122--122 / 122--122
मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत लिखेंगे,
अलावा नहीं कुछ हिमाकत लिखेंगे !
नहीं कल्पना ही लिखेंगे यहाँ अब,
लिखेंगे तो बस हम हकीकत लिखेंगे!
लिखेंगे नहीं हम कभी झूठ बातें,
सलामत अगर हैं सलामत लिखेंगे!
मुहब्बत ही करते रहें हैं यहाँ जो ,
ग़ज़ल दर ग़ज़ल हम मुहब्बत लिखेंगे!
ग़ज़ल जब लिखेंगे तुम्हारे लिए तो,
कसम से तुम्हें खूबसूरत लिखेंगे!
इशारा हमें जो किया…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 18, 2017 at 5:11pm — 11 Comments
निर्दोषों के हत्यारों की,
क्या बस निंदा काफी है.
घाटी में आतंकी मिलकर,
दिखा रहे हैं दानवता.
हृदय विलखता लिए हुए हम,
ओढ़े बैठे सज्जनता.
तड़प रही है भारत माता,
जयचंदों को माफ़ी है.
जाति धर्म की राजनीति में,
इंसान हो रहा गायब.
चमचों की कोशिश रहती है,
रहे हमेशा खुश साहब.
भोली जनता को गोली है,
पल पल नाइंसाफी है.
टूट गए हैं सारे…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2017 at 4:52pm — 12 Comments
Added by Ravi Shukla on July 18, 2017 at 1:53pm — 19 Comments
Added by Samar kabeer on July 18, 2017 at 11:03am — 24 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on July 18, 2017 at 10:11am — 12 Comments
घर टूटे मिट गए वसेरे,
महलों में आवास हो गया.
ऊँचे कद को देख लग रहा,
सबका बहुत विकास हो गया.
भूल गए पहचान गाँव की,
बसे शहर में जब से आकर.
नहीं अलाव प्रेम के जलते,
सूनी है चौपाल यहाँ पर.
अधरों पर मुस्कान…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2017 at 9:25am — 8 Comments
Added by Rahila on July 17, 2017 at 7:59pm — 5 Comments
ग़ज़ल
तुम चाँद हो फलक पर, या तारों की बहार कह दुँ ,
तुम्हे फूलों की कहूँ रानी ,या गुलबहार कह दूँ ,
देखकर के तुमको शर्मा जाये ,ये गुलशन
तुम मलका ऐ गुल बोलूं या नौबहार कह दूँ ,
तुम चाँद पर भी होती तो फ़ौरन मैं चला आता,
तुमसे मिलने को है कितना, दिल, बेक़रार कह दूँ ,
मिलती नहीं है फुर्सत मुझे तुमको सोचने से
इसे आदत बताऊ अपनी ,या कारोबार कह दूँ,
आते हैं ख्वाब तेरे ,अब तो नींद की जगह
कितना हैं मुझको "सैफी" तुमसे प्यार कह दूँ।
शफ़ीक़ सैफी…
ContinueAdded by SHAFIQE SAIFI on July 17, 2017 at 6:24pm — 3 Comments
लो आ गया फिर से सावन
संग लाया यादें मन भावन
नदी का किनारा अमरुद का पेड़,
पत्थर उठाकर तुम्हारा करना खेल
पानी उछालना , फिर हंस देना
अमरुद तोड़ खुद ही खा लेना
थी अठखेलियाँ वो जो तुम्हारी
बस गयी तब से साँसों में हमारी
उछलते छीटों से खुद को भी भिगौना
गीले होकर रूठ कर बैठ जाना
कीचड़ लगाकर फिर भाग जाना
पेड़ की आड़ से फिर मुस्कुराना
शैतान सी हंसी , मस्ती की…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:00pm — 10 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 6:30pm — 11 Comments
शानदार फूलों से सुसज्जित मंच पर धर्मगुरु विद्यमान ,साथ ही भजन कीर्तन करने वाली भाड़े पर रखी गयी टीम ,सामने लम्बा पांडाल , अति विशिष्ट भक्तों के लिए आगे सुन्दर सोफों की कतार ,पीछे दरी पर हाथ जोड़ कर बैठे भक्तजन , जगह –जगह एलसीडी ,साउंड सिस्टम , अब प्रवचन शुरू ..........
” आप सब के दुखों का कारण ही यही है की आप लोग तमाम मोह ,माया के बंधन में फसें हुए हैं,किसी को परिवार की चिंता है ,कोई धन के पीछे भाग रहा है ,अरे कुत्ते की तरह जिंदगी बना ली है आप लोगों ने अपनी, अरे मैं तो…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 16, 2017 at 3:00pm — 4 Comments
Added by Mohammed Arif on July 16, 2017 at 2:09pm — 20 Comments
तृण तृण भीगा
प्रीत पलों का
सावन की बौछारों में
तड़पन भीगी
तन-मन भीगा
सावन की बौछारों में
बीती रैना
भीगे बैना
सावन की बौछारों में
पावस रुत में
नैना बरसे
सावन की बौछारों में
निष्ठुर पिया को
पल पल तरसे
सावन की बौछारों में
बादल गरजे
बिजली चमकी
सावन की बौछारों में
भीगी चौली
भीगी अंगिया
सावन की बौछारों में
चूड़ी खनकी
मिलन को तरसी
सावन की बौछारों में …
Added by Sushil Sarna on July 16, 2017 at 1:30pm — 6 Comments
(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फऊलन)
मेरे प्यार का शम्स ढलने से पहले |
कोई आ गया दम निकलने से पहले |
बहुत होगी रुसवाई यह सोच लेना
रहे इश्क़ में साथ चलने से पहले |
तेरे ही चमन के हैं यह फूल माली
कहाँ तू ने सोचा मसलने से पहले|
कहे सच हर इक आइना सोच लेना
बुढ़ापे में इसको बदलने से पहले |
ख़यालों में आ जाओ कटती नहीं शब
मिले चैन दिल को मचलने से पहले |
अज़ल से है उल्फ़त का दुश्मन ज़माना …
Added by Tasdiq Ahmed Khan on July 16, 2017 at 12:30pm — 30 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on July 16, 2017 at 9:00am — 6 Comments
“डॉक्टर साहब, देखिये ना मेरी फूल सी बिटिया को क्या हो गया है, कुछ दिनों से ये अचानक दौड़ते-भागते हुए गिर जाती है, ठीक से सीढ़ियाँ भी नहीं चढ़ पाती है।“
“अरे आप इतना क्यों घबरा रहें है? लीजिये कुछ टेस्ट लिख दियें हैं, बच्ची की जाँच करवा के मुझे दिखाइये ।“-डॉक्टर ने कहा।
अगले ही दिन बृजमोहन सारी जाँच रिपोर्ट लेकर डॉक्टर मिश्रा के अस्पताल पहुँच गया।
डॉक्टर मिश्रा जैसे –जैसे रिपोर्ट पढ़ते जा रहे थे…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 15, 2017 at 9:30pm — 12 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on July 15, 2017 at 2:26pm — 16 Comments
अब तो मिजाज ऐ यार में वो घुल गए होगी,
मुझको क्या मेरी मेरी याद को भी भूल गयी होगी,
चमक रही होंगी ,खुशी से पेशानियाँ ,
ख़त्म हो गयी होंगी, सारी परेशानियाँ ,
अब तो गर्द ऐ फिक्र दामन से धुल गयी होगी,
मुझको क्या मेरी याद को भी भूल गयी होगी,
उसकी गालियों में खुशबु, अब भी आती होगी
मेरी जगह अब वो उसको सुनाती होगी ,
रक़ीब के साथ भी ऐसा ही खुल गयी होगी ,
मुझको क्या मेरी याद को भी भूल गयी होगी.
.
शफ़ीक़ सैफी
मौलिक एबं अप्रकाशित
Added by SHAFIQE SAIFI on July 15, 2017 at 1:00pm — 4 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on July 15, 2017 at 2:03am — 9 Comments
नेम प्लेट ...
कुछ देर बाद
मिल जाऊंगा मैं
मिट्टी में
पर
देखो
हटाई जा रही है
निर्जीव काल बेल के साथ
लटकी
मेरी ज़िंदा
मगर
उखड़े उखड़े अक्षरों की
एक अजीब सी
चुप्पी साधे
पुरानी सी
नेम प्लेट
मुझसे पहले
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on July 14, 2017 at 3:30pm — 24 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |