For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,119)

आर नही अबकी, पार हमे हो जाने दो

शंखनाद हो रण का, अब जंग आखिरी हो जाने दो ।

आर नही अबकी, पार हमे हो जाने दो ।

हमने जिसको अपना समझा, पीठ मे खंजर उसने घोपा है।

आज बता दो उनको की, अब ये आखिरी धोखा है।

अब फूल नही हाथो मे तलवार हमे उठाने दो । आर नही अबकी, पार हमे हो जाने दो…

Continue

Added by बसंत नेमा on January 18, 2013 at 3:30pm — 7 Comments

"सर्द रातों का आतंक "

सर्द रातों का आतंक ,

सबका बुरा हाल हुआ !

रूह कपा देने वाली ठण्ड से ,

खड़ा एक एक बाल हुआ !!

क़यामत की धुंधली रातों में

डरे ,कांपते हुए जो सिमटे है !

उन गरीबों का क्या हाल होगा ,

जो फटे कम्बल में लिपटे है !!

सुख सुविधाओ से परिपूर्ण वो ,

क्या जाने सर्द रातों का स्याह सच !

कैसे ढकता बदन वह ,

एक अधखुला कवच !!

कहर बरसाती ठण्ड रातें ,

बर्फीली हवा झेलते फेफड़े ,

नेता जी कम्बल घोटाला करके ,

कलेजे पे रखते बर्फ के टुकड़े!!

राम…

Continue

Added by ram shiromani pathak on January 18, 2013 at 1:43pm — 4 Comments

खरामा - खरामा

खरामा - खरामा चली जिंदगी,

खरामा - खरामा घुटन बेबसी,

भरी रात दिन है नमी आँख में,

खरामा - खरामा लुटी हर ख़ुशी,

अचानक से मेरा गया बाकपन,

खरामा - खरामा गई सादगी,

शरम का ख़तम दौर हो सा गया,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 11:30am — 10 Comments

मत्तगयंद सवैया :-

मत्तगयंद सवैया :-
================
आदि अनादि अखंड अगॊचर, मॊह न क्षॊभ न काम न माया !!
तॆज त्रि-खंड प्रचंड अलौकिक,ब्याधि अगाधि दुखादि मिटाया !!
संत-अनंत न जानि सकॆ कछु,वारिहि बीच ब्रम्हांण्ड-निकाया !!
भाँषत  वॆद  पुराण  सुधी  जनि, पार न  काहु  रती भर पाया !!
===========================================

   ( मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 18, 2013 at 11:00am — 3 Comments

एक ग़ज़ल



क्या कहूं मैं किस तरह तकदीर का मारा हुआ


सर्द रातें थीं मगर बिस्तर का बंटवारा हुआ



कहने को तो साथ हैं वो हर कदम ओ हर घड़ी 

फिर भी उनकी बेरुखी से दिल ये नाकारा हुआ



यूं तो अपने हर तरफ हैं शबनमी दरिया मगर

जब नजर अपनी पडी पानी सभी खारा हुआ



जिनकी उम्मीदों पे सांसें चल रही थीं आज तक

वो न अपने हो सके, अपना जहां सारा हुआ



हंस…

Continue

Added by VISHAAL CHARCHCHIT on January 18, 2013 at 12:30am — 16 Comments

हर किसी शख्स को आइना , बनाने वाले ....................

लाख चेहरों को छिपाते हैं, छिपाने वाले, 

तू सबको पहचान ही लेता है, बनाने वाले |



कौन ठोकर पे है किसको सलाम करना है, 

इल्म हर बात का रखते हैं ज़माने वाले |



जब कही सर भी छिपाने की जगह न मिली, 

खूब पछताए मेरे घर को , जलाने वाले |



सच्ची बातें नहीं मरती हैं कभी सच है, 

सच्चे इंसान हो पर, सच को, सुनाने वाले |

 

अपने चेहरे की खो देते हैं वो पहचान "अजय"

हर किसी शख्स को आइना, बनाने वाले |



मौलिक एवं अप्रकाशित …

Added by ajay sharma on January 17, 2013 at 11:00pm — 2 Comments

पाठक नामा- मेरी आपबीती: बेनज़ीर भुट्टो 2

पाठक नामा- मेरी आपबीती: बेनज़ीर भुट्टो 2  

संजीव 'सलिल'

*

१९७१ के बंगला देश समर पर बेनजीर :



==''...मैं नहीं देख पाई कि लोकतान्त्रिक जनादेश की…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on January 17, 2013 at 6:54pm — 3 Comments

"अधखुली दुनियां "

आजकल हास्य के लिए ,

अश्लीलता का सहारा लिया जाता है !

जनता खूब हंसती भी है ,

उन्हें भी आनंद आता है !!

जब प्रतिदिन नवीन आविष्कार हो रहे ,

अश्लीलता और नग्नता पर !

आत्मा कह रही मेरी ,

तू भी कुछ नया कर !!

इस अधखुली दुनियां की ,

बात बहोत ही निराली है !

चमक तो दिखता है ,

पर दिन भी होती काली है !

टिप्पणी करने से डरता हूँ ,

क्या कहूँ ?कैसे कहूँ ?

उलझता जा रहा हूँ ,

इस अधखुली दुनियां में !!

राम शिरोमणि पाठक…

Continue

Added by ram shiromani pathak on January 17, 2013 at 6:07pm — 2 Comments

हर किसी को गम यहां पर (राजेश कुमार झा)

हर किसी को ग़म यहां पर

और तो ना दीजिए

हो सके तो मुस्‍कुराते

कारवां रच दीजिए

आ गई जो रात काली

तो नया है क्‍या हुआ

ये तो है किस्‍सा पुराना

राख इसपर दीजिए

लिख रहा जो लाल केंचुल

चीखते मज़हब नए

पोखराजी लेखनी ले

आप भी चल दीजिए

देखना क्‍या ये तमाशे

चार दिन का जब सफ़र

हर लहर को बस किनारे

का पता दे दीजिए

द़श्‍त सहरा खून पानी

लिख चुके कमसिन गज़ल

कुछ तराने अब ख़ुदा के

नाम भी कर दीजिए

दर्द के…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 17, 2013 at 2:30pm — 3 Comments

ग़ज़ल - प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन)

वज्न : 2122, 1122, 1122, 22

चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,

प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,

फूल से गाल तेरे बाल तेरे रेशम से,

चाल हिरनी सी मेरी जान दुभर करती है,

धूप…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on January 17, 2013 at 11:23am — 16 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
भर रही हुंकार सरहद लहू का टीका सजा के

ले गए मुंड काट कायर धुंध में सूरत छुपा के 

भर रही हुंकार सरहद लहू  का टीका सजा के 

नर पिशाचो के कुकृत्य अब सहे ना  जायेंगे 

दो के बदले दस कटेंगे अब रहम ना  पायेंगे

बे ज़मीर हो तुम दुश्मनी  के भी लायक नहीं

कहें जानवर तो होता उनका भी अपमान कहीं

होते जो इंसा ना जाते अंधकार में दुम दबा के 

भर रही हुंकार सरहद लहू  का टीका सजा के 

बारूद  के ज्वाला मुखी  को दे गए चिंगारी तुम

अब बचाओ अपना दामन मौत के संचारी तुम 

भाई कहकर  छल से…

Continue

Added by rajesh kumari on January 17, 2013 at 11:12am — 16 Comments

जिन्दगी तुझसे क्या सवाल करूँ

जिन्दगी तुझसे क्या

 सवाल करूँ , क्या शिकायत करूँ 

तुझसे जैसा चाहा

 वैसा ही पाया ........

फूल चाहे तो फूल ही मिले

फूलों में काँटों की शिकायत

तुझसे क्यूँ करूँ ,

मेरी तकदीर के  काँटों की 

 शिकायत  तुझसे क्यूँ करूँ ..........

सितारों भरा आसमान

चाहा तो भरपूर सितारे मिले

कुछ टूटे बिखरे सितारों की शिकायत

तुझसे क्यूँ करूँ ,

मेरी तकदीर के टूटे सितारों 

की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ…

Continue

Added by upasna siag on January 17, 2013 at 9:46am — 4 Comments

दुर्मिल सवैया

दुर्मिल सवैया

===============

कवि-कॊबिद हार गयॆ सबहीं, नहिं भाँष सकॆ महिमा हर की ॥

प्रभु आशिष दॆहु बहै कविता, सरिता सम कंठ चराचर की ॥

नित नैन खुलॆ दिन-रैन मिलॆ,समुहैं छवि शैल-सुता वर की ॥

कवि राज गुहार करॆं तु्म सॆ, त्रिपुरारि सुनॊ विनती नर की ॥

===========================================

दुर्मिल सवैया

===============

हरि नाम रटा कर री रसना,हरि नाम बिना जग ऊसर है !!

सब ज्ञान - बखान परॆ धर दॆ,बिन नॆह हरी मन मूसर है !!

जिय चाह रहा…

Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 16, 2013 at 11:03pm — 11 Comments

किसने रंग डाला है बोलो (राजेश कुमार झा)

किसने रंग डाला है ऐसा

मारी किसने पिचकारी

ऐसे ही रंग मोहे रंग दे

हे मुरलीधर बनवारी



बह गए मेरे रेत घरौंदे

टूट गए आशा के हौदे

चाहे जितनी जुगत लगा लूं

कमती ना है दुश्‍वारी



कैसे बिखरे तान सहेजूं

किस जल से ये प्राण पखेजूं

सांझ के अनुपद धूनी रमाए

कह जाओ मुरलीधारी



शेष पहर छाया है पीली

भीत भरी अंखियां हैं नीली

धिमिद धिमिद नव नाद जगाते

आओ हे…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on January 16, 2013 at 5:05pm — 8 Comments

ग़ज़ल "अंधेरों को बहुत खलने लगे हैं"

======ग़ज़ल========

बहरे हजज मुसद्दस् महजूफ

वजन-1222/1222/122



दियों में तेल हम भरने लगे हैं

अंधेरों को बहुत खलने लगे हैं



नहीं रूकती हमारी हिचकियाँ भी

हमें वो याद यूँ करने लगे हैं…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on January 16, 2013 at 3:30pm — 11 Comments

पशु चिकित्सक की डिग्री

सुना है ,
अब,एम बी बी एस करने पर
पशु चिकित्सक की डिग्री
दी जा रही है,
क्योंकि,
मनुष्य की कोख से,
जानवर कि,
नस्ल आ आ रही है .

Added by Dr Dilip Mittal on January 16, 2013 at 3:00pm — 5 Comments

व्यसन-:

व्यसन बना जी का जंजाल ,

असमय ही खाए जा रहा काल !

इतनी सुन्दर ज़िन्दगी को ,

क्यूँ व्यर्थ में गवांते हो !

जानते हो की बुरी है ,

फिर भी पीते या खाते हो !!

व्यसन के अतिरिक्त कोई ,

कार्य नहीं है शेष !

अल्प दिनों बाद केवल

रह जाओगे अवशेष !!

फटे कपड़ों में जब इनके बच्चे ,

घर से बाहर निकलते है ,

लोग दया दिखाते बच्चों पर ,

व्यसनी को गाली देते है !!

सोचो ऐसे व्यसनी को ,

उनके अपने कैसे सहते है,

नशा करने के बाद ,…

Continue

Added by ram shiromani pathak on January 16, 2013 at 12:30pm — 3 Comments

"पडोसी"

दोस्तों, भारत पाक सीमा पर जी हो रहा है, वो बड़ा ही दुखद है, हमारे जवानों के सर को कलम कर दिया गया,
इस बात से हर हिंदुस्तानी के दिल को चोट लगी है, एक छोटी सी रचना पेश कर रहा हूँ शीर्षक है "पडोसी"
"पडोसी"   ( मौलिक व् अप्रकाशित )
मेरे शहर की गावों से अब नहीं बनती
बिलावजह जाने क्यूँ भोहें हैं तनती
गली-गली में अमन की बात करते हैं,
फिर अचानक तलवारें हवाओं में चमकी
मुल्कों, मजहबों, जातियों में बटे दिल,
दो…
Continue

Added by SURINDER RATTI on January 16, 2013 at 11:51am — 7 Comments

''बर्फ के फूल''

पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....

तूफानी हवाओं में
सफेद बर्फ के फूल
नंगी निर्जीव टहनियों पर
कफ़न से रहे हैं झूल l

तूफान के रुकने पर
सूरज के निकलते ही
ये मोम से पिघलकर
बन जायेंगे धूल l

पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....

-शन्नो अग्रवाल

Added by Shanno Aggarwal on January 16, 2013 at 6:30am — 9 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service