पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको तरल बनाइये ।
मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।
मुझे शक है अपने आप पर बिश्वास भी खुद पर नहीं ।
मेरी पकड़ भी कमजोर है हाथों में मेरे बल नहीं…
ContinueAdded by Mukesh Kumar Saxena on March 7, 2013 at 11:09am — 7 Comments
मूँगफली खा चच्चा बोले
बहू आज कुछ चने भिगोले
कल को रोटी संग बनाना
जरा चटपटे आलू-छोले l
सारा दिन तू काम में पिस्से …
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on March 7, 2013 at 1:30am — 17 Comments
विशेष दिन....
कलैंडर कैसा भी हो
अंधेरे मे भी चमकती है वो
मुझे अपने महबूब से भी
अधिक खूबसूरत लगती है वो...
शादी की हो सालगिरह या जन्मदिन
साल मे आते केवल एक बार
मगर हर महीने इनसे भी…
Added by pawan amba on March 7, 2013 at 12:17am — 8 Comments
बहर : २१२२ ११२२ ११२२ २२
-------------------------------------
करके उपवास तू उसको न सता मान भी जा
तेरे अंदर भी तो रहता है ख़ुदा मान भी जा
सिर्फ़ करने से दुआ रोग न मिटता कोई
है तो कड़वी ही मगर पी ले दवा मान भी…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 6, 2013 at 11:52pm — 17 Comments
अब बिन तेरे मुझसे रहा नहीं जाता।
तुझसे दूरी का दर्द सहा नहीं जाता।।
ख़ुद से ज़्यादा चाहते हैं तुम्हें,पर ये
अब तुमसे क्यों कहा नहीं जाता ?
प्यार तो अपने -आप ही होता है,
कभी ये किसी से किया नहीं जाता।
आँखों में ऐसे बसी है तस्वीर तेरी,
आँसुओं से इसे मिटा दिया नहीं जाता।
हर धड़कन अब तेरा ही नाम लेती है,
मुझसे अब राम -नाम जपा नहीं जाता।
बेशक़,जी रहे हैं तुझसे दूर होकर हम
पर अब बिन तेरे जिया नहीं जाता।
कोई तो बात होगी तुममें और…
Added by Savitri Rathore on March 6, 2013 at 11:30pm — 8 Comments
कांपे निशाचर थर-थर-2 ,देख रूप विकराल !
उनको ऐसा लग रहा ,खड़ा सामने काल !!
खड़ा सामने काल ,सभी निशिचर घबराये!
लिये हाथ में खड्ग ,सबै चंडी दौड़ाये!!
लगे भागने दुष्ट ,मृत्यु सम्मुख जब भांपे ,
देख भयंकर रूप ,तीनो लोक फिर कांपे !!
राम शिरोमणि…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on March 6, 2013 at 8:06pm — 3 Comments
खुरच शीत को फागुन आया
फूले सहजन फूल
छोड़ मसानी चादर सूरज
चहका हो अनुकूल
गट्ठर बांधे हरियाली ने
सेंके कितने नैन
संतूरी संदेश समध का
सुन समधिन बेचैन
कुंभ-मीन में रहें सदाशय
तेज पुंज व्योमेश
मस्त मगन हो खेलें होरी
भोला मन रामेश
हर डाली पर कूक रही है
रमण-चमन की बात
पंख चुराए चुपके-चुपके
भागी सीली रात
बौराई है अमिया फिर से
मौका पा माकूल
खा…
ContinueAdded by राजेश 'मृदु' on March 6, 2013 at 12:44pm — 12 Comments
राग-रागिणी प्रेम की, उन्नत भ्रष्टाचार,
बहलाए फुसलाय के, देती माँ आहार,
देती माँ आहार, बाल शिशु जब भी रोये,
लोरी देत सुनाय, नहीं जो शिशु को सोये,
पति को रही लुभाय, मधुर व्यंजन से भगिणी,
उन्नत भ्रष्टाचार, प्रेम की राग-रागिणी//
Added by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 12:30pm — 7 Comments
कवि का प्यार
जब एक कवि को हुआ, कवियत्री से प्यार
दिलो जान से उस पर हुआ निसार
कवि का एकतरफा दिल, गया मचल
हास्य छोड़कर, वो लिखने लगा गजल
गजल लिखकर कवियत्री को पोस्ट करने लगा
जिस कवि सम्मेलन मै कवियत्री हो, उसे होस्ट करने लगा
कवि सम्मेलन मै कवियत्री आये
इस चक्कर मै उसने अनेक कवि सम्मेलन अपनी जेब से करवाये
कवि उस पर बुरी तरह मरने लगा
उसकी कविता पर कुछ ज्यादा ही बाह बाह करने लगा
उनका सानिध्य पाने की हर कोशिश…
ContinueAdded by Dr.Ajay Khare on March 6, 2013 at 11:55am — 11 Comments
मौलिक व अप्रकाशित
दो भाई - राम लक्ष्मण!
दो भाई - कृष्ण बलराम!
दो भाई - पांडु और धृतराष्ट्र !
दो भाई - दुर्योधन दुशासन!
दो भाई - रावण और विभीषण!
दो भाई - भारत और पकिस्तान!
दो भाई - हिन्दी चीनी भाई भाई !
ऊपर के सभी उदाहरण जग जाहिर है ..पर
दो भाई - भुवन और चंदर ....
मैं इन्ही दोनों के बारे में लिखने वाला हूँ.
ये दोनों भाई है- मिहनती और इमानदार !
पांच…
ContinueAdded by JAWAHAR LAL SINGH on March 6, 2013 at 7:00am — 5 Comments
=========ग़ज़ल =========
झूठ कहता बाप से माँ से हुआ अनजान है
भूल क्यूँ जाता है बेटा वो उन्ही की जान है
है दगा रग रग में जिसकी झूठ जिसकी शान है
दूर से पहचान लें वो इक सियासतदान है
मौन हर मौसम में वो रहता है गम हो या ख़ुशी
इस हुनर को देख शायर हो गया हैरान है
खूब भर लो धन घरों में याद रखना तुम मगर
आखिरी मंजिल सभी की है तो कब्रिस्तान है
हर तरफ ही लूट हत्या रेप ऐसे…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on March 5, 2013 at 10:42pm — 14 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 5, 2013 at 9:00pm — 2 Comments
मन को ऐसा राखिये ,जैसे गंगा नीर !
निर्मल जल से जिस तरह ,रहता स्वच्छ शरीर !!
************************************************
मोल भाव ना ज्ञान का ,क्रय-विक्रय ना होय!
खर्च करो जितना इसे ,वृद्धि निरंतर होय !!
******************************************…
Added by ram shiromani pathak on March 5, 2013 at 8:30pm — 5 Comments
बाबा आए, बाबा आए
भरे हुए दो झोले लाए झोले में सपनों की बातें तारों भरी सुहानी रातें देख उन्हें राजू भी दौड़ा कर्मकीट सा… |
Added by राजेश 'मृदु' on March 5, 2013 at 5:44pm — 3 Comments
क़लम कोमा मे आ गयी है मेरी,
ब्रेनस्ट्रोक ज़बरदस्त लगा है इसको,
रगों मे दौड़ती स्याही पे बड़ा प्रेशर है,
क्या लिखे, क्या ना लिखे, कितना चले, कैसे चले,
सुना था तेज़ चलेगी ये तलवार से भी,
इस दफ़ा खुद ही कट के रह गयी ज़ुबान इसकी,…
Added by Sarita Sinha on March 5, 2013 at 4:30pm — 3 Comments
मित्रों , आज आप सभी के अवलोकन हेतु ..... ब्रिज मंडल की होली की एक छोटी सी झलकी | आशा है आपको यह होली गीत पसंद आएगा |
कान्हा ने होरी खेलन को टोली मस्त बनायी है
ग्वाल ,बाल सब रंग डारे गोपी डरकर घबराई है
ब्रज मंडल में बरसाने से राधा जी की सखियों ने
रंग लायी भर भर पिचकारी धूम मचाने आई है ||
पकड़ो -पकड़ो - इसको श्याम बड़ा नटखट ये
चुपके - छुपके बैठा गोपी संग घूंघट में
घेर…
Added by Manoj Nautiyal on March 5, 2013 at 3:51pm — 4 Comments
कल -कल की ध्वनि आ रही ,सुनो मधुर संगीत !
प्रकृति बांसुरी बजती,होता यही प्रतीत !!
शीतल बयार बह रही ,तन-मन ठंडा होय !
देख भ्रमर दल पुष्प पर,ह्रदय प्रफुल्लित होय !!
तरुवर की छाया मिले ,लिये बिछौना घास !
इस प्रकृति वरदान में ,सब ले खुलकर स्वास !!
पेड़ों की रक्षा करो ,कटने ना दें आप !
सबको ,कमी से इनके ,लगे भयानक श्राप !!
राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित
Added by ram shiromani pathak on March 5, 2013 at 3:12pm — 4 Comments
मद्रास हाई कोर्ट से ८ मार्च को सेवा निवृत हो रहे सर जस्टिस चंद्रू, फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट से 83 गुना फ़ास्ट है और
प्रतिदिन 6O मामले निपटाते है। गर्मी की छुट्टियों में घर पर होमवर्क कर कोर्ट खुलते ही 2OO फैसले सुनाते
है।(३ मार्च के दैनिक भास्कर में छपी खबर…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 5, 2013 at 2:30pm — 13 Comments
Added by asha pandey ojha on March 5, 2013 at 1:30pm — 8 Comments
अखिल भारतीय साहित्यकला मंच
द्वारा
काठमाण्डु (नैपाल) में आयोजित
(अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समारोह - 8 जून 2013 से 11 जून, 2013 तक) …
Added by asha pandey ojha on March 5, 2013 at 1:30pm — 53 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |