कड़वाहट ....
जाने कैसे
मैंने जीवन की
सारी कड़वाहट पी ली
धूप की
तपती नदी पी ली
मुस्कुराहटों के पैबन्दों से झांकती
जिस्मों की नंगी सच्चाई पी ली
उल्फ़त की ढलानों पर
नमक के दरिया की
हर बूँद पी ली
रात की सिसकन पी ली
चाँद की उलझन पी ली
ख़्वाबों की कतरन पी ली
आगोश के लम्हों की
हर फिसलन पी ली
जानते हो
क्यूँ
शा.... य... द
मैं
तू.... म्हा ... रे
इ.... .श्......क
की…
Added by Sushil Sarna on December 17, 2017 at 8:30pm — 6 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 17, 2017 at 8:00pm — 12 Comments
सड़क पर एक लड़के को रोटी हाथ में लेकर आते देख अलग-अलग तरफ खड़ीं वे दोनों उसकी तरफ भागीं। दोनों ही समझ रही थीं कि भोजन उनके लिए आया है। कम उम्र का वह लड़का उन्हें भागते हुए आते देख घबरा गया और रोटी उन दोनों में से गाय की तरफ फैंक कर लौट गया। दूसरी तरफ से भागती आ रही भैंस तीव्र स्वर में बोली, “अकेले मत खाना इसमें मेरा भी हिस्सा है।”
गाय ने उत्तर दिया, “यह तेरे लिए नहीं है... सवेरे की पहली रोटी मुझे ही मिलती है।”
“लेकिन क्यूँ?” भैंस ने उसके पास पहुँच कर प्रश्न…
ContinueAdded by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 17, 2017 at 2:03pm — 22 Comments
विकल विदा के क्षण
सिहरता सूनापन
संग्रहीत हैं अनायास उमड़ते अनुभव
पता नहीं अब जीवन के इस छोर पर
प्रलय-पवाह जो भीतर में है
वह बाहर व्याप्त हो रहा है, या
स्तब्धता जो बाहर है, घुटती-बढ़ती
आकर समा गई है हृदय में आज
मेरी कमज़ोरियों का रूपांकन करती
शोचनीय स्थिति मेंं मूलभूत समस्याएँ
अवसर-अनवसर झुठलाती हैं मुझको
उभरते हैं पुराने जमे दुखों के बुलबुले
दुख में छटपटाती सलवटों …
ContinueAdded by vijay nikore on December 17, 2017 at 7:21am — 21 Comments
हमने एक दुनिया उजाड़ दी
शेरों और नील गायों की
ख़रीद ली उनकी खाल
बारह सींगों के
सींगों से कर रहे हैं
घर की दीवारों का श्रृंगार
अब आदमखोर
शेरों को नहीं
इंसानों को कहना होगा बेहतर
हिंसक हरकतें सारी
चुरा ली है
शेरों से इंसानों ने
कितने ही लक्षण आ गए हैं
पशुओं वाले इंसानों में
ऐसे में लाजमी है
जंगलों का ख़त्म होना
शेरों का ख़त्म होना ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on December 17, 2017 at 7:10am — 14 Comments
उसे फिर किसी की चीख़ सी सुनाई दी। उसने सोचा कि पड़ोसी का बच्चा फिर पिट गया होगा स्कूल का होमवर्क समय पर पूरा न कर पाने की वज़ह से या किसी ज़िद की वज़ह से। तभी एक और चीख़ उसे सुनाई दी। उसने अबकी सोचा कि फिर कोई बदज़ुबान बीवी या सास पिट गई होगी या कोई शराबी पति अपनी तेज-तर्रार बीवी से! अगली चीख से स्पष्ट हो गया था कि चीख़ किसी महिला की ही थी।
"भाड़ में जाए! करना क्या है? कर भी क्या सकते हैं ? उसकी बस्ती में तो आये दिन ऐसा कुछ न कुछ होता रहता है! रात के बारह बज चुके हैं, अपना भी सोने…
ContinueAdded by Sheikh Shahzad Usmani on December 16, 2017 at 11:28pm — 11 Comments
बह्र - फाइलातुन मफाइलुन फैलुन
काबिले गौर मेरा काम न था
सर पे मेरे तभी ईनाम न था।
मैं जिसे पढ़ गया धड़ल्ले से,
वाकई वो मेरा कलाम न था।
हाट में मोल भाव क्या करता,
जेब में नोट क्या छदाम न था।
लोग मुँहफट उसे समझते थे,
जबकि वो शख्स बेलगाम न था।
गाँव के गाँव बाढ़ से उजड़े
बाढ़ का कोई इन्तजाम न था।
सर झुकाया नहीं कभी उसने,
वो शहंशाह था गुलाम् न था।
उसका मालिक तो बस खुदा ही था,
घर में जिनके दवा का दाम न था।
मौलिक…
ContinueAdded by Ram Awadh VIshwakarma on December 16, 2017 at 9:04pm — 29 Comments
ग़ज़ल (मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे )
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(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फऊलन )
मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे |
निकल जाएगा दिल से डर धीरे धीरे |
मुहब्बत में अंजाम की फ़िक्र मत कर
करे है यह दिल पे असर धीरे धीरे |
अभी तुझको जी भर के देखा कहाँ है
निगाहों में आ के ठहर धीरे धीरे |
मिलेगा वफ़ा का सिला सब्र तो कर
वो लेते हैं दिल की ख़बर धीरे धीरे |
यही इंतहा है…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on December 16, 2017 at 8:28pm — 24 Comments
22 22 22 22
मोम नहीं जो दिल पत्थर है
उसका चर्चा क्यों घर-घर है?
मंजिल को पा लेता है वो
जिसने साधी खूब डगर है
लोग पुराने बात पुरानी
फिर भी उनका आज असर है
देख! सँभलना उसने सीखा
जिसने भी खायी ठोकर है
होठों पर मुस्कान भले हो
दिल में गम का इक सागर है
माना सच होता है कड़वा
'राणा' कहता ख़ूब मगर है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 16, 2017 at 8:00pm — 20 Comments
2122 2122 2122 212
ढूढते हैं वो बहाना रूठ जाने के लिए ।।
है बहुत अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए ।।
इक तेरा मासूम चेहरा इक मेरी दीवानगी ।
रह गईं यादें फकत शायद मिटाने के लिए ।।
फिर वही क़ातिल निगाहें और अदायें आपकी।
याद आयी हैं हमारा दिल जलाने के लिए ।।
घर मेरा रोशन है अब भी आपके जाने के बाद ।
हैं चरागे ग़म यहाँ घर जगमगाने के लिए ।।
चैन से मैं सो रहा था कब्र में अपनी तो…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2017 at 3:30pm — 16 Comments
अपने रिश्ते पर तलाक की मोहर लगवा कर कोर्ट से बाहर आये अभिषेक एवं शिखा और अलग-अलग रास्ते पर चल दिये।
ऑटो रिक्शा में बैठी शिखा के दिल-दिमाग में अभिषेक से प्रथम परिचय से ले कर शादी तक के तमाम दिन जैसे जीवंत हो उठै थे ।दोनों का एक-एक पल शिद्दत से सिर्फ और सिर्फ एक-दूजे के लिए ही था।और यह प्यार चौगुना हो उठा जब दो बरस बाद उनके घर एक नन्हे-मुन्ने की किलकारी गूँजी।अभिषेक ने अपने प्यार के उस फूल का नाम अनुराग रखा।खुशियों से खिलखिलाते-गुनगुनाते दिन गुजर रहे थे कि...
एक रविवारीय दोपहरी को…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 15, 2017 at 5:20pm — 4 Comments
आग ..
सहमी सहमी सांसें
बेआवाज़ आहटें
खामोशियों के लिबास में लिपटे
कुछ अनकहे शब्द
पल पल सिमटती ज़िदंगी
जवाबों को तरसते
बेहिसाब सवाल
शायद
यही सब था
इस हयाते सफ़र का अंजाम
लम्हे ज़िदंगी से अदावत कर बैठे
ख़्वाब
आग के साथ सुलगने लगे
अभी तो जीने की आग भी
न बुझ पायी थी
कि मौत की फसल
लहलहाने लगी
इक हुजूम था
मेरे शेष को
अवशेष में बदलने के लिए
नाज़ था जिस वज़ूद पर
वो ख़ाक हो जाएगा
आग के…
Added by Sushil Sarna on December 15, 2017 at 4:35pm — 8 Comments
221 2121 1221 212
यूँ तीरगी के साथ ज़माने गुज़र गए ।
वादे तमाम करके उजाले मुकर गए ।।
शायद अलग था हुस्न किसी कोहिनूर का ।
जन्नत की चाहतों में हजारों नफ़र गए ।।
ख़त पढ़ के आपका वो जलाता नहीं कभी ।
कुछ तो पुराने ज़ख़्म थे पढ़कर उभर गए।।
उसने मेरे जमीर को आदाब क्या किया ।
सारे तमाशबीन के चेहरे उतर गए ।।
क्या देखता मैं और गुलों की बहार को ।
पहली नज़र में आप ही दिल मे ठहर गए…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 15, 2017 at 12:30pm — 6 Comments
ग़ज़ल
मफ़्ऊल फ़ाइलात मफ़ाईल फाइलुन
धोखे ने मुझको इश्क़ में क्या क्या सिखा दिया
गिरना सिखा दिया है,सँभलना सिखा दिया
रोती थीं ज़ार ज़ार ये,वादे ने आपके
आँखों को इन्तिज़ार भी करना सिखा दिया
सूरज की तेज़ धूप बड़ा काम कर गई
ख़्वाबों के दायरे से निकलना सिखा दिया
अपनों की ठोकरों ने गिराया था बारहा
ग़ैरों ने सीधी राह पे चलना सिखा दिया
"संतोष"दुश्मनों का करूँ शुक्र किस तरह
मुझको भी दोस्ती का सलीक़ा सिखा…
Added by santosh khirwadkar on December 14, 2017 at 8:30pm — 12 Comments
जैसे ही आशिया घर में घुसी उसे चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ आयी. चारो तरफ देखते हुए उसकी नज़र किनारे मेज पर रखे एक पिंजरे पर पड़ी जिसमें कई सारे रंगीन पक्षी कूद फांद कर रहे थे. उसने उछलते हुए पिंजरे की तरफ रुख किया और जब तक वह पिंजरे के पास पहुंचती, सामने से अब्बू आते दिखे.
"कितने प्यारे पक्षी हैं न आशिया, तुम्हारे लिए ही लाये हैं मैंने", अब्बू ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखा.
आशिया ने हँसते हुए अब्बू को शुक्रिया कहा और पिंजरे के पास खड़ी हो गयी. एक से एक खूबसूरत और प्यारे पक्षी, उसे लगा…
Added by विनय कुमार on December 14, 2017 at 6:12pm — 12 Comments
ठिठुरी अम्मा
धूप तो लाजवंती
दुपहरी में ।
कच्ची सी उम्र
नौकरी खँगालता
खाली है झोली
मान न मान
जिंदगी के दो रंग
जीना मरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Neelam Upadhyaya on December 14, 2017 at 4:00pm — 8 Comments
"पंडित जी, अब ज़रा गायत्री बिटिया को बुला लो, डाक पावती की इंट्री वग़ैरह करवा दो हमारे मोबाइल में!" कड़क चाय की आख़री घूंट हलक़ में डालते हुए पोस्टमेन नज़ीर भाई ने कहा।
"इस उम्र में तुम्हारा काम भी मॉडर्न हो गया, भाईजान!" पंडित जी ने चुटकी लेते हुए बिटिया को पुकारा और कहा, "इनको तो बहुत टाइम लगेगा! गायत्री तुम ही कर दो इन्ट्री!"
डाक-विभाग के मोबाइल पर डाक के विवरण भरवाने के साथ ही मंदिर का प्रसाद लेकर नज़ीर भाई विदा लेते हुए साइकल तक पहुंचे ही थे कि पंडित जी की घूरती…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on December 14, 2017 at 3:30am — 8 Comments
तौल-मोल के “लव यू “
10 अक्टूबर 2009
मुझे लगता है-“अब हमें उठना चाहिए |”
उसने सहमति में सिर हिलाया और पुनीत वापस परिवार वालों के पास आ बैठा |
“क्या पसंद है !” दीदी ने धीरे से कानों में पूछा और पुनीत ने ‘ना’ में सिर हिलाया |
रास्ते में पिताजी ने झल्लाते हुए कहा-“नवाब-साहब कौन सी परी चाहिए ,बाप अच्छा खासा बुलेरो दे रहा था तीन तौला सोना |ये कहते हैं कि नौकरी-नौकरी |बड़े घर की औरतें क्या नौकरी करती जँचती है |वो आदमी ही…
ContinueAdded by somesh kumar on December 14, 2017 at 1:30am — 3 Comments
जब एक सैनिक शहीद होता है
तो साथ में शहीद होती हैं
ढेर सारी उम्मीदें,
ताकत और भावनाएं,
मैं सैनिक नहीं
न मेरा कोई पुत्र,
पर पूरी देशभक्ति
निभायी
अपनी चहारदीवारी
के भीतर
हाथ में धारित
मोबाईल पर चल रहे
सोशल मीडिया
में शहीद सैनिक
की फोटो पर
"जय हिंद"
लिख कर और
सो गया, तब
रात स्वप्न में
वह शहीद आया,
कहा- मैं अपनी
मिट्टी और आपकी
और सेवा करना
चाह रहा था,
पर कर न पाया,
इसलिए…
Added by Manoj kumar shrivastava on December 13, 2017 at 2:30pm — 9 Comments
जीवन में निज यत्न से, करिये ऐसे काम।
आप रहें या ना रहें, रहे सदा पर नाम।
रहे सदा पर नाम, नया इतिहास बनाएँ।
बनें जगत प्रतिमान, लोग यश गाथा गाएँ।
अगर समर्पण-स्नेह-धैर्य-साहस रख मन में।
हों इस हेतु प्रयास, सफल होंगे जीवन में।।1।।
जग में कठिन न है सखे, करना कोई काम।
दृढ निश्चय कर के बढ़ो, होगा जग में नाम।।
होगा जग में नाम, लक्ष्य पाना जो ठानो।
हर बाधा स्वयमेव, मिटेगी सच यह मानो।।
गिरि-सरि आयें राह , चुभें या काँटें पग में।
लक्ष्य प्राप्त कर…
Added by रामबली गुप्ता on December 13, 2017 at 1:12pm — 13 Comments
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