For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Male
  • gorakhpur, gonda u.p.
  • India
Share on Facebook MySpace

Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's Friends

  • Aazi Tamaam
  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • अलका 'कृष्णांशी'
  • Samar kabeer
  • Pari M Shlok
  • सुनील प्रसाद(शाहाबादी)
  • maharshi tripathi
  • shree suneel
  • somesh kumar
  • दिनेश कुमार
  • khursheed khairadi
  • विनय कुमार
  • Dr. Vijai Shanker
  • gumnaam pithoragarhi
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
 

Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's Page

Latest Activity

Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's blog post ग़ज़ल: खिड़की पे माहताब बैठा है।
"आ. अमीरुद्दीन सर बहुत शुक्रिया हौसलाफजाई के लिये। इन दिनों विभागीय ट्रेनिंग में व्यस्तता में समय नहीं दे पा रहा हूँ।"
Mar 19, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's blog post ग़ज़ल~ तुझसे मिलकर
"आदरणीय समर सर बेहद शुक्रिया हार्दिक वंदन।"
Mar 16, 2021
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's blog post ग़ज़ल: खिड़की पे माहताब बैठा है।
"जनाब कृष मिश्रा गोरखपुरी जी आदाब, शानदार इस्लाह के साथ बहतरीन ग़ज़ल ख़ल्क़ हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।"
Mar 16, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri posted blog posts
Mar 16, 2021
Samar kabeer commented on Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's blog post ग़ज़ल~ तुझसे मिलकर
"जनाब जान गोरखपुरी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।"
Mar 15, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's blog post ग़ज़ल~ तुझसे मिलकर
"ज़र्रानवाज़ी के लिए आपका बहुत शुक्रिया आ. रचना जी। आत्मविस्मृति का भाव है...इसलिए खुद को खुद "से"।"
Mar 15, 2021
Rachna Bhatia commented on Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's blog post ग़ज़ल~ तुझसे मिलकर
"आदरणीय कृष मिश्रा जी नमस्कार। अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई। ख़ुद को ख़ुद 'में' बेहतरीन, वाह"
Mar 13, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri posted blog posts
Mar 12, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on नाथ सोनांचली's blog post डायन प्रथा पर एक पद्यात्मक कहानी
"आपकी सामाजिक जागरूकता का दिल कायल हो गया है, इस रचना हेतु अशेष बधाई आ. भाई नाथ सोनांचली जी।"
Mar 12, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on babitagupta's blog post मुखरता से हो रहा बदलाव (आलेख)
"आ. बबीता जी महिला सशक्तीकरण पर समसामयिक जानकारी प्रदान करते इस आलेख के लिए आपका धन्यवाद। आशा है ऐसे आलेख आप मंच पर लाती रहेंगी।"
Mar 12, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on Rachna Bhatia's blog post ग़ज़ल-कूचे में बेवफ़ा के
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. रचना जी हार्दिक बधाई"
Mar 12, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post तात के हिस्से में कोना आ गया - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)
"आ. लक्ष्मण भैया मतला बहुत शानदार हुआ है 4,5 शेर और बेहतर किया जा सकता है मेरे ख्याल से।"
Mar 12, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पत्थर ने दी हैं रोज नजाकत को गालियाँ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भैया नए से रदीफ़ के साथ आपकी ये ग़ज़ल बहुत पसंद आई, आ. समर सर के सुझाव के बाद और भी निखर गयी है।हार्दिक बधाई। "
Mar 12, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (हम जिनकी मुहब्बत में दिन रात तड़पते हैं)
"खूबसूरत ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई आ. अमीरुद्दीन अमीर सर जी।"
Mar 12, 2021
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri commented on Sushil Sarna's blog post लौट भी आओ न ....
"बेहद सुंदर मर्म से भरी भावपूर्ण रचना हेतु हार्दिक बधाई आ. सुशील सरना जी।"
Mar 12, 2021
Samar kabeer commented on Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's blog post ग़ज़ल: खिड़की पे माहताब बैठा है।
"मोबाइल स्विच ऑफ़ हो तो समझ लेना मैं नमाज़ में हूँ, दस मिनट बाद चालू हो जाएगा ।"
Mar 11, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
u.p
Native Place
gorakhpur
Profession
teacher @ basic education department of up gov.

अभिनय भरी इस दुनिया में

पाने के लिए प्रिय वो हृदय

करना पड़ता है अभिनय..

करना ही होगा अभिनय।

दुनियाँ का नियम ये तय

जितना अच्छा जिसका अभिनय

उतना विस्तृत उसका संचय

करना पड़ता है अभिनय..

करना ही होगा अभिनय।

भाव-भंगिमाओं के अपने ताने-बाने

भेद न इनका कोई जाने

हृदय की जाने केवल हृदय

इस दुनियाँ का नियम ये तय

करना पड़ता है अभिनय..

करना ही होगा अभिनय।

जब भी मै अभिनय करने जाऊ

भेद सब खुल ही जाये..

शब्द न मिले,भावहीन खुद को मै पाऊ

अंतर्मन को चुनूँ?

या किरदार नया निभाऊ?

पर तो,इस दुनिया का नियम ये तय

करना पड़ता है अभिनय..

करना ही होगा अभिनय।

रह न जाये उन्माद,दुःख-सुख भय

मै भी तब रहे न मै

होता है जब सत्य का उदय

हे निर्विकार ! हे निर्भय !

हर लो अपने,मेरे सारे अभिनय..!!

हे निर्विकार ! हे निर्भय !

हर लो अपने,मेरे सारे अभिनय..!!

"मौलिक व अप्रकाशित"

-‘कृष्णा मिश्रा’

Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's Blog

ग़ज़ल: खिड़की पे माहताब बैठा है।

2122 1212 22

आँख में भरके आब बैठा है।

खिड़की पे माहताब बैठा है।

**

रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा

नोजपिन पे इताब बैठा है।

**

सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया

पलकों को ऐसे दाब बैठा है।

**

यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े

जैसे कोई गुलाब बैठा है।

**

धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ

खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।

**

सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'

और वो लेके किताब बैठा…

Continue

Posted on March 15, 2021 at 10:32pm — 16 Comments

ग़ज़ल~ तुझसे मिलकर

22 22 22 22 22 22 22

तुझसे मिलकर हम जो रो लेते तो अच्छा होता..

जख्मी दिल को नमक से धो लेते तो अच्छा होता।



हम अपने सर को रखकर कुछ पल तेरे दामन में..

कतरा कतरा आँसू बो लेते तो अच्छा होता।

सहरा सहरा दरिया दरिया पर्वत पर्वत वन वन..

पल भर खुद को खुद से खो लेते तो अच्छा होता।



हर पल है जब आंखों में तेरे सपनों का जगना.

कोई दिन हम तुझमें सो लेते तो अच्छा होता।

जब अपनों के हो न सके,तेरा होना हो न सका …

Continue

Posted on March 12, 2021 at 8:00am — 4 Comments

'जब मैं सोलह का था': ग़ज़ल

22/22/22/22/22/22



जब मैं सोलह का था, और तुम तेरह की थी

मैं भी  भोला  सा था, तुम  भी  मीरा  सी थी।

दिल तब बच्चा सा था, आलम अच्छा सा था..

बातें सच्ची सी थीं, आँख वो वीणा सी थी।

शामें खुशबू सी थीं, रातें जादू सी थीं..

दुनिया दिलकश सी थी, मोहब्बत पहली थी।



बारिश प्यारी सी थी, पतझड़ क्यारी सा था..

गर्मी शीतल सी थी, सर्दी आँचल सी थी ।



दुपहर साया सा था, तुमको पाया सा था..

दिल के द्वारे पे धक-धक दस्तक तेरी…

Continue

Posted on March 4, 2021 at 11:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल: 'इश्क मुहब्बत चाहत उल्फत'

22 22 22 22

इश्क मुहब्बत चाहत उल्फत

रश्क मुसीबत रंज कयामत।

**

किसको क्या होना है हासिल

कोई न जाने अपनी किस्मत।

**

क्यूँ मैं छोडूं यार तेरा दर

हक है मेरा करना इबादत।

**

देख ली हमने सारी दुनिया

तुझसी न भायी कोई सूरत।

**

जोर आजमा ले तू भी पूरा..

देखूँ इश्क़ मुझे या वहशत?

**

'जान' ये दिन भी कट जायेंगे

देखी है जब उनकी नफरत।

**

तेरे ही दम से सारे भरम हैं

वर्ना क्या दोज़ख़ क्या…

Continue

Posted on March 4, 2021 at 5:00pm — 11 Comments

Comment Wall (11 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:49pm on January 28, 2019, क़मर जौनपुरी said…
आदाब मोहतरम
मोबाइल no देने की मेहरबानी करें
At 4:53pm on August 2, 2015, maharshi tripathi said…

भाई जी ,कृपया  मुझे अपना मोबाइल num  msg करें|

At 10:33pm on July 4, 2015, shree suneel said…
आदरणीय भाई कृष्ण मिश्रा जी, आप से मित्रता मेरे लिए गौरव की बात है. स्वागत.
At 5:10pm on July 2, 2015, kanta roy said…
स्वागत आपका आदरणीय कृष्णा मिश्रा जान गोरखपूरी जी
At 11:27pm on June 30, 2015, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

भाई जी नमस्कार.      हृदय के स्पंदन की भांति दोस्ती भी बडे सौभाग्य से मिलती है.

                           ..आपका हार्दिक स्वागत है.   सादर

At 10:08pm on May 29, 2015, maharshi tripathi said…

आ. बड़े भाई  जी ,,पिछले माह का सक्रिय सदस्य आपको चुने जाने पर ,,हार्दिक बधाई |

At 1:23am on May 22, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय कृष्ण भाई जी,  आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकमनाएं 

At 7:48pm on April 16, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

प्रिय कृष्णा

आपको मित्र पाकर मेरा गौरव बढा , निस्संदेह .  स्नेह.

At 12:19pm on April 16, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आदरणीय
कृष्णा मिश्रा 'जान' गोरखपुरी जी,
सादर अभिवादन

 माह का सक्रिय सदस्य बनने पर मेरी और से बहुत बहुत  बढ़ायी. सस्नेह .

                                                     गोपाल नारायन श्रीवास्तव  

At 10:30pm on April 15, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय
कृष्णा मिश्रा 'जान' गोरखपुरी जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service