसे मैं समझाऊँ तुमको, जीवन का धागा कच्चा है
साँस में आस जगी है अब भी, तुम मुझसे मिलने आओगे
आँखें बंद होने से पहले, आँखों की प्यास बुझाओगे
तुम बिन मेरा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 29, 2022 at 3:11pm — No Comments
बह्र : 22 22 22 22
जब तक पैसे को पूजोगे
चोर लुटेरे को पूजोगे
जल्दी सोकर सुबह उठोगे
तभी सवेरे को पूजोगे
खोलो अपनी आँखें वरना
सदा अँधेरे को पूजोगे
नहीं पढ़ोगे वीर भगत को
तुम बस पुतले को पूजोगे
ईश्वर जाने कब से मृत है
कब तक…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 27, 2022 at 7:30pm — 14 Comments
दिल में जो छुपाया है बोलना चाहेंगे
उसे दिल से मिटाया है बोलना चाहेंगे।
करेंगे जतन मिटादें उसकी यादों को
उसे हमने भुलाया है बोलना चाहेंगे।
वो हरगिज़ न रहेगा यादों में मिरी
याद बनके सताया है बोलना चाहेंगे।
बड़ा गुरुर था उसे मुझे अपने प्यार पर
हालात ने मिटाया है बोलना चाहेंगे।
फलक के चाँद से बातें किया रातें जगी मैंने
माहताब भी शर्माया है बोलना चाहेंगे।
अच्छा सिला दिया है मेरे यार ने…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 26, 2022 at 11:09pm — 1 Comment
गज़ल
1212 1122 1212 22
वो जिसकी मैंने मदद की शरर पे बैठ गया
सितारा हो गया सबकी नज़र पे बैठ गया
गरीब जान के जिसकी कभी मदद की थी
वही ये शहर का बालक तो ज़र पै बैठ गया
वो बार-बार मुझे अपने घर बुलाता था
जो एक बार गया मैं तो दर पे बैठ गया
तुम्हारे जाने से पहले न कोई मुश्किल थी
लो फिर हुआ ये कि तूफाँ डगर पे बैठ गया
बदल गये हैं वो हालात ज़िन्दगी के अब
अगर कहूँ तो शनीचर ही सर पे बैठ…
Added by Chetan Prakash on August 26, 2022 at 4:00am — No Comments
ग़ज़ल
जो हसीनों से दिल लगाते हैं
वो हमेशा फरेब खाते हैं
सिर्फ़ कहते हैं वो यही है ग़म
मुझको अपना कहाँ बनाते हैं
ज़द में उनका मकां भी आएगा
जो पड़ोसी का घर जलाते हैं
बेवफ़ाई है आपकी फ़ितरत
हम तो करके वफा निभाते हैं
दिल में उठती है इक क़यामत सी
जब ख़यालों में उनको लाते हैं
पूछता ही नहीं उसे कोई
वो नजर से जिसे गिराते हैं
होश रहता नहीं हमें तस्दीक
उनसे जब भी नजर मिलाते हैं
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by Tasdiq Ahmed Khan on August 23, 2022 at 11:24am — 1 Comment
हमको जाँ से ज़्यादा है प्यारा वतन
सारी दुनिया से बहतर हमारा वतन
आपसी भाइचारे का हो खात्मा
कैसे करले भला ये गवारा वतन
यौमे आज़ादगी का है मंज़र हसीं
ढंक गया है तिरंगों से सारा वतन
सिर्फ़ हिन्दू मुसलमान सिख ही नहीं
सबकी जाँ सबकी आंखों का तारा वतन
दौर - ए - मुश्किल है इसकी हिफाज़त करो
दे रहा है सभी को सहारा वतन
रखिए फिरका परस्तों पे पैनी नज़र
कर नहीं दें ये फिर पारा पारा वतन
इसकी मिट्टी में शामिल है मेरा भी…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on August 23, 2022 at 11:00am — 8 Comments
अंधा, बहरा कभी गूंगा बनता
रिश्तों की जिसको परवाह हो
मान-अपमान का भोग भी करता
चिंतित रहता, परिवार पर उसके कलंक न हो।।
सोच-समझकर सही फैसले लेता
ताकि घर में कलह न हो
उत्तरदायित्व भी लेता हरदम
फैसलों में उसके कभी दो राय न हो।।
शान-शौकत सब भूलता अपनी
पद-प्रतिष्ठा का भी अभिमान न हो
सबकी खुशी में उसकी खुशी है
चाहे किए त्याग का नाम न हो।।
होती जिम्मेदारियां बड़ी है उसकी
जग में चाहे…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on August 23, 2022 at 11:00am — 1 Comment
सिन्दूर कह न सिर्फ सजाने की चीज है
पुरखे बता गये हैं निभाने की चीज है।।
*
इससे बँधा है जन्मों का रिश्ता जमाने में
हक और सिर्फ प्रीत से पाने की चीज है।।
*
भरते ही माग इससे जो विश्वास जागता
भूली जो पीढ़ी उसको बताने की चीज है।।
*
मन में जगाता प्रेम समर्पण के भाव को
केवल न रीत सोच निभाने की चीज है।।
*
इससे हैं मिटाती दूरियाँ केवल न देह की
ये दो दिलों को पास में लाने की चीज है।।
*
छीनो न भाव इसका भले आधुनिक हुए
ये तो जमीर नर …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 23, 2022 at 6:18am — 5 Comments
आज हूं लाचार धीरज मैं दिखाऊँगा
मेहनत से राज करके मैं दिखाऊंगा।।
वक़्त का है काम चलना खुद के ढर्रे पर
ज़िन्दगी को भी मुक़द्दस मैं बनाऊँगा।।
जो भी दुःखियारे हैं उनके दर्द को हूँ जानता
दर्द में हमदर्द बनकर मैं हँसाऊँगा।।
वक्त कब रुकता जहाँ में हो भला या हो बुरा
अनवरत चलता ही रहता मैं बताऊँगा।
हौसलों से ही तो होती हैं उड़ानें आसमां में
बन परिन्दा जोश के पर मैं लगाऊँगा।।
आज के इस दौर में…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 22, 2022 at 9:30pm — 1 Comment
दो भिखारी बीच सड़क पर झगड़ रहे थे। ट्रैफिक दोनों तरफ रुका हुआ था।लोग मौन तमाशबीन बने थे।
"तुम मेरे मुहल्ले में क्यों घुसे?" पहला भिखारी चिल्लाया।
"कौन तेरा मुहल्ला?दूसरे ने सवाल दागा।
"वही बाबा लोगों वाला।वहां केवल मैं भीख मांग सकता हूं,तुम नहीं।"
"क्यों बे? मैं क्यों नहीं?"
"इसलिए कि सामने के मुहल्ले से केवल तुझे भीख मिलती है,मुझे कभी नहीं।तेरी दुआ ही वहां फलती है,मेरा आशीष नहीं।"
"मैं तो बाबा वाले मुहल्ले में भी दुआ बांट आता हूं।कुछ मांगता भी नहीं।"
"अरे,…
Added by Manan Kumar singh on August 22, 2022 at 1:00pm — 2 Comments
प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया
शीर्ष प्रणाम उन गुरुजनों को, ज्ञान का जिन्होंने आशीष दिया
फिर प्रणाम उन पूर्वजों को, मैं जिनका वंशज बनकर जन्मा
शेष प्रणाम उन मित्रजनों को, जिनसे है मुझको प्रेम घना
मैं न भुला उन बहनो को, राखी जिसने बांधी थी
जिसकी सदा रक्षा करने की, मैंने कसमें खाई थी
छोटे-बड़े सब भाई मे,रे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 22, 2022 at 12:30pm — No Comments
221 2121 1221 212
कल रात तेरे शहर से गुज़रे तमाम रात।
ख़्वाबों में हमने देखे वो रस्ते तमाम रात।
मायूसी औ थकन के सिवा कुछ नहीं मिला,
बोझिल सहर की आस में जागे तमाम रात।
जलती ज़मीं की प्यास बुझाने के वास्ते,
तारे फ़लक की गोद में रोये तमाम रात।
अब मिल रही है हमको सज़ा हर गुनाह की,
ख़त तुझको एक उम्र लिखे थे तमाम रात।
मैं शायरी को छोड़के भी खुश न रह सका,
मिसरे महीनों आँखों में तड़पे तमाम…
Added by मनोज अहसास on August 21, 2022 at 11:00pm — 8 Comments
वरिष्ठ नागरिक दिवस पर कुछ दोहे :
अपने बेगाने हुए, छोड़ा सबने साथ ।
हाथ काँपते ढूँढते, अब अपनों का हाथ ।1।
बरगद बूढ़ा हो गया, पीत हुए सब पात ।
मौसम बीते दे गए, अश्कों की सौगात ।2।
वृद्धों को बस चाहिए, थोड़ा सा सम्मान ।
अवसादों को छीन कर , उनको दो मुस्कान ।3।
बहते आँसू कह रहे, व्यथित हृदय की बात ।
जरा काल में ही दिए, अपनों ने आघात ।4।
कौन मानता है भला, अब वृद्धों की बात ।
बात- बात पर अब मिले,…
Added by Sushil Sarna on August 21, 2022 at 1:00pm — 4 Comments
मन्द -मन्द मुस्का रहे, पलने में गोपाल ।
देख - देख गोपाल को, जीवन हुआ निहाल।।
ढोल नगाड़े घंटियाँ, जयकारे का शोर ।
दिग दिगंत से देवता, देखें नन्द किशोर ।।
माँ से माखन माँगता, जग का पालनहार ।
माँ अपने गोपाल को, माखन दे सौ बार ।।
माखन खाते लाल को , मैया रही निहार ।
उसकी तुतली बात पर, माँ को आता प्यार ।।
पाप हरन के वास्ते, हुआ कृष्ण अवतार ।
कान्हा अपने भक्त का, सदा करें उद्धार ।।
ठुमक - ठुमक…
ContinueAdded by Sushil Sarna on August 19, 2022 at 3:00pm — 4 Comments
२२१/२१२१/२२१/२१२
*
फिरती स्वयम् से पूछती राधा कहाँ गये
भक्तों के दुख को भूल के कान्हा कहाँ गये/
*
होने लगा जगत से है नित नाश धर्म का
आने का फिर से भूल के वादा कहाँ गये/
*
गोकुल हो मथुरा द्वारका कन्सों का राज है
जन-जन से ऐसे तोड़ के नाता कहाँ गये/
*
रिश्ते जहाँ में छल के ही आवास अब बने
होता सभा में मान का सौदा कहाँ गये/
*
आओ मिटाने पीर को जन-जन पुकारता
मुरली छिपाये लोक के राजा कहाँ…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2022 at 9:34am — 3 Comments
फूलों को दिल से उगाता कोई
फूल खिलते ही फोटो खिंचाता कोई।१।
है बनावट की दुनियाँ जहाँ देख लो
काम बनते ही हक़ को जताता कोई।२।
फूल खिलते हैं गुलशन में हरदम मगर
उनके जैसी खुशी काश लाता कोई।३।
रङ्ग फूलों के होते बहुत से मगर
फूलों सी ताजगी क्या दिलाता कोई।४।
फूल खुद टूट के भी हैं देते खुशी
उनसे कुर्बां होना सीख पाता कोई।५।
फूल होते हैं नाजुक बहुत ही मगर
फूल सा सब्र खुद में ले आता…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 16, 2022 at 10:11pm — 1 Comment
क्या दबदबा हमारा है!
लोक तन्त्र का सुख भोगेंगे
चुने गए हम राजा हैं
देश हमारा, मार्ग हमारा
हम ही इसके आका हैं
चाहे जितनी गाड़ी रक्खें
फुटपाथों पर, बीच सड़क
हमको भला कौन रोकेगा?
जन प्रतिनिधि ,बेधड़क, कड़क
आस-पास हैं गार्ड हमारे
ले बन्दूकें साथ चलें
डर से जन सहमे रहते हैं
क्या मजाल जो घात करें?
पिए शक्ति-मद हम मतवाले
करते नित्य बवाला हैं
संग चापलूसों का…
ContinueAdded by Usha Awasthi on August 16, 2022 at 8:57pm — 4 Comments
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर कुछ दोहे .....
सीमा पर छलनी हुए, भारत के जो वीर ।
याद करें उनको जरा, भर आँखों में नीर ।।
रक्त लिप्त कुर्बानियां ,मिटने के उन्माद ।
फाँसी चढ़ कर दे गए, हमें वतन आजाद ।।
आजादी की जंग के, वीर रहेंगे याद ।
उन वीरों के स्वप्न का, ध्वज करता अनुवाद ।।
केसरिया तो रंग है, साहस की पहचान ।
श्वेत शान्ति का दूत है, हरा धरा की शान ।।
रंग तिरंगे के बने, भारत की पहचान ।
घर-घर…
Added by Sushil Sarna on August 15, 2022 at 2:47pm — 2 Comments
221 - 2121 - 1221 - 212
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये
क़ुर्बानियाँ शहीदों की भूलेंगे हम नहीं
दिल से कभी हमारे मिटेंगे ये ग़म नहीं
माना वो दर्द हमसे भुलाया न जाएगा
ये जश्न भी ख़ुशी का मिटाया न जाएगा
मिलकर सब एक साथ तिरंगा उठाइये
जय हिंद की सदा से फ़ज़ा को गुँजाइये
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 15, 2022 at 12:05pm — 4 Comments
एक जनम मुझे और मिले, मां, मैं देश की सेवा कर पाऊं
दूध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं
मुझको तुम बांधे ना रखना, अपनी ममता के बंधन में
मैं उसका भी हिस्सा हूँ मां, तुमने है जन्म लिया जिसमे
शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है
लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी, मां, बस एक बलिदान ही मांगे है
सब हीं आंचल मे छुपे रहे तो, देश को कौन संंभालेगा
सीमा पर शत्रु सेना से, फिर कौन कहो लोहा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 15, 2022 at 11:43am — No Comments
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