बहर - 221 1222 221 1222
ये मेरा नहीं यारो ये बुजुर्गों का मत है ......
माँ बाप के चरणों में दिखती यहाँ ज़न्नत है ......
बस मेरी ये नादानों से एक शिक़ायत है .....
बेटा लगे प्यारा क्यों बेटी से न चाहत है .....
ये ख़्वाब नहीं कोई ये एक हकीक़त है ....
कुछ लोग कहे उल्फ़त उल्फ़त नहीं आफ़त है ......
संसार में इन दोनों में फ़र्क हैं इतना सा
है हाथ अगर बेटा तो बेटी इबादत है .....
कुछ शख्स ही कह…
Added by पंकजोम " प्रेम " on December 24, 2017 at 1:37pm — 7 Comments
2122 1212 22
दफ़अतन जो निकल गए आँसू।
सारे मंज़र बदल गए आँसू।।
लाख की कोशिशें छुपाने की।
राज़ दिल का उगल गए आँसू।।
इक ख़ुशी ने मुझे पुकारा है।
ये ख़बर सुन के जल गए आँसू।।
ख़ुश्क दामन तुझे बताऊँ क्या।
वो सबब जो सँभल गए आँसू।।
इत्तिफ़ाकन ही ख़ुश्क थीं पलकें।
इंतिकामन मचल गए आँसू।।
इक तबस्सुम जो आगया लब पर।
मारे ग़म के पिघल गए आँसू।।
कौन सा पल…
ContinueAdded by Afroz 'sahr' on December 24, 2017 at 11:00am — 11 Comments
2122 /1122 /1122 /22 (112)
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हँसता चेहरा यूँ तो रुख्सत उसे कर आएगा
दिल पे टूटेंगे सितम..... दर्द से भर आएगा.
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एक दूजे को जो देखेंगे अगर हम यूँ ही
किसी चेहरे का किसी पर तो असर आएगा.
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अपनी आँखों से हटा ले ये अना की पट्टी
तुझ को हर शख्स तेरा अक्स नज़र आएगा.
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सोच के गहरे समुन्दर में लगा ले गोते,
उथले पानी में कहाँ हाथ गुहर आएगा?
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रूह को अश्क-ए-नदामत से कभी धो कर देख,
हुस्न हस्ती का तेरी और निखर आएगा.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on December 24, 2017 at 8:30am — 24 Comments
सर पे मेरे इश्क का इल्जाम है,
और दिल का टूट जाना आम है।
हुस्न दौलत इश्क सब बेदाम है,
इसके आगे बस खुदा का नाम है।
दफ़्अतन यूँ जा रहे हो छोड़कर,
क्या तुम्हें कोई जरूरी काम है ?
ठहरो भी बैठे रहो आगोश में,
पीने दो आँखों से, ये जो जाम है।
यूँ ना देखो बेरुखी से अब हमें,
दिल ये तेरे इश्क में बदनाम है।
चल दिए यूँ छोड़ कर दामन मेरा,
क्या यही मेरी वफ़ा का दाम है।
हम तो समझे थे जिसे सबसे जुदा…
Added by रक्षिता सिंह on December 23, 2017 at 9:21pm — 4 Comments
सरदी की पहली बारिश- - - -
सरदी की पहली बारिश में
पेड़ इस तरह नहाएँ
जैसे कोई औघड़ नहाकर
गंगा से चला आए |
सरदी की पहली बारिश- - - -
धूल में साधनारत कब से
बैठा था तपस्वी !
साँसों में गरल लेकर
अमृत कलश लुटाए |
सरदी की पहली बारिश- - - -
पत्तों से यूँ गिरता पानी
ज्यों शिव की जटाएँ
पीकर गगन का अमृत
ये धरती मुस्कुराए |
सरदी की पहली बारिश- - -…
ContinueAdded by somesh kumar on December 23, 2017 at 8:11pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
एक ग़ज़ल पूरी हुई 14 शेर के साथ ।
मुझको भी उसके पास बुलाया न जाएगा ।
मुमकिन है दौरे इश्क़ बढाया न जाएगा ।।
चेहरे से वो नकाब भी हटती नही है अब।
किसने कहा गुलाब छुपाया न जाएगा ।।
दिल मे ठहर गया है मेरे इस तरह से वो।
उसका वजूद दिल से मिटाया न जाएगा ।।
यूँ ही तमाम उम्र निभाता रहा हूँ मैं ।
अब साथ जिंदगी का निभाया न जाएगा ।।
बन ठन के मेरे दर पे वो आने लगे हैं खूब ।…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 23, 2017 at 3:00pm — 5 Comments
फ़ाइलातून मफ़ाईलुन फेलुन
पहले था अश्क़बार आज भी है
दिल मेरा सोगवार आज भी है
मैं नहीं हूँ किसी भी लायक़ पर
आपको एतिबार आज भी है
जो था पहले वही है रिश्ता-ए-दिल
प्यार वो बे-शुमार आज भी है
इश्क़ आँखें बिछाए बैठा है
आपका इन्तिज़ार आज भी है
लाख दुनियां ने तोड़ना चाहा
दिल से दिल का क़रार आज भी है
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by santosh khirwadkar on December 23, 2017 at 6:04am — 12 Comments
'देख लूँगा स्साले को।'
-अरे क्या हुआ?कुछ बोलोगे भी?
-हम कालाबाजारी वाला केस जीत गये।
-बल्ले-बल्ले रे भइये।इ तो नच बलिये हो गवा।
-बाकिर वकीलवा पेंच फँसा रहल बा नु।
-उ का?
-उहे फ़ीस के लफड़ा।
-उ त सब फरिआइये गइल रहे।सात बरिस के फ़ीस एकमुश्ते देवे के रहे।
-हँ भाई, पूरे अठाईस गो सुनवाई भइल बा।
-त अठाइस हजार रुपिया भइल,आउर का?दियाई उनके।
-ना नु भाई,उ अब अबहीं के हिसाब से फ़ीस जोड़ ता। चार हजार रुपैया फी पेशी।
-बात त हजारे रुपया पेशी के भइल रहे।उ पगलाइल बा…
Added by Manan Kumar singh on December 23, 2017 at 5:52am — 10 Comments
Added by VIRENDER VEER MEHTA on December 22, 2017 at 10:45pm — 8 Comments
क्रांतिकारियों ने क्या-क्या सहा होगा,
देशभक्ति का मजा जाने कैसा रहा होगा,
मेरे वीरों का जब लहू बहा होगा,
पवित्र खून से चाबुक धन्य हुआ होगा,
फिरंगियों को भगत ने
दौड़ा-दोड़ा कर कूटा होगा,
बिस्मिल ने भी खजाना
मजे से लूटा होगा,
तो आजाद ने भी जंगल में,
योजना बनाई होगी,
और आजादी पाने वीरों ने,
खूनी होली मनाई होगी,
हथियार लूटने का मजा भी,
अलग रहा होगा,
गरमदल को देख,
ब्रिटिश का पसीना बहा होगा,
गांधी के भी अपने,
ठाठ रहे…
Added by Manoj kumar shrivastava on December 22, 2017 at 9:46pm — 8 Comments
हमने भी की इधर-उधर की बातें...
तुमने समझी इधर-उधर की बातें...
खो गये अर्थ वायदों के जब,
याद आयी इधर-उधर की बातें...
जब सरेआम चोरी पकडी गई,
फिर भी की इधर-उधर की बातें...
रोज वो ताश खेलने बैठें,
धूप करती इधर-उधर की बातें..
मुझ पे विश्वास कर महब्बत में,
छोड पगली इधर-उधर की बातें..
मौलिक व अप्रकाशित
Added by सूबे सिंह सुजान on December 22, 2017 at 8:57pm — 6 Comments
भंडारे में भंडारी
दोपहर पाली का एक स्कूल(दिल्ली )
“जिन बच्चों को लिखना नहीं आता कॉपी लेकर मेरे पास आओ |-----------अरमान,मोहित,रितिश और शंकर तू भी |” अध्यापक सुमित ने क्लास की तरफ देखते हुए कहा
“क्या लिखवाया जाए ?” फिर अरमान की तरफ देखते हुए
“सुबह नाश्ते में क्या खा कर आए हो?”
“चाय-रोटी |”अरमान ने सपाट सा जवाब दिया
ठीक है लो ये “चाय” लिखो,ठीक-ठीक मेरी तरह बनाना |
“और मोहित तुमने क्या खाया ?”
“रात का…
ContinueAdded by somesh kumar on December 22, 2017 at 8:22pm — 3 Comments
काफिया : आत ; रदीफ़ : चाहिए
बहर : २२१ २१२१ १२२१ २१२
मतभेद दूर करने’ मकालात चाहिए
कैसे बने हबीब मुलाक़ात चाहिए |
वादा निभाने’ में तुझे’ दिन रात चाहिए
हर क्षेत्र में विकास का’ इस्बात चाहिए |
आतंकबाद पल रहा’ है सीमा’ पार में
जासूसी’ करने’ एक अविख्यात चाहिए |
तू लाख कर प्रयास नही पा सकेगा’ रब
भगवान को विशेष मनाजात चाहिए…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 22, 2017 at 9:00am — 5 Comments
212 1212
मिल गई नई नई ।
हुस्न की परी कोई ।।
झुक गई नजर वहीं।
जब नज़र कभी मिली।।
देखकर उसे यहां ।
खिल उठी कली कली ।
हिज्र की वो रात थी ।
लौ रही बुझी बुझी ।।
खा गया मैं रोटियां ।
बिन तेरे जली जली ।।
कुछ तो बात है जो वो।
रह रही कटी…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2017 at 11:53pm — 5 Comments
सूखी सी शाख
बैठा पंछी अकेला
पतझड़ में ।
नयी नवेली
लाजवंती वधू सी
सिमटी धूप ।
सूरज जब
अलसाया, चल पड़ा
क्षितिज पार ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Neelam Upadhyaya on December 21, 2017 at 2:34pm — 9 Comments
2122 1122 22
जब कभी छत पे नज़र जाती है ।
उनकी सूरत भी निखर जाती है ।।
पा के महबूब के आने की खबर।
वो करीने से सँवर जाती है ।।
कोई उल्फत की हवा है शायद ।
ज़ुल्फ़ लहरा के बिखर जाती है ।।
इक मुहब्बत का इरादा लेकर ।
रोज साहिल पे लहर जाती है ।।
बेसबब इश्क हुआ क्या उस से ।
वो तसव्वुर में ठहर जाती है ।।
अब न चर्चा हो तेरी महफ़िल में ।
चोट फिर से वो उभर जाती है…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2017 at 1:31am — 12 Comments
अजीब सी कशमकश में गुजर रहे थे हरी बाबू पिछले एक हफ्ते से, एक तरफ उनके खुद के विचार तो दूसरी तरफ एक छोटी सी चीज पर उनकी असहमति| बेटी अर्पिता पिछले दो साल से नौकरी में थी और उन्होंने कह रखा था कि या तो खुद ही शादी कर लो या जहाँ मन हो बता देना, शादी कर देंगे| लेकिन अपने उदार सोच और प्रगतिशील विचारों के बावजूद एक छोटी सी बात वह चाह कर भी किसी से नहीं कह पाए थे|
वैसे तो उनके सभी मज़हब और जातियों के दोस्त थे और उन्होंने कभी उनमें फ़र्क़ भी नहीं किया| लेकिन पिछले कई वर्षों से धर्म के आधार पर हो…
Added by विनय कुमार on December 20, 2017 at 6:30pm — 4 Comments
2122 2122 212
जीतने की जिस किसी ने ठान ली
मंजिलों की राह खुद पहचान ली ।1।
हार का अहसास उसको खा गया
पूछ मत अब ये कि क्यों कर जान ली।2।
है वचन शीशा न कोई टूटेगा
पत्थरों की बात चाहे मान ली ।3।
कोयलों ने होंठ अपने सी लिये
झुंड में आ मेंढकों ने तान ली ।4।
भ्रष्ट जब सारी सियासत है यहाँ
क्या है कैसे कितनी राशी दान ली।5।
मौलिक अप्रकाशित
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 1:54pm — 23 Comments
121 22 121 22
है आई खुश्बू तेरी जिधर से ।
गुज़र रहा हूँ उसी डगर से ।।
नशे का आलम न पूछ मुझसे ।
मैं पी रहा हूँ तेरी नज़र से ।।
हयात मेरी भी कर दे रोशन ।
ये इल्तिज़ा है मेरी क़मर से ।।
हजार पलके बिछी हुई हैं ।
गुज़र रहे हैं वो रहगुजर से ।।
खफा हैं वो मुफलिसी से मेरी ।
जो तौलते थे मुझे गुहर से ।।
यूँ तोड़कर तुम वफ़ा के वादे ।
निकल रहे…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2017 at 3:00am — 17 Comments
212 1222 212 1222
इस तरह मुहब्बत में दिल लुटा के चलते हो ।
हर कली की खुशबू पर बेसबब मचलते हो ।।
मैंकदा है वो चहरा रिन्द भी नशे में हैं ।
बेहिसाब पीकर तुम रात भर सँभलते हो ।।
टूट कर मैं बिखरा हूँ अपने आशियाने में ।
क्या गिला है अब मुझसे रंग क्यूँ बदलते हो ।।
दिल चुरा लिया तुमने हुस्न की नुमाइस में ।
बेनकाब होकर क्यूँ घर से तुम निकलते हो…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 19, 2017 at 9:00pm — 10 Comments
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