दीप जलाओ , दिल से जलाओ -
Added by sripoonam jodhpuri on November 9, 2018 at 9:30pm — 3 Comments
प्रणय-हत्या
किसी मूल्यवान "अनन्त" रिश्ते का अन्त
विस्तरित होती एक और नई श्यामल वेदना का
दहकता हुया आशंकाहत आरम्भ
है तुम्हारे लिए शायद घूम-घुमाकर कुछ और "बातें"
या है किसी व्यवसायिक हानि और लाभ का समीकरण
सुनती थी क्षण-भंगुर है मीठे समीर की हर मीठी झकोर
पर "अनन्त" भी धूल के बवन्डर-सा भंगुर है
क्या करूँ ... मेरे साँवले हुए प्यार ने यह कभी सोचा न…
ContinueAdded by vijay nikore on November 9, 2018 at 6:30am — 6 Comments
सजाये कुमकुम अक्षत की थाल
मन में भर अटूट प्रेम स्नेह
आशीष भरे हाथ तिलक लगाएँ
भाई के भाल पर।
बीती बातें बचपन की
वो लड़ाई झगडे भाई बहन के
स्नेह प्यार ही बचे रहे
भाई-बहन के ह्रदय में।
अनमोल वादा रक्षा का
बहन पाए भाई से
भाई-दूज के अवसर पर
मन क्यों न हर्षित हो जाये।
दूर रहे या पास रहे भाई
खुशहाली की कामना लिए भाई की
स्नेह प्रेम का दीप जलाये बहन
ऐसा ही रिश्ता भाई-बहन…
Added by Neelam Upadhyaya on November 8, 2018 at 4:00pm — 6 Comments
"देखो, हम सेलिब्रिटीज़ की ज़िन्दगी के साथ मीडिया ऐसे ही बर्ताव करता रहता है! टेंशन मत लो!"
"सब कुछ मेंशन हो चुका है! तुम तो सिर्फ़ यह बता दो कि मैं तुम्हारा पहला चांद हूं या दूसरा या फिर तीसरे नंबर का?"
"क्या मतलब?"
"देखो अर्थ! अब ज़्यादा मत इतराओ! मैंने भी तुम्हारी उन दोनों लैलाओं के बयान सुन लिए हैं टेलीविज़न पर!"
"देखो शशि! मुझ पर और तुम स्वयं पर विश्वास रखो! तुम्हीं मेरा पहला और आख़री चांद हो, तुम्हीं इंदु, विधु और तुम्हीं मेरी चंदा हो डार्लिंग!"
"फ़िर वे दोनों…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 8, 2018 at 9:00am — 4 Comments
दोहे
दीप जलाएं मौज से, रखें सदा ही ध्यान
आगजनी होवे नहीं, हरपल हो कल्यान ll 1
दीपों की लड़ियाँ जले, हो प्रकाश चहुँओर
ज्ञान पुंज से हर कहीं, होवें सभी विभोर ll 2
घोर तमस मन का मिटे, जीवन हो खुशहाल
भाई भाई सब मिले, कभी न रखें मलाल ll 3
जगमग दीपक सा बनें, तभी बनेगी बात
निरालम्ब को दीजिए, खुशियों की सौगात ll 4
तम आडम्बर का मिटे, मिटे अंधविश्वास
ज्योतिर्मय जग ये करें, दुख ना आये पास ll…
Added by डॉ छोटेलाल सिंह on November 7, 2018 at 9:30pm — 8 Comments
1212 1122 1212 22
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हमारी रात उजालों से ख़ाली आई है
बड़ी उदास ये अबके दिवाली आई है //१
चमन उदास है कुछ यूँ ग़ुबारे हिज्राँ में
कली भी शाख़ पे ख़ुशबू से ख़ाली आई है //२
फ़ज़ा ख़मोश है घर की, अमा है सीने में
हमारा सोग मनाने रुदाली आई है //३
मवेशी खा गए या फिर है मारा पालों ने
कभी कभार ही फ़सलों पे बाली आई है…
ContinueAdded by राज़ नवादवी on November 7, 2018 at 12:00pm — 16 Comments
2122---2122---2122---212
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नेकियाँ तो आपकी सारी भुला दी जाएँगी
ग़लतियाँ राई भी हों, पर्वत बना दी जाएँगी
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रौशनी दरकार होगी जब भी महलों को ज़रा
शह्र की सब झुग्गियाँ पल में जला दी जाएँगी
.
फिर कोई तस्वीर हाकिम को लगी है आइना
उँगलियाँ तय हैं मुसव्विर की कटा दी जाएँगी
.
इनके अरमानों की परवा अह्ले-महफ़िल को कहाँ
सुबह होते ही सभी शमएँ बुझा दी जाएँगी
.
नाम पत्थर पर शहीदों के लिखे तो जाएँगे
हाँ, मगर क़ुर्बानियाँ उनकी भुला दी…
Added by दिनेश कुमार on November 7, 2018 at 10:22am — 15 Comments
"आज न छोड़ेंगे, सोते हुओं को चेतायेंगे!"
"घोर अन्धकार है महाराज! सुझावों, चेतावनियों, प्रतिबंधों और घोषणाओं को चुनौती देकर पटाखों, आतिशबाज़ियों और वैद्युत-सजावटों से ही इनका राष्ट्र दहक रहा है, चमक रहा है! इतना तो आपके दहन-आयोजन के आडंबर मेंं भी नहीं होता!"
"...'आडंबर'..! मत कहो मेरे नई सदी के 'सक्रीय अस्तित्व' और 'सांकेतिक स्मरण' को 'आडंबर'..! मेरे दशानन की बदलती भूमिकाएं नहीं मालूम क्या तुम्हें?" नई सदी के नवीन दस मुखौटों वाले विशाल शरीर में अपनी आत्मा लिए दीपावली पर भारत-भ्रमण…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 7, 2018 at 9:30am — 1 Comment
१२२२/१२२२/१२२२/१२२२
अकेला हार जाऊँगा, जरा तुम साथ आओ तो
अमा की रात लम्बी है कोई दीपक जलाओ तो।१।
ये बाहर का अँधेरा तो घड़ी भर के लिए है बस
सघन तम अंतसों में जो उसे आओ मिटाओ तो।२।
कहा बाती मुझे लेकिन जलूँ कैसे तुम्हारे बिन
भले माटी, स्वयं को अब चलो दीपक बनाओ तो।३।
गरीबी, भूख, नफरत, वासनाओं का मिटेगा तम
इन्हें जड़ से मिटाने को सभी नित कर बटाओ तो।४।
महज दस्तूर को दीपक जलाते इस अमा को सब
बने हर जन…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 7, 2018 at 7:36am — 13 Comments
इस गीत के साथ ओबीओ परिवार के सभी मनीषियों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
सारा जग उजियारा कर दे
दीप कहाँ से लाऊँ
अंधकार ने फन फैलाया
मैला हर इक मन है
सूरज भी गुमसुम सा बैठा
विस्मित नील गगन है
मन को मनका मोती कर दे
सीप कहाँ से लाऊँ
सारा जग उजियारा कर दे
दीप कहाँ से लाऊँ
गली गली में घूमे रावण
हर घर में इक लंका
प्यार मुहब्बत भाईचारा
मिटने की आशंका
कण कण राम बिराजें ऐसा
द्वीप…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 6, 2018 at 11:00pm — 12 Comments
अंतर्द्वन्द्व
कितने बर्फ़ीले दर्द दिल में छिपाए
किन-किन बहानों से मन को बहलाए
भीतर की गहरी गुफ़ा से आकर
तुम्हारे सम्मुख आते ही हर बार
हँस देता हूँ , हँसता चला जाता हूँ
स्वयं को छल-छल ऐसे
तुमको भी... छलता चला जाता हूँ
ऐसे में मेरी हर हँसी में तुम भी
हँस देती हो ... नादान-सी
मेरे उस मुखौटे से अनभिज्ञ
न जानती हो, न जानना चाह्ती हो
कि अपने सुनसान अकेलों…
ContinueAdded by vijay nikore on November 6, 2018 at 2:00pm — 14 Comments
(फाइ इलातु न _फ इ लातुन _फ इ लातुन _फ़े लुन)
ख़त्म कर के ही मुहब्बत का सफ़र जाऊंगा l
तू ने ठुकराया तो कूचे में ही मर जाऊँगा l
जो भी कहना है वो कह दीजिए ख़ामोश हैं क्यूँ
आपका फ़ैसला सुनके ही मैं घर जाऊँगा l
वकते आख़िर है मेरा पर्दा हटा दे अब तो
छोड़ कर मैं तेरे चहरे पे नज़र जाऊँगा l
आ गए वक़ते सितम अश्क अगर आँखों में
मैं सितमगर की निगाहों से उतर जाऊँगा l
लौट कर आऊंगा मैं सिर्फ़ तू इतना कह दे …
Added by Tasdiq Ahmed Khan on November 6, 2018 at 10:30am — 20 Comments
1-
आलोक पर्व
सेतु ये जन-हेतु
प्रकाश-स्तंभ
2-
राहगुज़र
अंधेरे का निस्तार
प्रकाश-पर्व
3-
अपनापन
दीप से विस्तारित
आत्मकेंद्रित
4-
रूप चौदस
सौंदर्य प्रसाधन
आध्यात्मिकता
5-
दूज सुबोध
भ्रातृ-भगिनि योग
दिव्य-आलोक
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 6, 2018 at 10:09am — 8 Comments
"हमने कई थी न कि देर है अंधेर नईं! सबके साथ सबके दिन फिर रये! सो अपने भी दिन फिरहें!" नदी किनारे बैठे हुए एक बाबा ने दूसरे साथी बाबाओं से किया अपना दावा दोहराते-सिद्ध करते हुए कहा - "अपने कित्ते बाबा अंतर्राष्ट्रीय हो गये, ध्यान और योग से उद्योग जम गओ, ... एक और बाबा हाईटेक हो गओ!"
"हओ! मंत्री बनत-बनत रह गये; लेकिन अब रस्ता खुल गओ अपने लाने! धंधा-पानी भी संग-संग चलो करहे अब राम-नाम जपने के साथ! दुनिया खों आयुर्वेद को भेद बहुतई अच्छी तरा समझ में आ गओ!"
"लेकिन गुरु, धरम-करम और…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 6, 2018 at 12:11am — 2 Comments
1222 1222 1222 1222
हमेशा तो नहीं होती बुरी तकरार की बातें
इसी तकरार से अक्सर निकलतीं प्यार की बातें।
नज़र मंजिल पे रक्खो तुम बढ़ाओ फिर कदम आगे
नहीं अच्छी लगा करतीं हमेेशा हार की बातें।
अँधेरे में चरागों-सा उजाला इनसे मिल जाता
गुनी जाएं तज्रिबे के सही गर सार की बातें।
अलग हैं रास्ते चाहे है मंजिल एक पर सबकी
जो ढूंढें खोट औरों में करे वो रार की…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 5, 2018 at 8:30pm — 17 Comments
1-
मन-हर्षाता
धन्य धन-तेरस
मां लक्ष्मी दाता
2-
धन तेरस
दे अब के बरस
सोने का देश
3-
धन तेरस
सोने की ये चिड़िया
धन से धन्य
4-
धनोपार्जन
से धन-विसर्जन
चादर मैली
5-
धन की दास्तां
धनी-निर्धन व्यथा
कथा में कथा
6-
लड़ी में ज्वाला
प्रकाश, आग, भाग
आत्मायें लड़ीं
7-
पर्व ही गर्व
संदेश सम्प्रेषित
धन का दर्द
8-
दिल की…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 5, 2018 at 8:24pm — 8 Comments
मेरी धरोहर - लघुकथा -
"सुधा, मेरा सफेद कुर्ता पाजामा निकाल दो। शीघ्रता से।"
"अरे विनोद, यह क्या सुन रहा हूँ? यहाँ सब लोग दिवाली की पूजा की तैयारी में व्यस्त हैं और तुम ये क्या सफेद कपड़ों की फरमाइश कर रहे हो?"
"जी दादाजी, आपने सही सुना। मुझे मेरे दोस्त अकबर के घर जाना है। उसके अब्बू का इंतकाल हो गया है।"
"तुम्हें पता है आज इस दीपावली के शुभ अवसर पर मैं अपनी वसीयत भी बनाने वाला हूँ। अभी हमारे परिवार के वक़ील आने ही वाले हैं। हो सकता है जो उस वक्त मौजूद ना हों, उन्हें…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on November 5, 2018 at 4:58pm — 14 Comments
धनतेरस
धन धान्य हो भरा
शुभकामना
धन बरसे
लक्ष्मी रहें प्रसन्न
सब हरसें
झालर दीप
सुंदर उपहार
सजे बाजार
हल्की है ज़ेव
महंगाई की मार
सुस्त ग्राहक
प्रथा निभाएँ
धनतेरस पर
थोड़ा ही लाएँ
धनतेरस
खुशियाँ दे अपार
प्यारा त्योहार
…. मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Neelam Upadhyaya on November 5, 2018 at 3:30pm — 7 Comments
२१२२ २१२२ २१२२
है वो मेरा दोस्त, मेरा नुकताचीं भी
शर्म खाए उससे कोई ख़ुर्दबीं भी //१
काविशे सुहबत में आके मैंने जाना
हाँ में उसकी तो छुपा था इक नहीं भी //२
जब उफ़ुक़ पे सुब्ह लाली खिल रही थी
थी हया से सुर्ख थोड़ी ये ज़मीं भी //३
दूर क्यों जाना है ज़्यादा जुस्तजू में
पालती है जबकि दुश्मन आस्तीं भी //४…
Added by राज़ नवादवी on November 4, 2018 at 7:30am — 10 Comments
कुछ 'दीवाली-हाइकु' :
1-
दिल्ली-दीवाली
(दिली-दीवाली)
दीपक-दिलवाली
ईको-फ्रेंडली
2-
कुम्हार-कला
मिट्टी, भावों से खिला
ये दीपोत्सव
3-
प्रज्जवलित
दीप कुम्हार वाले
सीप के मोती
4-
सीप का मोती
दीवाली-महोत्सव
रिश्तों की खेती
5-
मानवीयता
दानवीयता परे
दीवाली भरे
6-
दिव्य-दीवाली
दशा-दिशा निमित्त…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on November 4, 2018 at 6:00am — 8 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
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