For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,116)

दीपावली की शुभकामनाएँ (मत्तगयंद सवैया)



(७ भगड़ और अंत में दो गुरु)

मानस  जो  अँधियार  हुवा अब नष्ट उसे निज से कर डालें !

ज्ञान कि बाति व सत्य क ईंधन से चहुँ धर्म क दीप जला…

Continue

Added by पीयूष द्विवेदी भारत on November 12, 2012 at 7:55am — 10 Comments

मुक्तक--हृदय की तरल अग्नि..

............................................................................................................

हृदय की तरल अग्नि रचती है जीवन

यहीं जन्म लेते हैं वियाग और मधुवन

क्षमा और प्रतिशोध की कैसी माया,

हृदय नभ सो उत्पन्न हो करते नर्तन।

                                     सूबे सिहं सुजान

11.11.12

Added by सूबे सिंह सुजान on November 11, 2012 at 11:15pm — 2 Comments

लघु कथा - गर्द



शाम हो रही थी साहब घर जाने के लिए निकले और जाते जाते रामदीन को मेरी जिम्मेदारी सौंप गये. रामदीन को भी घर जाना था इसलिए उसने जल्दी से मुझे नीचे उतरा और झाड़ा झटका, अचानक मुझ पर पडी गर्द रामदीन से जा चिपकी, वह झुझला गया जैसे उसके शरीर पर धूल न चिपक गई हो बल्कि उसकी आत्मा से ईमानदारी जा चिपकी हो. उसने तुरंत अपने गमछे से सारे शरीर को झाड़ा और एक बार आईने में भी देख आया, उसे लग रहा था जैसे इमानदारी अब भी उससे चिपकी रह गई है. उसने मुझे तह किया और अलमारी में रख…

Continue

Added by वीनस केसरी on November 11, 2012 at 10:25pm — 10 Comments

दीवाली

दीवाली
 

दीवाली जब जब आएगी

याद हमारी आएगी

भूल ना पाओगे हमको…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 10, 2012 at 5:24pm — 1 Comment

दीपावली की शुभकामनाये

         

आओ मिलकर दीप जलाये

दीप, लड़ियों से घर सजा

हर तरह का तम मिटा

जग को प्रकाश की सौगात दिलाये

आओ मिलकर दीप जलाये

 

प्रेम की ज्योति जला के हृदय

बैर से मुक्ति, जग दिलाये

उपहार में बाँट के सदभावना

मीठास की ऐसी रीत चलाये

आओ मिलकर दीप जलाये

 

क्रोध अग्नि को विजित कर

सयंम में खुद नियंत्रित कर

विन्रमता का सबको पाठ पढाये

देश में प्रेम की लहर चलाये

आओ मिलकर दीप…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 10, 2012 at 12:10pm — 4 Comments

दिल्ली का हाल

दिल्ली का हाल
 
यह देखो दिल्ली का हाल
त्रस्त जनता बेबस,बेहाल
महंगाई का बोझ उठाए
पूछे है  सत्ता  से सवाल 
यह देखो दिल्ली का---
चारों तरफ पैसे की भूख 
मची हुई है लूट खसूट 
बिगड़ गए सारे सुर ताल
राजनीति…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 10, 2012 at 11:33am — 3 Comments

दास्ताँ है यें जीव की

दास्ताँ  है यें जीव की

वस्त्र ढ़के, मृत शरीर की

वृद्ध होते ही छोड़ चलें

नींव लिखने, नई तकदीर की

 

प्रीती जाती जब, हृदय जग

दो तनो कर, एक मन

बीज से जाता पराग बन

भू धरा पर ले जन्म

पंचतत्वो का कर संगम

पाया जग में मानव तन

 

शिशु से किशोर तक

रूप बनाया मन भावन

अटखेलियाँ कर कर के

हर्षित करता सबका मन

शिक्षा का वो कर अध्ययन

ज्ञान से करता जग रोशन

 

अध्यन का समय हुआ…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 9, 2012 at 5:32pm — 2 Comments

श्री डेंगू जी : "एक अमर गाथा"

यूं तो हमारे देश में कई क्रांतिकारी कई देशभक्त आये| कोई नोटों तक पहुंचा कोई गुमनामी में खो गया, किसी को चर्चे मिले कोई किताबों में सो गया| मगर उन्होंने अपना कर्तव्य कभी नहीं छोड़ा, आजादी के बाद भी अनेक क्रांतिकारी यदा-कदा देश में आते-जाते रहे| जब-जब शासन अपनी शक्तियों और कर्तव्य को भुला कर कुछ भी करने में अक्षम रहा, वे देशभक्त उन्हें कर्तव्य बोध कराते रहे|

   ऐसा ही कर्तव्य बोध हाल ही में हमारे देश के एक वीर क्रांतिकारी द्वारा सरकार को कराया गया| ये वीर कोई और नही बल्कि परम साहसी, अत्यंत…

Continue

Added by Pushyamitra Upadhyay on November 9, 2012 at 4:10pm — 7 Comments


मुख्य प्रबंधक
लघु कथा :- रक्त पिपासु

लघु कथा :- रक्त पिपासु…
Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 9, 2012 at 11:00am — 38 Comments

ग़ज़ल - कुछ तेरे होने तलक थी, कुछ तुम्हारे बाद है

कुछ मुझी में प्यार मेरा, इस कदर आबाद है,

कैद में दुनिया है मेरी, दिल मेरा आज़ाद है।



पाँव थमते ही नहीं, अब मंजिलों पर भी मेरे,

ये मेरी आवारगी, शायद मेरी हमजाद है।



कुछ दिनों से चाय की प्याली नहीं खनकी यहाँ,

बिन तेरे बिखरी रसोई, क्या कहाँ, कब याद है।



है जवानी भूलती इस बात को ना जाने क्यूँ,

इक बुढ़ापे ने ही इस घर की रखी बुनियाद है।



दिल को मेरे है शिकायत जाने…
Continue

Added by Arvind Kumar on November 8, 2012 at 8:39pm — 7 Comments

पिए रविकर विष खारा-

सकारात्मक पक्ष से, कभी नहीं हो पीर |
नकारात्मक छोड़िये, रखिये मन में धीर |

रखिये मन में धीर, जलधि-मन मंथन करके |
देह नहीं जल जाय, मिले घट अमृत भरके |

करलो प्यारे पान, पिए रविकर विष खारा |
हो जग का कल्याण, सही सिद्धांत सकारा ||

Added by रविकर on November 8, 2012 at 6:35pm — 7 Comments

मेरा बेटा (2)

मेरा बेटा

अभी बच्चा है

अक़्ल से कच्चा है

चीज़ों का महत्व

नहीं जानता

और न ही

बड़ी बातें करना जानता है

उसकी खुशियाँ भी

छोटी-छोटी हैं

चॉकलेट, खिलौनों से ख़ुश

पेट भर जाए तो ख़ुश

पर लालची नहीं है वो

उतना ही खाएगा

जितनी भूख़ है

कल के लिए नहीं सोचता

आज की फिक्र करता है

चीज़ें ज़्यादा हो जायें

दोस्तों में बाँट देगा

छोटा है न

कुछ समझता नहीं

लोग समझाते हैं

बाद के लिए रख लो

पर नहीं समझता…

Continue

Added by नादिर ख़ान on November 8, 2012 at 6:00pm — 4 Comments

मँझा माफिया रोज, भूमि का करे कलेवा-

 

अय्यासी में हैं रमे, रोम रोम में काम ।
बनी सियासी सोच अब, बने बिगड़ते नाम ।

बने बिगड़ते नाम, मातृ-भू देती मेवा ।
मँझा माफिया रोज, भूमि का करे कलेवा ।

बेंच कोयला खनिक, बनिक बालू की राशी ।
काशी में क्यूँ मरे, स्वार्गिक जब अय्यासी ।।

Added by रविकर on November 8, 2012 at 12:30pm — 8 Comments

दुर्मिल सवैया छंद

अधरों बिच बात छुपाय रही इनसे न कही उनसे न कही
पिय प्यार दुलार निहार सखी नयनो बिच धार हमार बही
सब राज कहें नयना पिय से अधरों बिच बात छुपी न रही
यह प्रीतहि रीत अनूठि सखी सब हारहि जीतहि एक सही

चिदानन्द शुक्ल "संदोह "

Added by Chidanand Shukla on November 8, 2012 at 11:30am — 2 Comments

जीवन की शुरुआत

नये जीवन की शुरुआत करें हम

मृत्यु से ना कभी डरे हम

कर्मभूमि बना धरा को              

स्थापित प्रमाण अपने करें हम

गीता उपदेश को ध्यान रख

समाहित धर्म कर्म को कर

ज्ञान बीज की उपज करें हम

कर्म को पूजा मान के अपनी

चेतना वृक्ष तैयार करें हम

आओ नए जीवन की शुरुआत करें हम

 

आसक्त ना हो भौतिक जगत से

अपने अंतर्मन से ध्यान धरे हम

कौन हूँ मैं, कहा से आया

किस मनसा से जग में आया  

क्या खोया, और…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 8, 2012 at 10:37am — 5 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
ह्रदय से काला नेता (कुंडलिया )

नेता खुद करते फिरें, इधर उधर की ऐश

दीवाली पर ना मिले, तेल, कोयला,  गैस

तेल, कोयला,  गैस, चूल्हा जलेगा कैसे 

रंक भाड़ में जाय, भरलो  बैंक में पैसे 

वोट दियो पछताय, मनुज अब जाकर चेता 

उजले हैं परिधान, ह्रदय से काले नेता

*********************************

Added by rajesh kumari on November 7, 2012 at 8:30pm — 11 Comments

आग का दरिया

आग का दरिया नंगो पैरों करना पार कहाँ  तक अच्छा 

तन्हाई में सिसकी भरकर रोना यार कहाँ तक अच्छा 
 
माना पुराने पन्नों पर ख्वाहिश ने नयी तारीखें लिख दी 
लेकिन पढना फिर फिर बासी वो अखबार कहाँ तक अच्छा 
 
कच्चे रंगों से मिटटी के घर आँगन रंग कर सोच रहा 
बरसाती मौसम में जिद का ये…
Continue

Added by ajay sharma on November 7, 2012 at 7:00pm — 1 Comment

'' हुज़ूर इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ हो ''

हुज़ूर इस नाचीज़ की गुस्ताखी माफ़ हो ,

आज मुंह खोलूँगी हर गुस्ताखी माफ़ हो !



दूँगी सबूत आपको पाकीज़गी का मैं ,

पर पहले करें साबित आप पाक़-साफ़ हो !



मुझ पर लगायें बंदिशें जितनी भी आप चाहें ,

खुद पर लगाये जाने के भी ना खिलाफ हो !



मुझको सिखाना इल्म लियाकत का शबोरोज़ ,

पर पहले याद इसका खुद अलिफ़-काफ़ हो !



खुद को खुदा बनना 'नूतन' का छोड़ दो ,

जल्द दूर आपकी जाबिर ये जाफ़ हो !

            …

Continue

Added by shikha kaushik on November 7, 2012 at 1:00pm — 5 Comments

तय करना है

चाँद-सितारे ,बादल ,सूरज

आँख मिचौली खेल रहें हैं ।

धरती खुश है ,

झूम रही है ।

झूम रहा है प्रहरी कवि-मन ।

समय आ गया नए सृजन का ।

 

खून सनी सड़कों पर-

काँटे उग आएं हैं ।

जीवन भाग रहा है नंगेपांव –

मगर बचना मुश्किल है ।

सन्नाटों का गठबंधन-

अब चीखों से है ।

 

हृदयों के श्रृंगारिक पल में

छत पर चाँद उतर आता है ।

कवि के कन्धे पर सर रखकर

मुस्काता है ।

नीम द्वार का गा उठता…

Continue

Added by Arun Sri on November 7, 2012 at 11:24am — 16 Comments

इश्क का ज्वार

खींचा-खींची कर रहे, इक दूजे की चीज ।

सोम सँभाले स्वयं सब, भूमि रही है खीज ।

भूमि रही है खीज, सभी को रखे पकड़ के ।

पर वारिधि सुत वारि, लफंगा बढ़ा अकड़ के ।

चाह चाँदनी चूम, हरकतें बेहद नीची ।

रत्नाकर आवेश, रोज हो खींचा खींची ।।

Added by रविकर on November 7, 2012 at 9:14am — 3 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
8 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
9 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
10 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service