अरुण करुण रतनार गगन में
कुछ चंचल कुछ शांत भाव में लीन
अद्वैत रागिनी अलापती ...
धुल धूसित आभा से कुछ थकी मंशा से
मधुर-मधुर करुण ध्वनि की रागिनी !
यों डगमग हलचल सरिता की लहरों सी
उथल पुथल कर गिरती चलती
असफल पथिक की करुण कथा
शांत-शांत शून्य में झाँकती
रोती मुस्कराती रूपसी
हरित धरा के अधर…
Added by Raj Tomar on June 10, 2012 at 8:16pm — 5 Comments
अब मुझे पता न बताओ मेरी मंजिलो का
पूझे पता है की मुझे जाना किधर है
वही से आया हू वही जाऊंगा बेफिक्र रह
चाहो तो भाल पर पढ़ लो नक्सा इधर है
लूटे नहीं इस शहर में अमीर के घर…
Added by yogesh shivhare on June 10, 2012 at 5:30pm — 4 Comments
सदा मैंने सुनी उसने कहा जैसे
नहीं आती नज़र वो है खुदा जैसे
ग़मों में भी हसीं मुस्कान रखते हैं
कभी पानी न आँखों से बहा जैसे
उसे मैं देख कर खो ही गया मौला
कोई शायर ग़ज़ल से मिल रहा जैसे…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 10, 2012 at 4:46pm — 3 Comments
न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये
किस बात पे चर्चे हों जाएँ ,फिर कैसा फ़साना हो जाये
Added by Nilansh on June 10, 2012 at 10:55am — 8 Comments
आज 9 जून, 2012 को डॉ. किरण बेदी जी का जन्मदिन है. उन्होंने आज अपना जन्मदिन बंगला साहिब गुरूद्वारे में ही मनाया. उनके निमंत्रण पर आपका मित्र सुमित प्रताप सिंह पहुंचा सुनने बंगला साहिब में अरदास...
डॉ. किरण बेदी जी को उनके जन्मदिन पर दिल्ली गान की सी.डी. व ओउम् भेंट करते हुए आपके अपने सुमित प्रताप सिंह बोले तो…
Added by SUMIT PRATAP SINGH on June 9, 2012 at 6:59pm — 4 Comments
Added by Monika Jain on June 9, 2012 at 6:16pm — 2 Comments
रामदेव से मिल गये अन्ना बाबाजी
राहुल की माँ रह गई भन्ना बाबाजी
काला धन यदि सचमुच वापिस आया तो…
Added by Albela Khatri on June 9, 2012 at 12:00pm — 19 Comments
गीत:
थिरक रही है...
संजीव 'सलिल'
*
थिरक रही है,
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...
*
बाधाओं की चट्टानों पर
शिलालेख अंकित प्रयास के.
नेह नर्मदा की धारा में,
लहर-भँवर प्रवहित हुलास के.
धुआँधार का घन-गर्जन रव,
सुन-सुन रेवा सिहर रही है.
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...
*
मौन मौलश्री ध्यान लगाये,
आदम से इन्सान बनेगा.
धरती पर रहकर जीते जी,
खुद अपना भगवान गढ़ेगा.
जिजीविषा सांसों की अप्रतिम
आस-हास बन बिखर रही है.
मृदुल चाँदनी…
Added by sanjiv verma 'salil' on June 9, 2012 at 11:59am — 6 Comments
Added by Admin on June 8, 2012 at 11:04pm — 2 Comments
कैसी हलचल ह्रदय में ,आंख में कैसा गंगाजल
कैसा जीवन है ये जहा, मरता है मन पल पल .
सब यहाँ लिए है नयन,पर है ये कैसा अंधापन
जीवन की सच्चाई से भाग रहा मानव हर पल
साथ नहीं…
Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 11:00pm — 1 Comment
जिधर देखिये, जल ही जल है बाबाजी
यहाँ सभी की आँख सजल है बाबाजी
लोग जिसे गंगाजल कह कर पीते हैं
वह गंगा का अश्रुजल है …
Added by Albela Khatri on June 8, 2012 at 8:50pm — 16 Comments
ग़मों का कारवां मेरे दामन से कब लिपट गया,
मौसम जो था सावन का नयनो में ठहर गया ,
खुद को बहुत समझाया मगर ये समझ न आया ,
वो वक़्त का मुसाफिर था चला गया तो चला गया
Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 3:00pm — 8 Comments
सचमुच कभी नहीं आ सकता इतना अच्छा राज
हर भ्रष्ट भ्रष्टाचार की गंगा में नहा रहा है आज
जितने पैसो में पूरे महीने का राशन लाते थे पिताजी
उतने पैसो में ला रहा हूँ मै मुठ्ठी भर अनाज
Added by RAJESH GOGIYA on June 8, 2012 at 1:00pm — 5 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on June 8, 2012 at 10:45am — 8 Comments
लुटेरे वतन के वतन बेच देंगे
धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे
सजावट बनावट जिसे भा रही हो
कली फूल क्या है चमन बेच देंगे
अगर आँख खोली न अपनी अभी तो
फरेबी कलामो- रमन बेच देंगे
बनाया नहीं गर नया कुंड कोई…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 8, 2012 at 9:06am — 8 Comments
ऋषि मुनियों की ये धरती
बहती ज्ञान की गंगा
योगी सिद्ध जन पूजे जाते
था मन निर्मल तन चंगा
कोई गाये लहराए कोई पूछे
बाबा रे बाबा तेरा रंग कैसा
दिव्य मुस्कान ले बाबा बोले
जिसमें मिला दो उस जैसा
काल बदला विचार बदला
आदमी का हाल बदला
अंधविश्वास आधुनिकीकरण की दौड़
बाबाओं ने भी चोला बदला
बिकता पानी बिकता खून
बिकती भूख गिरते भ्रूण
अस्मत बिकती कटते वन
सफ़ेद चोला काला मन
बिक रही जब हर चीज
बाबा फिर…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 7, 2012 at 9:30pm — 12 Comments
मीनू की डोली जब प्रशांत के घर के आगे रुकी तो दरवाजे पर पूजा की थाली लिए शिखा खड़ी थी | शिखा ने आगे बढ़ कर अपने प्यारे भैया प्रशांत और अपनी प्यारी सखी जो आज दुल्हन बनी ,भाभी के रूप में उसके सामने खड़ी थी ,आरती उतार कर स्वागत किया |बर्तन में भरे हुए चावल को अपने पैर से बिखराते हुए ,पूरे रीति रिवाज के अनुसार मीनू ने अपने ससुराल में प्रवेश किया |पूरा घर खुशियों से चहक उठा ,शिखा ने मीनू को गले लगाते हुए कहा ,''आज तुम्हारा पांच साल से परवान चढ़ता हुआ प्रेम सफल हुआ ,मै जानती हूँ तुम और…
ContinueAdded by Rekha Joshi on June 7, 2012 at 5:25pm — 23 Comments
मन मेरे
हिम्मत न हार
जय तेरी होगी|
निरंतर अग्रसर हो
कर्म के पथ पर,
प्रत्याशा के रथ पर
मिटा के अंतर्द्वंदों को
त्याग आलस्य को,
घातक नैराश्य को
तुझमें नैर्गुण्य नहीं,
तू बिलकुल शून्य नहीं
तुझमें भी क्षमता है
अपनी महत्ता है|
स्वयं की पहचान कर
खुद पर अभिमान कर,
शंखनाद कर दे
अस्तित्व के संग्राम का,
भय क्या परिणाम का
निर्भीकता शस्त्र है
मार्ग प्रशस्त है,
कल्पना के चित्र को
यथार्थ पर उकेर,…
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 7, 2012 at 4:30pm — 10 Comments
मैं भी कुछ सुनाऊं तुमको,
जो ऐसी भी शक्ति दी होती
हे माँ तेरी चरणों में,
कुछ मेरी भी अर्जी तो होती
मैं दीन हूँ माँ समझो,
पर हीन न समझा करो
सीने से न अपने सही,
चरणों से न दूर करो
मैं पुत्र कुपुत्र हूँ माँ,
समझा न तेरे मन को
तुम तो माँ कुमाता नहीं,
समझो तो मेरे मन को
थोड़ा मुझ को भी दे दो माँ,
स्नेह अपनी झोली से तुम
है माँ बेटे का नाता,
माँ खोयी हो कहाँ तुम | …
Added by जगदानन्द झा 'मनु' on June 7, 2012 at 1:00pm — 6 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on June 7, 2012 at 12:36pm — 8 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |