Added by दिनेश कुमार on September 15, 2015 at 4:30pm — 11 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 15, 2015 at 3:30pm — 15 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 15, 2015 at 3:00pm — 5 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on September 15, 2015 at 12:00pm — 11 Comments
Added by VIRENDER VEER MEHTA on September 15, 2015 at 11:08am — 9 Comments
2122 2122 2122
एक दिन आ कर तुम्हें भी हम हँसायें
यदि हमारे बहते आँसू मान जायें
क्यों समय केवल उदासी बांटता है ?
क्या समय के पास बस हैं वेदनायें
जानकारी ठीक है ,पर ये भी सच है
ज्ञान की अति खा रही है भावनायें
इस तरफ है पेट की ऐंठन सदी से
उस तरफ़ है भूख पर होतीं सभायें
बात में बारूद शामिल है उधर की
हम कबूतर शांति के कैसे उड़ायें ?
अब धरा को छू रहा है सर…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on September 15, 2015 at 9:33am — 43 Comments
ईश्वर अलक्ष्य है क्या ?
शायद –
तब तुमने माँ को नहीं जाना
न समझा न पहचाना
सचमुच
अभागा है तू
(मौलिक व् अप्रकाशित )
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 15, 2015 at 9:30am — 22 Comments
2212 2212 22
क्या ख़ूब आफ़त पाल बैठा हूँ
दिल में शराफ़त पाल बैठा हूँ
.
मुफ़्त इक मुसीबत पाल बैठा हूँ
बुत की मुहब्बत पाल बैठा हूँ
.
क्यूँ ये सितारे हैं ख़फ़ा मुझसे?
जो तेरी चाहत पाल बैठा हूँ
.
वो बेवफा कहने लगा मुझको
जबसे मुरव्वत पाल बैठा हूँ
.
कोई तो तुम अब फ़ैसला दे दो
पत्थर की सूरत पाल बैठा हूँ
.
गर तू तगाफुल पे अड़ा है
सुन मैं भी वहशत पाल बैठा हूँ
.
वारे…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 15, 2015 at 8:30am — 19 Comments
उस चित्रकार की प्रदर्शनी में यूं तो कई चित्र थे लेकिन एक अनोखा चित्र सभी के आकर्षण का केंद्र था| बिना किसी शीर्षक के उस चित्र में एक बड़ा सा सोने का हीरों जड़ित सुंदर दरवाज़ा था जिसके अंदर एक रत्नों का सिंहासन था जिस पर मखमल की गद्दी बिछी थी|उस सिंहासन पर एक बड़ी सुंदर महिला बैठी थी, जिसके वस्त्र और आभूषण किसी रानी से कम नहीं थे| दो दासियाँ उसे हवा कर रही थीं और उसके पीछे बहुत से व्यक्ति खड़े थे जो शायद उसके समर्थन में हाथ ऊपर किये हुए थे|
सिंहासन के नीचे एक दूसरी बड़ी सुंदर महिला…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 14, 2015 at 10:30pm — 9 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on September 14, 2015 at 2:12pm — 12 Comments
बहर-
212/212/212/212
हम है राही मुहब्बत बताया न कर
प्यार हैरत सें ऐसे जताया न कर
आँख बह जाने दे देख बस तू ह्रदय
भीग जाये जो दामन सुखाया न कर
जिंदगी की राह पर साथ आ हमसफ़र
पास रह के तू दूरी बनाया न कर
क़त्ल करना है तो क़त्ल कर दे मुझे
धार चाकू दिखा कर डराया न कर
जानता हूँ तू वैद्यो के घर से जुडी
दोस्ती में मेरी जखम खाया न कर
प्यार मजहब कभी भी नही देखता
यार मजहब की भाषा सिखाया…
Added by amod shrivastav (bindouri) on September 14, 2015 at 11:30am — 6 Comments
भारत के अंबर पर देखो
सूर्य सी हिन्दी चमक रही है
माँ भारती के उपत्यका में
खुशबू बनकर महक रही है
विभिन्न प्रांतों का सेतुबंधन
सरल सर्वजन सर्वप्रिय है
दक्षिण से उत्तर पूर्व पश्चिम
दम दम दम दम दमक रही है
संस्कारों की वाहक हिन्दी
सभी भाषाओं में यह गंगा
प्रगति पथ पर नित आरूढ़ ये
पग नवल सोपान धर रही है
यूरोप अमेरिका ने माना
है यह भाषा समर्थ सक्षम
हम भारतियों के दिल में…
ContinueAdded by Neeraj Neer on September 14, 2015 at 7:59am — 6 Comments
Added by shree suneel on September 14, 2015 at 2:40am — 2 Comments
कवि सम्मेलन के आगाज़ के साथ ही नवांकुर कवि के कविता पाठ करते ही मरघट सा सन्नाटा पसर गया।बामुश्किल नामी कवी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा -
" इन्हें कलम चलानी तो आती नहीं फिर माहौल खराब करने के लिए यहाँ किसने आमन्त्रित किया हैं ?"
" अरे , शर्मा जी इन नवांकुरों को मैंने आमन्त्रित किया हैं ।इन्हें सिखाना भी तो जरुरी हैं।"
" ये केवल नाम बटोरना चाहते हैं ,लगन मेहनत से कोई वास्ता नहीं इनका।इन्हें मंच से हटाया जाय "
"शर्मा जी, ये हमे अपना आदर्श मानते हैं "
" तो हम ही मंच छोड़ देते…
Added by Archana Tripathi on September 14, 2015 at 12:46am — 24 Comments
सिमट कर नहीं रहता
~~~~~~~~~~~~~~~
(लक्ष्य “अंदाज़”)
वैसे भी मेरे घर की चिलमन में सिमट कर नहीं रहता !!
रंग नहीं खुशबू है वो मधुवन में सिमट कर नहीं रहता !!
गहरी आँखों के पानी में इक किश्ती कोई डूबी तो क्या ,
रूप का दरिया एक ही दरपन में सिमट कर नहीं रहता !!
कल जब वो उस जंगल से ज़ख़्मी हुए पाँव लिए लौटा ,
बोला ये बनफूल किसी चमन में सिमट कर नहीं रहता !!
गीली माटी की सौंध में लिपटे खस को क्या…
ContinueAdded by डॉ.लक्ष्मी कान्त शर्मा on September 13, 2015 at 8:00pm — 3 Comments
हिन्दी का अखबार – ( लघुकथा ) -
"रणजीत , तुम्हारे घर के फ़ाटक में यह हिन्दी का अखबार लगा हुआ था, कौन पढता है तुम्हारे घर में "!
"पहले बाबूजी पढा करते थे पर अब कोई नहीं पढता"!
"अंकल को गुजरे हुए तो सात साल हो गये , फ़िर क्यों मंगाते हो"!
" बाबूजी के स्वर्गवास के बाद, मम्मीजी की इच्छा थी कि यह अखबार उनके जीते जी आता रहे!मम्मीजी रोज़ सुबह हिन्दी का अखबार, बाबूजी का चश्मा, बाबूजी की चाय उनके कमरे में रख आती थी!उन्हें इससे बडा सकून मिलता था"!
"पर अब तो…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 13, 2015 at 7:30pm — 17 Comments
करें सेवा हिन्दी की
==================
१४ सितम्बर का दिन यानि हिन्दी दिवस के नाम। हिन्दी यानि भारतीयों की राष्ट्र - भाषा , बहुतों की मातृभाषा। समझ नहीं आता गर्व करूँ या शर्मिंदा होऊँ ? अपनी ही भाषा के लिए एक दिवस औपचारिक रूप से निर्वाह कर, एक परम्परा भर निभाकर ...... । संसार में भारत ही ऐसा देश है , जहाँ अपनी राष्ट्र-भाषा को बताने के लिए , जताने के लिए, मानने के लिए दिवस मनाया जाता है। जोर-शोर से गोष्ठियाँ आयोजित की जाती हैं , विद्यालयीन स्तर पर अनेक प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती…
ContinueAdded by shashi bansal goyal on September 13, 2015 at 7:00pm — 12 Comments
सोनाली भट्टाचार्य एवं सभी तेजाब पीड़ितों के लिए
वह एक लड़की थी
उन्नत नितंबों
पुष्ट उरोजों वाली
श्यामल घनेरे केश
बल खाते पर्वतों के बीच
लहराते
लगता बाढ़ की पगलाई नदी
मेघों के मध्य
घाटी में से गुजर रही हो
खुलकर खिलखिला कर हँसती
कई सितार एक साथ झंकृत हो उठते
उसके सपनों में आता
फिल्मी राजकुमार
जिसके साथ वह
गीत गाती झूमती नाचती
फूलों के बाग में
स्कूल कॉलेज से आती जाती
सबकी निगाहों की केंद्र बिन्दु
सबके…
Added by Neeraj Neer on September 13, 2015 at 5:17pm — 12 Comments
ओस के शबनमी कतरों में …
सर्द सुबह
कोहरे का कहर
सिकुड़ते जज़्बातों की तरह ठिठुरती
सहमी सी सहर
ओस की शबनम में भीगी
चिनार के पेड़ों हिलाती
आफ़ताब की किरणों को छू कर गुजरती
हसीन वादियों की बादे-सबा
रूह को यादों के लिबास में लपेट
जिस्म को बैचैन कर जाती है
तुम आज भी मुझे
धुंध में गुम होती पगडंडी पर
खड़ी नज़र आती हो
मैं बेबस सा
अपने तसव्वुर में
हर शब-ओ-सहर बिताये
हसीन लम्हों…
Added by Sushil Sarna on September 13, 2015 at 2:31pm — 4 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on September 13, 2015 at 9:30am — 12 Comments
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