Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 22, 2017 at 11:11am — 16 Comments
Added by पंकजोम " प्रेम " on October 22, 2017 at 7:30pm — 16 Comments
(फेलुन -फइलुन -फेलुन -फेलुन -फेलुन -फइलुन -फेलुन -फेलुन )
लल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
छल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
ज़ालिमकेमुक़ाबिल लब यारों मैं खोलभीदूँगाअपने मगर
बल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
लम्हे जो गुज़ारे उल्फ़त में मुश्किल से मैं उनको भूला हूँ
पल का न करे कोई चर्चा वो याद मुझे आ जाएँगे |
तूफ़ां से बचा कर कश्ती को लाया तो हूँ साहिल पर लेकिन
जल का न करे कोई…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 6:00pm — 6 Comments
Added by Mohammed Arif on October 17, 2017 at 10:59pm — 33 Comments
नेह रचित इक बाती रखना
दीप दान की थाती रखना
जग के अंकगणित में उलझे
कुछ सुलझे से कुछ अनसुलझे
गठबंधन कर संबंधों की
स्नेहिल परिमल पाती रखना
कुछ सहमी सी कुछ सकुचाई
जिनकी किस्मत थी धुंधलाई
मलिन बस्तियों के होठों पर
कलियाँ कुछ मुस्काती रखना
बंद खिडकियों को खुलवाकर
दहलीजों पर रंग सजाकर
जगमग बिजली की लड़ियों से
दीपमाल बतियाती रखना
मधुरिम मधुरिम अपनेपन…
ContinueAdded by vandana on October 14, 2017 at 9:30pm — 8 Comments
२१२ २१२ २१२ २१२
फिर जगी आस तो चाह भी खिल उठी
मन पुलकने लगा नगमगी खिल उठी
दीप-लड़ियाँ चमकने लगीं, सुर सधे..
ये धरा क्या सजी, ज़िन्दग़ी खिल उठी
लौट आया शरद जान कर रात को
गुदगुदी-सी हुई, झुरझुरी खिल उठी
उनकी यादों पगी आँखें झुकती गयीं
किन्तु आँखो में उमगी नमी खिल उठी
है मुआ ढीठ भी.. बेतकल्लुफ़ पवन..
सोचती-सोचती ओढ़नी खिल उठी
चाहे आँखों लगी.. आग तो आग है..
है मगर प्यार की, हर घड़ी खिल…
Added by Saurabh Pandey on October 8, 2017 at 1:00pm — 56 Comments
Added by रामबली गुप्ता on September 25, 2017 at 5:00am — 49 Comments
*जीवन
उलझन ।
* सूने
आँगन ।
* घर-घर
अनबन ।
* उजड़े
गुलशन ।
* खोया
बचपन ।
*भटका
यौवन ।
* झूठे
अनशन ।
* ख़ाली
बरतन ।
* सहमी
धड़कन ।
.
मौलिक और अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on September 23, 2017 at 11:30pm — 66 Comments
22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 2
.
जैसे धुल कर आईना फ़िर चमकीला हो जाता है,
रो लेता हूँ, रो लेने से मन हल्का हो जाता है.
.
मुश्किल से इक सोच बराबर की दूरी है दोनों में,
लेकिन ख़ुद से मिले हुए को इक अरसा हो जाता है.
.
फोकस पास का हो तो मंज़र दूर का साफ़ नहीं रहता,
मंजिल दुनिया रहती है तो रब धुँधला हो जाता है.
.
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे में कोई काम नहीं मेरा
अना कुचल लेता हूँ अपनी तो सजदा हो जाता…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 16, 2017 at 2:30pm — 55 Comments
भाषा बड़ी है प्यारी जग में अनोखी हिन्दी,
चन्दा के जैसे सोहे नभ में निराली हिन्दी।
पहचान हमको देती सबसे अलग ये जग में,
मीठी जगत में सबसे रस की पिटारी हिन्दी।
हर श्वास में ये बसती हर आह से ये निकले,
बन के लहू ये बहती रग में ये प्यारी हिन्दी।
इस देश में है भाषा मजहब अनेकों प्रचलित,
धुन एकता की डाले सब में सुहानी हिन्दी।
शोभा हमारी इससे करते 'नमन' हम इसको,
सबसे रहे ये ऊँची मन में हमारी हिन्दी।
आज हिन्दी दिवस…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on September 14, 2017 at 11:30am — 65 Comments
2122 1212 22 /122
मंज़रे ख़्वाब से निकल जायें
अब हक़ीकत से ही बहल जायें
ज़ख़्म को खोद कुछ बड़ा कीजे
ता कि कुछ कैमरे दहल जायें
तख़्त की सीढ़ियाँ नई हैं अब
कोई कह दे उन्हें, सँभल जायें
मेरे अन्दर का बच्चा कहता है
चल न झूठे सही, फिसल जायें
शह’र की भीड़ भाड़ से बचते
आ ! किसी गाँव तक निकल जायें
दूर है गर समर ज़रा तुमसे
थोड़ा पंजों के बल उछल जायें
चाहत ए रोशनी में…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on August 23, 2017 at 8:11pm — 37 Comments
Added by VIRENDER VEER MEHTA on August 24, 2017 at 1:26pm — 13 Comments
Added by Balram Dhakar on August 18, 2017 at 8:30pm — 18 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 22, 2017 at 5:00pm — 23 Comments
(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फऊलन)
मेरे प्यार का शम्स ढलने से पहले |
कोई आ गया दम निकलने से पहले |
बहुत होगी रुसवाई यह सोच लेना
रहे इश्क़ में साथ चलने से पहले |
तेरे ही चमन के हैं यह फूल माली
कहाँ तू ने सोचा मसलने से पहले|
कहे सच हर इक आइना सोच लेना
बुढ़ापे में इसको बदलने से पहले |
ख़यालों में आ जाओ कटती नहीं शब
मिले चैन दिल को मचलने से पहले |
अज़ल से है उल्फ़त का दुश्मन ज़माना …
Added by Tasdiq Ahmed Khan on July 16, 2017 at 12:30pm — 30 Comments
मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
१२१२ ११२२ १२१२ २२/११२
ख़ुलूस-ओ-प्यार की उनसे उमीद कैसे हो
जो चाहते हैं कि नफ़रत शदीद कैसे हो
छुपा रखे हैं कई राज़ तुमने सीने में
तुम्हारे क़ल्ब की हासिल कलीद् कैसे हो
बुझे बुझे से दरीचे हैं ख़ुश्क आँखों के
शराब इश्क़ की इनसे कशीद् कैसे हो
हमेशा घेर कर कुछ लोग बैठे रहते हैं
अदब पे आपसे गुफ़्त-ओ-शुनीद कैसे हो
इसी जतन में लगे हैं हज़ारहा शाइर
अदब की मुल्क में मिट्टी पलीद कैसे…
Added by Samar kabeer on July 13, 2017 at 11:30am — 57 Comments
नेम प्लेट ...
कुछ देर बाद
मिल जाऊंगा मैं
मिट्टी में
पर
देखो
हटाई जा रही है
निर्जीव काल बेल के साथ
लटकी
मेरी ज़िंदा
मगर
उखड़े उखड़े अक्षरों की
एक अजीब सी
चुप्पी साधे
पुरानी सी
नेम प्लेट
मुझसे पहले
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on July 14, 2017 at 3:30pm — 24 Comments
Added by khursheed khairadi on July 10, 2017 at 9:00pm — 15 Comments
२१२२ १२१२ २२
बात खाली मकान क्या करता
दास्ताँ वो बयान क्या करता
पंख कमजोर हो गये मेरे
लेके अब आसमान क्या करता
उसकी सीरत ने छीन ली सूरत
उसपे सिंघारदान क्या करता
रूठ जाते मेरे सभी अपने
चढ़के ऊँचे मचान क्या करता
नींव में झूठ की लगी दीमक
लेके ऐसी दुकान क्या करता
बाढ़ में ढह गये महल कितने
मेरा कच्चा मकान क्या…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 11, 2017 at 8:30am — 36 Comments
2122 -1212 -22
आस दिल में दबी रही होगी
और फिर ख़्वाब बन गई होगी।
टूट जाए सभी का दिल या रब
दिलजले को बड़ी ख़ुशी होगी।
ज़ह्न हारा हुआ सा बैठा है
दिल से तक़रार हो गई होगी।
जिसकी खातिर लुटा दी जान उसने
चीज़ वो भी तो कीमती होगी।
जब मुड़ा तेरी ओर परवाना
शमअ बेइन्तहा जली होगी।
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by Gurpreet Singh jammu on July 11, 2017 at 1:26pm — 28 Comments
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