For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

January 2013 Blog Posts (174)

राजनैतिक षड्यंत्र का शिकार हिंदी...संजीव वर्मा 'सलिल'

विशेष आलेख

      राजनैतिक षड्यंत्र का शिकार हिंदी …

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on January 14, 2013 at 12:00pm — 10 Comments

महाकुम्भ

मकर संक्रांति पर्व है,बीस तेरहा साल,

संगम घाट प्रयाग का,बजे शंख अरु थाल/

 

शाही सवारी चलती,होती जय जयकार,

चलते साधू संत है, करें अजब श्रृंगार/

 

प्रथम शाही स्नान करे, महाकुम्भ शुरुआत,

साधू संत नहा रहे,क्या दिन अरु क्या रात/

 

भीड़ भरे पंडाल हैं,गूंजे प्रवचन हाल,

श्रोता शिक्षा पा रहे,झुका रहे हैं भाल/

 

जुटे कोटिशः जन यहाँ,लेकर उर आनंद,

पाय   रहे  प्रसाद सभी, खाएं परमानंद/

Added by Ashok Kumar Raktale on January 14, 2013 at 9:00am — 16 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
मकर संक्रान्ति : कुछ तथ्य // --सौरभ

मकर संक्रान्ति का पर्व हिन्दुओं के अन्यान्य बहुसंख्य पर्वों की तरह चंद्र-कला पर निर्भर न हो कर सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है. इस विशेष दिवस को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं.

पृथ्वी की धुरी विशेष कोण पर नत है जिस पर यह घुर्णन करती है. इस गति तथा पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर वलयाकार कक्ष में की जा रही परिक्रमा की गति के कारण सूर्य का मकर राशि में प्रवेश-काल बदलता रहता है. इसे ठीक रखने के प्रयोजन से प्रत्येक…

Continue

Added by Saurabh Pandey on January 14, 2013 at 4:00am — 45 Comments

थकन से चूर मुझसे एक दिन सप्ताह ने बोला

ज़माने को सरल सीधे , नहीं चेहरे सुहाते है 

हैं अब दर्पण वही जिनको , नहीं श्रृंगार भाते हैं 

 
कभी सौगंध पर इक , था चलन सौ बार मरने का 
मगर अब इक कसम निभती नहीं सौ बार खाते है 



वही अब शख्स है मशहूर हर महफ़िल में देखा है 

जिसे बस झूठ और साजिश के सब व्यौहार आते हैं 
 
उसे मंज़ूर कब होंगी फरेब और झूट की दौलत 
वो बन्दा…
Continue

Added by ajay sharma on January 13, 2013 at 11:51pm — 7 Comments

नया विश्व ..

शिक्षित बनो ,

शिक्षा का विस्तार करो !

परतंत्रता के  जंजीरों से मुक्त हो ,

नए विचारों का स्वागत करो !

 

सृष्टि का मूल हो तुम ,

अपना महत्व समझो ,जानो !

मूक बन अब न सहो 

उठो, बोलो 

विश्व को अपने विचारों से अवगत करो !

 

इस विश्व के…

Continue

Added by Anwesha Anjushree on January 13, 2013 at 9:38pm — 10 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
श्वेत बर्फीला कश्मीर

उड़ेल दिए क्या नमक के बोरे ,या चाँदी  की किरचें  बिछाई 

लटके यहाँ- वहां  रुई के गोले  क्या  बादलों   की फटी रजाई 

मति मेरी  देख- देख चकराई |

डाल- डाल पर  जड़े कुदरत ने जैसे धवल नगीने चुन- चुन कर  

लगता कभी- कभी  जैसे धुन रहे …

Continue

Added by rajesh kumari on January 13, 2013 at 7:08pm — 14 Comments

प्रकृति सौन्दर्य

कितने सुन्दर लग रहे थे ,
डाल पर हिलते सुमन !
मंत्र मुग्ध हो गया सुन ,
भ्रमरों के मधुर गुंजन !!
प्रकृति की अनुपम सुन्दरता,
कितनी कोमल और अनंत !
कल्पने से परे है ,
निर्माणकर्ता की सोच अनन्त !!
पुष्प आगंतुक को सदैव ,
सस्नेह प्रफुल्लित करता है !
हो कोई कैसी भी ऋतू ,
तत्पर सेवा में रहता है !
वातावरण रहेगा सदैव ,
मुस्कुराता मंद मंद !
बस निकलती…
Continue

Added by ram shiromani pathak on January 13, 2013 at 4:00pm — 3 Comments

आधुनिकता

अजीब विडम्बना देखो ,
शिष्टाचार विलुप्त हो गया !
बेटा! बेटा नहीं रहा ,
बाप हो गया !
लज्जा आती है इन्हे ,
प्रणाम ,.नमस्कार करने में !
थोडा भी संकोच नहीं ,
महिला मित्र से गले मिलने में !!
मै सोच रहा हूँ ,
क्या होगा आनेवाला कल !
मेरे उदार संस्कारों का ,
कैसा है ये फल !!
प्रायः सुनता रहता हूँ ,
हाय ,बाय और हेल्लो ,
कितना स्नेह छुपा है इनमे…
Continue

Added by ram shiromani pathak on January 13, 2013 at 4:00pm — 6 Comments

गजल - कशाकश !!!

समय के इस कशाकश में, बदलना सीख जायेंगे
गिरेंगे फिर उठेंगे, खुद ही चलना सीख जायेंगे ।

नदी नालों ने ली है जान कुछ लाचार धारों की
करो मजबूत पैरों को, ये पलना सीख जायेंगे ।

कटे पंखों से उडती है जिगर वाली वो गौरेया,
नये मौसम में पर फिर से निकलना सीख जायेंगे ।

नहीं पहचानते बच्चे अभी तक लाल अंगारा,
हथेली पर रखेंगे तो ये जलना सीख जायेंगे ।

'सलिल' छोड़ो ये वैशाखी चलो थामो कलम-कागज,
सियासत डगमगायेगी, बदलना सीख जायेंगे ।

Added by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 13, 2013 at 3:26pm — 10 Comments

आज के युवा बनाम राष्ट्रीय युवा दिवस (व्यंग्य) // -शुभ्रांशु

आज मुहल्लेवालों ने राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. लाला भाई के प्रयास से ही आज का आयोजन सम्भव हो पाया था इसलिये वे बहुत ही प्रसन्न दिख रहे थे. कार्यकारिणी के सभी सदस्यों के अनुरोध पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लाला भाई को ही बनाया गया था.

इस वर्ष ठंढ ने न्यूनतम होने के कई सारे रिकार्ड तोड दिये थे. मैं भी शरीर पर कई तह में कपडे तथा सिर पर कनटोप और मफ़लर के साथ जमा था. कडाके की ठंढ आदमी को प्याज के छिलकों की तरह वस्त्र पहनने को विवश कर देती है. तीन-चार…

Continue

Added by Shubhranshu Pandey on January 13, 2013 at 12:30am — 13 Comments

माँ तुमसॆ बलिदान माँगती है

माँ तुमसॆ बलिदान माँगती है :--

========================

भारत कॆ सैनिकॊं की हत्या पर, इंद्रासन हिला नहीं,

प्रलयं-कारी शंकर का क्यॊं, नयन तीसरा खुला नहीं,

शॆष अवतार लक्ष्मण जागॊ, मत करॊ प्रतीक्षा इतनी,

मर्यादाऒं मॆं बंदी भारत माँ,दॆ अग्नि-परीक्षा कितनी,

हॆ निर्णायक महा-पर्व कॆ, तुम फिर सॆ जयघॊष करॊ,

युद्ध-सारथी बन भारत कॆ, जन-जन मॆं जल्लॊष भरॊ,

भारत माँ की बासंती चूनर,तुमसॆ नया बिहान माँगती है !!

महाँकुम्भ मॆं महाँ-युद्ध कर, यॆ रक्तिम स्नान माँगती…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 12, 2013 at 10:30pm — 12 Comments

पाठक नामा- मेरी आपबीती: बेनज़ीर भुट्टो पर संजीव 'सलिल'

पाठकनामा:

संजीव 'सलिल'

*

गत दिनों बेनजीर भुट्टो की लिखी पुस्तक मेरी आपबीती पढ़ी. मेरे पिता की हत्या, अपने ही घर में बंदी, लोकतंत्र का मेरा पहला अनुभव, बुलंदी के शिखर छूते ऑक्सफ़ोर्ड के सपने, जिया उल हक का विश्वासघात, मार्शल लॉ को लोकतंत्र की चुनौती, सक्खर जेल में एकाकी कैद, करचे जेल में- अपनी माँ की पुरानी कोठारी में बंद, सब जेल में अकेले और २ वर्ष, निर्वासन के वर्ष, मेरे भाई की मौत, लाहौर वापसी और १९८६ का कत्ले-आम, मेरी शादी, लोकतंत्र की नयी उम्मीद, जनता की जीत,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on January 12, 2013 at 8:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल

=========ग़ज़ल=========

बहरे जदीद मुसद्दस महजूफ मक्फूफ़ मुतव्वी

वजन - 212 2121 2112



बात करना बड़ी बड़ी ही सही

झूठ हो या सही सही ही सही



इश्क के हर कदम पे वादे हों

तब तो करना है दोस्ती ही सही



गरचे…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 12, 2013 at 6:25pm — 5 Comments

मकर संक्रांति पर्व

मकर संक्रांति पर्व है, चौदह जनवरी जान

उत्तरायण सूर्य का है, देख शास्त्रीय विज्ञान

पित्त कफ़ वायुप्रकोपहै,शुष्क ठण्ड के रोग .

ओजस्वी उर्जावान सूर्य किरणे करे निरोग

छत पर, खुले में जा लोग पतंग खूब उड़ाते

दूर उडती पतंग निहार नयन ज्योति बढ़ाते

मानसिक संतोष,औ तंदुरस्ती चाहे बढ़ाना

गरीब औ अनाथ को ठण्ड में वस्त्र…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 12, 2013 at 2:00pm — 12 Comments

हद है

मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,

लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,

सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,

आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 12, 2013 at 11:00am — 10 Comments

दो-दोहे- अपने सुख की खोज में...

एक.

अपने सुख की खोज में,सब जा रहे विदेश।

वहां जा कर पता चला, कितना अच्छा देश।।

दो-

सब बदलने की कोशिश,करते हैं सब आज।

आदमी वहीं का वहीं, बदला नहीं समाज।।

Added by सूबे सिंह सुजान on January 12, 2013 at 10:57am — 7 Comments

आक्रोश

घटना ऐसी घटित हो गयी सुनकर भारत रोया है,

वीर सपूतो को फिर से इस मात्रभूमि ने खोया है.

छल कर गया पड़ोसी उसने अपनी जात दिखा डाली,

सोते सिंहो पर हमला अपनी औकात दिखा डाली.

खून हमारा उबल उठा है पाक तेरी नादानी से,

दिल्ली कैसे सहन कर गयी सोंचू मै हैरानी से.

आज हमारी सहनशक्ति का बाँध तोड़ डाला तूने,

सोये सिंह जगाकर अपना भाग्य फोड़ डाला तूने.

अरे भेंड़िये कायरपन पर बार-बार धिक्कार तुझे,

हिन्दुस्तानी बच्चा-बच्चा देता है ललकार तुझे.

कूटनीति अपनाने वाले…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 9:30am — 12 Comments

उमड़ते विचार ..

टूटती सी ताल है ,भेड़िये की खाल है ..

चीख भी न सुन सके ,कानों का ये हाल है।।

बात तो तपाक सी ,गंदली नापाक सी ..

रोम रोम जल उठे ,'तीन पात ढाक' सी ..

गंगा निर्मल कहाँ ,प्रण में अब बल कहाँ ..

स्वच्छ जलधार हो ,कोई भी हल कहाँ?

स्वदेश है पुकारता ,स्वजनों से हारता ,

हिन्द के लिए कहाँ ,स्वयं कोई वारता ?

कुर्सी में गोंद है, उठना मोहाल है …

Continue

Added by Lata R.Ojha on January 12, 2013 at 3:00am — 10 Comments

ककहरा

ककहरा



क- काले दिल कपड़े सफ़ेद

ख- खादी की नियत में छेद

ग- गद्दार देश को बेच रहे

घ- घर को रहे भालो से भेद

इसके बाद कुछ नहीं

मानो हुआ कुछ नहीं…



च- चिड़िया थी जो सोने की

छ- छलनी है आतंक की गोली से

ज- जहां तहां है ख़ून खराबा

झ- झगड़े, जात-धर्म की बोली से

इसके बाद कुछ नहीं

मानो हुआ कुछ नहीं…



ट - टंगी है आबरू चौराहे पे माँ की

ठ - ठगी सी आंसू बहाती है

ड - डरी हुयी है बलात्कारियों से

ढ - ढंग से जी नहीं…

Continue

Added by Ranveer Pratap Singh on January 11, 2013 at 11:30pm — 11 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service