Added by PHOOL SINGH on October 26, 2012 at 3:12pm — 2 Comments
रमिता रंगनाथन, मिसेज़ शास्त्री की खातिर में यूँ जुटी थीं- मानों कोई भक्त, भगवान की सेवा में हो। क्यों न हो- एक तो बॉस की बीबी, दूसरे फॉरेन रिटर्न। अहोभाग्य- जो खुद उनसे मिलने, उनके घर तक आयीं! पहले वडा और कॉफ़ी का दौर चला फिर थोड़ी देर के बाद चाय पीना तय हुआ। इस बीच 'मैडम जी', सिंगापुर के स्तुतिगान में लगीं थीं- "यू नो- उधर क्या बिल्डिंग्स हैं! इत्ती बड़ी बड़ी...'एंड' तक देख लो तो सर घूम जाता है...और क्या ग्लैमर!! आई शुड से- 'इट्स ए हेवेन फॉर शॉपर्स'..." रमिता ने महाराजिन को, चाय रखकर जाने का…
ContinueAdded by Vinita Shukla on October 26, 2012 at 3:00pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 26, 2012 at 3:00pm — 13 Comments
घरों में सीलिंग फैन्स की घड़घड़ाहट बंद सी होने लगी है और दिन सुबुकपा और रातें संगीन. मौसम ने करवट की इक गर्दिश पूरी की हो जैसे- धूप की शिद्दत खत्म होने लगी है और सुकून और मुलायमियत के झीने से सरपोश के उस तरफ साकित ओ मुतमईन, आयंदा और तबस्सुमफिशाँ कुद्रत के नए रूप का एहसास होने लगा है. घर की हर शै जैसे तपिश भरी दोपहरियों से सज़ायाफ्ता ज़िंदगी की नींद से बेदार होने लगी है और जल रहे लोबान के धुंए की तरह दूदेसुकूत फजाओं में फ़ैल रहा है. ये आमदेसरमा (जाड़े के मौसम के आगमन) के बेहद इब्तेदाई रोज़…
ContinueAdded by राज़ नवादवी on October 26, 2012 at 12:30pm — 11 Comments
देह नही सुधि गेह नहीं सुधि ,, छूटि गयो ब्रज धाम जभी से
चैन नही दिन रैन सखे अब ,, शूल लग्यो हिय जोर तभी से
याद सतावत गोपहि ग्वालन ,, माखन खायहु नाहि कभी से
Added by Chidanand Shukla on October 26, 2012 at 10:30am — 3 Comments
पाप-पुण्य की कसौटी -एक लघु कथा
चरण कमल रखे तभी वहीँ पास में बैठा प्रभात का पालतू कुत्ता बुलेट उन पर जोर जोर से भौकने लगा .गुरुदेव के उज्जवल मस्तक पर क्षण भर को कुछ लकीरें उभरी और फिर होंठों पर मुस्कान .गुरुदेव ने स्नेह से बुलेट के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- ''शांत हो जाओ मैं समझ गया हूँ .ईश्वर तुम्हे मुक्ति प्रदान करें !'' गुरुदेव के इतना कहते ही बुलेट शांत हो गया और अपने स्थान पर जाकर बैठ गया .वहां उपस्थित प्रभात सहित उसके परिवारीजन यह देखकर चकित रह गए…
ContinueAdded by shikha kaushik on October 25, 2012 at 11:00pm — 8 Comments
खत्म कर जिंदगी देखो मन ही मन मुस्कुराते हैं ,
Added by shalini kaushik on October 25, 2012 at 8:30pm — 3 Comments
महिमा रोज की ही तरह आज भी सुबह पाँच बजे अधपूरी नींद से उठ गई ! फिर घर की दैनिक सफाई के बाद बेड टी बनाकर अजय को जगाया, और सोनू को जगाकर स्कूल के लिए तैयार करने लगी ! सोनू स्कूल चला गया ! महिमा ने अजय के ऑफिस के कपड़े इस्त्री किए, फिर उसे जगाया, उसका नाश्ता बनाया ! अजय उठा और महिमा को इधर-उधर की दो चार हिदायते देते हुवे तैयार हुवा, और आखिर नौ बजे ऑफिस चला गया ! उसके जाने के बाद महिमा ने नहाकर थोड़ी पूजा की, फिर लंच तैयार किया और लंच लेकर सोनू के स्कूल गई, समय था बारह ! घर आकर खाना खाई और फिर…
ContinueAdded by पीयूष द्विवेदी भारत on October 25, 2012 at 3:30pm — 24 Comments
लघुकथा : सुहागन …
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 25, 2012 at 10:30am — 40 Comments
किस तरह हो यकीं आदमी का |
कोई होता नहीं है किसी का ||
आस्तीनों में खंजर छुपा कर |
दे रहे हो सबक़ दोस्ती का ||
पत्थरों के मकानों में रह कर |
दिल भी पत्थर हुआ आदमी का ||
मान लें बाग़बाँ कैसे उसको |
जिसने सौदा किया हर कली का ||
दर्द का बाँट लेना इबादत |
फ़लसफ़ा है यही ज़िन्दगी का ||
इसको आज़ादी माने तो कैसे |
आदमी है ग़ुलाम आदमी का ||
फैलें इंसानियत के उजाले |
सिलसिला ख़त्म हो…
Added by लतीफ़ ख़ान on October 24, 2012 at 11:00pm — 8 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 24, 2012 at 5:00pm — 12 Comments
तीन दोहें....
बाहर रावण फूँक कर ,मानव तू इतराय |
नष्ट करेगा कब जिसे ,उर में रहा छुपाय ||
सच्चाई की जीत हो ,झूठ का हो विनाश |
कष्ट ये तिमिर का मिटे ,मन में होय प्रकाश ||
सत स्वरूपी राम है ,दर्प रूप लंकेश |
दशहरा पर्व से मिले ,यही बड़ा सन्देश ||
दो रोलें...
दैत्यों का हो अंत ,मिटे जग का अँधेरा
संकट जो हट जाय,वहीँ बस होय सवेरा
अपना ही मिटवाय ,छुपाकर अन्दर धोखा
लंका को ज्यों ढाय,बता कर भेद…
Added by rajesh kumari on October 24, 2012 at 2:30pm — 18 Comments
दोस्तों ।
आज विजय दशमी है आज के दिन राम ने रावण को मारा था । यह एक मधुर कल्पना है की चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते है आइये देखते है ।
राम या राम चन्द्र
जब चाँद का धीरज छुट गया…
Added by Mukesh Kumar Saxena on October 24, 2012 at 1:00pm — 4 Comments
रिटायरमेंट ( लघु कथा )
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 24, 2012 at 12:07pm — 20 Comments
नारी शशक्ति करण पर सुन्दर आयोजन
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 24, 2012 at 11:11am — 6 Comments
निमंत्रण
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 24, 2012 at 10:32am — 12 Comments
विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !
धर्म पताका फहराने , पापी को सबक सिखाने ,
चली राम की सेना रावण का दंभ मिटाने !
हर हर हर हर महादेव !
…
Added by shikha kaushik on October 23, 2012 at 9:30pm — 4 Comments
आग लगाकर इक पुतले को परचम लहराएगी जनता
असली रावण मंच विराजित जय कारे गायेंगी जनता
दस शीशों से पहचाना था जिस रावण को पुरसोत्तम ने
कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?
कुम्भकरण भर पेट पड़े हैं इन्द्रप्रस्थ के दरबारों में
भांति भांति के इन्द्रजीत हैं गली गली में चौबारों में
चोरों की चौपाल जहाँ हो वहां भला क्या होगी समता
कल युग में बस एक शीश से कैसे पहचानेगी जनता ?
दूषित मन की अभिलाषाएं अखबारों की ताजा ख़बरें
चौराहे पर स्वेत वस्त्र में लिपटे हैं…
Added by Manoj Nautiyal on October 23, 2012 at 5:36pm — 4 Comments
सुल्तान जो अपना है वो उनका मुसाहिब है
आये हैं जिधर से वो कहते वहीँ मगरिब है
खामोश ही रहता है अब तक वो नहीं समझा
दुनिया नहीं चुप्पी की दो लफ्जों की तालिब है
हम देर से जागे तो ये कोई खता है क्या?…
Added by Rana Pratap Singh on October 23, 2012 at 3:00pm — 8 Comments
कल फिर से जलेगा रावण
मन शांत और दिन पावन
रौनक छाई चेहरों पे ऐसे
पतझड़ में जैसे आया सावन
रावण को जलाने से पहले
अपनें भीतर भी झांको
उसके कर्मों से प्यारे
अपनें कुकर्म भी आँको
उन्नीस बीस का फर्क दिखेगा
उसके ज्यादा कुछ न मिलेगा
रावण तो था शूरवीर
पंडित था…
Added by Deepak Sharma Kuluvi on October 23, 2012 at 11:00am — 3 Comments
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