कोई सूरज की तारीफ करे तो
चंदा तुम ना होना गुमसुम l
सूरज की साँसों की गर्मी
करती है भू का उर्वर तन
और तुमसे शीतलता पाकर
कन-कन में होता परिवर्तन
है दोनों की ही हमें जरूरत
धरती पर मुस्काना दोनों तुम l
मौसम के कई रूप बदलते
कभी पतझर या फिर बसंत
पर तुम दोनों अटल सदा से
नभ पर है साम्राज्य अनंत
तुम पर है सारा जग निर्भर
क्या होगा वरना क्या मालुम…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on February 28, 2012 at 9:30pm — 6 Comments
(1)
पीर का सागर हृदय में, मन में भारी वेदना.
अश्रु भी छलके नयन से,शून्य हो गई चेतना.
टूटता है जब हृदय, यह दशा होती सभी की.
जाने कैसे सीखते हैं, लोग दिल से खेलना. ...
(2)
वक़्त की बेवफ़ाई पर तू, आज क्यों पछता रहा.
तू भी सदा वक़्त के संग खिलवाड ही करता रहा.
वक़्त ने तो चाहा हमेशा संग लेकर तुझको चलना,
आलसी बन तू ही बैठा, वक़्त तो चलता रहा. .
.
- प्रदीप बहुगुणा दर्पण
Added by Pradeep Bahuguna Darpan on February 28, 2012 at 10:30am — 3 Comments
दोहे सुनकर जीत के, मन को लेंगे जीत.
प्रेम मिलेगा आपको, साथ निभाए प्रीत..
सोमवार में पूज्य हैं, हम सबके शिवनाथ.
मंगल जो सुमिरन करे, बजरंगी हों साथ.
बुद्ध दिनों में शुद्ध अति, मिले त्याग उपदेश.
गुरु को गुरु पूजन करें, दूर रहें सब क्लेश..
शुक्रवार को साधिए, मन में हो संतोष.
शनि पूजन शनिवार जो, मिटे तभी सब दोष.
मन प्रसन्न रविवार को, सुख मिलता भरपूर.
सूर्य देव की हो कृपा, कष्ट सभी हों…
ContinueAdded by Jeet Gaurav Awasthi on February 27, 2012 at 5:00pm — 2 Comments
आह देशभक्त की है आह एक पितृ की है ,
Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on February 27, 2012 at 12:47am — No Comments
गोपी गीत दोहानुवाद
संजीव 'सलिल'
*
श्रीमदभागवत दशम स्कंध के इक्तीसवें अध्याय में वर्णित पावन गोपी गीत का भावानुवाद प्रस्तुत है.
धन्य-धन्य है बृज धरा, हुए अवतरित श्याम.
बसीं इंदिरा, खोजते नयन, दरश दो श्याम..
जय प्रियतम घनश्याम की, काटें कटें न रात.
खोज-खोज हारे तुम्हें, कहाँ खो गये तात??
हम भक्तन तुम बिन नहीं, रातें सकें गुजार.
खोज रहीं सर्वत्र हम, दर्शन दो बलिहार..
कमल सरोवर…
Added by sanjiv verma 'salil' on February 26, 2012 at 12:02pm — No Comments
जन्मदिन पर .
तुमनें दी
शुभकामनाएं
कुछ की
प्रभु से प्रार्थनाएं .
सोचता हूँ
तुम्हें आभार दूँ
या दिल की
गहराइयों से चलकर
रूह के धरातल पर
उबलते , उफनते
विचार दूँ ?
क्या बता दूँ ?
की मैं क्यों
हो जाता हूँ उदास
क्यों बस
एक ही एहसास
मुझे कर जाता है
अंतर से बदहवास
हर साल
जब देती हो तुम
कुछ सपनों में ढाल
प्रेम से बुना
दिल से…
ContinueAdded by Dr Ajay Kumar Sharma on February 25, 2012 at 5:30pm — 2 Comments
सुनो राजन !
तुम्हे राजा बनाया है हमीं ने !
और अब हम ही खड़े है
हाथ बांधे
सर झुकाए
सामने अट्टालिकाओं के तुम्हारे !
जिस अटारी पर खड़े हो
सभ्यता की ,
तुम कथित आदर्श बनकर ,
जिन कंगूरों पर
तुम्हारे नाम का झंडा गड़ा है ,
उस महल की नींव देखो !
क्षत-विक्षत लाशें पड़ी है
हम निरीहों के अधूरे ख्वाहिशों की ,
और दीवारें बनी है
ईंट से हैवानियत की !
है तेरे संबोधनों में दब…
ContinueAdded by Arun Sri on February 25, 2012 at 10:55am — 6 Comments
लघु कथा
अरे भाई हँसमुख जी, आज क्यूँ उदास हो, क्या हुआ ? क्या बताऊँ मैं आज बहुत परेशां हूँ, आप ही बताओ आप को कैसा लगेगा यह जान कर कि आप जिस घर में पिछले दस साल से अकेले रहते हो, उसमे आप के अलावा कोई और भी अचानक आकर रहने लगे !! कल रात कुछ लोग अचानक मेरे घर में मेरे ही सामने मेरे घर में डेरा डाल कर बैठ गए और अपना आधिपत्य जताने लगे और मैं कुछ न कर सका | जी में तो आया कि एक एक को उठाकर फेंक दूं पर क्या करे हमारी भी कुछ अपनी…
ContinueAdded by rajesh kumari on February 25, 2012 at 10:00am — 14 Comments
माना की बहूत दर्द है आज हमारे सीने में,
पर महज तड़प से नहीं बदलेगी,हालात दोस्तों,
कुछ ना पावोगे उम्मीदों की महफ़िल सजाने से,
जब तक हो ना उसपे अमल की बरसात दोस्तों.
कल का चेहरा दुनिया में देखा है किसने अबतक,
जो भी करना है कर दो…
Added by Noorain Ansari on February 24, 2012 at 6:30pm — 2 Comments
माँ को महसूस करती हूँ उनके अंदर ही,
जब दुनिया मे आऊँगी, मुझसे मिलने पापा आओगे न।
दिन भर आपका रास्ता देखती हूँ मै,
शाम को आकर मुझे अपनी बाहों का झूला, पापा झूलाओगे न।
आपके संरक्षण मे खुद को सुरक्षित महसूस करती हूँ मै,
यूं ही पूरा जीवन मुझे सुरक्षित महसूस, पापा कराओगे न।
छोड़ के अपना प्यारा आँगन,किसी और का घर सजाना हैं,
बेटी से बहू बनने तक का सफर पापा पूरा कराओगे न।
Added by Vasudha Nigam on February 24, 2012 at 5:52pm — 1 Comment
Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on February 24, 2012 at 4:00pm — 10 Comments
Added by satish mapatpuri on February 24, 2012 at 2:05am — 7 Comments
यह कविता उन व्यक्तियों ,महिलाओं के सन्दर्भ में है जो कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भागीदार हैं इसके खिलाफ लड़ाई में मेरा यह छोटा सा प्रयास है !मेरी यह कविता QAWWA(मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स )
Added by rajesh kumari on February 23, 2012 at 8:36pm — 11 Comments
बहुत दुखते हैं
पुराने घाव ,
जब आती हैं
मरहम लगाने
नई उँगलियाँ !
उन्हें नही पता -
कितनी है
जख्म की गहराई ,
क्या होगी
स्पर्श की सीमा !
उनमे नही होती
पुराने हाथों जैसी छुअन !
रिसने दो
मेरे घावों को ,
क्योकि बहुत दुखतें हैं
पुराने घाव
जब आती है
मरहम लगाने
नई उँगलियाँ !
अब और दर्द सहा न जाएगा…
ContinueAdded by Arun Sri on February 23, 2012 at 10:30am — 12 Comments
सरकार ने सख्ती दिखाई.फिर से हेलमेट की दुकानें सज गई.गोविन्द ने भी कुछ पैसे जमाये और एक हेलमेट की दुकान सड़क के किनारे खोलकर बैठ गया. धंधा चल निकला.लोगों के सरों की हिफाज़त के सरकारी फरमान के चलते गोविन्द और उस जैसे कई बेरोजगारों को काम मिल गया. तभी एक दिन दोपहर के वक़्त एक अनियंत्रित ट्रक गोविन्द की दुकान पर चढ़ गया. तमाम हेलमेट सड़क पर इधर-उधर बिखर गए. पुलिस वाले उन्ही हेलमेटों के बीच गोविन्द के धड से अलग हुये सिर की तलाश कर रहे थे..
....... अविनाश बागडे.
Added by AVINASH S BAGDE on February 23, 2012 at 10:00am — 5 Comments
फर्ज के अलाव में कब तक जलो
Added by rajesh kumari on February 23, 2012 at 9:05am — 11 Comments
Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on February 22, 2012 at 11:30pm — 4 Comments
Added by asha pandey ojha on February 22, 2012 at 1:00pm — 10 Comments
अश्रु गण साथी रहे
मेरे ह्रदय की पीर बनकर !
रात चुभ जाती हमेशा तीर बनकर !
मैं भटकता नीर बनकर !
तुम सुनहरे स्वप्न सी हो
मैं नयन हूँ !
बिन तुम्हारे मैं अधूरा
और मेरे बिन तुम्हारा अर्थ कैसा !
जीत की उम्मीद से प्रारंभ होकर
निज अहम के हार तक का ,
प्रथम चितवन से शुरू हो प्यार तक का ,
प्यार से उद्धार तक का
मार्ग हो तुम !
मै पथिक हूँ !
निहित हैं तुझमे सदा से
कर्म मेरे
भाग्य…
ContinueAdded by Arun Sri on February 22, 2012 at 1:00pm — 7 Comments
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