आजादी
1. मैं शाम को स्कूटी से आ रहा था।एक ऑटो से आगे निकलता कि उसी लेन में सामने से तेज गति से लहराती एक मोटर साइकिल आ गई। मैं थोड़ा दाएं हटा,ऑटो थोड़ा बाएं।मोटर साइकिल सवार बेधड़क निकल गए।भयमुक्त होने के बाद मैंने पीछे की तरफ आंखें तरेड़ी।
"कोई फायदा नहीं।आजादी है।"ऑटो ड्राइवर बोला।
2. फ्लैट के म्यूटेशन के क्रम में वह आज फिर निगम कार्यालय गया।कागजात पहले ही जमा हो चुके थे।संबंधित अधिकारी से उस दिन बात शुरू हुई थी,तो वह बोला था," आदेश होगा,तो आपका…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on August 15, 2022 at 11:41am — 2 Comments
"हमारा देश तरक्की कर रहा है।प्रति व्यक्ति आय लगातार बढ़ी है।"अर्थशास्त्री ने ज्ञान बघाड़ा।
"तो लोगों के हाथ में भीख का कटोरा क्यों है?"समाजशास्त्री ने कील चुभोई।
"भीख का कटोरा?मतलब?"
"लोग मुफ्त का राशन खाने को मजबूर हैं।मंदिरों -मस्जिदों के सामने एक -एक सिक्के के लिए गुहार लगाते लोग नहीं दिखते आपको?" सुनकर अर्थशास्त्री जी मुंह फिरा चल पड़े।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Added by Manan Kumar singh on August 14, 2022 at 7:45pm — 2 Comments
नमन है ज्ञानदा अरु शारदा को सर्वदा सततम।
करें मतिमन्दता को दूर जो अज्ञान को हरदम।१।
विनाशें भक्तगण के मनतिमिर को तेज से भर दें।
मिटा संशय सदा जीवन बना उज्ज्वल सफल कर दें।२।
भगवती शारदा वरदा प्रवाहित ज्ञानगङ्गा कीजिये।
मति को विमल करके सकल अज्ञानता हर लीजिये।३।
स्वच्छ मन हो अरु मुदित जन-जन का जीवन हो।
सभी सज्जन बनें सुधिजन करें शुभकर्म वर्धन हो।४।
मनोरथ पूर्ण करती हैं सदा वरदायिनी माता।
उन्हीं की हो…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 14, 2022 at 6:03pm — No Comments
हमारे पंथ मजहब धर्म में हो भिन्नता लेकिन
जहाँ हो बात भारत की तो फिर मत एकता होगी।
रहेगा कोई न हिन्दू न मुस्लिम सिक्ख ईसाई
जहाँ हो बात भारत की तो बस राष्ट्रीयता होगी।१।
हैं झण्डे सबके अपने आप में बहुमूल्य अरु शोभित
मगर एक राष्ट्र के ध्वज में समन्वित शक्ति निर्बाधित।
न कोई हैं यहाँ छोटा बड़ा ना कोई भारत में
सभी मिलजुल के रहते हैं जगत में कीर्ति है भाषित।२।
है भारत देश ये प्यारा है इसकी बात ही न्यारी
यहाँ की सभ्यता…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 13, 2022 at 8:41pm — No Comments
Added by Usha Awasthi on August 13, 2022 at 12:20pm — 2 Comments
राखी पर कुछ दोहे. . . .
भाई बहिन के प्यार का, राखी है त्योहार ।
पावन धागों में छुपी , बहना की मनुहार ।।
बहना भेजे डाक से, भाई को सन्देश ।
राखी भैया बाँधना, मैं बैठी परदेश ।।
रंग बिरंगी राखियाँ, रिश्तों का संसार ।
धागों में है छुपी हुई, बहना की मनुहार ।।
राखी ले कर भ्रात के, बहना आई द्वार ।
तिलक लगाती माथ पर, देती दुआ हजार ।।
बहना चाहे भ्रात का, सुखी रहे परिवार ।
रिश्तों में चलती रहे, मीठी मधुर…
Added by Sushil Sarna on August 11, 2022 at 1:02pm — 2 Comments
Added by Awanish Dhar Dvivedi on August 10, 2022 at 12:24am — 2 Comments
गज़ल
221 2121 1221 212
उम्मीद अब नहीं कोई वो दीदावर मिले
बहतर खुुदा कसम वही चारागर मिले ( मतला )
लगता नहीं है दिल कोई तो हमसफर मिले
अब लौट आ कि हम सनम सारी उमर मिले
अनजान तुम नहीं हो कि मिलते नहीं कभी
कुछ कर सको तो तुम करो मुझको दर मिले
उलझन भरी हैं रातें बड़ी बेहिसी वो दिन
हो दोस्त कोई अपना सही रहगुज़र मिले
दिन- रात हो गये बड़े मुश्किल भी बढ़…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 9, 2022 at 11:30am — 1 Comment
गुमसुम सा रहता हूँ, चुप-चुप सा रहता हूँ
लोग मेरी चुप्पी को, मेरा गुरूर समझते है
भीड़ में भी मैं, तन्हा सा रहता हूँ
मेरे अकेलेपन को देख, मुझे मगरूर समझते हैं
अपने-पराये में, मैं घुल नहीं सकता
मैं दाग हूँ ज़िद्दी बस, धूल नहीं सकता
मैं शांत जल सा हूँ, बड़े राज़ गहरे है
बहुरूपिये यहाँ हैं सब, बडे …
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 9, 2022 at 9:47am — No Comments
दोस्ती यानि जिंदगी....जिंदगी की नींव, खुशी, ख्वाब हैं और ख्वाब की ताबीर भी...!दोस्ती वो ताकत होती हैं जो निराशा, हताशा, अवसाद के क्षणों में समझकर मानसिक शांति देता हैं।लेकिन यह भी सच हैं कि बुनियादी संस्कार व जीवन जीने का सलीका सिखाने वाले परिवार के अस्तित्व के बिना कल्पना नही की जा सकती।उन्मुक्त संसार में उम्मीदों की किरणें बिखेरने वाली दोस्ती और इच्छाओं को सम्मान देने वाले परिवार के मध्यस्थ महीन बाल बराबर अंतर होते हुये भी हर रिश्ते…
ContinueAdded by babitagupta on August 7, 2022 at 10:21am — No Comments
122 122 122 122
हक़ीक़त जुदा थी कहानी अलग है
सुनो ख़्वाब से ज़िंदगानी अलग है
ये गरमी की बारिश सुकूँ है अगरचे
मग़र आँख से बहता पानी अलग है
है खानाबदोशों की ख़ामोश बस्ती
यहाँ ज़िन्दगी का मआनी अलग है
मियां शायरी को ज़रा मांजियेगा
कहे ऊला कुछ और सानी अलग है
पढ़ें गौर से जल्दबाजी न …
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2022 at 8:30am — 10 Comments
1212 - 1122 - 1212 - 22
जुनून-ए-इश्क़ जिसे हो कहाँ ठहरता है
हवादिसात के सहरा से भी गुज़रता है
हक़ीक़तों की ज़मीं पर जो आ ठहरता है
तसव्वुरात के दरिया में कब उतरता है
बुझा सका है कभी इश्क़ की लगी भी कोई
भड़कती आग का दरिया है ख़ुद उतरता है
मियाँ शराब नहीं सिर्फ़ शय बुरी, तन्हा
बुतों का हुस्न भी ईमाँ ख़राब करता है
तमाम दर्द मेरे दिल के मिट ही जाते…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 5, 2022 at 7:33pm — 2 Comments
ना राधा सी उदासी हूँ मैं, ना मीरा सी प्यासी हूँ
मैं रुक्मणी हूँ अपने श्याम की, मैं हीं उसकी अधिकारी हूँ
ना राधा सी रास रचाऊँ ना, मीरा सा विष पी पाऊँ
मैं अपने गिरधर को निशदिन, बस अपने आलिंगन मे पाऊँ
क्यूँ जानु मैं दर्द विरह का, क्यों काँटों से आंचल उलझाऊँ
मैं तो बस अपने मधुसूदन के, मधूर प्रेम में गोते खाऊँ
क्यूँ ना उसको वश में कर लूँ, स्नेह सदा अधरों पर धर लूँ
अपने प्रेम के करागृह में, मैं अपने…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 1, 2022 at 1:50pm — No Comments
कालजयी प्रेमचंद जी.........
विश्व साहित्य पटल पर हिन्दी साहित्य के महान कथा सम्राट,महान उपन्यासकार प्रेमचंद जी का उतना ही सम्मान किया जाता हैं जितना कि गोर्की और लू श्यून का.... इसके बाद रविन्द्रनाथ टैगोर जी को प्राप्त हुआ। आधुनिक हिन्दी साहित्य के जन्मदाता, शब्दों के जादूगर प्रेमचंदजी का लेखन पत्रकारिता और साहित्य के माध्यम से हिन्दी की सेवा में आज की मौजूदगी कराता हैं।अधोरात्र लिखने वाले प्रेमचंद जी को हिन्दी लेखकों की आर्थिक समस्याएँ उन्हें कचोटती थी। 'हिन्दी में आज हमें न पैसे…
ContinueAdded by babitagupta on July 31, 2022 at 11:16am — 1 Comment
सशक्तिकरण का मील का पत्थर
जब देश आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहा हैं तब 21जुलाई, 2022 का दिन भारत के इतिहास में लिखा जाने वाला गौरवान्वित करने वाला ऐतिहासिक दिन… नवभारत की भावना को अभिव्यक्त करने के साथ स्पष्ट संदेश प्रेषित होता हैं कि तुष्टीकरण की बजाय सामाजिक परिवर्तन के सूत्रधार को प्राथमिकता प्राप्त हुई।वैचारिक जड़ता को मिटाने वाला सामाजिक न्याय के क्षेत्र में बड़ा कदम साबित हुआ।जमीनी स्तर के लोगों को…
ContinueAdded by babitagupta on July 28, 2022 at 7:08pm — No Comments
गीत रीते वादों का ......
मैं गीत हूँ रीते वादों का , मैं गीत हूँ बीती रातों का।
जो मीत से कुछ भी कह न सका,वो गीत हूँ मैं बरसातों का ।
हर मौसम ने उस मौसम की
बरसातों को दहकाया है ,
बीत गया वो मौसम दिल का
लौट के फिर कब आया है ,
जश्न मनाता हूँ मैं अपनी , भीगी हुई मुलाकातों का ।
जो मीत से कुछ भी कह न सका,वो गीत हूँ मैं बरसातों का ।
कैसे अपने स्वप्न मिटा दूँ…
ContinueAdded by Sushil Sarna on July 27, 2022 at 3:01pm — No Comments
221 - 2121 - 1221 - 212
देखें यहीं कहीं वो मेरा साए-बान था
साये में जिसके मेरी ज़मीं, आस्मान था
खंडर हुआ है आज कभी आलीशान था
ये ढेर ! हाँ यही तो वो ज़िंदा मकान था
पामाल कर दिये हैं सभी…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 26, 2022 at 9:56am — 4 Comments
एक दिन मुझ सा जी लो
हाँ बस एक दिन मुझ सा जी लो
जाग जाओ पाँच बजे तुम और बर्तन सारे धो लो
पानी भरने के खातिर फिर सारे नल तुम खोलो
कपड़,पोछा,झाड़ू करकट बस एक बार तो कर लो
बस एक दिन मुझ सा जी लो
नाश्ते खाने की लिस्ट बनाओ
राशन, बाज़ार करके…
ContinueAdded by AMAN SINHA on July 23, 2022 at 11:42am — No Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
*
बोलो न आप हो गयी शमशान जिन्दगी
दुख से उबर के ओढ़ेगी मुस्कान जिन्दगी।१।
*
करते हो मुझ से प्रश्न तो उत्तर यही मेरा
होती है यार मौत का अवसान जिन्दगी।२।
*
कहते हैं सन्त मीन सी दानों को देखकर
माया के जाल फसती है नादान जिन्दगी।३।
*
आचल में मौत सासों को लेते न चूकती
भटकी कहीं जो भूल से यूँ ध्यान जिन्दगी।४।
*
जैसे विचार वैसी ही जग में बनाती है
सच है सभी की आज भी पहचान जिन्दगी।५।
*
करता रहा है प्यार…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 21, 2022 at 2:50pm — No Comments
१२२/१२२/१२२/१२२
****
लगाओ लगाओ सदा कर लगाओ
बहुत तुच्छ है ये बड़ा कर लगाओ।।
*
अभी रोटियों को अठन्नी बची है
रहे जेब खाली नया कर लगाओ।।
*
कभी रक्त बहता दिखे घाव पर से
दवा छोड़ उस पर कटा कर लगाओ।।
*
गया बचपना तो उसे छोड़ना मत
युवापन बुढ़ापा ढला कर लगाओ।।
*
घटा धूप बारिश तजो चाँदनी मत
मिले मुफ्त क्यों ये हवा कर लगाओ।।
*
जो पीते पिलाते उन्हें मुफ्त बाँटो
न पीते हुओं पर नशा कर लगाओ।।
*
विलासी लगा है उदासी नहीं…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 20, 2022 at 7:28am — 4 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |