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Neeraj Nishchal's Blog (70)

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

कण कण में देखें अपने सरबस को ।

शीश मोर मुकुट गले पुष्प माला ।

बड़ो प्यारो लागे मेरा नन्द लाला ।

ललचाये दिल मेरा उनके दरस को |

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

रेशम सी बालों कि लट प्यारी प्यारी ।

चन्दा से मुखड़े पे घटा कारी कारी ।

होंठ छलकाते हैं मधुर मय रस को ।

पियें मोरी अखियाँ श्याम रूप रस को ।

एक हाथ वंशी है तो दूजे लकुटिया ।

मोहताज़ उनकी…

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Added by Neeraj Nishchal on November 9, 2013 at 10:51pm — 22 Comments

मोहब्बत आग का दरिया

मोहब्बत आग का दरिया भरोसा तोड़ देती है ।

खुदी आधी जलाकर ही भला क्यों छोड़ देती है ।

छलावा इस से बढ़कर ना कहीं देखा ज़माने में ।

समंदर गम के भर लाये ख़ुशी कि बूँद पाने में ।

लिए नादान सी हसरत किसी मासूम से दिल को ,

ख़ुशी का आसरा देकर ग़मों से जोड़ देती है ।

अच्छा था खुदी मेरी ये खुद में ही समा लेती ।

कहीं अपनी पनाहों में ये मुझको भी छुपा लेती ।

लुटा बैठा ये दीवाना कहाँ अपना मकां ढूढे ,

ये सबकुछ छीनकर मेरा मुझे क्यों…

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Added by Neeraj Nishchal on November 5, 2013 at 10:30am — 7 Comments

आपका वो मज़ाक अच्छा था

मिले तुम इत्तिफाक अच्छा था ।
हसरते दिल फिराक अच्छा था ।

मुझ से बोला कि प्यार है तुमसे ,
आपका वो मज़ाक अच्छा था ।

पाके खोया तुम्हे तो ये पाया ,
मै तनहा ही लाख अच्छा था ।

नज़रें फेरे जो तुमको देखा तो ,
लम्हा वो दर्द नाक अच्छा था ।

प्यार में मेरे हज़ारों कमियाँ ,
तेरा धोखा तो पाक अच्छा था ।

कस्मे वादे रहीं न रस्में वफ़ा ,
दिल दिल का तलाक अच्छा था ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Added by Neeraj Nishchal on October 29, 2013 at 6:30pm — 12 Comments

इश्कदारी

कभी औरों से टकराते कभी खुद से खफा होते ।

न आते ज़िन्दगी में तुम तो मौसम ए खिजां होते ।

मोहब्बत की पनाहों में हुये हालात ऐसे हैं ,

न खामोशी से छुपते हैं न लफ़्ज़ों से बयाँ होते ।

दिले नादाँ को समझायें ज़रा सी बात कैसे हम ,

प्यार के हादसे अक्सर दिलों के दरमियाँ  होते ।

प्यार कहने की ख्वाहिश में सिमट जाता है अपना दिल,

खुदा तेरी तरह होते जो हम भी बेज़ुबाँ होते ।

खुदी का घर मिटाये बिन सुकूँ का दर नही मिलता…

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Added by Neeraj Nishchal on October 29, 2013 at 6:30am — 19 Comments

दिये की लौ ( लघु कथा )

कृति मौलिक न होने के कारण प्रबंधन स्तर से हटा दी गई है | 

एडमिन 

2013083107 

Added by Neeraj Nishchal on August 29, 2013 at 10:00am — 16 Comments

जन्माष्टमी

कृष्ण का जीवन दर्शन बहुत गहरा और अद्भुत है , और समझने जैसा है । कृष्ण माखन चोरी करते हैं ,

रास रचाते हैं , राजनीति भी करते हैं , प्रतिज्ञा भी तोड़ते हैं , फिर भी हमने उन्हें भगवान् कहा है पूर्णावतार

कहा है उन्होंने जो भी किया हमने उसे लीला कहा है और बिलकुल जब कोई इतना प्रेमपूर्ण व्यक्ति कुछ भी करता

है तो वो लीला हो ही जाता है ।

कृष्ण का जन्म भी बड़े अद्भुत ढंग से हुआ इसे भी समझ लेना चाहिए कृष्ण का जन्म साधारण गर्भ

से नही हो पाता , और वासुदेव देवकी द्वारा भूमि तैयार…

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Added by Neeraj Nishchal on August 28, 2013 at 9:00am — 5 Comments

बन्दगी अस्तित्व की

जो मै हूँ वही है तू , नही गर मै नही है तू ।

नही कुछ तू तू सबकुछ है , तू अंबर है ज़मी है तू ।

हवा भी तू घटा भी तू , तू ही बारिश की रिमझिम है ।

तू ही खिलता है फूलों में , सितारों की तू टिम टिम है ।

जो ना जानू कहीं ना तू , जो जानू तो यही है तू ।

परिंदों के मधुर स्वर में , तू ही नदियों की कल कल में ।

वक्त गुज़रे न गुज़रे तू , तेरा तो वास पल पल में ।

ये जीवन तुझसे पूरा है , तो इसकी हर कमी है तू ।

छुपाकर खुद को परदे में,…

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Added by Neeraj Nishchal on August 27, 2013 at 10:56am — 7 Comments

नज़्म / नीरज

तड़पा करूँ तेरी याद में हर पल ।

बन के रहूँ तेरे प्यार में पागल ।

मेरी जाना । मेरी जाना ।

मेरी जाना । मेरी जाना ।

तुझे भूलूं न कभी तुझे छोड़ूं न कभी ।

तेरे लिए मै जियूँ तू है मेरी ज़िन्दगी ।

दीवाने दिल की चाहत बनकर ।

आती हो मेरे ख़्वाबों में अक्सर ।

मेरी जाना । मेरी जाना ।

मेरी जाना । मेरी जाना ।

तेरा सपना सजाऊं तुझे अपना बनाऊं ।

लाऊं तोड़ के तारे तेरी मांग सजाऊं ।

तोड़ न जाना जन्मों…

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Added by Neeraj Nishchal on August 22, 2013 at 4:57pm — 4 Comments

मेरे पागल दिल से पूछो [नज़्म]

तुमसे बिछड़ के क्यों जीता हूँ ,

मेरे पागल दिल से पूछो ।

दर्द के आंसू क्यों पीता हूँ ,

मेरे पागल दिल से पूछो ।

तनहाई के दौर बहुत हैं ।

दर्द मिले इस तौर बहुत हैं ।

ये न समझना एक तुम्ही हो,

दिल के साथी और बहुत हैं ।

टूटे सपने क्यों सींता हूँ ,

मेरे पागल दिल से पूछो ।

माना तुमसे दूर बहुत हैं ।

हम दिल से मजबूर बहुत हैं ।

प्यार की रस्मे कैसे निभायें,

दुनिया के दस्तूर बहुत हैं ।

किन…

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Added by Neeraj Nishchal on August 22, 2013 at 4:31pm — 11 Comments

बन्दगी ज़िन्दगी की [सूफी गीत]

दिल से उतरा है रूह का तराना समझिये ।

उसकी बन्दगी में मिला ये नज़राना समझिये ।

दिल से दिल के तारों को जोड़कर ज़रा ,

मेरा ये अंदाजे बयाँ सूफियाना समझिये ।

........................................................................

बिन ताल कभी नाचा करिये, बिन सुर भी कभी गाया करिये |

अपने मुख पर एक गहन हंसी बेवज़ह कभी लाया करिये ।

फूलों ने कौन वज़ह मांगी गुलशन महकने से पहले ।

पक्षियों ने रब से क्या चाहा डालों पे चहकने से पहले…

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Added by Neeraj Nishchal on August 20, 2013 at 9:30pm — 5 Comments

फ़रियाद [ग़ज़ल ]

सहरा में कहीं खो जायें न हम, आवाज़ हमें देते रहना ।

नयी राहों का नयी मंजिल का, आगाज़ हमें देते रहना ।

माना कि उदासी के सायें कभी हमको घेर भी लेते हैं ,

खुश रहकर जीने का अपना, अन्दाज़ हमें देते रहना ।

जब गिरने लगे ये तनहा मन घनघोर निराशा के तल में,

ऐसे में अपनी उल्फत की, परवाज़ हमें देते रहना ।

भावों की लहर जब उठती है, शब्दों के शहर बह जाते हैं ,

वो प्यार सहेजने को अपने, अल्फ़ाज़ हमें देते रहना ।

जो दिल में हमारे रहती…

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Added by Neeraj Nishchal on August 18, 2013 at 12:00am — 12 Comments

प्यार में उनके जो हम [ग़ज़ल ]

प्यार में उनके जो हम सब लुटाने में रहे ।

फिर किसी काबिल नही हम ज़माने में रहे ।



दर्द को बदनाम करना अपनी फितरत में न था ,

तनहा रोये महफ़िलों में मुस्कराने में रहे ।



चोट देने का तरीका ना हमे आया कभी ,

हम हमेशा से ही आगे चोट खाने में रहे ।



पूछो ना मजबूरियों के क्या सितम हमने सहे ,

याद वो ही कर गये जो भुलाने में रहे ।



वो वफ़ा कसमें वो सारी और वादे प्यार के ,

तोड़ने में वो रहे और हम निभाने में रहे ।



ज़िन्दगी के दरमियाँ कुछ और… Continue

Added by Neeraj Nishchal on August 16, 2013 at 8:42pm — 11 Comments

ग़ज़ल / आज़ादी

अपनी इस ग़ज़ल के साथ सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूँ

आये लौट आज़ादी आज अपनी जवानी में ।

के फहरा दो तिरंगा फिर हवाओं की रवानी में ।

उड़ा दो फिर वही बादल आसमाँ में गुलालों के ,

गुलाबी रंग मिल जाए आज फिर आसमानी में ।

हिमालय की पनाहों में शहीदों को सलामी दे ,

कोई तो गीत गूँजेगा आज गंगा के पानी में ।

बनायें उनके सपनों का चलो आज़ाद भारत हम ,

जिन्होंने ख्वाब देखा था ये अपनी जिंदगानी में ।

आँखों…

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Added by Neeraj Nishchal on August 15, 2013 at 2:00pm — 19 Comments

निगाहों ने छुपा रखी समन्दर की निशानी है

निगाहों ने छुपा रखी समन्दर की निशानी है ।

बहा करता है अश्कों में ये जो खारा सा पानी है ।

ये मानो या न मानो तुम कोई सागर तो है दिल में,

उठा करती यहाँ पल पल जो मौजों की रवानी है ।

हज़ारों दर्द सहकर भी मोहब्बत छोड़ ना पाया ,

अकेला दिल नही मेरा ये हर दिल की कहानी है ।

इश्क से रूबरू होकर नए हर दिल के किस्से हैं ,

मगर ये चीज उल्फत तो यहाँ सदियों पुरानी है ।

भले ही दुनियादारी के बड़े नादान पंछी हम ,

मगर दिल…

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Added by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 3:07pm — 12 Comments

ग़ज़ल / नीरज

दर्दे सितम जो डोरे दिल कमज़ोर कर गए ।

माला से दिल की टूट कर मोती बिखर गए ।



ता उम्र हमने रखा जिनको सहेज़ कर ,

हाथो से मेरे छूट कर जाने किधर गए ।



अरमा अधूरे रह गये दिल में जो प्यार के ,

बनकर के अश्क वो मेरी आँखों में भर गए ।



आये थे दिल की दास्ताँ सुन ने वो शौक से ,

गहराइयों में दिल की झाँका तो डर गए ।



दो पग भी उनके बिन चलूँ मुमकिन न हो सका ,

हमतो खड़े ही रह गए रस्ते गुज़र गए ।



ज़िंदा हमे समझ रहे उनको खबर नही ,

जिस रोज… Continue

Added by Neeraj Nishchal on August 9, 2013 at 10:01am — 20 Comments

है ज़मी पर शोर कितना [ग़ज़ल]

है ज़मी पर शोर कितना , आसमाँ खामोश है ।

मन में लाखों हलचलें हैं , आत्मा खामोश है ।

ना कभी करता सवाल , ना कभी देता जवाब ,

हमको देकर ज़िन्दगी , परमात्मा खामोश है ।

आदमीयत सड़ रही , लुट रहा बागे जहाँ ,

पर कहीं चुप चाप बैठा , बागबाँ खामोश है ।

चाहतें दुनिया की ज्यादा , देर तक चलती नहीं,

ताज़ की बरबादियों पर , शाहजहाँ खामोश है ।

जो हकीकत थे कभी, बनकर फ़साने रह गए ,

वक्त के हाथों लुटा , हर कारवाँ खामोश है…

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Added by Neeraj Nishchal on July 20, 2013 at 6:00pm — 18 Comments

दीवाने तो दीवाने हैं [सूफी गीत]

रचना ओ बी ओ नियमानुसार न होने और लेखक के अनुरोध पर हटा दी गई है |

एडमिन

2013071407

Added by Neeraj Nishchal on July 12, 2013 at 11:30am — 12 Comments

खुदा की धरती खुदा का अम्बर

दोस्तों अपने इस के साथ आप सबको

रमजान की मुबारक वाद देता हूँ ...................................

खुदा की धरती खुदा का अम्बर ,

खुदा की कुदरत पे किसका हक़ है ।

वो ही बनाये वो ही मिटाए ,

कि उसकी रहमत पे किसको शक है ।

कमाये तुमने यहाँ पे लाखों ,

मगर तमन्ना चुकी नही है ।

ये सुन लो जिस पे है नाज़ तुझको ,

वो जिंदगानी तेरी नही है ।

ज़रा तो सोचो जो तुमने पायी ,

वो तेरी शोहरत पे किसका हक़ है…

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Added by Neeraj Nishchal on July 11, 2013 at 11:30am — 8 Comments

मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम [नज़्म ]

मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम ।

मुझको जीने न दे बेवफाई का गम ।

बदले दुआ के दगा दे गये ।

मोहब्बत की ऐसी सजा दे गये ।

कोई जाकर उन्हें ये बताये ज़रा ,

क्या माँगा था हमने वो क्या दे गये ।

ये हाल दिल का मै किस से कहूँ ,

कौन समझेगा दिल की दुहाई का गम ।

मेरे टूटे दिल की वफ़ा के लिए ।

इन धडकनों की सदा के लिए ।

तुझको कसम है कि मिलने मुझे ,

बस एक बार आजा खुदा के लिए ।

जिसको मिला…

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Added by Neeraj Nishchal on July 10, 2013 at 11:12am — 16 Comments

चुरा लेता है दिल सबका [गीत]

चुरा लेता है दिल सबका ,

बड़ा चित चोर है मोहन ।

कि हर जर्रे में बसता है ,

नही किस ओर है मोहन ।

निगाहोँ में भरा हो जब ,

प्रभू के प्रेम का प्याला ।

दिखायी हर जगह देगा ,

तुम्हे वो बांसुरी वाला ।

हर सच्चे दीवाने को

यही महसूस होता है ,

है छाया हर जगह उसकी

बसा हर ठौर है मोहन ।

न दौलत का वो भूखा है ,

न रिश्वत से ही बिकता है ।

हमारी आँख का तारा ,

मोहब्बत से ही बिकता है ।

ज़माना कुछ…

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Added by Neeraj Nishchal on July 9, 2013 at 11:44am — 18 Comments

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