For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,126)

चुनावी साल में नेता जी

आज हर ओर खुदी है सड़क

खड्डों मिट्टी की है भरमार

क्योंकि चुनाव को रह गया है एक साल



इसलिए हरेक नेता जी को

सड़क अब टूटी नज़र आने लगी है

अपनी बेरूख़ी जनता अब भाने लगी है

अब सफाई वाला ,कूड़ा उठाने वाला हाज़िरी लगाने लगे…

Continue

Added by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 10:00am — 22 Comments

क्या विधि लिखूँ सत्य वह …!

क्या विधि लिखूँ  सत्य वह …!

जिसका विधान न हो!

न अनुनय के शब्द रहे 

तेरी प्रार्थना रिक्त रहे 

और प्रार्थी का तुझ

सम्मुख; कोई मान न हो 

क्या विधि लिखूँ  सत्य वह…

Continue

Added by वेदिका on June 26, 2013 at 2:30am — 26 Comments

कविता--सबको बरसात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है

किन्तु कब तक ये अच्छी लगती है।

कम दिनों के लिये सुहानी है

थोडी-थोडी पडे तो पानी है

ज्यादा तो मौत की कहानी है

इसकी कुछ बात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है .......।

सब नदी-नाले ये चलाती है

रास्ते भी यही बनाती है

हमको चलना यही सिखाती है

हर मुलाक़ात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है........

पेड-पौधों का सबका कहना है

साथ इसके सभी को रहना…

Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on June 25, 2013 at 11:30pm — 14 Comments

प्रतीक्षा / कविता

पुष्प से सुन्दर,कोमल हृदय में 

लिए एक मधुर-सी- आकांक्षा।

सुन्दर होंगे क्षण प्रिय-मिलन के ,

 सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।

मेरे इस जीवन का एकमात्र

सुन्दर-मधुर स्वप्न हो तुम।

जिसे अब तक नहीं जानती मैं,

मेरे वो अज्ञात प्रियतम हो तुम।

तुम्हारे दर्शन को व्याकुल आत्मा।

सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा। 

तुम स्वप्न हो मेरे जीवन का,

अनुपम आनंद देती ये कल्पना।

पर उस क्षण मैं जाती हूँ काँप,

जब पाती हूँ तुम्हें केवल सपना।

कैसे…

Continue

Added by Savitri Rathore on June 25, 2013 at 9:03pm — 10 Comments

दोहा (हास्य )

खा खाकर मोटी हुई,जैसे मोटी भैंस !

मै दुबला होता गया ,मेरे धन पे ऐश !!

सुबह शाम गाली सुनूँ ,हरदम करती चीट !

धोबी का सोटा उठा ,अक्सर देती पीट !!

मै घर का नौकर बना ,झेलूँ बस उपहास !

रूठ विधाता भी गये,जाऊं किसके पास !!…

Continue

Added by ram shiromani pathak on June 25, 2013 at 8:30pm — 48 Comments

कुंडलिया छंद

सत्ता मद में चाहिए, येन केन बस वोट,

गधे तो कहे बांप तो,उसमे क्या है खोट |                                                                                                                                                              

उसमे क्या है खोट, जो नित भार ही ढोता

सत्ता का वह मीत, बोलता  जैसे  तोता    

जीत पर बदल आँख,बता जनता को धत्ता,

नेता की क्या साख, मिले कैसें भी सत्ता |

(२)

गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,

केदारनाथ धाम में,…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 25, 2013 at 4:00pm — 19 Comments

ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई

खानापूरी हो चुकी, गई रसद की खेप ।

खेप गए नेता सकल, बेशर्मी भी झेंप ।

बेशर्मी भी झेंप, उचक्कों की बन आई ।

ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई ।…

Continue

Added by रविकर on June 25, 2013 at 3:30pm — 13 Comments

!! मेरी लाडो !! एक प्रयास शक्ति को जगाने का

!! मेरी लाडो !!

 “ मेरी लाडो ” समर्पित है उन तमाम बहन बेटियो को जो किसी न किसी हादसो के कारण से अपने वजूद अपने अस्तिव को भुला चुकी है या फिर हार मानके अपनी किस्मत को दोष दे रही है । ये एक प्रयास है…

Continue

Added by बसंत नेमा on June 25, 2013 at 2:30pm — 18 Comments

मन्त्रमुग्ध

मन्त्रमुग्ध

 

जाने हमारे कितने अनुभवों को आँचल में लिए

ममतामय पर्वतीय हवाएँ गाँव से ले आती रहीं

रह-रह कर आज सुगन्धित समृति तुम्हारी...

तुम्हारी रंगीन सुबहों की स्वर्णिम रेखाएँ

बिछ गईं थी तड़के आज आँगन में मेरे

कि जैसे झुक गई थीं पलकें उषा की सम्मानार्थ,

विकसित हुए फूल हँसते-हँसते मन-प्राण में मेरे।

 

खुशी में तुम्हारी मैं फूला नहीं समाता, यह सच है,

सच यह भी, कि मन में मेरे रहती है सोच तुम्हारी…

Continue

Added by vijay nikore on June 25, 2013 at 7:30am — 28 Comments

दोहे : देवभूमि का दर्द !

भक्तों के मुख मलिन हैं ,पूजा-गृह में गर्द ,

प्रभु अपने किससे कहें देव-भूमि का दर्द !



हुई न ऐसी त्रासदी जैसी है इस बार ,

प्रभु ने झेली आपदा बदरी क्या केदार !



बादल,बारिश,मृत्यु के कारण बने पहाड़ ,

धरती काँपी,मनुज के थर-थर काँपे हाड़…

Continue

Added by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 24, 2013 at 10:30pm — 13 Comments

छटपटाया बहुत चाँद

छटपटाया बहुत चाँद

-------------------------

रात बारिश बहुत जोर की थी प्रिये

देख चेहरा तेरा चाँद में खो गया…

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 24, 2013 at 10:30pm — 19 Comments

"वादा करो"

मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए

मेरी बाँहों में आने का वादा करो

मै जहाँ ये भुला दूँगा सुन लो मगर

मुझको दिल में बसाने का वादा करो



मै जो अब तक अकेला हूँ जीता रहा

धुंधले ख्वाबों को आँखों से सीता रहा

ये जो कोरी पड़ी है मेरी जिंदगी

रंग अपना चढ़ाने का वादा करो



मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए

मेरी बाँहों में आने का वादा करो



तुम जो रूठी तो तुमको मना लूँगा मै

तुमको पल भर में अपना बना लूँगा मै

मै भी रूठूँगा…

Continue

Added by Anurag Singh "rishi" on June 24, 2013 at 6:30pm — 16 Comments

आल्हा छंद - प्रथम प्रयास

गड़ गड़ करता बादल गर्जा, कड़की बिजली टूटी गाज

सन सन करती चली हवाएं, कुदरत हो बैठी नाराज

पलक झपकते प्रलय हो गई, उजड़े लाखों घर परिवार

पल में साँसे रुकी हजारों, सह ना पाया कोई वार

डगमग डगमग डोली धरती, अम्बर से आई बरसात

घना अँधेरा छाया क्षण में, दिन…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on June 24, 2013 at 3:00pm — 22 Comments

अचानक ..

क्या हुआ, कैसे हुआ ..

या हुआ अचानक ..

देखते देखते बदल गया..

स्वयं का कथानक ..

परछईओं ने भी छोड़ दिए ...

अब तो अपना दामन…

Continue

Added by Amod Kumar Srivastava on June 24, 2013 at 12:30pm — 8 Comments

मत्तगयन्द सवैया - अरुन शर्मा 'अनन्त'

आदि अनादि अनन्त त्रिलोचन ओम नमः शिव शंकर बोलें
सर्प गले तन भस्म मले शशि शीश धरे करुणा रस घोलें,
भांग धतूर पियें रजके अरु भूत पिशाच नचावत डोलें
रूद्र उमापति दीन दयाल डरें सबहीं नयना जब खोलें

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Added by अरुन 'अनन्त' on June 24, 2013 at 10:59am — 23 Comments

जेठ को दोषी पाया-

तपत तलैया तल तरल, तक सुर ताल मलाल ।

ताल-मेल बिन तमतमा, ताल ठोकता ताल ।

ताल ठोकता ताल, तनिक पड़-ताल कराया ।

अश्रु तली तक सूख, जेठ को दोषी पाया ।…

Continue

Added by रविकर on June 24, 2013 at 9:30am — 6 Comments

हाइकू ज़िंदगी के ~

ज़िंदगी भली 

रुलाती भी है कभी 

करमजली !

~

~…

Continue

Added by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 23, 2013 at 10:30pm — 7 Comments

बरसात से बर्बादी/ चौपाई एवं दोहों में/ जवाहर

प्रस्तुत रचना केदारनाथ के जलप्रलय को अधार मानकर लिखी गयी है.

चौपाई - सूरज ताप जलधि पर परहीं, जल बन भाप गगन पर चढही.

भाप गगन में बादल बन के, भार बढ़ावहि बूंदन बन के.

पवन उड़ावहीं मेघन भारी, गिरि से मिले जु नर से नारी.

बादल गरजा दामिनि दमके, बंद नयन भे झपकी पलके!

रिमझिम बूँदें वर्षा लाई, जल धारा गिरि मध्य सुहाई

अति बृष्टि बलवती जल धारा, प्रबल देवनदि आफत सारा

पंथ बीच जो कोई आवे. जल धारा सह वो बह जावे.

छिटके पर्वत रेतहि माही,…

Continue

Added by JAWAHAR LAL SINGH on June 23, 2013 at 6:00pm — 28 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
उत्तराखंड की तबाही (आल्हा छंद पर आधारित )

ऐसी  प्रलय भयंकर आई ,होश मनुज  के दियो उड़ाय   

काल घनों पर उड़ के आया  ,घर के दीपक दियो बुझाय 

पिघली धरा मोम  के जैसे ,पर्वत शीशे से चटकाय 

ध्वस्त हुए सब मंदिर मस्जिद ,धर्म कहाँ कोई बतलाय 

बच्चे बूढ़े युवक युवतियां ,हुए जलमग्न कौन बचाय 

शिव शंकर  आकंठ डूबे  , चमत्कार नाही  दिखलाय 

केदारनाथ शिवालय भीतर,ढेर लाश के दियो लगाय 

मौत से लड़कर बच गए जो ,उनकी पीर कही ना जाय 

नागिन सी फुफकारें नदियाँ ,निर्झर  गए खूब पगलाय 

पर्वत हुए खून…

Continue

Added by rajesh kumari on June 23, 2013 at 3:15pm — 33 Comments

पहाड़ अब भी सरल है --

मित्रों! आज पहाड़ मे आई इस भीषण त्रासदी के वक्त कुछ बाहरी असमाजिक तत्व (जो कि पल्लेदारी और मजदूरी के लिए यहाँ आयें हैं) अपनी लोभ लिप्सा के लिए बेहद आमानवीय हो गए है. उनका मकसद पैसा जुटाना और फिर यहाँ से भाग कर अपने देश/ गाँव जाना है. ये लोग गिरोह के रूप मे सक्रिय हैं. इनकी वजह से अपने पहाड़ के सीधे साधे लोग बदनाम हो रहे हैं. अभी कुछ नेपाली मजदूर भी पकडे जा जुके हैं जिनके पास सोने की माला और लाखों रूपये मिले. यहाँ तक कि सुना है करोड से ऊपर रुपये भी मिले अब चूँकि हर…

Continue

Added by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on June 23, 2013 at 12:00pm — 15 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service