Added by Rajeev Kumar Pandey on April 13, 2011 at 12:00pm — 2 Comments
नवगीत
------------x----------------
Added by Rana Pratap Singh on April 13, 2011 at 10:00am — 13 Comments
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 12, 2011 at 11:30pm — 1 Comment
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 12, 2011 at 9:30pm — 6 Comments
Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on April 11, 2011 at 11:00pm — 2 Comments
Added by Lata R.Ojha on April 11, 2011 at 4:30pm — 2 Comments
ये नाम और काम का संबंध बड़ा नाजुक है
बड़े हिसाब किताब के बाद ही इनके संबंध स्थापित करने चाहिए
अब खुद ही देख लो
भ्रष्टाचारियों को भी नेता कहना पड़ता है
और दलालों को पत्रकार
गुंडों को रक्षक, और जो पकड़ा गया बस वो ही भक्षक
किसी ने कहा नाम में क्या रक्खा है
अरे भाई ! नाम का ही तो सारा काम है
और जिसका नाम नहीं उसकी जिंदगी हराम है
पांच सो का जूता दो हज़ार में बिकता है नाम की…
Added by Bhasker Agrawal on April 11, 2011 at 3:07pm — 6 Comments
दुनियां के सभी रिश्तों में प्रमुख रिश्ता हैं माँ।
सचमुच में हर प्राणी के लिए फरिश्ता हैं माँ।।
घने कोहरे में गर मंजिल नजर न आयें।
बंद हो सब रास्ते तो इक रास्ता हैं माँ।।
दुनियां के इस खौफनाक बियाबां में दोस्तों।
वहशियों से काबिले-हिफाजत पिता हैं माँ।
सगे-संबंधी मित्र-बंधु सभी सुख के साथी।
लेकिन दु़ख में साथ निभाने वाली सहभागिता हैं…
Added by nemichandpuniyachandan on April 11, 2011 at 10:00am — 3 Comments
प्रिय ,अभी
वक्त कैसे बीत रहा हैं अब आप को क्या बताऊँ हर तरफ तुम्हारी ही यादें है .हर तरफ हर जगह तुम्ही दिख रहे हो .. तुम्हारी ओ मुस्कुराहट.. तुम्हारी आहट बन कर सताती है.......तुम्हें देखने की जो ललक तब थी.. ओ…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on April 10, 2011 at 2:30pm — No Comments
हर लम्हें में निहाँ हैं अक्स जिंदगी का।
ढूंढते रह जाओगे नक्श जिंदगी का ।।
रुठों को मनाने में लग जाते हैं जमाने।
ता-उम्र चलता रहता हैं रक्स जिंदगी का।।
रंजो-गम में जो साथ न छोडे।
सबसे बेहतर है वो शख्स जिंदगी का।।
राहें-मंजिल में जो कदम न लडखडाए।
हासिल कर ही लेते हैं वो लक्ष जिंदगी का।।
बनी पे लाखों निसार हो जाते है चंदन।
कोई नहीं होता बरअक्स जिंदगी का।।
नेमीचन्द पूनिया चंदन े
Added by nemichandpuniyachandan on April 10, 2011 at 12:00pm — 1 Comment
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on April 9, 2011 at 10:00pm — 4 Comments
ग़ज़ल :- ज़िंदगी है या शगूफा या रब !
अब तो कम खुद पे भरोसा या रब ,
ज़िंदगी है या शगूफा या रब |
लड़की रस्सी मदारी सब तू है ,
खेल नज़रों का है धोखा या रब…
ContinueAdded by Abhinav Arun on April 9, 2011 at 3:30pm — 2 Comments
Added by Rajeev Mishra on April 9, 2011 at 2:53pm — 3 Comments
जो हौसला बलंद है नफस नफस कमंद है
हमारी हर ख़ुशी हमारे हौसलों में बंद है
वो बेकसी अतीत है यही हमारी जीत है
हर एक देशवासी के लबों पे ये ही गीत है
ये एकता मिसाल है हमारा ये कमाल है
वतन के लब पे आज भी मगर वही सवाल है
है कौन दूध का धुला अभी तलक नहीं खुला
अभी तक इस पियाले में ज़हर का घूँट है घुला
भरें सभी तिजोरियां हैं कैसी कैसी चोरियां
सुला रहे हैं हम ज़मीर को सुना के लोरियां
उठो के वक़्त आ गया उठाओ हर क़दम…
Added by Mumtaz Aziz Naza on April 9, 2011 at 1:00pm — 2 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 9, 2011 at 11:30am — 2 Comments
Added by Lata R.Ojha on April 8, 2011 at 4:57pm — 4 Comments
Added by अमि तेष on April 8, 2011 at 2:00pm — 14 Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on April 8, 2011 at 12:59pm — 2 Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 7, 2011 at 11:26pm — 3 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |