For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,988)

अंतिम पाति

प्रथम प्रणाम उन मात-पिता को, जिन्होंने मुझको जन्म दिया 

शीर्ष प्रणाम उन गुरुजनों को, ज्ञान का जिन्होंने आशीष दिया 

फिर प्रणाम उन पूर्वजों को, मैं जिनका वंशज बनकर जन्मा 

शेष प्रणाम उन मित्रजनों को, जिनसे है मुझको प्रेम घना 

मैं न भुला उन बहनो को, राखी जिसने बांधी थी 

जिसकी सदा रक्षा करने की, मैंने कसमें खाई थी 

छोटे-बड़े सब भाई मे,रे…

Continue

Added by AMAN SINHA on August 22, 2022 at 12:30pm — No Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

221   2121   1221   212



कल रात तेरे शहर से गुज़रे तमाम रात।

ख़्वाबों में हमने देखे वो रस्ते तमाम रात।

मायूसी औ थकन के सिवा कुछ नहीं मिला,

बोझिल सहर की आस में जागे तमाम रात।

जलती ज़मीं की प्यास बुझाने के वास्ते,

तारे फ़लक की गोद में रोये तमाम रात।

अब मिल रही है हमको सज़ा हर गुनाह की,

ख़त तुझको एक उम्र लिखे थे तमाम रात।

मैं शायरी को छोड़के भी खुश न रह सका,

मिसरे महीनों आँखों में तड़पे तमाम…

Continue

Added by मनोज अहसास on August 21, 2022 at 11:00pm — 8 Comments

वरिष्ठ नागरिक दिवस पर कुछ दोहे. . .

वरिष्ठ नागरिक दिवस पर कुछ दोहे :

अपने बेगाने हुए, छोड़ा सबने साथ ।

हाथ काँपते ढूँढते, अब अपनों का हाथ ।1।

बरगद बूढ़ा हो गया, पीत हुए सब पात ।

मौसम बीते दे गए, अश्कों की सौगात ।2।

वृद्धों को बस चाहिए, थोड़ा सा सम्मान ।

अवसादों को छीन कर , उनको दो मुस्कान ।3।

बहते आँसू कह रहे, व्यथित हृदय की बात ।

जरा काल में ही दिए, अपनों ने आघात ।4।

कौन मानता है भला, अब वृद्धों की बात ।

बात- बात पर  अब मिले,…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 21, 2022 at 1:00pm — 4 Comments

जन्माष्टमी के अवसर पर कुछ दोहे

मन्द -मन्द मुस्का रहे, पलने में गोपाल  ।

देख - देख गोपाल को, जीवन हुआ निहाल।।

ढोल नगाड़े घंटियाँ, जयकारे का शोर ।

दिग दिगंत से देवता, देखें नन्द किशोर ।।

माँ से माखन माँगता, जग का पालनहार ।

माँ अपने गोपाल को, माखन दे सौ बार ।।

माखन खाते लाल को , मैया रही निहार ।

उसकी तुतली बात पर, माँ को आता प्यार ।।

पाप हरन के वास्ते, हुआ कृष्ण अवतार ।

कान्हा अपने भक्त का, सदा करें उद्धार ।।

ठुमक - ठुमक…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 19, 2022 at 3:00pm — 4 Comments

कान्हा कहाँ गये -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/२२१/२१२

*

फिरती स्वयम्  से  पूछती  राधा  कहाँ गये

भक्तों के दुख को भूल के कान्हा कहाँ गये/

*

होने लगा जगत से है नित नाश धर्म का

आने का फिर से भूल के वादा कहाँ गये/

*

गोकुल हो मथुरा द्वारका कन्सों का राज है

जन-जन से ऐसे  तोड़  के  नाता कहाँ गये/

*

रिश्ते जहाँ में छल के ही आवास अब बने

होता सभा  में  मान  का  सौदा  कहाँ गये/

*

आओ मिटाने पीर को जन-जन पुकारता

मुरली छिपाये  लोक  के  राजा कहाँ…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2022 at 9:34am — 3 Comments

फूल

फूलों को दिल से उगाता कोई

फूल खिलते ही फोटो खिंचाता कोई।१।

है बनावट की दुनियाँ जहाँ देख लो

काम बनते ही हक़ को जताता कोई।२।

फूल खिलते हैं गुलशन में हरदम मगर

उनके जैसी खुशी काश लाता कोई।३।

रङ्ग फूलों के होते बहुत से मगर

फूलों सी ताजगी क्या दिलाता कोई।४।

फूल खुद टूट के भी हैं देते खुशी

उनसे कुर्बां होना सीख पाता कोई।५।

फूल होते हैं नाजुक बहुत ही मगर

फूल सा सब्र खुद में ले आता…

Continue

Added by Awanish Dhar Dvivedi on August 16, 2022 at 10:11pm — 1 Comment

क्या दबदबा हमारा है!

क्या दबदबा हमारा है!

लोक तन्त्र का सुख भोगेंगे

चुने गए हम राजा हैं

देश हमारा, मार्ग हमारा

हम ही इसके आका हैं



चाहे जितनी गाड़ी रक्खें

फुटपाथों पर, बीच सड़क



हमको भला कौन रोकेगा?

जन प्रतिनिधि ,बेधड़क, कड़क



आस-पास हैं गार्ड हमारे

ले बन्दूकें साथ चलें



डर से जन सहमे रहते हैं

क्या मजाल जो घात करें?



पिए शक्ति-मद हम मतवाले

करते नित्य बवाला हैं

संग चापलूसों का…

Continue

Added by Usha Awasthi on August 16, 2022 at 8:57pm — 4 Comments

आजादी का अमृत महोत्सव ....

आजादी के  अमृत महोत्सव के अवसर पर कुछ दोहे .....

सीमा पर छलनी हुए, भारत के जो वीर ।

याद करें उनको जरा, भर आँखों में नीर ।।

रक्त लिप्त कुर्बानियां ,मिटने के उन्माद ।

फाँसी चढ़ कर दे गए, हमें वतन आजाद ।।

आजादी की जंग के, वीर रहेंगे याद ।

उन वीरों के स्वप्न का, ध्वज करता अनुवाद ।।

केसरिया तो रंग है, साहस की पहचान ।

श्वेत शान्ति का दूत है, हरा धरा की शान ।।

रंग तिरंगे के बने, भारत की पहचान ।

घर-घर…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 15, 2022 at 2:47pm — 2 Comments

नग़्मा-ए-जश्न-ए-आज़ादी

221 - 2121 - 1221 - 212

ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये

आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये 

क़ुर्बानियाँ शहीदों की भूलेंगे हम नहीं 

दिल से कभी हमारे मिटेंगे ये ग़म नहीं

माना वो दर्द हमसे भुलाया न जाएगा 

ये जश्न भी ख़ुशी का मिटाया न जाएगा 

मिलकर सब एक साथ तिरंगा उठाइये 

जय हिंद की सदा से फ़ज़ा को गुँजाइये 

ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये

आज़ादी का ये दिन है ज़रा…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 15, 2022 at 12:05pm — 4 Comments

एक जनम मुझे और मिले

एक जनम मुझे और मिले, मां, मैं देश की सेवा कर पाऊं 

दूध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं 

 

मुझको तुम बांधे ना रखना, अपनी ममता के बंधन में 

मैं उसका भी हिस्सा हूँ मां, तुमने है जन्म लिया जिसमे  

 

शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है 

लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी, मां, बस एक बलिदान ही मांगे है 

 

सब हीं आंचल मे छुपे रहे तो, देश को कौन संंभालेगा 

सीमा पर शत्रु सेना से, फिर कौन कहो लोहा…

Continue

Added by AMAN SINHA on August 15, 2022 at 11:43am — No Comments

आजादी

आजादी

1. मैं शाम को स्कूटी से आ रहा था।एक ऑटो से आगे निकलता कि उसी लेन में सामने से तेज गति से लहराती एक मोटर साइकिल आ गई। मैं थोड़ा दाएं हटा,ऑटो थोड़ा बाएं।मोटर साइकिल सवार बेधड़क निकल गए।भयमुक्त होने के बाद मैंने पीछे की तरफ आंखें तरेड़ी।

"कोई फायदा नहीं।आजादी है।"ऑटो ड्राइवर बोला।

2. फ्लैट के म्यूटेशन के क्रम में वह आज फिर निगम कार्यालय गया।कागजात पहले ही जमा हो चुके थे।संबंधित अधिकारी से उस दिन बात शुरू हुई थी,तो वह बोला था," आदेश होगा,तो आपका…

Continue

Added by Manan Kumar singh on August 15, 2022 at 11:41am — 2 Comments

प्रति व्यक्ति आय

"हमारा देश तरक्की कर रहा है।प्रति व्यक्ति आय लगातार बढ़ी है।"अर्थशास्त्री ने ज्ञान बघाड़ा।
"तो लोगों के हाथ में भीख का कटोरा क्यों है?"समाजशास्त्री ने कील चुभोई।
"भीख का कटोरा?मतलब?"
"लोग मुफ्त का राशन खाने को मजबूर हैं।मंदिरों -मस्जिदों के सामने एक -एक सिक्के के लिए गुहार लगाते लोग नहीं दिखते आपको?" सुनकर अर्थशास्त्री जी मुंह फिरा चल पड़े।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Added by Manan Kumar singh on August 14, 2022 at 7:45pm — 2 Comments

माँ शरदावन्दन

नमन है ज्ञानदा अरु शारदा को सर्वदा सततम।

करें मतिमन्दता को दूर जो अज्ञान को हरदम।१।

विनाशें भक्तगण के मनतिमिर को तेज से भर दें।

मिटा संशय सदा जीवन बना उज्ज्वल सफल कर दें।२।

भगवती शारदा वरदा प्रवाहित ज्ञानगङ्गा कीजिये।

मति को विमल करके सकल अज्ञानता हर लीजिये।३।

स्वच्छ मन हो अरु मुदित जन-जन का जीवन हो।

सभी सज्जन बनें सुधिजन करें शुभकर्म वर्धन हो।४।

मनोरथ पूर्ण करती हैं सदा वरदायिनी माता।

उन्हीं की हो…

Continue

Added by Awanish Dhar Dvivedi on August 14, 2022 at 6:03pm — No Comments

स्वाधीनतागौरव

हमारे पंथ मजहब धर्म में हो भिन्नता लेकिन

जहाँ हो बात भारत की तो फिर मत एकता होगी।

रहेगा कोई न हिन्दू न मुस्लिम सिक्ख ईसाई

जहाँ हो बात भारत की तो बस राष्ट्रीयता होगी।१।

हैं झण्डे सबके अपने आप में बहुमूल्य अरु शोभित

मगर एक राष्ट्र के ध्वज में समन्वित शक्ति निर्बाधित।

न कोई हैं यहाँ छोटा बड़ा ना कोई भारत में 

सभी मिलजुल के रहते हैं जगत में कीर्ति है भाषित।२।

है भारत देश ये प्यारा है इसकी बात ही न्यारी

यहाँ की सभ्यता…

Continue

Added by Awanish Dhar Dvivedi on August 13, 2022 at 8:41pm — No Comments

आशा

झरता रहा सावन, तपता रहा मन
आषाढ़ सूखा, कहीं बाढ़, कहीं रूखा
कृषक का धैर्य छूटा

सावन की घड़ियाँ, कुछ बूँदे, कुछ लड़ियाँ
गिर भी गईं तो क्या?

मौसम की मार, जीना दुश्वार
कैसी हरियाली, कचरे की क्यारी

पर आशा ही तो थाती है, ढर्रे पर लौटेगा जीवन
सोच व्यापी है

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Usha Awasthi on August 13, 2022 at 12:20pm — 2 Comments

राखी पर कुछ दोहे. . . .

राखी पर कुछ दोहे. . . .

भाई बहिन के प्यार का, राखी है त्योहार ।

पावन धागों में छुपी , बहना की मनुहार ।।

बहना भेजे डाक से, भाई को सन्देश ।

राखी भैया बाँधना, मैं बैठी परदेश ।।

रंग बिरंगी राखियाँ, रिश्तों का संसार ।

धागों में है छुपी हुई, बहना की मनुहार  ।।

राखी ले कर भ्रात के, बहना आई द्वार ।

तिलक लगाती माथ पर, देती दुआ हजार ।।

बहना चाहे भ्रात का, सुखी रहे परिवार ।

रिश्तों में चलती रहे, मीठी मधुर…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 11, 2022 at 1:02pm — 2 Comments

गज़ल

दिल बहुत कमजोर दिखने अब लगे हैं।

लोग अपनों से ही छिपने अब लगे हैं।१।



स्वार्थ हावी हो गया है इस कदर कि।

सारे रिश्ते आप मिटने अब लगे हैं।२।



स्वार्थ है कारण कि घुटता दम सभी का।

हार्ट पीड़ित लोग दिखने अब लगे हैं।३।



दिल को चीरे रोज लगते हर शहर में।

स्टंट छल्ले पंप बिकने अब लगें हैं।४।



दिल नहीं लगते कि दिल हों आदमी के।

खोट दिल में आज टिकने अब लगे हैं।५।



हो गयी हावी है माया इसकदर कि।

पाप कर इन्सान हंसने अब लगे… Continue

Added by Awanish Dhar Dvivedi on August 10, 2022 at 12:24am — 2 Comments

गज़ल

गज़ल

221 2121 1221 212

उम्मीद अब नहीं कोई वो दीदावर मिले

बहतर खुुदा कसम वही चारागर मिले ( मतला )

लगता नहीं है दिल कोई तो हमसफर मिले

अब लौट आ कि हम सनम सारी उमर मिले

अनजान तुम नहीं हो कि मिलते नहीं कभी

कुछ कर सको तो तुम करो मुझको दर मिले

उलझन भरी हैं रातें बड़ी बेहिसी वो दिन

हो दोस्त कोई अपना सही रहगुज़र मिले

दिन- रात हो गये बड़े मुश्किल भी बढ़…

Continue

Added by Chetan Prakash on August 9, 2022 at 11:30am — 1 Comment

मैं ऐसा हीं हूँ

गुमसुम सा रहता हूँ, चुप-चुप सा रहता हूँ 

लोग मेरी चुप्पी को, मेरा गुरूर समझते है 

भीड़ में भी मैं, तन्हा सा रहता हूँ 

मेरे अकेलेपन को देख, मुझे मगरूर समझते हैं 

        

अपने-पराये में, मैं घुल नहीं सकता 

मैं दाग हूँ ज़िद्दी बस, धूल नहीं सकता         

मैं शांत जल सा हूँ, बड़े राज़ गहरे है 

बहुरूपिये यहाँ हैं सब, बडे …

Continue

Added by AMAN SINHA on August 9, 2022 at 9:47am — No Comments

अनकंडीशनल दोस्ती







दोस्ती यानि जिंदगी....जिंदगी की नींव, खुशी, ख्वाब हैं और  ख्वाब की ताबीर भी...!दोस्ती वो ताकत होती हैं जो निराशा, हताशा, अवसाद के क्षणों में समझकर मानसिक शांति देता हैं।लेकिन यह भी सच हैं कि बुनियादी संस्कार व जीवन जीने का सलीका सिखाने वाले परिवार के अस्तित्व के बिना कल्पना नही की जा सकती।उन्मुक्त संसार में उम्मीदों की किरणें बिखेरने वाली दोस्ती और इच्छाओं को सम्मान देने वाले परिवार के मध्यस्थ महीन बाल बराबर अंतर होते हुये भी हर रिश्ते…

Continue

Added by babitagupta on August 7, 2022 at 10:21am — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. संजय जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. दयाराम जी ,आप ग़ज़ल पर आए और सराहना की तो बहुत अच्छा लगा ... औकात जैसा शब्द इस मंच पर कोई …"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"🙏"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ.सालिक गणवीर साहब,  अच्छी ग़ज़ल कही, आपने ! आदरणीय अमित जी से मैं सहमत हूँ, लेकिन, …"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, आपने जो राय दी है वो सही है किंतु मैं उनकी रचना का गुण दोष बताने के काबिल नहीं…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अच्छा सुझाव आदरणीय, दवा उला में और दुआ सानी में  लाने से बात का वज़्न बढ़ गया "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. आजी तमाम,  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, आदरणीय अमित जी केके सुझाव निश्चित, ही ग़ज़ल के…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय सालिक गणवीर जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय,  नीलेश शेवगांवकर साहब, खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  जनाब!  "ख़ुद का ख़ुद से…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, आपकी ग़ज़ल पर टिप्पणी करने की तो मेरी औकात नही है। आपकी ग़ज़ल हमेशा लाजवाब लगती…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, निलेश जी की दाद के बाद मेरी तारीफ का कोई माईने नहीं है। सच…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service