Added by रामबली गुप्ता on September 23, 2016 at 5:30am — 10 Comments
Added by S.S Dipu on September 23, 2016 at 12:27am — 6 Comments
क्यों खामोश हो
कुछ बोलते भी नहीं
कुछ कहते भी नहीं
कुछ सुनते भी नहीं
वो देखो वहाँ
क्षितिज के किनारे
आकार ले रहा है
प्यार बादलों में
वो देखो वहाँ
उन लहरों को
जो कर रही है बयां
प्यार चट्टानों से
वो देखो वहाँ
उन परिंदो को
जो उड़ते हुए भी
कर रहे बातें बादलों से
वो देखो वहाँ
रंग बदलते आस्मां को
किस तरह रंग बदलता है
बिलकुल तुम्हारी ही तरह
गुलाबी फ़ज़ाओं…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 22, 2016 at 3:00pm — 10 Comments
Added by Rahila on September 22, 2016 at 12:22pm — 14 Comments
कलम मेरी खामोश नहीं, ये लिखती नई कहानी है।
इसमें स्याही के बदले मेरी, आंखों वाला पानी है।।
सृजन की सरिता इससे बहती
झूठ नहीं ये सच है कहती।
जीवन के हर सुख-दुख में ये,…
ContinueAdded by Pradeep Bahuguna Darpan on September 22, 2016 at 10:30am — 4 Comments
122 122 122 122
बचा कर रखेगी दुआ हादसों से,
करो अबसे तौबा बुरी आदतों से|
कदम अब बढे है जमाने से आगे,
नहीं रोक सकते हमें पायलों से|
करार तमाचा जवाबी मिलेगा,
रहें अपने घर में कहो दुश्मनों से|
गरीबों को मारा खुले आसमाँ ने,
बरसती है आफत यहाँ बादलों से|
लो मुश्किल हुआ अब यहाँ सांस लेना,
हुए शेर मुजरिम गलत फैसलों से|
सजा बन रहे है मरासिम हमारे,
मिलेगी मुहब्बत…
ContinueAdded by sarita panthi on September 22, 2016 at 8:00am — 4 Comments
अथ से अभी तक जो जैसा मिला
सर माथे ले कर के जीते रहे
विधाता की झोली सुदामा भी हो गयी
तो बन कर के कान्हा सीते रहे
गिला है न शिकवा ज़माने से
कोई तकदीर से भी तकाज़ा नहीं
जीना कही जब ज़हर भी हुआ
तो मीरा बने प्याले पीते रहे
इन्द्रधनुष दिया कुरुक्षेत्र पाया
सत्ता से सत्ता की पायी लड़ाई
सिंहासन से चस्पा वफादारी देखी
विदुरों के तरकश तो रीते रहे
जतनों से बुनचुन जो सपना संजोया
तकिये बेचारे…
ContinueAdded by amita tiwari on September 21, 2016 at 11:30pm — 2 Comments
1. एक तन .... (क्षणिकाएं) ...
लड़ते-लड़ते
धरा की गोद में
लहुलुहान
कोई सो गया
तिरंगे में
लिपटा हुआ
फिर एक तन
एक वतन
हो गया
... ... ... ... ... ... ... ... ...
2. शेष ....
गोली
बारूद
धमाके
लाशें
चीखें
धुऐं की गर्द
बस
हदों के झगड़ों का
यही था
शेष
... ... ... ... ... ... ... ... ... ...
3. हल ....
लिपट गया
तिरंगे में
भारत माँ का
एक लाल…
Added by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 8:21pm — 2 Comments
जैसे ही पता चला कुछ आंतकवादी हमारी सीमा में घुस गए और मुठभेड़ में जवान कुर्बान हो रहे हैI आनन फानन में एमरजेंसी मीटिंग बुलाई पक्ष विपक्ष दोनों आये गहन चिंतन शुरू हुआI धीरे धीरे आरोप प्रत्यारोप शुरू हुआI गहन चिंतन गाली गलोच में तब्दील हो गयाI अब तो हद हो गयीI एक दूसरे के कपङे फाड़ने लगेI दोनों तरफ क़ुरबानी दे रहे थेI फर्क बस इतना थाI की एक कुर्सी के लिए तो दूसरा धरती माँ के लिएI "मौलिक व अप्रकाशित"
Added by harikishan ojha on September 21, 2016 at 7:40pm — 4 Comments
चाँदनी, चाँदनी सी लगती थी
2122 1212 22 /112
बात जो अनकही सी लगती थी
वो ही बस ज़िन्दगी सी लगती थी
मर गई सरहदों के पास कहीं
सच कहूँ, वो खुशी सी लगती थी
हाँ , न थे गर्द आसमाँ में, तब
चाँदनी, चाँदनी सी लगती थी
रात भी इस क़दर न थी तारीक
उसमें कुछ रोशनी सी लगती थी
दुँदुभी साफ बज रही थी उधर
पर इधर बाँसुरी सी लगती थी
थी तबस्सुम जो उसकी सूरत पर
जाने क्यूँ बेबसी…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on September 21, 2016 at 7:03pm — 5 Comments
बहुत याद आऊंगा ....
रोज की तरह
आज भी भानु रश्मियों ने
एक नये जोश के साथ
धरती पर अपने
पाँव पसारे
चिडियों की चहचहाट ने
वातावरण को अपनी मधुर ध्वनि से
अलंकृत कर दिया
साइकिल की घंटी बजाता दूधवाला
घर घर दूध की आवाज देने लगा
सड़क पर सफाई वालों ने भी
अपना मोर्चा सम्भाल लिया
ये सारा नजारा
मैं अपनी युवा काल से
आज तक
इसी तरह देखता हूँ
आज मैं
अपने बदन पर
चंद पतियों के साथ
सड़क के…
Added by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 3:16pm — 2 Comments
कब तक सहन करूँ माथे पर, जुल्म सितम गद्दारों के।
भारत माता पूछ रही है, प्रश्न ओहदेदारों से।
लाँघी सीमा मानवता की, फिर से आग लगाई है ।
सोते वीरों पर जो गोली, तुमने आज चलाई है ।
फिर से मस्तक लाल हुआ है, कायर भीर प्रहारों से।
भारत माता पूछ----------।
हमला हुआ था संसद पर, मेरी आत्मा रोई थी ।
पठानकोट याद है सबको, कितनी जानें खोई थी।
कब तक रक्त बहेगा यूंही, राजनीतिक इशारों से।
भारत माता पूछ--------------।
उसके दिल पे क्या बीती है,…
Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 21, 2016 at 11:30am — 8 Comments
Added by S.S Dipu on September 20, 2016 at 10:55pm — 6 Comments
माता तेरा बेटा वापस, ओढ़ तिरंगा आया था।
मातृ भूमि से मैंने अपना, वादा खूब निभाया था।
बरसो पहले घर में मेरी, गूंजी जब किलकारी थी।
माता और पिता ने अपनी हर तकलीफ बिसारी थी
पढ़ लिख कर मुझको भी घर का,बनना एक सहारा था
इकलौता बेटा था सबकी मैं आँखों का तारा था
केसरिया बाना पहना कर ,भेज दिया था सीमा पे
देश प्रेम का जज़्बा देकर ,इक फौलाद बनाया था
सोते सोते प्राण गँवाना, मुझे नहीं भाया यारो
कायर दुश्मन की हरकत पर ,क्रोध बहुत आया यारो
शुद्ध रक्त…
Added by Ravi Shukla on September 20, 2016 at 8:30pm — 20 Comments
Added by रामबली गुप्ता on September 20, 2016 at 4:09pm — 18 Comments
मैं बंजारन खोज रही हूँ
तेरे निशाँ
यह रेत के टीले
मिटा रहें है जो निशानियाँ ,
घूम घूम कर तलाश रही हूँ
तेरे कदमों के चिह्न
जो कभी हुआ करते थे
इन्हीं रेतीली ज़मीन पर |
आती थी आवाज़ तुम्हारी
दूर से ही
पुकारते हुए दौड़े चले आते थे ,
तुम अपने घर से
मुझसे मिलने को ,
गवाह है -
यह यहाँ की सर ज़मीं |
वो कटीले पौधे
जो चुभ जाते थे तुम्हें
आज भी यहीं हैं
देखती हूँ इनपर
तुम्हारा सुखा…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 20, 2016 at 3:30pm — 10 Comments
कल माँ का श्राद्ध है
पन्द्रहवाँ श्राद्ध
कल उनकी बहु उठेगी
पौ फटते ही पूरा घर करेगी
गंगाजल के पानी से साफ
सुबह सुबह ठंडे गंगाजल मिले पानी से
नहायेगी भी, पहनेगी उनकी दी हुयी साड़ी
जो उसे पसन्द भी नहीं थी...
फिर पूरा घर बुहारेगी
बनायेगी तरह तरह के पकवान
जो भी माँ को पसन्द थे
पूजा में नतमस्तक हो बैठेगी मन लगा कर
अपने हाथों से खिलायेगी
गाय को पूरी खीर
कौओं को हांक लगा कर बुलायेगी छत पर
फिर खिलायेगी छोटे छोटे कौर…
Added by Abha saxena Doonwi on September 20, 2016 at 3:00pm — 13 Comments
कमलनयनी ब्रांड .... ...
अरे!
ये क्या हुआ
कल ही तो वर्कशाप में
ठीक करवाया था
टेस्ट ड्राईव भी
करवाई थी
कार्य प्रणाली
बिलकुल ठीक पाई थी
माना
टक्कर बहुत भारी थी
दिल के
कई टुकड़े हो गए थे
पर वर्कशाप में
कमलनयनी ब्रांड के
नयनों के फैविकोल से
टूटे दिल के टुकड़े
अच्छी तरह चिपकाए थे
उसकी मधुर मुस्कान ने
ओके किया था
दिल फिर अपने
मूल रूप में
धड़कने लगा था
गज़ब
ठीक होते ही
वर्कशाप के मेकैनिक…
Added by Sushil Sarna on September 20, 2016 at 1:30pm — 6 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 20, 2016 at 7:30am — 6 Comments
Added by S.S Dipu on September 20, 2016 at 12:08am — 6 Comments
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