इस समूह में सभी रचनाकारों द्वारा बाल साहित्य के साथ-साथ ही, बच्चों द्वारा रचित कवितायेँ, कहानियाँ और चित्र भी सादर आमंत्रित है.
उन दोनों की मैं बहुत शुक्रगुजार हूं। बताऊं क्यूं? क्योंकि इस बार के गणतंत्र दिवस में उन दोनों ने मुझे भी अपने साथ शामिल कर ही लिया। जिस तरह उन दोनों को सजाया-संवारा गया, राष्ट्रीय ध्वज से गौरवान्वित किया गया; उसी तरह मुझे भी! उन दोनों को गुड्डू ही…Continue
Tags: बाल-संस्मरण, बाल-साहित्य, संस्मरण
Started by Sheikh Shahzad Usmani Jan 20.
गुड्डू, गोविंद और गोपी तीनों अलग अलग कक्षाओं के थे और तीनों दोस्त भी नहीं थे। स्कूल में आज फिर वे तीनों न तो मध्यान्ह अवकाश में अपना मनपसंद गेम खेल पाये थे और न ही इस समय खेल के पीरियड में उन्हें उनकी कक्षा के साथियों ने अपने साथ किसी खेल में शामिल…Continue
Tags: बाल-कहानी, बाल-लघुकथा, लघुकथा
Started by Sheikh Shahzad Usmani Dec 28, 2018.
फूल खिले जो बगिया मेंवह कितने सुन्दर लगते हैंलाल ,गुलाबी,नीले,पीलेमन खुशियों से भरते हैंतितली उड़ती रंग-बिरंगीफूलों पर है इधर-उधरभँवरे भी गुँजन करतेउन पर मंडराने लगते हैंचूँ-चूँ करती चिड़ियाँ भीआकर डाली पर खेल रहींइस डाली से उस डाली परउड़ कर झूला झूल…Continue
Started by Usha Awasthi. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani Dec 29, 2018.
पापा जैसा चुनमुनसोमवार स्कूल का आखिरी दिन था |कल से गर्मियों की छुट्टियाँ थीं |चुनमुन स्कूल-वैन से घर लौट रहा था| ड्राईवर (संवाहक ) अंकल गाना गा रहे थे और बस चलाए जा रहे थे |“अंकल कल से आपकी भी छुट्टी पड़ गयी ?” चुनमुन ने पूछा“हाँ |” ड्राईवर अंकल ने…Continue
Tags: यातायात-साधन, काम-धंधे, दिन, के, सप्ताह
Started by somesh kumar May 21, 2018.
उठो पढ़ो नित नव उमंग से , आलस दूर भगा डालो | सुबह शाम करो याद मन से , रोज आदत बना डालो | मेहनत से कभी डरो नहीं , आगे कदम बढाते जा | रोज सुबह की बेला में उठ , सभी पाठ दुहराते जा | डरना नहीं किसी मौसम से , सर्दी गर्मी हो जाड़ा | लगन…Continue
Started by Shyam Narain Verma. Last reply by Shyam Narain Verma May 21, 2018.
ताटंक छंद (16, 14 पर यति, अंत मे तीन गुरु)कोयल वसन्त ऋतु की रानी, सात सुरों की ज्ञाता हैगाती है जब अपनी धुन में,मन मधुरस हो जाता है।।दिखने में है काली लेकिन,लगती कितनी भोली हैस्वर्ग लोक से सीखी इसनेमिसरी जैसी बोली है।1।आम्र कुंज में उड़ती फिरती,लुक…Continue
Started by सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani May 20, 2018.
शक्ति छंद:122 122 122 12 (11=2 मांन्य)करें प्रार्थना प्रभु जरा ध्यान दोदया प्रेम दिल में भरा ज्ञान दोजुड़ें ना कभी हम किसी पाप सेबचें हम बुरे कर्म सन्ताप से।।जलाएँ न घर हम किसी और कासजाएँ वतन मिल नए दौर का।।लगे हर जगह आज घर द्वार साअखिल देश हो एक…Continue
Started by सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani May 20, 2018.
घर आँगन की राज दुलारी,प्यारी चुनमुन गौरैयाकभी अकेले कभी झुंड मेंकरती है ता ता थैया ।।चोंच दबाकर तिनका तिनका,अपना नीड़ बनाती हैफुदक फुदक कर घर आँगन के,कीड़े चट कर जाती है।।कभी नाचती कभी झगड़तीइधर इधर बलखाती हैछोटे छोटे पर है लेकिन,कभी पकड़ ना आती…Continue
Started by सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani May 20, 2018.
बड़ा जग भरा नीर जूठा कियामगर घूँट भर ही लिया औ पियाउँडेला गया सब,बचा जो, उसेजरूरत कहाँ है न मन में घुसेखुले में जला फूँस करते धुआँरहे खोद खुद के लिए यूँ कुआँजहर से भरी वायु होगी जहाँभला ठीक साँसें मिलेंगी कहाँचलाएं पटाखे खुशी में सभीन सोचें सही ये न…Continue
Started by सतविन्द्र कुमार राणा. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani May 20, 2018.
माँ कितना कुछ करती तुमकोतुम भी तो कुछ किया करोवह जब कामों से थक बैठेपानी, पीने को दिया करोपापा जब ऑफिस से आएँबैग हाथ में लिया करोछोटे-छोटे कामों कोअपने हाथों तुम किया करोअपना बस्ता आप सहेजोकाॅपी पेंसिल लिया करोजब शाला से वापस आओसही जगह पर धरा करोयदि…Continue
Started by Usha Awasthi Feb 28, 2018.
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