Added by Mohammed Arif on June 7, 2017 at 12:05pm — 13 Comments
मापनी २१२ २१२ २१२ २१२
रात दिन बस यही सोचता रह गया
पास आकर भी क्यों फासला रह गया
पत्थरों से लड़ाई कहाँ तक करे,
तोप का मुँह सिला का सिला रह गया
चढ़ गयीं परतें मुखोटे पे’ उनके कई,
बेखबर देखता आइना रह गया
वज्न…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on June 7, 2017 at 9:30am — 19 Comments
ट्रेन के चलते ही एक तरुण दैनिक यात्री द्वितीय श्रेणी के स्लीपर क्लास में दाखिल हुआ. आरक्षित श्रेणी के यात्री अधिकांशतः अपनी बर्थ पर अधपसरे हुए थे . एक बर्थ के कोने पर खाली जगह देखकर वह बैठने जा ही रहा था कि उस पर बैठे अधेड़ व्यक्ति ने गुर्राकर कहा –‘आगे बढ़ो,…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2017 at 8:54pm — 2 Comments
यार चलो नेता बन जाएँ
खूब फटे में टाँग अड़ाएँ
शेयर जैसे सुबह उछलकर,
लुढ़क शाम को नीचे आएँ
जंतर मंतर पर जाकर हम,
मूंगफली का भाव बढ़ाएँ
उल्टा पुल्टा बोल बोल कर,
चप्पल, जूते, थप्पड़ खाएँ…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on June 6, 2017 at 8:30am — 10 Comments
Added by Arpana Sharma on June 5, 2017 at 8:07pm — 4 Comments
खूंटी पर टंगी कमीज़ को ....
जब जब
मैं छूती हूँ
खूंटी पर
टंगी कमीज़ को
मेरा समूचा अस्तित्व
रेंगने लगता है
उस स्पर्शबंध के आवरण में
जहां मेरा शैशव
निश्चिंत सोया करता था
अब
जब आप नहीं रहे
मैं इस कमीज़ में
आपको महसूस करती हूँ
सामना करती हूँ
हर उस दूषित दृष्टि का
जो मेरे शरीर पर
अपनी कुत्सित भावनाओं की
खरोंचें डालती है
मेरी दृष्टिहीनता को
मेरी कमजोरी मानती है
न, न
आप…
Added by Sushil Sarna on June 5, 2017 at 4:11pm — 7 Comments
Added by दिनेश कुमार on June 5, 2017 at 3:59pm — 6 Comments
Added by दिनेश कुमार on June 5, 2017 at 8:46am — 6 Comments
मापनी २२१ १२२२ २२१ १२२२
नफरत के किले सारे, अब हमको ढहाना है
जब हाथ मिलाया है, दिल को भी मिलाना है
चुपचाप न बैठोगे, पाओगे सदा मंजिल,
दुश्मन है तरक्की का, आलस को भगाना है…
Added by बसंत कुमार शर्मा on June 5, 2017 at 8:30am — 4 Comments
Added by Hariom Shrivastava on June 5, 2017 at 12:07am — No Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 4, 2017 at 5:25pm — 11 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on June 4, 2017 at 3:30pm — 4 Comments
किसी से कम रहो ना बेटी , पढ़ो बढ़ो तुम आगे जाओ | |
अडिग रहो अपने ही पथ पर , तुम कदम ना पीछे हटाओ | |
नाम करो अपना इस जग में , बढ़ो सुता तुम कदम बढ़ाओ | |
हर मुश्किल में रहे हौसला , हर गम सहकर बढ़ते जाओ |… |
Added by Shyam Narain Verma on June 3, 2017 at 4:39pm — 4 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on June 3, 2017 at 3:04pm — 5 Comments
बहर- फैलुन*4
तुमसे मन की बात हो गई
सावन सी बरसात हो गई,
जब से आये हो जीवन में,
पूनम सी हर रात हो गई
नैनों से जब नैन मिले तो,
सपनों की बारात हो गई
दिल में तुमने हमें बसाया,…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on June 3, 2017 at 1:34pm — 4 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on June 3, 2017 at 1:27pm — 9 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 3, 2017 at 8:56am — 8 Comments
Added by Arpana Sharma on June 2, 2017 at 11:23pm — 7 Comments
Added by Manan Kumar singh on June 2, 2017 at 8:24pm — 13 Comments
इतनी ज्यादा बात न कर
वादों की बरसात न कर
ह्रदय बड़ा ही नाजुक है,
उस पर यूँ आघात न कर
ख्यात न हो कुछ बात नहीं,
पर खुद को कुख्यात न कर
मानव को मानव रहने दे,
ऊंची नीची जात न कर
…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on June 2, 2017 at 10:02am — 20 Comments
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